16-09-2020 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

  • ''मीठे बच्चे - बाप आये हैं सबके दु:ख हर कर सुख देने, इसलिए तुम दु:ख हर्ता के बच्चे किसी को भी दु:ख मत दो''
  • प्रश्नः-
  • ऊंच पद पाने वाले बच्चों की मुख्य निशानी क्या होगी?
  • उत्तर:-
  • 1- वे सदा श्रीमत पर चलते रहेंगे।
  • 2- कभी हठ नहीं करेंगे।
  • 3- अपने को आपेही राजतिलक देने के लिए पढ़ाई पढ़कर गैलप करेंगे।
  • 4- अपने को कभी घाटा नहीं डालेंगे।
  • 5- सर्व प्रति रहमदिल और कल्याणकारी बनेंगे। उन्हें सर्विस का बहुत शौक होगा। 6- कोई भी तुच्छ काम नहीं करेंगे। लड़ेंगे-झगड़ेंगे नहीं।
  • गीत:- तूने रात गंवायी सो के...Listen
  • ओम् शान्ति।
  • रूहानी बच्चे रूहानी बाप के सामने बैठे हैं। अब इस भाषा को तो तुम बच्चे ही समझते हो और कोई नया समझ न सके।
  • ''हे रूहानी बच्चे'' ऐसे कभी कोई कह न सके।
  • कहने आयेगा ही नहीं।
  • तुम जानते हो हम रूहानी बाप के सामने बैठे हैं।
  • जिस बाप को यथार्थ रीति कोई भी जानते नहीं।
  • भल अपने को भाई-भाई भी समझते हैं, हम सब आत्मायें हैं।
  • बाप एक है परन्तु यथार्थ रीति नहीं जानते।
  • जब तक सम्मुख आकर समझें नहीं तब तक समझें भी कैसे?
  • तुम भी जब सम्मुख आते हो तब समझते हो।
  • तुम हो ब्राह्मण-ब्राह्मणियाँ।
  • तुम्हारा सरनेम ही है ब्रह्मा वंशी ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ।
  • शिव की तो सब आत्मायें हैं।
  • तुमको शिवकुमार व शिवकुमारी नहीं कहेंगे।
  • यह अक्षर रांग हो जाता।
  • कुमार हो तो कुमारी भी हो।
  • शिव की सब आत्मायें हैं।
  • कुमार-कुमारी तब कहा जाता जब मनुष्य के बच्चे बनते हैं।
  • शिव के बच्चे तो निराकारी आत्मायें हैं ही।
  • मूलवतन में सब आत्मायें ही रहती हैं, जिनको सालिग्राम कहा जाता है।
  • यहाँ आते हैं तो फिर कुमार और कुमारियाँ बनते हैं जिस्मानी।
  • वास्तव में तुम हो कुमार शिवबाबा के बच्चे।
  • कुमारियाँ और कुमार तब बनते जब शरीर में आते हो।
  • तुम बी.के. हो, इसलिए भाई-बहन कहलाते हो।
  • अभी इस समय तुमको नॉलेज मिली है।
  • तुम जानते हो बाबा हमको पावन बनाकर ले जायेंगे।
  • आत्मा जितना बाप को याद करेगी तो पवित्र बन जायेगी।
  • आत्मायें ब्रह्मा मुख से यह नॉलेज पढ़ती हैं।
  • चित्रों में भी बाप की नॉलेज क्लीयर है।
  • शिवबाबा ही हमको पढ़ाते हैं।
  • न कृष्ण पढ़ा सकते, न कृष्ण द्वारा बाप पढ़ा सकते हैं।
  • कृष्ण तो वैकुण्ठ का प्रिन्स है, यह भी तुम बच्चों को समझाना है।
  • कृष्ण तो स्वर्ग में अपने माँ-बाप का बच्चा होगा।
  • स्वर्गवासी बाप का बच्चा होगा, वो वैकुण्ठ का प्रिन्स है।
  • उनको भी कोई जानते नहीं।
  • कृष्ण जयन्ती पर अपने-अपने घरों में कृष्ण के लिए झूले बनाते हैं वा मन्दिरों में झूले बनाते हैं।
  • मातायें जाकर गोलक में पैसे डालती हैं, पूजा करती हैं।
  • आजकल क्राइस्ट को भी कृष्ण मिसल बनाते हैं।
  • ताज आदि पहनाकर माँ की गोद में देते हैं।
  • जैसे कृष्ण को दिखाते हैं।
  • अब कृष्ण और क्राइस्ट राशि तो एक ही है।
  • वो लोग कॉपी करते हैं। नहीं तो कृष्ण के जन्म और क्राइस्ट के जन्म में बहुत फ़र्क है।
  • क्राइस्ट का जन्म कोई छोटे बच्चे के रूप में नहीं होता है।
  • क्राइस्ट की आत्मा ने तो कोई में जाकर प्रवेश किया है।
  • विष से पैदा हो न सके।
  • आगे क्राइस्ट को कभी छोटा बच्चा नहीं दिखाते थे।
  • क्रॉस पर दिखाते थे। यह अभी दिखाते हैं।
  • बच्चे जानते हैं धर्म स्थापक को कोई ऐसे मार न सके, तो किसको मारा?
