19-01-20 प्रात:मुरली अव्यक्त-बापदादा मधुबन
"हर कार्य में सफलता का सहज साधन स्नेह''
आज मुरबी बच्चों के स्नेह का रिटर्न देने आये हैं।
मधुबन वालों को अथक सेवा का विशेष फल देने के लिए सिर्फ मिलन मनाने आये हैं।
ये है स्नेह का प्रत्यक्ष प्रमाण स्वरूप।
ब्राह्मण परिवार का विशेष फाउण्डेशन है ही यह विशेष स्नेह।
वर्तमान समय स्नेह हर सेवा के कार्य में सफलता का सहज साधन है।
योगी जीवन का फाउण्डेशन तो निश्चय है लेकिन परिवार का फाउण्डेशन स्नेह है।
जो स्नेह ही किसी के भी दिल को समीप ले आता है।
वर्तमान समय याद और सेवा के बैलेन्स के साथ स्नेह और सेवा का बैलेन्स सफलता का साधन है।
चाहे देश की सेवा हो, चाहे विदेश की सेवा हो, दोनों की सफलता का साधन रूहानी स्नेह है।
ज्ञान और योग शब्द तो बहुतों से सुना है।
लेकिन दृष्टि से व श्रेष्ठ संकल्प से आत्माओं को स्नेह की अनुभूति होना यह विशेषता और नवीनता है।
और आज के विश्व को स्नेह की आवश्यकता है।
कितनी भी अभिमानी आत्मा को स्नेह समीप ला सकता है।
स्नेह के भिखारी शान्ति के भिखारी हैं लेकिन शान्ति का अनुभव भी स्नेह की दृष्टि द्वारा ही करा सकते हैं।
तो स्नेह, शान्ति का स्वत: ही अनुभव कराता है क्योंकि स्नेह में खो जाते हैं इसलिए थोड़े समय के लिए अशरीरी स्वत: ही बन जाते हैं।
तो अशरीरी बनने के कारण शान्ति का अनुभव सहज होता है।
बाप भी स्नेह का ही रेसपांड देता है।
चाहे रथ चले न चले फिर भी बाप को स्नेह का सबूत देना ही है।
बच्चों में भी यही स्नेह का प्रत्यक्षफल बापदादा देखना चाहते हैं।
कोई (गुल्जार बहन, जगदीश भाई, निर्वैर भाई) विदेश सेवा कर लौटे हैं और कोई (दादी जी और मोहिनी बहन) जा रहे हैं।
ये भी उन आत्माओं के स्नेह का फल उन्हों को मिल रहा है।
ड्रामा अनुसार सोचते और हैं लेकिन होता और है।
फिर भी फल मिल ही जाता है इसलिए प्रोग्राम बन ही जाता है।
सभी अपना-अपना अच्छा ही पार्ट बजा कर आये हैं।
बना बनाया ड्रामा नूँधा हुआ है तो सहज ही रिटर्न मिल जाता है।
विदेश भी अच्छी लगन से सेवा में आगे बढ़ रहा है।
हिम्मत और उमंग उन्हों में चारों ओर अच्छा है।
सभी की दिल के शुक्रिया के संकल्प बापदादा के पास पहुँचते रहते हैं क्योंकि वह भी समझते हैं, भारत में भी कितनी आवश्यकता है फिर भी भारत का स्नेह ही हमें सहयोग दे रहा है।
इसी भारत में सेवा करने वाले सहयोगी परिवार को दिल से शुक्रिया करते हैं।
जितना ही देश दूर उतना ही दिल से पालना के पात्र बनने में समीप हैं इसलिए बापदादा चारों ओर के बच्चों को शुक्रिया के रिटर्न में यादप्यार और शुक्रिया दे रहे हैं।
बाप भी तो गीत गाते हैं ना।
भारत में भी अच्छे उमंग-उत्साह से पद-यात्रा का बहुत ही अच्छा पार्ट बजा रहे हैं।
चारों ओर सेवा की धूमधाम की रौनक बहुत अच्छी है।
उमंग-उत्साह थकावट को भुलाय सफलता प्राप्त करा रहा है।
चारों ओर की सेवा की सफलता अच्छी है।
बापदादा भी सभी बच्चों के सेवा के उमंग उत्साह का स्वरूप देख हर्षित होते हैं।
(नैरोबी में जगदीश भाई पोप से मिलकर आये हैं) पोप को भी दृष्टि दी ना।
यह भी आप के लिए विशेष वी.आई.पी. की सेवा में सफलता सहज होने का साधन है।
जैसे भारत में विशेष राष्ट्रपति आये।
तो अभी कह सकते हैं कि भारत में भी आये हैं।
ऐसे ही विशेष विदेश में विदेश के मुख्य धर्म के प्रभाव के नाते से समीप सम्पर्क में आये तो किसी को भी सहज हिम्मत आ सकती है कि हम भी सम्पर्क में आयें।
तो देश का भी अच्छा सेवा का साधन बना और विदेश सेवा का भी विशेष साधन बना।
तो समय प्रमाण जो भी सेवा में समीप आने में कोई भी रूकावट आती है, वह भी सहज समाप्त हो जायेगी।
प्राइम मिनिस्टर का मिलना तो हुआ ना।
तो दुनिया वालों के लिए, ये इग्जाम्पिल भी मदद देते हैं।
सभी के क्वेश्चन कि और कोई आये हैं?
