Todays Hindi Murli Audio/MP3 & other languages ClickiIt
January.2020
February.2020
March.2020
April.2020
May.2020
June.2020
July.2020
Baba's Murlis - January, 2020
Sun
Mon
Tue
Wed
Thu
Fri
Sat
05 06 07 08 09 10
12 13 14 15 16 17 18
19 20 21 22 23 24 25
26 27 28 29 30 31  

30-01-2020 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

“मीठे बच्चे - बाप तुम्हें ज्ञान योग की खुराक खिलाकर जबरदस्त खातिरी करते हैं,

तो सदैव खुश-मौज में रहो और श्रीमत अनुसार सबकी खातिरी करते चलो''

प्रश्नः-

इस संगमयुग पर आपके पास सबसे अमूल्य चीज़ कौन सी है, जिसकी सम्भाल करनी है?

उत्तर:-

इस सर्वोत्तम ब्राह्मण कुल में आपकी यह जीवन बहुत अमूल्य है,

इसलिए शरीर की सम्भाल जरूर करनी है।

ऐसे नहीं यह तो मिट्टी का पुतला है, कहाँ यह खलास हो जाये! नहीं।

इनको जीते रखना है।

कोई बीमार होते हैं तो उनसे तंग नहीं होना चाहिए।

उनको बोलो तुम शिवबाबा को याद करो।

जितना याद करेंगे उतना पाप कटते जायेंगे।

उनकी सर्विस करनी चाहिए, जीता रहे, शिवबाबा को याद करता रहे।

ओम् शान्ति।

ज्ञान का तीसरा नेत्र देने वाला रूहानी बाप बैठ रूहानी बच्चों को समझाते हैं।

ज्ञान का तीसरा नेत्र सिवाए बाप के और कोई दे नहीं सकता।

अभी तुम बच्चों को ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है।

अभी तुम बच्चे जानते हो कि यह पुरानी दुनिया बदलने वाली है।

बिचारे मनुष्य नहीं जानते कि कौन बदलाने वाला है और कैसे बदलाते हैं!

क्योंकि उन्हों को ज्ञान का तीसरा नेत्र ही नहीं है।

तुम बच्चों को अभी ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है जिससे तुम सृष्टि के आदि मध्य अन्त को जान गये हो।

यह है ज्ञान की पीन।

सैक्रीन की एक बूंद भी कितनी मीठी होती है।

ज्ञान का एक ही अक्षर है मन्मनाभव।

यह अक्षर कितना मीठा है।

अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।

बाप शान्तिधाम और सुखधाम का रास्ता बता रहे हैं।

बाप आये हैं बच्चों को स्वर्ग का वर्सा देने।

तो बच्चों को कितनी खुशी रहनी चाहिए।

कहते भी हैं खुशी जैसी खुराक नहीं।

जो सदैव खुश-मौज में रहते हैं उनके लिए यह जैसे खुराक होती है।

21 जन्म मौज़ में रहने की यह जबरदस्त खुराक है।

यह खुराक सदैव एक दो को खिलाते रहो।

यह है एक दो की जबरदस्त खातिरी।

ऐसी खातिरी और कोई मनुष्य, मनुष्य की कर न सके।

तुम बच्चे श्रीमत पर सभी की रूहानी खातिरी करते हो।

सच्ची-सच्ची खुश-खैराफत भी यह है किसको बाप का परिचय देना।

मीठे बच्चे जानते हैं बेहद के बाप द्वारा हमको जीवनमुक्ति की सौगात मिलती है।

सतयुग में भारत जीवनमुक्त था, पावन था।

बाप बहुत बड़ी ऊंची खुराक देते हैं तब तो गायन है अतीन्द्रिय सुख पूछना हो तो गोप-गोपियों से पूछो।

यह ज्ञान और योग की कितनी फर्स्ट क्लास वन्डरफुल खुराक है और यह खुराक एक ही रूहानी सर्जन के पास है।

