15.11.2019 - Todays BaapDada Vani in Shantivan
Revised date 15-12-11 अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘सदा फखुर में रह बेफिक्र बादशाह बनो, तीव्र पुरूषार्थ द्वारा सम्पन्न और समान बन साथ चलने की तैयारी करो’’
आज बापदादा बेफिक्र बादशाहों की सभा देख रहे हैं।
यह सभा इस समय ही लगती है क्योंकि सभी बच्चों ने अपने फिकर बाप को देकर बाप से फखुर ले लिया है।
यह सभा अभी ही लगती है।
आप भी हर एक सवेरे से उठते कर्म करते भी बेफिक्र और बादशाह बन चलते हो ना!
यह बेफिक्र का जीवन कितना प्यारा लगता है।
बेफिक्र की निशानी क्या दिखाई देती है?
हर एक के मस्तक में लाइट, आत्मा चमकती हुई दिखाई देती है।
यह बेफिक्र जीवन कैसे बनी?
बाप ने सभी बच्चों के जीवन से फिकर लेकर फखुर दे दिया है।
जिनके जीवन में फखुर नहीं फिकर है उनके मस्तक में लाइट नहीं चमकती है।
उनके मस्तक में बोझ की रेखायें देखने में आती हैं।
तो बताओ आपको क्या पसन्द है?
लाइट या बोझ?
अगर कोई बोझ भी आता है तो बोझ अर्थात् फिकर बाप को देकर फखुर ले सकते हैं।
आप सबको बेफिक्र लाइफ पसन्द है ना!
देखने वाले भी बेफिक्र लाइफ पसन्द करते हैं।
तो बापदादा आज चारों ओर के बच्चों के चाहे सम्मुख हैं, चाहे जहाँ भी बैठे हैं, बच्चों के मस्तक बीच चमकती हुई लाइट ही देख रहे हैं।
तो सदा बेफिक्र रहते हैं या कभी कोई फिक्र भी आता है?
है कोई फिकर?
जब बाप ने प्रकृतिजीत, विकारों जीत बना दिया तो फिकर कैसे आ सकता है?
तो हाथ उठाओ बेफिकर बने हो?
बने हो सदा?
सदा बने हो या कभी-कभी?
कभी-कभी वाले भी हैं?
हाथ तो नहीं उठाते, बापदादा भी नहीं देखने चाहते हैं।
बापदादा हर बच्चे को बेफिक्र बादशाह देखने चाहते हैं।
अगर कभी-कभी वाले भी हैं तो बहुत सहज विधि है जो भी थोड़ा बहुत फिकर आता है तो मेरे को तेरे में बदल लो।
यह हद के मेरेपन को, मेरे को तेरे में बदलने की बहुत सहज विधि है।
आप तो कहते ही हो मेरा बाबा, तो अब मेरा क्या रहा?
हद का मेरा तो समाप्त हुआ ना!
मेरा बाबा हो गया।
सभी दिल से कहते हो ना मेरा बाबा! प्यारा बाबा! मीठा बाबा!
तो मेरे में तेरे को समाना मुश्किल है क्या? फर्क क्या है?
ते और मैं, इतना छोटा सा फर्क है।
संकल्प कर लिया सब तेरा और मेरा क्या रहा?
मेरा बाबा।
तो बापदादा ने देखा मैजारिटी बच्चों ने हद के मेरे को तेरा बनाया है इसलिए क्या बन गये?
बेफिक्र बादशाह।
तो आज बापदादा बच्चों को बेफिक्र बादशाह स्वरूप में देख रहे हैं।
देखो, भक्ति मार्ग में भी आपके चित्र बनाते हैं तो डबल ताज दिखाते हैं।
एक तो लाइट का ताज है ही क्योंकि बेफिक्र आत्मा की निशानी है मस्तक में लाइट चमकती है और दूसरा ताज विकारों पर विजयी बने हो इसलिए ताज दिखाया है इसलिए यह अटेन्शन रखो कि जब बापदादा ने फिकर लेकर फखुर दे दिया तो क्या बन गये? बेफिक्र बादशाह।
बादशाह बने हैं तो तख्त भी चाहिए ना!
तो बापदादा ने तीन तख्त के मालिक बनाया है।
जानते हो तीन तख्त कौन से हैं?
एक तख्त भ्रकुटी का, यह तो सबको है ही।
दूसरा तख्त है बापदादा का दिलतख्त और
तीसरा है विश्व का तख्त, राज्य का तख्त।
तो आप सबको यह तीन तख्त प्राप्त हैं ना!