ये क्वेश्चन खत्म हो जाते हैं।
तो ये भी ड्रामा अनुसार इसी वर्ष सेवा में सहज प्रत्यक्षता के साधन बने।
अभी समीप आ रहे हैं।
इन्हों का तो सिर्फ नाम ही काम करेगा।
तो नाम से जो काम होना है उसकी धरती तैयार हो गई।
आवाज ये नहीं फैलायेंगे।
आवाज फैलाने वाले माइक और हैं।
ये माइक को लाइट देने वाले हैं।
लेकिन फिर भी धरनी की तैयारी अच्छी हो गई है।
जो विदेश में पहले वी.आई.पी. के लिए मुश्किल अनुभव करते थे, अभी वह चारों ओर सहज अनुभव करते हैं, ये रिजल्ट अभी अच्छी है।
इन्हों के नाम से काम करने वाले तैयार हो जायेंगे।
अभी देखो कौन निमित्त बनते हैं।
धरनी तैयार करने के लिए चारों ओर सब गये।
भिन्न-भिन्न तरफ धरनी को पांव देकर तैयार तो किया है।
अभी फल प्रत्यक्ष रूप में किस द्वारा होता है, उसकी तैयारी अब हो रही है।
सभी की रिजल्ट अच्छी है।
पदयात्री भी एक बल एक भरोसा रखकर के आगे बढ़ रहे हैं।
पहले मुश्किल लगता है।
लेकिन जब प्रैक्टिकल में आते हैं तो सहज हो जाता है।
तो सभी देश-विदेश और जो भी सेवा के निमित्त बन सेवा द्वारा अनेकों को बापदादा के स्नेही सहयोगी बनाकर आये हैं, उन सभी को विशेष यादप्यार दे रहे हैं।
हर बच्चे का वरदान अपना-अपना है।
विशेष भारत के सब पदयात्रा पर चलने वाले बच्चों को और विदेश सेवा अर्थ चारों ओर निमित्त बने हुए बच्चों को और मधुबन निवासी श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बने हुए बच्चों को, साथ-साथ जो सभी भारतवासी बच्चे यात्रा वालों को उमंग-उत्साह दिलाने के निमित्त बने हैं, उन सभी चारों ओर के बच्चों को विशेष यादप्यार और सेवा की सफलता की मुबारक दे रहे हैं।
हरेक स्थान पर मेहनत तो की है, लेकिन ये विशेष कार्य अर्थ निमित्त बने इसलिए विशेष जमा हो गया।
हरेक देश मोरीशस, नैरोबी, अमरीका ये सब इग्जाम्पिल तैयार हो रहे हैं।
और ये इग्जाम्पिल आगे प्रत्यक्षता में सहयोगी बनेंगे।
अमरीका वालों ने भी कम नहीं किया है।
एक-एक छोटे स्थान ने भी जितना उमंग उल्लास से अपनी हैसियत (ताकत) के हिसाब से बहुत ज्यादा किया।
फॉरेन में मैजारिटी क्रिश्चियन का फिर भी राज्य तो है ना।
अभी चाहे वह ताकत खत्म हो गई है, लेकिन धर्म तो नहीं छोड़ा है।
चर्च छोड़ दी है लेकिन धर्म नहीं छोड़ा है इसलिए पोप भी वहाँ राजा के समान है।
राजा तक पहुँचे तो प्रजा में स्वत: ही रिगार्ड बैठता है।
जो कट्टर क्रिश्चियन हैं, उन्हों के लिए भी ये एक्जाम्पिल अच्छा है।
एक्जाम्पिल क्रिश्चियन के लिए निमित्त बनेगा।
कृष्ण और क्रिश्चियन का कनेक्शन है ना।
भारत का वातावरण फिर भी और होता है।
सेक्यूरिटी आदि का बहुत होता है।
लेकिन ये प्यार से मिला ये अच्छा है।
रॉयल्टी से टाइम देना, विधिपूर्वक मिलना उसका प्रभाव डालता है।
ये दिखाता है कि अभी समय समीप आ रहा है।
