26-04-20 प्रात:मुरली मधुबन
अव्यक्त-बापदादा रिवाइज: 01-01-86
नव वर्ष पर नवीनता की मुबारक
आज चारों ओर के सर्व स्नेही सहयोगी और शक्तिशाली बच्चों के अमृतवेले से मीठे-मीठे मन के श्रेष्ठ संकल्प स्नेह के वायदे, परिवर्तन के वायदे, बाप समान बनने के उमंग-उत्साह के दृढ़ संकल्प अर्थात् अनेक रूहानी साजों भरे मन के गीत मन के मीत के पास पहुँचे।
मन के मीत सभी के मीठे गीत सुन श्रेष्ठ संकल्प से अति हर्षित हो रहे थे। मन के मीत अपने सर्व रूहानी मीत को, गाडली फ्रैन्डस को सभी के गीतों का रेसपाण्ड दे रहे हैं।
सदा हर संकल्प में हर सेकेण्ड में, हर बोल में होली, हैप्पी, हेल्दी रहने की बधाई हो।
सदा सहयोग का हाथ मन के मीत के कार्य में सहयोग के संकल्प से हाथ में हाथ हो।
चारों ओर के बच्चों के संकल्प, पत्र, कार्ड और साथ-साथ याद निशानी स्नेह की सौगातें सब बापदादा को पहुँच गई।
बापदादा सदा हर बच्चे के बुद्धि रूपी मस्तक पर वरदान का, सदा सफलता के आशीर्वाद का हाथ, नये वर्ष की बधाई में सब बच्चों को दे रहे हैं।
नये वर्ष में सदा हर प्रतिज्ञा को प्रत्यक्ष रूप में लाने का अर्थात् हर कदम में फालो फादर करने का विशेष स्मृति स्वरूप का तिलक सतगुरू सभी आज्ञाकारी बच्चों को दे रहे हैं।
आज के दिन छोटे-बड़े सभी के मुख में बधाई का बोल बार-बार रहता ही है।
ऐसे ही सदा नया साज़ है, सदा नया सेकेण्ड है, सदा नया संकल्प है।
इसलिए हर सेकण्ड बधाई है। सदा नवीनता की बधाई दी जाती है।
कोई भी नई चीज हो, नया कार्य हो तो मुबारक जरूर देते हैं।
मुबारक नवीनता को दी जाती है।
तो आप सबके लिए सदा ही नया है।
संगमयुग की यह विशेषता है।
संगमयुग का हर कर्म उड़ती कला में जाने का है।
इस कारण सदा नये ते नया है।
सेकण्ड पहले जो स्टेज थी, स्पीड थी वह दूसरे सेकण्ड उससे ऊंची है अर्थात् उड़ती कला की ओर है।
इसलिए हर सेकण्ड की स्टेज स्पीड ऊंची अर्थात नई है।
तो आप सबके लिए हर सेकेण्ड के संकल्प की नवीनता की मुबारक हो।
संगमयुग है ही बधाईयों का युग।
सदा मुख मीठा, जीवन मीठी, सम्बन्ध मीठे अनुभव करने का युग है।
बापदादा नये वर्ष की सिर्फ मुबारक नहीं देते लेकिन संगमयुग के हर सेकेण्ड की, संकल्प की श्रेष्ठ बधाईयां देते हैं।
लोग तो आज मुबारक देंगे कल खत्म।
बापदादा सदा की मुबारक देते, बधाईयां देते।
नवयुग के समीप आने की मुबारक देते।
संकल्प के गीत बहुत अच्छे सुने।
सुन-सुनकर बापदादा गीतों के साज़ और राज में समा गये।
आज वतन में गीत माला का प्रोग्राम अमृतवेले से सुन रहे थे।
अमृतवेला भी देश-विदेश के हिसाब से अपना-अपना है।
हर बच्चा समझता है अमृतवेले सुना रहे हैं।
बापदादा तो निरन्तर सुन रहे हैं।
हर एक के गीत की रीति भी बड़ी प्यारी है।
साज़ भी अपने-अपने हैं।
लेकिन बापदादा को सबके गीत प्यारे हैं।
मुबारक तो दे दी। चाहे मुख से दी, चाहे मन से दी।
रीति प्रमाण दी या प्रीत की रीति निभाने के श्रेष्ठ संकल्प से दी।
अभी आगे क्या करेंगे?
