22.01.1971
सर्व बातें उन्हों में भरने से वह फल भी ऐसा लायक बनेगा...
इस बात के ऊपर ध्यान नहीं खिंचवाया। वह करे न करे, वह हुई उनकी तकदीर।
परन्तु आप लोगों को सभी के ऊपर मेहनत करनी है। नहीं तो अब तक की रिजल्ट में कोई उलहनें अभी तक मिल रहे हैं। यह सर्विस की कमी है। इसलिए कहा कि सर्व बातें उन्हों में भरने से वह फल भी ऐसा लायक बनेगा। आप सोचो, जितना कोई बड़ा आदमी होता है, उनके सामने कौनसा फल रखेंगे? बड़ा भी हो और बढ़िया भी हो। साकार में भी कोई चीज़ लाते थे तो क्या देखते थे? तो अब बापदादा के आगे भी ऐसे जो फल तैयार करते हैं वही सामने ला सकते हैं।
इसलिए यह ध्यान रखना है। जितना जो स्वयं जितने गुणों से सम्पन्न होता है उतना औरों में भी भर सकता है। ..." 01.03.1971
सकते हैं...
जैसे लौकिक रचना भी अगर अधिक रची जाती है तो उनको लायक नहीं बना सकते हैं। इसी रीति से संकल्पों की जो स्थापना करते हो वह बहुत अधिक करते हो।
संकल्पों की रचना जितनी कम उतनी पावरफुल होगी। जितनी रचना ज्यादा उतनी ही शक्तिहीन रचना होती है।
तो संकल्पों की सिद्धि प्राप्त करने के लिए पुरूषार्थ करना पड़े। व्यर्थ रचना बन्द करो। ..."
29.06.1971 कहा जायेगा...
जिसको अपने को बिज़ी रखना नहीं आता है वह बिज़नेसमैन के भी लायक नहीं कहा जायेगा।
यहाँ बिज़नेसमैन बनना अर्थात् अपनी भी कमाई और दूसरों की भी कमाई। इसके लिए अपने आप को एक सेकेण्ड भी फ्री नहीं रखना।
कौनसा नम्बर का बिज़नेसमैन हो? जितना यहाँ गैलप करेंगे उतना समझो अपना भविष्य के तख्त को भी गैलप करेंगे। ..."
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