और किसको इस खुराक का मालूम ही नहीं है।

बाप कहते हैं मीठे बच्चों तुम्हारे लिए तिरी (हथेली) पर सौगात ले आया हूँ।

मुक्ति, जीवनमुक्ति की यह सौगात मेरे पास ही रहती है।

कल्प-कल्प मैं ही आकर तुमको यह सौगात देता हूँ फिर रावण छीन लेता है।

तो अभी तुम बच्चों को कितना खुशी का पारा चढ़ा रहना चाहिए।

तुम जानते हो हमारा एक ही बाप, टीचर और सच्चा-सच्चा सद्गुरू है जो हमको साथ ले जाते हैं।

मोस्ट बिलवेड बाप से विश्व की बादशाही मिलती है।

यह कम बात है क्या!

बच्चों को सदैव हर्षित रहना चाहिए।

गाडॅली स्टूडेन्ट लाईफ इज़ द बेस्ट।

यह अभी का ही गायन है ना।

फिर नई दुनिया में तुम सदैव खुशियाँ मनाते रहेंगे।

दुनिया नहीं जानती कि सच्ची-सच्ची खुशियाँ कब मनाई जायेंगी।

मनुष्यों को तो सतयुग का ज्ञान ही नहीं है तो यहाँ ही मनाते रहते हैं।

परन्तु इस पुरानी तमोप्रधान दुनिया में खुशी कहाँ से आई!

यहाँ तो त्राहि-त्राहि करते रहते हैं। कितना दु:ख की दुनिया है।

बाप तुम बच्चों को कितना सहज रास्ता बताते हैं।

गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान रहो।

धन्धा-धोरी आदि करते भी मुझे याद करते रहो।

जैसे आशिक और माशुक होते हैं, वह तो एक दो को याद करते रहते हैं।

वह उनका आशिक, वह उनका माशुक होता है।

यहाँ यह बात नहीं है, यहाँ तो तुम सभी एक माशुक के जन्म-जन्मान्तर से आशिक रहे हो।

बाप तुम्हारा कभी आशिक नहीं बनता।

तुम उस माशुक को आने लिए याद करते आये हो।

जब दु:ख जास्ती होता है तो जास्ती सुमिरण करते हैं, तब तो गायन भी है दु:ख में सुमिरण सब करें, सुख में करे न कोय।

इस समय जैसे बाप सर्वशक्तिमान है।

दिन-प्रतिदिन माया भी सर्वशक्तिमान, तमोप्रधान होती जाती है इसलिए अब बाप कहते हैं मीठे बच्चे देही-अभिमानी बनो।

अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो और साथ-साथ दैवीगुण भी धारण करो तुम ऐसे (लक्ष्मी-नारायण) बन जायेंगे।

इस पढ़ाई में मुख्य बात है ही याद की।

ऊंच ते ऊंच बाप को बहुत प्यार, स्नेह से याद करना चाहिए।

वह ऊंच ते ऊंच बाप ही नई दुनिया स्थापन करने वाला है।

बाप कहते हैं मैं आया हूँ तुम बच्चों को विश्व का मालिक बनाने इसलिए अब मुझे याद करो तो तुम्हारे अनेक जन्मों के पाप कट जायेंगे।

पतित-पावन बाप कहते हैं तुम बहुत पतित बन गये हो इसलिए अब तुम मुझे याद करो तो तुम पावन बन और पावन दुनिया का मालिक बन जायेंगे।

पतित-पावन बाप को ही बुलाते हैं ना।

अब बाप आये हैं तो जरूर पावन बनना पड़े।

बाप दु:खहर्ता, सुखकर्ता है।

बरोबर सतयुग में पावन दुनिया थी तो सभी सुखी ही थे।

अब बाप फिर से कहते हैं बच्चे शान्तिधाम और सुखधाम को याद करते रहो।

अभी है संगमयुग। खिवैया तुमको इस पार से उस पार ले जाते हैं।

नईया कोई एक नहीं, सारी दुनिया जैसे एक बड़ा जहाज है।

उनको पार ले जाते हैं।

तुम मीठे बच्चों को कितनी खुशियाँ होनी चाहिए।

तुम्हारे लिए तो सदैव खुशी ही खुशी है।

बेहद का बाप हमको पढ़ा रहे हैं, वाह!

