मीठे-मीठे बच्चे यहाँ बैठे हो तो यह जरूर समझते हो कि हम हैं ईश्वरीय सन्तान।
जरूर अपने को आत्मा ही समझेंगे।
शरीर है तब उन द्वारा आत्मा सुनती है।
बाप ने यह शरीर लोन पर लिया है, तब सुनाते हैं।
अभी तुम समझते हो हम हैं ईश्वरीय सन्तान वा सम्प्रदाय फिर हम दैवी सम्प्रदाय बनेंगे।
स्वर्ग के मालिक होते ही हैं देवतायें।
हम फिर से 5 हज़ार वर्ष पहले मुआफिफक दैवी स्वराज्य की स्थापना कर रहे हैं।
फिर हम देवता बन जायेंगे।
इस समय सारी दुनिया, भारत खास और दुनिया आम, सब मनुष्य मात्र एक-दो को दु:ख ही देते हैं।
उन्हों को यह भी पता नहीं है कि सुखधाम भी होता है।
परमपिता परमात्मा ही आकर सबको सुखी-शान्त बना देते हैं।
यहाँ तो घर-घर में एक-दो को दु:ख ही देते हैं।
सारे विश्व में दु:ख ही दु:ख है।
अभी तुम बच्चे जानते हो बाप हमको 21 जन्मों के लिए सदा सुखी बनाते हैं।
कब से दु:ख शुरू हुआ है फिर कब पूरा होता है, यह और कोई की बुद्धि में चिंतन नहीं होगा।
तुमको ही यह बुद्धि में है कि हम बरोबर ईश्वरीय सम्प्रदाय थे, यूँ तो सारी दुनिया के मनुष्य मात्र ईश्वरीय सम्प्रदाय हैं।
हर एक उनको फादर कह बुलाते हैं।
अब बच्चे जानते हैं शिवबाबा हमको श्रीमत दे रहे हैं।
श्रीमत मशहूर है।
ऊंच ते ऊंच भगवान की ऊंच ते ऊंच मत है।
गाया भी जाता है उनकी गत-मत न्यारी।
शिवबाबा की श्रीमत हमको क्या से क्या बनाती है!
स्वर्ग का मालिक।
और जो भी मनुष्य मात्र हैं वह तो नर्क का मालिक ही बनाते हैं।
अभी तुम हो संगम पर।
यह तो निश्चय है ना।
निश्चयबुद्धि ही यहाँ आते हैं और समझते हैं बाबा हमको फिर से सुखधाम का मालिक बनाते हैं।
हम ही 100 प्रतिशत पवित्र गृहस्थ मार्ग वाले थे।
यह स्मृति आई है।
84 जन्मों का भी हिसाब है ना।
कौन-कौन कितने जन्म लेते हैं।
जो धर्म बाद में आते हैं, उन्हों के जन्म भी थोड़े होते हैं।
तुम बच्चों को अब यह निश्चय रखना है, हम ईश्वरीय औलाद हैं।
हमको श्रेष्ठ मत मिलती है, सबको श्रेष्ठ बनाने के लिए।
हमारा वही बाबा हमको राजयोग सिखलाता है।
मनुष्य समझते हैं कि वेद-शास्त्र आदि सब भगवान से मिलने के रास्ते हैं और भगवान कहते हैं-इनसे कोई भी मेरे साथ मिलता नहीं है।
मैं ही आता हूँ, तब तो मेरी जयन्ती भी मनाते हैं, परन्तु कब और किसके शरीर में आता हूँ, यह कोई नहीं जानते।
सिवाए तुम ब्राह्मणों के।
अभी तुम बच्चों को सबको सुख देना है।
दुनिया में सब एक-दो को दु:ख देते हैं।
वो लोग यह नहीं समझते कि विकार में जाना दु:ख देना है।
अभी तुम जानते हो यह महान् दु:ख है।
कुमारी जो पवित्र थी उनको अपवित्र बनाते हैं।
नर्कवासी बनने के लिए कितना सेरीमनी करते हैं।
यहाँ तो ऐसे हंगामें की कोई बात ही नहीं।
तुम बड़ा शान्ति से बैठे हो।
सब खुश होते हैं, सारे विश्व को सदा सुखी बनाते हैं।
तुम्हारा मान शिव शक्तियों के रूप में है।
तुम्हारे आगे लक्ष्मी-नारायण का तो कुछ भी मान नहीं।
शिव शक्तियों का ही नाम बाला है क्योंकि जैसे बाप ने सर्विस की है, सबको पवित्र बनाकर सदा सुखी बनाया है, ऐसे तुम भी बाप के मददगार बने हो, इसलिए तुम शक्तियाँ भारत माताओं की महिमा है।
यह लक्ष्मी-नारायण तो राजा-रानी और प्रजा सब स्वर्गवासी हैं।
वह बड़ी बात है क्या!
