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Baba's Murlis - March, 2020
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30-03-2020 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

“ मीठे बच्चे - तुम्हारा चेहरा सदा खुशनुम : चाहिए

‘ हमें भगवान पढ़ाते हैं ', यह खुशी चेहरे से झलकनी चाहिए ''

प्रश्नः-

अभी तुम बच्चों का मुख्य पुरूषार्थ क्या है?

उत्तर:-

तुम सजाओं से छूटने का ही पुरूषार्थ करते रहते हो।

उसके लिए मुख्य है याद की यात्रा, जिससे ही विकर्म विनाश होते हैं।

तुम प्यार से याद करो तो बहुत कमाई जमा होती जायेगी।

सवेरे-सवेरे उठकर याद में बैठने से पुरानी दुनिया भूलती जायेगी।

ज्ञान की बातें बुद्धि में आती रहेंगी।

तुम बच्चों को मुख से कोई किचड़-पट्टी की बातें नहीं बोलनी हैं।

गीत:- तुम्हें पाके हमने...

ओम् शान्ति।

गीत जब सुनते हैं तो उस समय कोई-कोई को उसका अर्थ समझ में आता है और वह खुशी भी चढ़ती है।

भगवान हमको पढ़ाते हैं, भगवान हमको विश्व की बादशाही देते हैं।

परन्तु इतनी खुशी कोई विरले को यहाँ रहती है।

स्थाई वह याद ठहरती नहीं है।

हम बाप के बने हैं, बाप हमको पढ़ाते हैं।

बहुत हैं जिनको यह नशा चढ़ता नहीं है।

उन सतसंगों आदि में कथायें सुनते हैं, उनको भी खुशी होती है।

यहाँ तो बाप कितनी अच्छी बातें सुनाते हैं।

बाप पढ़ाते हैं और फिर विश्व का मालिक बनाते हैं तो स्टूडेन्ट को कितनी खुशी होनी चाहिए।

उस जिस्मानी पढ़ाई पढ़ने वालों को जितनी खुशी रहती है, यहाँ वालों को उतनी खुशी नहीं रहती।

बुद्धि में बैठता ही नहीं।

बाप ने समझाया है ऐसे-ऐसे गीत 4-5 बार सुनो।

बाप को भूलने से फिर पुरानी दुनिया और पुराने सम्बन्ध भी याद आ जाते हैं।

ऐसे समय गीत सुनने से भी बाप की याद आ जायेगी।

बाप कहने से वर्सा भी याद आ जाता है।

पढ़ाई से वर्सा मिलता है।

तुम शिवबाबा से पढ़ते हो सारे विश्व का मालिक बनने।

तो बाकी और क्या चाहिए।

ऐसे स्टूडेन्ट को अन्दर में कितनी खुशी होनी चाहिए!

रात-दिन नींद भी फिट जाए।

खास नींद फिटा करके भी ऐसे बाप और टीचर को याद करते रहना चाहिए।

जैसे मस्ताने।

ओहो, हमको बाप से विश्व की बादशाही मिलती है!

परन्तु माया याद करने नहीं देती है।

मित्र-सम्बन्धियों आदि की याद आती रहती है।

उनका ही चिंतन रहता है।

पुराना सड़ा हुआ किचड़ा बहुतों को याद आता है।

बाप जो बतलाते हैं, तुम विश्व के मालिक बनते हो वह नशा नहीं चढ़ता।

स्कूल में पढ़ने वालों का चेहरा खुशनुम: रहता है।

यहाँ भगवान पढ़ाते हैं, वह खुशी कोई विरले को रहती है।

नहीं तो खुशी का पारा अथाह चढ़ा रहना चाहिए।

बेहद का बाप हमको पढ़ाते हैं, यह भूल जाते हैं।

यह याद रहे तो भी खुशी रहे।

परन्तु पास्ट का कर्मभोग ही ऐसा है तो बाप को याद करते ही नहीं।

मुँह फिर भी किचड़े तरफ चला जाता है।

बाबा सबके लिए तो नहीं कहते हैं, नम्बरवार हैं।

महान सौभाग्यशाली वह जो बाप की याद में रहे।

भगवान, बाबा हमको पढ़ाते हैं!

