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11-11-2019 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

“मीठे बच्चे - मनमनाभव के वशीकरण मंत्र से ही तुम माया पर जीत पा सकते हो,

यही मंत्र सबको याद दिलाओ''

प्रश्नः-

इस बेहद के ड्रामा में सबसे जबरदस्त लेबर्स (नौकर) कौन-कौन हैं और कैसे?

उत्तर:-

इस पुरानी दुनिया की सफाई करने वाले सबसे जबरदस्त लेबर्स हैं नैचुरल कैलेमिटीज।

धरती हिलती है, बाढ़ आती है, सफाई हो जाती है।

इसके लिए भगवान किसी को डायरेक्शन नहीं देते।

बाप कैसे बच्चों को डिस्ट्राय करेंगे।

यह तो ड्रामा में पार्ट है।

रावण का राज्य है ना, इसे गॉडली कैलेमिटीज नहीं कहेंगे।

ओम् शान्ति।

बाप ही बच्चों को समझाते हैं - बच्चे, मनमनाभव...

ऐसे नहीं कि बच्चे बैठ बाप को समझा सकते।

बच्चे नहीं कहेंगे शिवबाबा, मनमनाभव। नहीं।

यूँ तो भल बच्चे आपस में बैठ चिटचैट करते हैं, राय निकालते हैं परन्तु जो मूल महामंत्र है, वह तो बाप ही देते हैं।

गुरू लोग मंत्र देते हैं।

यह रिवाज कहाँ से निकला?

यह बाप जो नई सृष्टि रचने वाला है, वही पहले-पहले मंत्र देते हैं मनमनाभव।

इसका नाम ही है वशीकरण मंत्र अर्थात् माया पर जीत पाने का मंत्र।

यह कोई अन्दर में जपना नहीं है।

यह तो समझाना होता है।

बाप अर्थ सहित समझाते हैं।

भल गीता में है परन्तु अर्थ कोई नहीं समझते हैं।

यह गीता का एपीसोड भी है।

परन्तु सिर्फ नाम बदली कर दिया है।

कितनी बड़ी-बड़ी पुस्तक आदि भक्ति-मार्ग में बनती हैं।

वास्तव में यह तो ओरली बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं।

बाप की आत्मा में ज्ञान है।

बच्चों की भी आत्मा ही ज्ञान धारण करती है।

बाकी सिर्फ सहज कर समझाने के लिए यह चित्र आदि बनाये जाते हैं।

तुम बच्चों की तो बुद्धि में यह सारा नॉलेज है।

तुम जानते हो बरोबर आदि सनातन देवी-देवता धर्म था और कोई खण्ड नहीं था...

फिर बाद में यह खण्ड एड हुए हैं।

तो वह भी चित्र एक कोने में रख देना चाहिए।

जहाँ तुम दिखलाते हो भारत में इनका राज्य था तो और कोई धर्म नहीं था।

अभी तो कितने ढेर धर्म हैं फिर यह सब नहीं रहेंगे।

यह है बाबा का प्लैन।

उन बिचारों को कितनी चिंता लगी हुई है।

तुम बच्चे समझते हो यह तो बिल्कुल ठीक है।

लिखा हुआ भी है बाप आकर ब्रह्मा द्वारा स्थापना करते हैं।

किसकी? नई दुनिया की।

जमुना का कण्ठा यह है कैपीटल।

वहाँ एक ही धर्म होता है।

झाड़ बिल्कुल छोटा है, इस झाड़ का ज्ञान भी बाप ही देते हैं।

चक्र का ज्ञान देते हैं, सतयुग में एक ही भाषा होती है, और कोई भाषा नहीं होगी।

तुम सिद्ध कर सकते हो एक ही भारत था, एक ही राज्य था, एक ही भाषा थी...

पैराडाइज में सुख-शान्ति थी।

दु:ख का नाम-निशान नहीं था।

हेल्थ, वेल्थ, हैपीनेस सब था।

भारत नया था तो आयु भी बहुत बड़ी थी क्योंकि पवित्रता थी।

पवित्रता में मनुष्य तन्दरूस्त रहते हैं।

अपवित्रता में देखो मनुष्यों का क्या हाल हो जाता है...