जैसे वह स्वर्गवासी हैं वैसे यहाँ के राजा-रानी सब नर्कवासी हैं।
ऐसे नर्कवासियों को स्वर्गवासी तुम बनाते हो।
मनुष्य तो कुछ भी नहीं जानते हैं।
बिल्कुल ही तुच्छ बुद्धि हैं।
क्या-क्या करते रहते हैं।
कितनी लड़ाइयाँ आदि हैं।
हर बात में दु:खी ही दु:खी हैं।
सतयुग में हर हालत में सुख ही सुख है।
अभी सबको सुख देने के लिए ही बाबा श्रेष्ठ मत देते हैं।
गाते भी हैं श्रीमत भगवानुवाच।
श्रीमत मनुष्य वाच नहीं है।
सतयुग में देवताओं को मत देने की दरकार ही नहीं।
यहाँ तुमको श्रीमत मिलती है।
बाप के साथ तुम भी गाये जाते हो शिवशक्तियाँ।
अभी फिर से वह पार्ट प्रैक्टिकल में बज रहा है।
अब बाप कहते हैं तुम बच्चों को मन्सा, वाचा, कर्मणा सबको सुख देना है।
सबको सुखधाम का रास्ता बताना है।
तुम्हारा धन्धा ही यह हुआ।
शरीर निर्वाह अर्थ पुरुषों को धंधा भी करना होता है।
कहते हैं शाम के समय देवतायें परामा पर निकलते हैं, अब देवतायें यहाँ कहाँ से आये।
परन्तु इस समय को शुद्ध कहते हैं।
इस टाइम पर सबको फुर्सत भी मिलती है।
तुम बच्चों को चलते, फिरते, उठते, बैठते याद करना है।
बस कोई देहधारी की चाकरी आदि नहीं करनी है।
बाप का तो गायन है द्रौपदी के पांव दबाये।
इसका भी अर्थ नहीं समझते हैं।
स्थूल में पांव दबाने की बात नहीं है।
बाबा के पास बुढ़ियां आदि बहुत आती हैं, जानते हैं भक्ति करते-करते थक गई हैं।
आधाकल्प बहुत धक्के खाये हैं ना।
तो यह पैर दबाने के अक्षर को उठा लिया है।
अब कृष्ण पांव कैसे दबायेंगे।
शोभेगा?
तुम कृष्ण को पांव दबाने देंगी?
कृष्ण को देखते ही उनको चटक पड़ेंगी।
उनमें तो बहुत चमत्कार रहता है।
कृष्ण के सिवाए और कोई बात बुद्धि में बैठती ही नहीं।
वही सबसे तेजोमय है।
कृष्ण बच्चे ने फिर मुरली चलाई, बात ही नहीं जंचती।
यहाँ तुम शिवबाबा से कैसे मिलेंगे?
तुम बच्चों को बोलना पड़ता है, शिवबाबा को याद कर फिर इनके पास आओ।
तुम बच्चों को तो अन्दर में खुशी रहनी चाहिए हमको शिवबाबा सुखी बनाते हैं - 21 जन्मों के लिए। ऐसे बाप के पिछाड़ी तो कुर्बान जाना चाहिए।
कोई सपूत बच्चे होते हैं तो बाप कुर्बान जाते हैं।
बाप की हर कामना पूरी करते हैं।
कोई तो ऐसे बच्चे होते हैं जो बाप का खून भी करा देते हैं।
यहाँ तो तुमको मोस्ट बील्वेड बनना है।
किसी को भी दु:ख नहीं देना हैं।
जो रहमदिल बच्चे हैं उनकी दिल होती है हम गांव-गांव में जाकर सर्विस करें।
आजकल बिचारे बहुत दु:खी हैं।
उनको जाकर खुशखबरी सुनाओ कि विश्व में पवित्रता, सुख, शान्ति का दैवी स्वराज्य स्थापन हो रहा है, यह वही महाभारत लड़ाई है।
बरोबर उस समय बाप भी था।
अभी भी बाप आया हुआ है।
तुम जानते हो बाबा हमको पुरुषोत्तम बना रहे हैं।
यह है ही पुरुषोत्तम संगमयुग।
तुम बच्चे जानते हो-हम पुरुषोत्तम कैसे बनते हैं।
तुमसे पूछते हैं तुम्हारा उद्देश्य क्या है?