जैसे सेवा के 50 (1986 में) वर्ष पूरे हो रहे हैं, ऐसे सर्व श्रेष्ठ संकल्प वा वायदे पूरे करेंगे वा संकल्प तक ही रहने देंगे?
वायदे तो हर वर्ष बहुत अच्छे-अच्छे करते हैं।
जैसे आज की दुनिया में दिनप्रतिदिन कितने अच्छे-अच्छे कार्ड बनाते रहते हैं।
तो संकल्प भी हर वर्ष से श्रेष्ठ करते हो लेकिन संकल्प और स्वरूप दोनों ही समान हो। यही महानता है।
इस महानता में जो ओटे सो अर्जुन।
वह कौन बनेगा?
सब समझते हैं हम बनेंगे।
दूसरे अर्जुन बनते है या भीम बनते हैं उसको नहीं देखना है।
मुझे नम्बरवन अर्थात् अर्जुन बनना है।
हे अर्जुन ही गाया हुआ है।
हे भीम नहीं गाया हुआ है।
अर्जुन की विशेषता सदा बिन्दी में स्मृति स्वरूप बन विजयी बनना है।
ऐसे नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप बनने वाला अर्जुन।
सदा गीता ज्ञान सुनने और मनन करने वाला अर्जुन।
ऐसा विदेही, जीते जी सब मरे पड़े हैं - ऐसे बेहद की वैराग्य वृत्ति वाले अर्जुन कौन बनेंगे?
बनना है कि सिर्फ बोलना है।
नया वर्ष कहते हो, सदा हर सेकेण्ड में नवीनता।
मन्सा में, वाणी में, कर्म में, सम्बन्ध में नवीनता लाना।
यही नये वर्ष की बधाई सदा साथ रखना।
हर सेकेण्ड हर समय स्थिति की परसेन्टेज आगे से आगे हो।
जैसे कोई मंजिल पर पहुंचने के लिए जितने कदम उठाते जाते तो हर कदम में समीपता के आगे बढ़ते जाते।
वहीं के वहीं नहीं रूकते।
ऐसे हर सेकण्ड वा हर कदम में समीपता और सम्पूर्णता के समीप आने के लक्षण स्वयं को भी अनुभव हों और दूसरों को भी अनुभव हों।
इसको कहा जाता है परसेन्टेज को आगे बढ़ाना अर्थात् कदम आगे बढ़ाना।
परसेन्टेज की नवीनता, स्पीड की नवीनता इसको कहा जाता है।
तो हर समय नवीनता को लाते रहो।
सब पूछते हैं नया क्या करें?