बैठे-बैठे अकाले मृत्यु हो जाती है।

जवान भी मर पड़ते हैं।

दु:ख कितना होता है।

वहाँ अकाले मृत्यु होती नहीं।

फुल एज होती है।

पीढ़ी तक अर्थात् बुढ़ापे तक कोई मरते नहीं हैं।

किसको भी समझाओ तो यह बुद्धि में बिठाना है-बेहद के बाप को याद करो, वही पतित-पावन है, वही सद्गति दाता है।

तुम्हारे पास वह नक्शा भी होना चाहिए तो सिद्ध कर समझा सकेंगे।

आज का नक्शा यह है, कल का नक्शा यह है।

कोई तो अच्छी रीति से सुनते भी हैं।

यह पूरा समझाना होता है।

यह भारत अविनाशी खण्ड है।

जब यह देवी-देवता धर्म था तो और कोई धर्म थे नहीं।

अभी वह आदि सनातन देवी-देवता धर्म है नहीं।

यह लक्ष्मी-नारायण कहाँ गये, कोई बता नहीं सकेंगे।

कोई में ताकत नहीं बताने की।

तुम बच्चे अच्छी रीति रहस्ययुक्त समझा सकते हो।

इसमें मूँझने की दरकार नहीं।

तुम सब कुछ जानते हो और फिर रिपीट भी कर सकते हो।

तुम कोई से भी पूछ सकते हो-यह कहाँ गये?

तुम्हारा प्रश्न सुनकर चक्रित हो जायेंगे।

तुम तो निश्चय से बताते हो, कैसे यह भी 84 जन्म लेते हैं।

बुद्धि में तो है ना।

तुम झट कहेंगे सतयुग नई दुनिया में हमारा राज्य था।

एक ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म था।

दूसरा कोई धर्म नहीं था।

एवरीथिंग न्यु।

हर एक चीज़ सतोप्रधान होती है।

सोना भी कितना अथाह होता है।

कितना सहज निकलता होगा, जो फिर ईटें मकान आदि बनते होंगे।

वहाँ तो सब कुछ सोने का होता है।

खानियां सब नई होंगी ना।

इमीटेशन तो निकालेंगे नहीं जबकि रीयल बहुत है।

यहाँ रीयल का नाम नहीं...

इमीटेशन का कितना जोर है इसलिए कहा जाता है झूठी माया, झूठी काया......।

सम्पत्ति भी झूठी है।

हीरे मोती ऐसे-ऐसे किस्म के निकलते हैं जो पता भी नहीं पड़ सकता कि सच्चा है या झूठा है?

शो इतना होता है जो परख नहीं सकते हैं-झूठा है वा सच्चा?

वहाँ तो यह झूठी चीजें आदि होती नहीं।

विनाश होता है तो सब धरती में चले जाते हैं।

इतने बड़े-बड़े पत्थर, हीरे आदि मकानों में लगाते होंगे।

वह सब कहाँ से आया होगा, कौन कट करते होंगे?

इन्डिया में भी एक्सपर्ट बहुत हैं, होशियार होते जायेंगे।

फिर वहाँ यह होशियारी लेकर आयेंगे ना।

ताज आदि सिर्फ हीरों के थोड़ेही बनेंगे।

वह तो बिल्कुल रिफाइन सच्चे हीरे होते हैं।

यह बिजली, टेलीफोन, मोटर आदि पहले कुछ नहीं था...

बाबा के इस लाइफ के अन्दर ही क्या-क्या निकला है!

100 वर्ष हुए हैं जो यह सब निकले हैं।

वहाँ तो बड़े एक्सपर्ट होते हैं।

अभी तक सीखते रहते हैं।

होशियार होते रहते हैं।

यह भी बच्चों को साक्षात्कार कराया जाता है।

वहाँ हेलीकाप्टर्स भी फुल प्रूफ होते हैं।

बच्चे भी बड़े सतोप्रधान शुरूड़ बुद्धि वाले होते हैं।

आगे थोड़ा चलो, तुमको सब साक्षात्कार होते रहेंगे।

जैसे अपने देश के नजदीक आते हैं तो झाड़ दिखाई पड़ते हैं ना।

अन्दर में खुशी होती रहती है, अब घर आया कि आया।

अभी आकर पहुँचे हैं।

पिछाड़ी में तुमको भी ऐसे साक्षात्कार होते रहेंगे।

बच्चे समझते हैं मोस्ट बिलवेड बाबा है...