बोलो, मनुष्य से देवता बनना।
देवतायें तो मशहूर हैं।
बाप कहते हैं जो देवताओं के भक्त हों उनको समझाओ।
भक्ति भी पहले-पहले तुमने शुरू की शिव की फिर देवताओं की।
तो पहले-पहले शिवबाबा के भक्तों को समझाना है।
बोलो शिवबाबा कहते हैं मुझे याद करो।
शिव की पूजा करते हैं परन्तु यह थोड़ेही बुद्धि में आता है कि पतित-पावन बाप है।
भक्ति मार्ग में देखो धक्के कितने खाते हैं।
शिवलिंग तो घर में भी रख सकते हैं।
उनकी पूजा कर सकते हैं फिर अमरनाथ, बद्रीनाथ आदि तरफ जाने की क्या दरकार है।
परन्तु भक्ति मार्ग में मनुष्यों को धक्के जरूर खाने हैं।
तुमको उनसे छुड़ाते हैं।
तुम हो शिव शक्ति, शिव के बच्चे।
तुम बाप से शक्ति लेते हो।
वह भी मिलेगी याद से।
विकर्म विनाश होंगे।
पतित-पावन तो बाप है ना।
याद से ही तुम विकर्माजीत पावन बनते हो।
सबको यह रास्ता बताना है।
तुम अभी राम के बने हो।
रामराज्य में है सुख, रावण राज्य में है दु:ख।
भारत में ही सबके चित्र हैं, जिनकी इतनी पूजा होती है।
ढेर के ढेर मन्दिर हैं।
कोई हनूमान का पुजारी, कोई किसका!
इनको कहा जाता है ब्लाइन्डफेथ।
अभी तुम जानते हो हम भी ब्लाइन्ड थे।
इनको भी मालूम नहीं था-ब्रह्मा, विष्णु, शंकर कौन हैं, क्या हैं।
जो पूज्य थे वही फिर पुजारी बने।
सतयुग में हैं पूज्य, यहाँ हैं पुजारी।
बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं।
तुम जानते हो पूज्य होते ही हैं सतयुग में।
यहाँ हैं पुजारी तो पूजा ही करते हैं।
तुम हो शिवशक्तियां।
अभी तुम न पुजारी, न पूज्य हो।
बाप को भूल मत जाओ।
यह साधारण तन है ना।
इसमें ऊंच ते ऊंच भगवान आते हैं।
तुम बाप को अपने पास निमंत्रण देते हो ना।
बाबा आओ, हम बहुत पतित बन गये हैं।
पुरानी पतित दुनिया, पतित शरीर में आकर हमको पावन बनाओ।
बच्चे निमंत्रण देते हैं।
यहाँ तो कोई पावन है ही नहीं।
जरूर सभी पतितों को पावन बनाकर ले जायेंगे ना।
तो सबको शरीर छोड़ना पड़े ना।
मनुष्य शरीर छोड़ते हैं तो कितना हाय दोष मचाते हैं।
तुम खुशी से जाते हो।
अभी तुम्हारी आत्मा रेस करती हैं देखें कौन शिवबाबा को जास्ती याद करते हैं।
शिवबाबा की याद में रहते-रहते ही शरीर छूट जाए तो अहो सौभाग्य।
बेड़ा ही पार।
सभी को बाप कहते हैं ऐसे पुरुषार्थ करो।
संन्यासी भी कोई-कोई ऐसे होते हैं।
ब्रह्म में लीन होने के लिए अभ्यास करते हैं।
फिर पिछाड़ी में ऐसे बैठे-बैठे शरीर छोड़ देते हैं। सन्नाटा हो जाता है।
सुख के दिन फिर आयेंगे।
इसके लिए ही तुम पुरुषार्थ करते हो बाबा हम आपके पास चलें।
आपको ही याद करते-करते जब हमारी आत्मा पवित्र हो जायेगी तो आप हमको साथ ले जायेंगे।
आगे जब काशी कलवट खाते थे तो बहुत प्रेम से खाते थे, बस हम मुक्त हो जायेंगे। ऐसे समझते थे।
अभी तुम बाप को याद करते चले जाते हो शान्तिधाम।
तुम बाप को याद करते हो तो इस याद के बल से पाप कटते हैं, वह समझते हैं हमारे फिर पानी से पाप कट जायेंगे।
मुक्ति मिल जायेगी।
अब बाप समझाते हैं वह कोई योगबल नहीं है।
पापों की सज़ा खाते-खाते फिर जाकर जन्म लेते हैं, नये सिर फिर पापों का खाता शुरू होता है।
कर्म, अकर्म, विकर्म की गति बाप बैठ समझाते हैं।
रामराज्य में कर्म अकर्म होते हैं, रावण राज्य में कर्म विकर्म हो जाते है।
वहाँ कोई विकार आदि होता नहीं।
मीठे-मीठे फूल बच्चे जानते हैं बाप हमको सब युक्तियां, सब राज़ समझाते हैं।
मुख्य बात यह है कि बाप को याद करो।
पतित-पावन बाप तुम्हारे सामने बैठे हैं, कितना निर्मान है।
कोई अहंकार नहीं, बिल्कुल साधारण चलते रहते हैं।
बापदादा दोनों ही बच्चों के सर्वेन्ट हैं।
तुम्हारे दो सर्वेन्ट हैं ऊंच ते ऊंच शिवबाबा फिर प्रजापिता ब्रह्मा।
वो लोग त्रिमूर्ति ब्रह्मा कह देते हैं।
अर्थ थोड़ेही जानते हैं।
त्रिमूर्ति ब्रह्मा क्या करते हैं, कुछ भी पता नहीं है।
अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।