जैसे उस पढ़ाई में रहता है फलाना टीचर हमको बैरिस्टर बनाते हैं, वैसे यहाँ हमको भगवान पढ़ाते हैं - भगवान भगवती बनाने के लिए तो कितना नशा रहना चाहिए।

सुनने समय कोई-कोई को नशा चढ़ता है।

बाकी तो कुछ भी नहीं समझते हैं।

बस गुरू किया, समझेंगे यह हमको साथ ले जायेंगे।

भगवान से मिलायेंगे।

यह तो खुद भगवान हैं।

अपने से मिलाते हैं, साथ ले जायेंगे।

मनुष्य गुरू करते ही इसलिए हैं कि भगवान के पास ले जाए वा शान्तिधाम ले जाये।

यह बाप सम्मुख कितना समझाते हैं।

तुम स्टूडेन्ट हो।

पढ़ाने वाले टीचर को तो याद करो।

बिल्कुल ही याद नहीं करते, बात मत पूछो।

अच्छे-अच्छे बच्चे भी याद नहीं करते।

शिवबाबा हमको पढ़ाते हैं, वह ज्ञान का सागर है, हमको वर्सा देते हैं, यह याद रहे तो भी खुशी का पारा चढ़ा रहे।

बाप सम्मुख बताते हैं फिर भी वह नशा नहीं चढ़ता।

बुद्धि और-और तरफ चली जाती है।

बाप कहते हैं मुझे याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।

मैं गैरन्टी करता हूँ - एक बाप के सिवाए और कोई को याद न करो।

विनाश होने वाली चीज़ को याद क्या करना है।

यहाँ तो कोई मरता है तो 2-4 वर्ष तक भी उनको याद करते रहते।

उनका गायन करते रहते।

अब बाप सम्मुख कहते हैं बच्चों को कि मुझे याद करो।

जो जितना प्यार से याद करते हैं उतना पाप कटते जाते हैं। बहुत कमाई होती है।

सवेरे उठकर बाप को याद करो।

भक्ति भी मनुष्य सवेरे उठकर करते हैं।

तुम तो हो ज्ञान वाले।

तुम्हें पुरानी दुनिया की किचड़पट्टी में नहीं फँसना है।

परन्तु कई बच्चे ऐसे फँस पड़ते हैं जो बात मत पूछो।

किचड़पट्टी से निकलते ही नहीं।

सारा दिन किचड़ा ही बोलते रहते।

ज्ञान की बातें बुद्धि में आती ही नहीं।

कई तो ऐसे बच्चे भी हैं जो सारा दिन सर्विस पर भागते रहते हैं।

बाप की जो सर्विस करते हैं, याद भी वह आयेंगे।

इस समय सबसे जास्ती सर्विस पर तत्पर मनोहर देखने में आती है।

आज करनाल गई, आज कहाँ गई, सर्विस पर भागती रहती है। जो आपस में लड़ते रहते वो सर्विस क्या करते होंगे!

बाप को प्यारे कौन लगेंगे?

जो अच्छी सर्विस करते हैं, दिन-रात सर्विस की ही चिंता रहती है, बाप की दिल पर भी वही चढ़ते हैं।

घड़ी-घड़ी ऐसे गीत तुम सुनते रहो तो भी याद रहे, कुछ नशा चढ़े।

बाबा ने कहा है, कोई समय किसको उदासी आ जाती है तो रिकार्ड बजाने से खुशी आ जायेगी।

ओहो! हम विश्व के मालिक बनते हैं।

बाप तो सिर्फ कहते हैं मुझे याद करो।

कितनी सहज पढ़ाई है।

बाबा ने अच्छे-अच्छे 10-12 रिकार्ड छांटकर निकाले थे कि हरेक के पास रहने चाहिए।

परन्तु फिर भी भूल जाते हैं।

कई तो चलते-चलते पढ़ाई ही छोड़ देते हैं।

माया वार कर लेती है। बाप तमोप्रधान बुद्धि को सतोप्रधान बनाने की कितनी सहज युक्ति बताते हैं।