यह तो कभी न सुना, न पढ़ा।

भगवानुवाच मैं तुम रूहानी बच्चों को राजयोग सिखा रहा हूँ।

तो पूरी रीति सीखना चाहिए, धारणा करनी चाहिए।

पूरी रीति पढ़ना चाहिए।

पढ़ाई में नम्बरवार तो सदैव होते ही हैं।

अपने को देखना चाहिए मैं उत्तम हूँ, मध्यम हूँ वा कनिष्ट हूँ?

बाप कहते हैं अपने को देखो मैं ऊंच पद पाने के लायक हूँ?

रूहानी सर्विस करता हूँ?

क्योंकि बाप कहते हैं बच्चे सर्विसएबुल बनो, फालो करो।

मैं आया ही हूँ सर्विस के लिए।

रोज़ सर्विस करता हूँ इसलिए ही तो यह रथ लिया है।

इनका रथ बीमार पड़ जाता है तो मैं इनमें बैठ मुरली लिखता हूँ।

मुख से तो बोल नहीं सकते तो मैं लिख देता हूँ।

ताकि बच्चों के लिए मुरली मिस न हो तो मैं भी सर्विस पर हूँ ना।

यह है रूहानी सर्विस।

तो तुम बच्चे भी बाप की सर्विस में लग जाओ।

आन गॉड फादरली सर्विस।

जो अच्छा पुरुषार्थ करते हैं, अच्छी सर्विस करते हैं उनको महावीर कहा जाता है।

देखा जाता है कौन महावीर हैं जो बाबा के डायरेक्शन पर चलते हैं?

बाप का फरमान है, अपने को आत्मा समझ भाई-भाई देखो।

इस शरीर को भूल जाओ।

बाबा भी शरीर को नहीं देखते हैं।

बाप कहते हैं मैं आत्माओं को देखता हूँ।

बाकी यह तो ज्ञान है कि आत्मा शरीर बिगर बोल नहीं सकती।

मैं भी इस शरीर में आया हूँ, लोन लिया हुआ है।

शरीर साथ ही आत्मा पढ़ सकती है।

बाबा की बैठक यहाँ (भ्रकुटी में) है।

यह है अकाल तख्त।

आत्मा अकालमूर्त है।

आत्मा कब छोटी बड़ी नहीं होती है।

शरीर छोटा बड़ा होता है।

जो भी आत्मायें हैं उन सभी का तख्त यह भृकुटी है।

शरीर तो सभी के भिन्न-भिन्न होते हैं।

किसका अकाल तख्त पुरुष का है, किसका अकाल तख्त स्त्री का है, किसका अकाल तख्त बच्चे का है।