वह है ही सुप्रीम आत्मा।

उनको सब याद भी करते हैं।

भक्ति मार्ग में तुम भी याद करते थे ना परमात्मा को।

परन्तु यह मालूम नहीं था कि वह छोटा है वा बड़ा है।

गाते भी हैं चमकता है अजब सितारा भ्रकुटी के बीच में..... तो जरूर बिन्दी मिसल होगा ना।

उनको ही कहा जाता है सुप्रीम आत्मा माना परमात्मा।

उनमें खूबियां तो सब हैं ही।

ज्ञान का सागर है, क्या ज्ञान सुनायेंगे।

वह तो जब सुनावे तब तो मालूम पड़े ना।

तुम भी पहले जानते थे क्या, सिर्फ भक्ति ही जानते थे।

अभी तो समझते हो वन्डर है, आत्मा को भी इन आंखों से देख नहीं सकते हैं तो बाप को भी भूल जाते हैं।

ड्रामा में पार्ट ही ऐसा है जिसको विश्व का मालिक बनाते हैं उनका नाम डाल देते हैं और बनाने वाले का नाम गुम कर देते हैं।

कृष्ण को त्रिलोकीनाथ, वैकुण्ठ नाथ कह दिया है, अर्थ कुछ नहीं समझते हैं...

सिर्फ बड़ाई दे देते हैं।

भक्ति मार्ग में अनेक बातें बैठ बनाई हैं।

कहते हैं भगवान में इतनी ताकत है, वह हज़ारों सूर्य से तेज है, सबको भस्म कर सकते हैं।

ऐसी-ऐसी बातें बना दी हैं।

बाप कहते हैं मैं बच्चों को जलाऊंगा कैसे!

यह तो हो नहीं सकता।

बच्चों को बाप डिस्ट्रॉय करेंगे क्या? नहीं।

यह तो ड्रामा में पार्ट है।

पुरानी दुनिया खत्म होनी है...

पुरानी दुनिया के विनाश के लिए यह नैचुरल कैलेमिटीज सब लेबर्स हैं।

कितने जबरदस्त लेबर्स हैं।

ऐसे नहीं कि उन्हों को बाप का डायरेक्शन है कि विनाश करो।

नहीं, तूफान लगते हैं, फेमन होता है।

भगवान कहते हैं क्या, यह करो?

कभी नहीं।

यह तो ड्रामा में पार्ट है।

बाप नहीं कहते हैं बॉम्बस बनाओ।

यह सब रावण की मत कहेंगे।

यह बना-बनाया ड्रामा है।

रावण का राज्य है तो आसुरी बुद्धि बन जाते हैं।

कितने मरते हैं।

आखरीन में सब जला देंगे।

यह बना-बनाया खेल है, जो रिपीट होता है।

बाकी ऐसे नहीं कि शंकर के आंख खोलने से विनाश हो जाता है, इनको गॉडली कैलेमिटीज़ भी नहीं कहेंगे...

यह नैचुरल ही है।

अब बाप तुम बच्चों को श्रीमत दे रहे हैं।

कोई को दु:ख आदि देने की बात ही नहीं।

बाप तो है ही सुख का रास्ता बताने वाला।

ड्रामा प्लैन अनुसार मकान पुराना होता ही जायेगा।

बाप भी कहते हैं यह सारी दुनिया पुरानी हो गई है।

यह खलास होनी चाहिए।

आपस में लड़ते देखो कैसे हैं!

आसुरी बुद्धि हैं ना।

जब ईश्वरीय बुद्धि हैं तो कोई भी मारने आदि की बात नहीं।

बाप कहते हैं मैं तो सबका बाप हूँ...