अभी तुमको रांग राइट सोचने की बुद्धि मिली है।

बुलाते भी बाप को हैं-हे पतित-पावन आओ।

अब बाप आये हैं तो पावन बनना चाहिए ना।

तुम्हारे सिर पर जन्म-जन्मान्तर का बोझा है, उसके लिए जितना याद करेंगे, पवित्र बनेंगे, खुशी भी रहेगी।

भल सर्विस तो करते रहते हैं परन्तु अपना भी हिसाब रखना है।

हम बाप को कितना समय याद करते हैं।

याद का चार्ट कोई रख नहीं सकते।

प्वाइंट तो भल लिखते हैं परन्तु याद को भूल जाते हैं।

बाप कहते हैं तुम याद में रह भाषण करेंगे तो बल बहुत मिलेगा।

नहीं तो बाप कहते हैं मैं ही जाकर बहुतों को मदद करता हूँ।

कोई में प्रवेश कर मैं ही जाकर सर्विस करता हूँ।

सर्विस तो करनी है ना।

देखता हूँ किसका भाग्य खुलने का है, समझाने वाले में इतना अक्ल नहीं है तो मैं प्रवेश कर सर्विस कर लेता हूँ फिर कोई-कोई लिखते हैं-बाबा ने ही यह सर्विस की।

हमारे में तो इतनी ताकत नहीं, बाबा ने मुरली चलाई।

कोई को फिर अपना अहंकार आ जाता है, हमने ऐसा अच्छा समझाया।

बाप कहते हैं मैं कल्याण करने के लिए प्रवेश करता हूँ फिर वह ब्राह्मणी से भी तीखे हो जाते हैं।

कोई बुद्धू को भेज दूँ तो वह समझते हैं इससे तो हम अच्छा समझा सकते हैं।

गुण भी नहीं हैं।

इससे तो हमारी अवस्था अच्छी है।

कोई-कोई हेड बनकर रहते हैं तो बड़ा नशा चढ़ जाता है।

बहुत भभके से रहते हैं।

बड़े आदमी से भी तू-तू कर बात करते हैं।

बस उनको देवी-देवी कहते हैं तो उसमें ही खुश हो जाते।

ऐसे भी बहुत हैं।

टीचर से भी स्टूडेन्ट होशियार हो जाते हैं।

इम्तहान पास किया हुआ तो एक बाबा ही है, वह है ज्ञान सागर।

उन द्वारा तुम पढ़कर फिर पढ़ाते हो।

कोई तो अच्छी रीति धारणा कर लेते हैं।

कोई भूल जाते हैं।

बड़े ते बड़ी मुख्य बात है याद की यात्रा।

हमारे विकर्म विनाश कैसे हों?

कई बच्चे तो ऐसी चलन चलते हैं जो बस यह बाबा जाने और वह बाबा जाने।

अभी तुम बच्चों को सजाओं से छूटने का ही मुख्य पुरूषार्थ करना है।

उसके लिए मुख्य है याद की यात्रा, जिससे ही विकर्म विनाश होते हैं।

भल कोई पैसे में मदद करते हैं, समझते हैं हम साहूकार बनेंगे परन्तु पुरूषार्थ तो सजाओं से बचने का करना है।

नहीं तो बाप के आगे सजा खानी पड़ेगी।

जज का बच्चा कोई ऐसा काम करे तो जज को भी लज्जा आयेगी ना।

बाप भी कहेंगे हम जिनकी पालना करता हूँ उनको फिर सजा खिलाऊंगा!