बाप बैठ बच्चों को रूहानी ड्रिल सिखलाते हैं।

जब कोई से बात करो तो पहले अपने को आत्मा समझो।

हम आत्मा फलाने भाई से बात करते हैं।

बाप का पैगाम देते हैं कि शिवबाबा को याद करो।

याद से ही जंक उतरनी है।

सोने में जब अलाय पड़ती है तो सोने की वैल्यु ही कम हो जाती है।

तुम आत्माओं में भी जंक पड़ने से तुम वैल्युलेस हो गये हो।

अब फिर पावन बनना है।

तुम आत्माओं को अब ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है।

उस नेत्र से अपने भाईयों को देखो।

भाई-भाई को देखने से कर्मेन्द्रियाँ चंचल नहीं होंगी।

राज्य-भाग्य लेना है, विश्व का मालिक बनना है तो यह मेहनत करो।

भाई-भाई समझ सभी को ज्ञान दो।

तो फिर यह टेव (आदत) पक्की हो जायेगी।

सच्चे-सच्चे ब्रदर्स तुम सभी हो।

बाप भी ऊपर से आये हैं, तुम भी आये हो।

बाप बच्चों सहित सर्विस कर रहे हैं।

सर्विस करने की बाप हिम्मत देते हैं।

हिम्मते बच्चे मददे बाप... तो यह प्रैक्टिस करनी है।

मैं आत्मा भाई को पढ़ाता हूँ।

आत्मा पढ़ती है ना।

इसको प्रीचुअल नॉलेज कहा जाता है, जो रूहानी बाप से ही मिलती है।

संगम पर ही बाप आकर यह नॉलेज देते हैं कि अपने को आत्मा समझो।

तुम नंगे आये थे फिर यहाँ शरीर धारण कर तुमने 84 जन्म पार्ट बजाया है।

अब फिर वापिस चलना है इसलिए अपने को आत्मा समझ भाई-भाई की दृष्टि से देखना है।

यह मेहनत करनी है।

अपनी मेहनत करनी है, दूसरे में हमारा क्या जाता!

चैरिटी बिगेन्स एट होम अर्थात् पहले खुद को आत्मा समझ फिर भाईयों को समझाओ।

तो अच्छी रीति तीर लगेगा।

यह जौहर भरना है।

मेहनत करेंगे तब ही ऊंच पद पायेंगे।

इसमें कुछ सहन भी करना पड़ता है।

जब कोई उल्टी-सुल्टी बात बोले तो तुम चुप रहो।

तुम चुप रहेंगे तो फिर दूसरा क्या करेगा!

ताली दो हाथ से बजती है।

एक ने मुख की ताली बजाई, दूसरा चुप कर दे तो वह आपेही चुप हो जायेंगे।

ताली से ताली बजने से आवाज हो जाता है।

बच्चों को एक दो का कल्याण करना है।

बाप समझाते हैं बच्चे सदैव खुशी में रहने चाहते हो तो मन्मनाभव।

अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।

भाईयों (आत्माओं) तरफ देखो।

तो बच्चों को रूहानी यात्रा पर रहने की आदत डालनी है।

तुम्हारे ही फायदे की बात है।

बाप की शिक्षा भाईयों को देनी है।

बाप कहते हैं मैं तुम आत्माओं को ज्ञान दे रहा हूँ।

आत्मा को ही देखता हूँ।

मनुष्य-मनुष्य से बात करेंगे तो उनके मुँह को देखेंगे ना।

तुम आत्मा से बात करते हो तो आत्मा को ही देखना है।

भल शरीर द्वारा ज्ञान देते हो परन्तु इसमें शरीर का भान तोड़ना होता है।

तुम्हारी आत्मा समझती है परमात्मा बाप हमको ज्ञान दे रहे हैं।

बाप भी कहते हैं आत्माओं को देखता हूँ, आत्मायें भी कहती हम परमात्मा बाप को देख रहे हैं।

उनसे नॉलेज ले रहे हैं, इसको कहा जाता है प्रीचुअल ज्ञान की लेन-देन, आत्मा की आत्मा के साथ।

आत्मा में ही ज्ञान है।

आत्मा को ही ज्ञान देना है।

यह जैसे जौहर है।

तुम्हारे ज्ञान में यह जौहर भर जायेगा।

तो किसको भी समझाने से झट तीर लग जायेगा।

बाप कहते हैं प्रैक्टिस करके देखो, तीर लगता है ना।

यह नई टेव डालनी है तो फिर शरीर का भान निकल जायेगा।

माया के तूफान कम आयेंगे। बुरे संकल्प नहीं आयेंगे।

क्रिमिनल आई भी नहीं रहेगी।

हम आत्मा ने 84 का चक्र लगाया।

अब नाटक पूरा होता है।

अब बाबा की याद में रहना है।

याद से ही तमोप्रधान से सतोप्रधान बन, सतोप्रधान दुनिया के मालिक बन जायेंगे।

कितना सहज है। बाप जानते हैं बच्चों को यह शिक्षा देना भी मेरा पार्ट ही है।

कोई नई बात नहीं।

हर 5000 वर्ष बाद हमको आना होता है।

मैं बंधायमान हूँ।

बच्चों को बैठ समझाता हूँ मीठे बच्चे रूहानी याद की यात्रा में रहो तो अन्त मते सो गति हो जायेगी।

यह अन्तकाल है ना!