सबसे श्रेष्ठ है बापदादा का दिलतख्त।
तो चेक करो तख्त पर रहते हो?
क्योंकि बापदादा के दिलतख्त पर कौन बैठता है?
जिसने सदा स्वयं भी बापदादा को अपने दिलतख्त में बिठाया है, जो सदा श्रेष्ठ स्थिति में मास्टर सर्वशक्तिवान है।
तो चेक करो कि सदा तख्तनशीन हैं?
या कभी मिट्टी में भी आ जाते हैं।
यह देहभान मिट्टी है।
बहुत समय मिट्टी में रहे हैं तो कभी-कभी मिट्टी में तो नहीं चले जाते?
तो बापदादा सभी बच्चों को समय का ईशारा दे रहे हैं।
अचानक का पाठ पक्का करा रहे हैं, इसके लिए इस संगम के समय का बहुत-बहुत महत्व रखना है क्योंकि इस एक जन्म में अनेक जन्मों की प्रालब्ध बनानी है इसलिए बापदादा ने इशारा दिया था तो संगम के समय में दो बातों का हर समय अटेन्शन देना है।
वह दो बातें तो याद होंगी - समय और संकल्प।
बापदादा को सभी ने व्यर्थ संकल्प, संकल्प द्वारा देने की हिम्मत रखी थी।
तो चेक करो हिम्मत सदा कायम है?
क्योंकि हिम्मते बच्चे, एक बार तो बाप हजार बार मददगार है।
तो अभी क्या समझते हो?
व्यर्थ संकल्प का जो हिम्मत रख बाप के आगे संकल्प किया वह कायम है?
क्योंकि इस व्यर्थ संकल्पों में समय बहुत जाता है और आपका इस समय के प्रमाण कार्य है विश्व की आत्माओं को सन्देश देने का।
तो व्यर्थ संकल्प को समाप्त करना है तब दु:खी, अशान्त आत्माओं को सुख शान्ति का अनुभव करा सकेंगे।
बापदादा को दु:खी बच्चों को देख तरस पड़ता है।
आपको भी अपने भाई-बहिनों को देख तरस तो पड़ता है ना!
बापदादा ने देखा कि वर्तमान समय सभी को रूचि है, प्लैन बनाया भी है, प्रैक्टिकल किया भी है, इस 75 वर्ष की जुबिली मनाने का।
बापदादा यही चाहते हैं, प्रोग्राम तो सब अच्छे किये हैं, इसकी मुबारक भी दे रहे हैं।
लेकिन अभी समय के प्रमाण जल्दी-जल्दी उन्हों को वारिस बनाओ, जो कुछ न कुछ वर्से के अधिकारी बन जायें।
अच्छा- अच्छा बहुत कहते हैं, बापदादा ने भी बच्चों के सेवा की यह रिजल्ट तोदेखी है और बाप बच्चों पर खुश भी है।
दिल से कर रहे हैं और अभी समय प्रमाण सुनते भी रूचि से हैं।
इतना अन्तर तो आया है।
अच्छा-अच्छा लगता है लेकिन अच्छा बनाके कुछ न कुछ वर्से के अधिकारी बनाओ।
इसके लिए बापदादा ने पहले भी इशारा दिया है कि अभी समय अनुसार तीव्र पुरूषार्थी बनने की आवश्यकता है।
तीव्र पुरूषार्थी बनने के लिए मुख्य पुरूषार्थ है सेकण्ड में बिन्दी लगाना।
सेकण्ड और बिन्दी, दोनों समान।
तो अब बापदादा बच्चों का तो बेफिक्र बादशाह का रूप देख रहा है।
अभी इसी रूप को सदा अनुभव करो।
कोई भी कुछ भी आवे तो मेरे को तेरे में समा दो।
आज बापदादा ने देखा, गुरूवार का दिन है बहुत बच्चे बापदादा के पास पहुंचे, तो बापदादा ने कहा सप्ताह के दो दिन विशेष हैं।
एक गुरूवार दूसरा इतवार, सण्डे।
तो गुरूवार के दिन गुरू का दिन है, गुरू से क्या मिलता है? वरदान।
तो गुरूवार के दिन वरदान का दिन विशेष है, इस रूप से गुरूवार को मनाओ।
कोई न कोई विशेष वरदान अमृतवेले से अपने बुद्धि में इमर्ज रखो।
वरदान तो अनेक हैं लेकिन विशेष एक वरदान अपने लिए बुद्धि में रख चेक करो कि वरदानी दिन में वरदान स्वरूप बन, वरदान को रिपीट नहीं करना है लेकिन वरदान स्वरूप बनना है और चेक करते रहो तो आज कितना समय वरदान स्वरूप रहे?