उस समय कांध नीचे कर हाय-हाय करते रहेंगे-बाप ने इतना समझाया, पढ़ाया, हमने ध्यान नहीं दिया।

बाप के साथ धर्मराज भी तो है ना।

वह तो जन्मपत्री को जानते हैं।

अभी तो तुम प्रैक्टिकल में देखते हो।

10 वर्ष पवित्रता में चला, अचानक ही माया ने ऐसा घूँसा लगाया, की कमाई चट कर दी, पतित बन पड़ा।

ऐसे बहुत मिसाल होते रहते हैं।

बहुत गिरते हैं।

माया के तूफानों में सारा दिन हैरान रहते हैं, फिर बाप को ही भूल जाते हैं।

बाप से हमको बेहद की बादशाही मिलती है, वह खुशी नहीं रहती।

काम के पीछे फिर मोह भी है।

इसमें नष्टोमोहा बनना पड़े।

पतितों से क्या दिल लगानी है।

हाँ, यही ख्याल रखना है-इनको भी हम बाप का परिचय दे उठावें।

इनको किस रीति शिवालय का लायक बनायें।

अन्दर में यह युक्ति रचो।

मोह की बात नहीं।

कितना भी प्यारा सम्बन्धी हो, उनको भी समझाते रहो।

किसी में भी हड्डी प्यार की रग न जाये।

नहीं तो सुधरेंगे नहीं।

रहमदिल बनना चाहिए।

अपने पर भी रहम करना है और औरों पर भी रहम करना है।

बाप को भी तरस पड़ता है।

देखना है हम कितनों को आपस-मान बनाते हैं।

बाबा को सबूत देना पड़े। हमने कितनों को परिचय दिया।

वह भी फिर लिखते-बाबा हमको इन द्वारा परिचय बहुत अच्छा मिला।

बाबा के पास सबूत आये तब बाबा समझे हाँ यह सर्विस करते हैं।

बाबा को लिखें बाबा यह ब्राह्मणी तो बड़ी होशियार है।

बहुत अच्छी सर्विस करती है, हमको अच्छा पढ़ाती है।

योग में फिर बच्चे फेल होते हैं। याद करने का अक्ल नहीं है।

बाप समझाते हैं भोजन खाते हो तो भी शिवबाबा को याद करके खाओ।

कहाँ घूमने फिरने जाते हो शिवबाबा को याद करो।

झरमुई झगमुई न करो।

भल कोई बात का ख्यालात भी आता है फिर बाप को याद करो तो गोया कामकाज का ख्याल भी किया फिर बाबा की याद में लग गया।