हमारा सब पर प्यार है।

बाबा देखते यहाँ हैं फिर अनन्य बच्चों तरफ ही नज़र जाती है, जो बाप को बहुत प्रेम से याद करते हैं।

सर्विस भी करते हैं।

यहाँ बैठे बाप की नज़र सर्विसएबुल बच्चों तरफ चली जाती है।

कभी देहरादून, कभी मेरठ, कभी देहली...... जो बच्चे मुझे याद करते हैं मैं भी उन्हों को याद करता हूँ।

जो मुझे नहीं भी याद करते हैं तो भी मैं सबको याद करता हूँ क्योंकि मुझे तो सबको ले जाना है ना।

हाँ, जो मेरे द्वारा सृष्टि चक्र की नॉलेज को समझते हैं नम्बरवार वह फिर ऊंच पद पायेंगे।

यह बेहद की बातें हैं।

वह टीचर आदि होते हैं हद के।

यह है बेहद का।

तो बच्चों के अन्दर में कितनी खुशी होनी चाहिए।

बाप कहते हैं सबका पार्ट एक जैसा नहीं हो सकता है, इनका तो पार्ट था।

परन्तु फालो करने वाले कोटो में कोई निकले।

कहते हैं - बाबा, हम 7 दिन का बच्चा हूँ, एक दिन का बच्चा हूँ...

तो पूँगरे ठहरे ना। तो बाप हर बात समझाते रहते हैं।

नदी भी बरोबर पार कर आये थे।

बाबा के आने से ही ज्ञान शुरू हुआ है।

उनकी कितनी महिमा है।

वह गीता के अध्याय तो तुमने जन्म-जन्मान्तर कितने बार पढ़े होंगे।

फर्क देखो कितना है।

कहाँ कृष्ण भगवानुवाच, कहाँ शिव परमात्मा वाच। रात-दिन का फर्क है।

तुम्हारी बुद्धि में अब है हम सचखण्ड में थे, सुख भी बहुत देखा...

3/4 सुख देखते हो।

बाप ने ड्रामा सुख के लिए बनाया है, न कि दु:ख के लिए।

यह तो बाद में तुमको दु:ख मिला है।

लड़ाई तो इतनी जल्दी लग नहीं सकती।

तुमको बहुत सुख मिलता है।

आधा-आधा हो तो भी इतना मजा न रहे।

साढ़े तीन हज़ार वर्ष तो कोई लड़ाई नहीं।

बीमारी आदि नहीं।

यहाँ तो देखो बीमारी पिछाड़ी बीमारियाँ लगी हुई हैं।

सतयुग में थोड़ेही ऐसे कीड़े आदि होंगे जो अनाज खा लेवें इसलिए उनका तो नाम ही है स्वर्ग।

तो वर्ल्ड का नक्शा भी तुमको दिखाना चाहिए तब समझ सकेंगे।

असुल में भारत यह था, और कोई धर्म था नहीं।

फिर नम्बरवार धर्म स्थापन करने वाले आते हैं।

अभी तुम बच्चों को वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी का मालूम है।

तुम्हारे सिवाए बाकी सब तो कह देंगे नेती-नेती, हम बाप को नहीं जानते हैं।

कह देते हैं उनका कोई नाम, रूप, देश, काल है नहीं।

नाम रूप नहीं तो फिर कोई देश भी नहीं हो सकता है।

कुछ भी समझते नहीं।

अब बाप अपना यथार्थ परिचय तुम बच्चों को देते हैं।

अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) सदा अपार खुशी में रहने के लिए बेहद का बाप जो बेहद की बातें सुनाते हैं,

उनका सिमरण करना है और बाप को फालो करते चलना है।

2) सदा तन्दरूस्त रहने के लिए ‘पवित्रता' को अपनाना है।

पवित्रता के आधार से हेल्थ, वेल्थ और हैपीनेस का वर्सा बाप से लेना है।

वरदान:-

शक्तिशाली याद द्वारा

सेकण्ड में पदमों की कमाई जमा करने वाले

पदमापदम भाग्यशाली भव

आपकी याद इतनी शक्तिशाली हो जो एक सेकण्ड की याद से पदमों की कमाई जमा हो जाए।

जिनके हर कदम में पदम हों तो कितने पदम जमा हो जायेंगे इसीलिए कहा जाता है पदमापदम भाग्यशाली।

जब किसी की अच्छी कमाई होती है तो उसके चेहरे की फलक ही और हो जाती है।

तो आपकी शक्ल से भी पदमों की कमाई का नशा दिखाई दे।

ऐसा रूहानी नशा, रूहानी खुशी हो जो अनुभव करें कि यह न्यारे लोग हैं।

स्लोगन:-

ड्रामा में सब अच्छा ही होना है इस स्मृति से बेफिक्र बादशाह बनो।