मामेकम् याद करो तो तुम्हारी सद्गति हो जायेगी।

याद की यात्रा से पाया मजबूत हो जायेगा।

यह देही-अभिमानी बनने की शिक्षा एक ही बार तुम बच्चों को मिलती है।

कितना वन्डरफुल ज्ञान है।

बाबा वन्डरफुल है तो बाबा का ज्ञान भी वन्डरफुल है।

कब कोई बता न सके।

अभी वापस चलना है इसलिए बाप कहते हैं मीठे बच्चों यह प्रैक्टिस करो।

अपने को आत्मा समझ आत्मा को ज्ञान दो।

तीसरे नेत्र से भाई-भाई को देखना है।

यही बड़ी मेहनत है।

यह है तुम ब्राह्मणों का सर्वोत्तम ऊंच ते ऊंच कुल।

इस समय तुम्हारा जीवन अमूल्य है इसलिए इस शरीर की भी सम्भाल करनी है।

तमोप्रधान होने कारण शरीर की आयु भी कम होती गई है।

अब तुम जितना योग में रहेंगे, उतना आयु बढ़ेगी।

तुम्हारी आयु बढ़ते-बढ़ते 150 वर्ष हो जायेगी सतयुग में, इसलिए शरीर की भी सम्भाल करनी है।

ऐसे नहीं यह तो मिट्टी का पुतला है, कहाँ यह खलास हो जाये। नहीं।

इनको जीते रखना है।

यह अमूल्य जीवन है ना!

कोई बीमार होते हैं तो उनसे तंग नहीं होना चाहिए।

उनको भी बोलो शिवबाबा को याद करो।

जितना याद करेंगे उतना उनके पाप कटते जायेंगे।

उनकी सर्विस करनी चाहिए।

जीता रहे, शिवबाबा को याद करता रहे।

यह समझ तो रहती है ना हम बाबा को याद करते हैं।

आत्मा याद करती है, बाप से वर्सा पाने के लिए।

अच्छा। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) अपने को देखो मैं पुरुषार्थ में उत्तम हूँ, मध्यम हूँ या कनिष्ट हूँ?

मैं ऊंच पद पाने के लायक हूँ?

मैं रूहानी सर्विस करता हूँ?

2) तीसरे नेत्र से आत्मा भाई को देखो, भाई-भाई समझ सभी को ज्ञान दो,

आत्मिक स्थिति में रहने की आदत डालो तो कर्मेन्द्रियां चंचल नहीं होंगी।

वरदान:-

पेपर में घबराने के बजाए

फुल स्टॉप देकर फुल पास होने वाले

सफलतामूर्त भव

जब किसी भी प्रकार का पेपर आता है तो घबराओ नहीं, क्वेश्चन मार्क में नहीं आओ, यह क्यों आया?

इस सोचने में टाइम वेस्ट मत करो।

क्वेचन मार्क खत्म और फुल स्टॉप, तब क्लास चेंज होगा अर्थात् पेपर में पास होंगे।

फुलस्टाप देने वाला फुल पास होगा क्योंकि फुलस्टॉप है बिन्दी की स्टेज।

देखते हुए न देखो, सुनते हुए न सुनो।

बाप का सुनाया हुआ सुनो, बाप ने जो दिया है वह देखो तो फुल पास हो जायेंगे और पास होने की निशानी-सदा चढ़ती कला का अनुभव करते हुए सफलता के सितारे बन जायेंगे।

स्लोगन:-

स्वउन्नति करनी है तो क्वेश्चन, करेक्शन और कोटेशन का त्याग कर अपना कनेक्शन ठीक रखो।

अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए विशेष होमवर्क

किसी भी प्रकार का विघ्न बुद्धि को सताता हो तो योग के प्रयोग द्वारा पहले उस विघ्न को समाप्त करो। मन-बुद्धि में जरा भी डिस्टरबेन्स न हो। अव्यक्त स्थिति में स्थित होने का ऐसा अभ्यास हो जो रूह, रूह की बात को या किसी के भी मन के भावों को सहज ही जान जाये।