सण्डे का दिन विशेष दुनिया में छुट्टी का दिन होता है।
तो सण्डे के दिन मनाओ जो भी कुछ अपने जीवन में संकल्प मात्र भी कमज़ोरी हो, स्वप्न मात्र भी कमज़ोरी हो उसको छुट्टी देना है।
तो जैसे लोग यह दोनों ही दिन अच्छा बिताते हैं, ऐसे आप भी इन दोनों दिन में विशेष यह लक्ष्य और लक्षण सिर्फ लक्ष्य नहीं लेकिन लक्ष्य के साथ लक्षण को अटेन्शन में रखो।
बापदादा ने सभी बच्चों को साथ ले चलने का वायदा किया है।
इसके लिए साथ चलने की तैयारी क्या करनी है?
बाप तो सेकण्ड में अशरीरी बन जायेंगे लेकिन आपने जो वायदा किया है, बाप ने भी वायदा किया है साथ चलेंगे, तो चेक करो उसकी तैयारी है?
सेकण्ड में बिन्दी लगाई, सम्पन्न और सम्पूर्ण बन चला।
तो ऐसी तैयारी है? साथ तो चलना है ना! चलना है? कांध हिलाओ।
चलना है, अच्छा। पक्का? हाथ में हाथ देना, इसका अर्थ है समान बनना।
तो चेक करो समय तो अचानक आना है, तो इतनी तैयारी है जो साथ में चलें?
बाप का बच्चों से प्यार है ना!
तो बाप एक को भी साथ चलने में पीछे छोड़ने नहीं चाहते।
साथ है, साथ रहेंगे, साथ चलेंगे और साथ राजधानी में राज घराने में आयेंगे।
मंजूर है ना! मंजूर है? तैयारी है?
मंजूर है में तो हाथ उठा लेंगे, यह हाथ नहीं उठाओ।
तैयारी है, इसमें हाथ उठाओ। बड़ा हाथ उठाओ। अच्छा।
कल भी विनाश हो जाए तो तैयार हो?
लेकिन अपनी सेवा को समाप्त किया है?
सेवा तो अभी रही हुई है? सेवा समाप्त हो गई है? सन्देश सबको पहुंच गया है?
सिर्फ अपने मोहल्ले में ही देखो, आपने हर एक को बाप आ गया है, वर्सा लेना हो तो ले लो, यह सन्देश दिया है?
अभी प्लैन बना रहे हैं।
बापदादा ने सुना कि घर-घर में सन्देश देने का प्लैन बना रहे हैं।
अच्छा है, सन्देश तो देना ही है, नहीं तो उल्हना मिलेगा। प्रोग्राम बनाया है ना! उठो, बाप को प्लैन बताया है ना! उठो।
अच्छा है उल्हना पूरा कर लो क्योंकि होना तो अचानक ही है। तो आपस में मिलकर इसी प्लैन को प्रैक्टिकल में लाओ।
आपस में राय सलाह जल्दी करो, समय लग जाता है ना तो उमंग भी थोड़ा कम हो जाता है।
बाकी बापदादा को तो पसन्द है कि घर-घर में यह उल्हना पूरा हो जाए तो हमको तो पता नहीं पड़ा, बाप आया और चला भी गया, वंचित रह गये।
सभी को उमंग है ना! सबको उमंग है? सेवा करके उल्हना पूरा करना है।
उमंग है तो बापदादा का सहयोग भी है। अच्छा।
तो बापदादा के दिल की आश को तो सभी जानते ही हो।
समान और सम्पूर्ण, यह दो शब्द सदा चेक करो तो क्या बाप की यह आशा पूर्ण की?
क्योंकि बापदादा हर बच्चे को बाप के आशाओं का सितारा समझते हैं।
हर एक बच्चे का बाप से प्यार है, यह तो बापदादा भी जानते हैं।
इन सभी को मधुबन में लाने वाला क्या है?
यह प्यार की ट्रेन में आते हैं। प्यार के प्लेन में आते हैं।
तो बाप भी बच्चों के प्यार की सबजेक्ट में बच्चों से खुश है।
लेकिन जो दो शब्द बाप चाहते हैं समान और सम्पूर्ण, इसको भी सम्पन्न करना ही है।
तो आज बापदादा चारों ओर के बच्चों को दिल से स्नेह से देख एक-एक बच्चे को दिल के प्यारे की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।