लण्डन में भी विदेश के हिसाब से बहुत अच्छी संख्या है और विशेष मुरली से प्यार है, पढ़ाई से प्यार है, ये फाउण्डेशन हैं।
इसमें लण्डन का नम्बर वन है।
कुछ भी हो जाए, कब क्लास मिस नहीं करते हैं।
चार बजे का योग और क्लास का महत्व सबसे ज्यादा लण्डन में हैं।
इसका भी कारण स्नेह है।
स्नेह के कारण खिंचे हुए आते हैं।
वातावरण शक्तिशाली बनाने पर अटेन्शन अच्छा है।
वैसे भी दूर देश जो हैं वहाँ वायुमण्डल ही सहारा समझते हैं।
चाहे सेवाकेन्द्र का वा अपना।
जरा भी अगर कोई बात आती है तो फौरन अपने को चेक कर वातावरण शक्तिशाली बनाने का प्रयत्न अच्छा करते हैं।
वहाँ वातावरण पावरफुल बनाने का लक्ष्य अच्छा है।
छोटी-छोटी बात में वातावरण को खराब नहीं करते हैं।
समझते हैं कि वातावरण शक्तिशाली नहीं होगा तो सेवा में सफलता नहीं होगी इसलिए यह अटेन्शन अच्छा रखते हैं।
अपने पुरुषार्थ का भी और सेन्टर के वातावरण का भी।
हिम्मत और उमंग में कोई कम नहीं हैं।
जहाँ भी कदम रखते हैं वहाँ अवश्य विशेष प्राप्ति ब्राह्मणों को भी होती है और देश को भी होती है।
संदेश भी मिलता है और ब्राह्मणों में भी विशेष शक्ति बढ़ती और पालना भी मिलती।
साकार रूप से विशेष पालना पाकर सभी खुश होते हैं और उसी खुशी में सेवा में आगे बढ़ते और सफलता को पाते हैं।
दूर देश में रहने वालों के लिए पालना तो जरूरी है।
पालना पाकर उड़ते हैं।
जो मधुबन में आ नहीं सकते वह वहाँ बैठे मधुबन का अनुभव करते हैं।
जैसे यहाँ स्वर्ग का और संगमयुग का आनन्द दोनों अनुभव करते हैं इसलिए ड्रामा अनुसार विदेश में जाने का पार्ट भी जो बना है वह आवश्यक है और सफलता भी है।
हरेक विदेश के बच्चे अपने-अपने नाम से विशेष सेवा की मुबारक और विशेष सेवा की सफलता का रिटर्न यादप्यार स्वीकार करें।
बाप के सामने एक-एक बच्चा है।
हरेक देश का हरेक बच्चा नैनों के सामने आ रहा है।
एक-एक को बापदादा यादप्यार दे रहे हैं।
जो तड़पते हुए बच्चे हैं उन्हों की भी कमाल देख बापदादा सदा बच्चों के ऊपर स्नेह के पुष्पों की वर्षा करता है।
बुद्धिबल उन्हों का कितना तेज है।
दूसरा विमान नहीं है तो बुद्धि का विमान तेज है।
उन्हों के बुद्धिबल पर बापदादा भी हर्षित होते हैं।
हरेक स्थान की अपनी-अपनी विशेषता है।
सिन्धी लोग भी अब समीप आ रहे हैं।
जो आदि सो अन्त तो होना ही है।
ये भी जो भ्रान्ति बैठी हुई है कि ये सोशल वर्क नहीं करते हैं वह भी इस पदयात्रा को देख, ये भ्रान्ति भी मिट गई।
अब क्रान्ति की तैयारी जोर शोर से हो रही है।
दिल्ली वाले भी पदयात्रियों का आह्वान कर रहे हैं, इतने ब्राह्मण घर में आयेंगे।
ऐसे ब्राह्मण मेहमान तो भाग्यवान के पास ही आते हैं।
देहली में सबको अधिकार है।
अधिकारी को सत्कार तो देना है।
देहली से ही विश्व में नाम जायेगा।
अपनी-अपनी एरिया में तो कर ही रहे हैं।
लेकिन देश-विदेश में तो देहली के ही टी.वी., रेडियो निमित्त बनेंगे।