बाप कहते हैं कर्म तो भल करो, नींद भी करो, साथ-साथ यह भी करो।

कम से कम 8 घण्टे तक आना चाहिए-यह होगा पिछाड़ी तक।

धीरे-धीरे अपना चार्ट बढ़ाते रहो।

कोई-कोई लिखते हैं दो घण्टा याद में रहा फिर चलते-चलते चार्ट ढीला हो जाता है।

वह भी माया गुम कर देती है।

माया बड़ी जबरदस्त है।

जो इस सर्विस में सारा दिन बिजी रहेंगे वही याद भी कर सकेंगे।

घड़ी-घड़ी बाप का परिचय देते रहेंगे।

बाबा याद के लिए बहुत जोर देते रहते हैं।

खुद भी फील करते हैं हम याद में रह नहीं सकते हैं।

याद में ही माया विघ्न डालती है।

पढ़ाई तो बहुत सहज है। बाप से हम पढ़ते भी हैं।

जितना धन लेंगे उतना साहूकार बनेंगे।

बाप तो सभी को पढ़ाते हैं ना।

वाणी सबके पास जाती है सिर्फ तुम नहीं, सब पढ़ रहे हैं।

वाणी नहीं जाती तो चिल्लाते हैं।

कई तो फिर ऐसे भी हैं जो सुनेंगे ही नहीं। ऐसे ही चलते रहते।

मुरली सुनने का शौक होना चाहिए।

गीत कितना फर्स्ट क्लास है-बाबा हम अपना वर्सा लेने आये हैं।

कहते भी हैं ना-बाबा, जैसी हूँ, तैसी हूँ, कानी हूँ, कैसी भी हूँ, आपकी हूँ।

वह तो ठीक है परन्तु छी-छी से तो अच्छा बनना चाहिए ना।

सारा मदार है योग और पढ़ाई पर।

बाप का बनने के बाद यह विचार हर बच्चे को आना चाहिए कि हम बाप का बने हैं तो स्वर्ग में चलेंगे ही परन्तु हमें स्वर्ग में क्या बनना है, वह भी सोचना है।

अच्छी रीति पढ़ो, दैवीगुण धारण करो।

बन्दर के बन्दर ही होंगे तो क्या पद पायेंगे?

वहाँ भी तो प्रजा नौकर चाकर सब चाहिए ना। पढ़े हुए के आगे अनपढ़े भरी ढोयेंगे।

जितना पुरूषार्थ करेंगे उतना अच्छा सुख पायेंगे।

अच्छा धनवान बनेंगे तो इज्जत बहुत होगी।

पढ़ने वाले की इज्जत अच्छी होती है।

बाप तो राय देते रहते हैं।

बाप की याद में शान्ति में रहो।

परन्तु बाबा जानते हैं सम्मुख रहने वालों से भी दूर रहने वाले बहुत याद में रहते हैं और अच्छा पद पा लेते हैं।

भक्ति मार्ग में भी ऐसा होता है।

कोई भक्त अच्छे फर्स्टक्लास होते हैं जो गुरू से भी जास्ती याद में रहते हैं।

जो बहुत अच्छी भक्ति करते होंगे वही यहाँ आते हैं।

सभी भक्त हैं ना।

सन्यासी आदि नहीं आयेंगे, सभी भक्त भक्ति करते-करते आ जायेंगे।

बाप कितना क्लीयर कर समझाते हैं।

तुम ज्ञान उठा रहे हो, सिद्ध होता है तुमने बहुत भक्ति की है। जास्ती भक्ति करने वाले जास्ती पढ़ेंगे।

कम भक्ति करने वाले कम पढ़ेंगे।

मुख्य मेहनत है याद की।

याद से ही विकर्म विनाश होंगे और बहुत मीठा भी बनना है।

अच्छा। मीठे-मीठे सिकीलधे सर्विसएबुल, व़फादार, फरमानबरदार बच्चों को बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) कितना भी कोई प्यारा सम्बन्धी हो उसमें मोह की रग नहीं जानी चाहिए।

नष्टोमोहा बनना है।

युक्ति से समझाना है।

अपने ऊपर और दूसरों पर रहम करना है।

2) बाप और टीचर को बहुत प्यार से याद करना है।

नशा रहे भगवान हमको पढ़ाते हैं, विश्व की बादशाही देते हैं!

घूमते फिरते याद में रहना है, झरमुई, झगमुई नहीं करना है।

वरदान:-

सर्व आत्माओं को

यथार्थ अविनाशी सहारा देने वाले

आधार , उद्धारमूर्त भव

वर्तमान समय विश्व के चारों ओर कोई न कोई हलचल है,

कहाँ मन के अनेक टेन्शन की हलचल है,

कहाँ प्रकृति के तमोप्रधान वायुमण्डल के कारण हलचल है,

अल्पकाल के साधन सर्व को चिंता की चिता पर लिये जा रहे हैं इसलिए

अल्पकाल के आधार से, प्राप्तियों से, विधियों से थककर वास्तविक सहारा ढूंढ रहे हैं।

तो आप आधार, उद्धारमूर्त आत्मायें उन्हें

श्रेष्ठ अविनाशी प्राप्तियों की यथार्थ, वास्तविक, अविनाशी सहारे की अनुभूति कराओ।

स्लोगन:-

समय अमूल्य खजाना है इसलिए इसे नष्ट करने के बजाए फौरन निर्णय कर सफल करो।