पहले स्व में नवीनता लाओ तो सेवा में नवीनता स्वत: आ जायेगी।
आज के लोग प्रोग्राम की नवीनता नहीं चाहते हैं लेकिन प्रभाव की नवीनता चाहते हैं।
तो स्व की नवीनता से प्रभाव में नवीनता स्वत: ही आयेगी।
इस वर्ष प्रभावशाली बनने की विशेषता दिखाओ।
आपस में ब्राह्मण आत्मायें जब सम्पर्क में आते हो तो सदा हर एक के प्रति मन की भावना स्नेह सहयोग और कल्याण की प्रभावशाली हो।
हर बोल किसी को हिम्मत, उल्हास देने के प्रभावशाली हों।
व्यर्थ नहीं हो।
साधारण बातचीत में आधा घण्टा भी बिता देते हो।
फिर सोंचते हो इसकी रिजल्ट क्या निकली।
तो ऐसे न बुरा न अच्छा, साधारण बोल चाल यह भी प्रभावशाली बोल नहीं कहेंगे।
ऐसे ही हर कर्म फलदायक हो।
चाहे स्व के प्रति, चाहे दूसरों के प्रति।
तो आपस में भी हर रूप में रूहानी प्रभावशाली बनो।
सेवा में भी रूहानी प्रभावशाली बनो।
मेहनत अच्छी करते हो, दिल से करते हो।
यह तो सब कहते हें लेकिन यह राजयोगी फरिश्ते हैं, रूहानियत है तो यहाँ ही है, परमात्म कार्य यही है, ऐसा बाप को प्रत्यक्ष करने का प्रभाव हो।
जीवन अच्छी है, कार्य अच्छा है यह भी कहते हैं लेकिन परमात्म कार्य है, परमात्म बच्चे हैं, यही सम्पन्न जीवन सम्पूर्ण जीवन है।
यह प्रभाव हो।
सेवा में और प्रभावशाली होना है, अभी यह लहर फैलाओ जो कहें कि हम भी अच्छा बनें।
आप बहुत अच्छे हो, यह भक्त माला बन रही है लेकिन अभी विजय माला अर्थात् स्वर्ग के अधिकारी बनने की माला पहले तैयार करो।
पहले जन्म में ही 9 लाख चाहिए। भक्त माला बहुत लम्बी है।
राज्य के अधिकारी, राज्य करने की नहीं।
राज्य में आने के अधिकारी वह भी अभी चाहिए।
तो अभी ऐसी लहर फैलाओ।
जो अच्छा कहने वाले अच्छा बनने में सम्पर्क वाले कम से कम प्रजा के सम्बन्ध में तो आ जाएं।
फिर भी आपके सम्पर्क में आते हैं तो उन्हें स्वर्ग के अधिकारी तो बनायेंगे ना।
ऐसा सेवा में प्रभावशाली बनो।
यह वर्ष प्रभावशाली बनने और प्रभाव द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करने की विशेषता से विशेष रूप से मनाओ।
स्वयं नहीं प्रभावित होना।
लेकिन बाप पर प्रभावित करना।
समझा।
जैसे भक्ति में कहते हो ना कि यह सब परमात्मा के रूप हैं।
वह उल्टी भावना से कह देते हैं।
लेकिन ज्ञान के प्रभाव से आप सबके रूप में बाप का अनुभव करें।
जिसको भी देखें तो परमात्म स्वरूप की अनुभूति हो तब नवयुग आयेगा।
अभी पहले जन्म की प्रजा ही तैयार नहीं की है।
पिछली प्रजा तो सहज बनेगी।
लेकिन पहले जन्म की प्रजा।
जैसे राजा शक्तिशाली होगा वैसे पहली प्रजा भी शक्तिशाली होगी।
तो संकल्प के बीज को सदा फल स्वरूप में लाते रहना।
प्रतिज्ञा को प्रत्यक्षता के रूप में सदा लाते रहना।
डबल विदेशी क्या करेंगे।
सबमें डबल रिजल्ट निकालेंगे ना।
हर सेकेण्ड की नवीनता से हर सेकेण्ड बाप की मुबारक लेते रहना।
अच्छा!
सदा हर संकल्प में नवीनता की महानता दिखाने वाले, हर समय उड़ती कला का अनुभव करने वाले, सदा प्रभावशाली बन बाप का प्रभाव प्रत्यक्ष करने वाले, आत्माओं में नई जीवन बनाने की नई प्रेरणा देने वाले, नव युग के अधिकारी बनाने की श्रेष्ठ लहर फैलाने वाले - ऐसे सदा वरदानी, महादानी आत्माओं को बापदादा का सदा नवीनता के संकल्प साथ याद-प्यार और नमस्ते।
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