  • जिसमें प्रवेश किया, उनको दु:ख मिला।
  • सतोप्रधान आत्मा को दु:ख कैसे मिल सकता।
  • उसने क्या कर्म किये जो इतने दु:ख भोगे।
  • आत्मा ही सतोप्रधान अवस्था में आती है, सबका हिसाब-किताब चुक्तू होता है।
  • इस समय बाप सबको पावन बनाते हैं।
  • वहाँ से सतोप्रधान आत्मा आकर दु:ख भोग न सके।
  • आत्मा ही भोगती है ना।
  • आत्मा शरीर में है तो दु:ख होता है।
  • मुझे दर्द है-यह किसने कहा?
  • इस शरीर में कोई रहने वाला है।
  • वह कहते हैं परमात्मा अन्दर है तो ऐसे थोड़ेही कहेंगे-हमको दु:ख है।
  • सर्व में परमात्मा विराजमान है तो परमात्मा कैसे दु:ख भोगेगा।
  • यह आत्मा पुकारती है।
  • हे परमपिता परमात्मा हमारे दु:ख हरो, पारलौकिक बाप को ही आत्मा पुकारती है।
  • अभी तुम जानते हो बाप आया हुआ है, दु:ख हरने की युक्ति बता रहे हैं।
  • आत्मा शरीर के साथ ही एवर-हेल्दी वेल्दी बनती है।
  • मूलवतन में तो हेल्दी-वेल्दी नहीं कहेंगे। वहाँ कोई सृष्टि थोड़ेही है।
  • वहाँ तो है ही शान्ति।
  • शान्ति स्वधर्म में टिके हुए हैं।
  • अभी बाप आये हैं, सबके दु:ख हरकर सुख देने।
  • तो बच्चों को भी कहते हैं-तुम मेरे बने हो, किसको दु:ख नहीं देना।
  • यह लड़ाई का मैदान है, परन्तु गुप्त।
  • वह है प्रत्यक्ष।
  • यह जो गायन है-युद्ध के मैदान में जो मरेंगे वह स्वर्ग में जायेंगे, उसका अर्थ भी समझाना पड़े।
  • इस लड़ाई का महत्व देखो कितना है।
  • बच्चे जानते हैं उस लड़ाई में मरने से कोई स्वर्ग में जा न सके।
  • परन्तु गीता में भगवानुवाच है उनको मानेंगे तो सही ना।
  • भगवान ने किसको कहा?
  • उस लड़ाई वालों को कहा या तुमको कहा?
  • दोनों को कहा।
  • उन्हों को भी समझाया जाता है, अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।
  • यह सर्विस भी करनी है।
  • अब तुम स्वर्ग में अगर जाना चाहते हो तो पुरूषार्थ करो, लड़ाई में तो सब धर्म वाले हैं, सिक्ख भी हैं, वो तो सिक्ख धर्म में ही जायेंगे।
  • स्वर्ग में तो तब आ सकेंगे जब तुम ब्राह्मणों से आकर ज्ञान लें।
  • जैसे बाबा के पास आते थे तो बाबा समझाते थे-तुम लड़ाई करते शिवबाबा की याद में रहेंगे तो स्वर्ग में आ सकेंगे।
  • बाकी ऐसे नहीं कि स्वर्ग में राजा बनेंगे।
  • नहीं, जास्ती उन्हों को समझा भी नहीं सकते हो।
  • उनको थोड़ा ही ज्ञान समझाया जाता है।
  • लड़ाई में अपने इष्ट देवता को याद जरूर रखते हैं।
  • सिक्ख होगा तो गुरु गोविन्द की जय कहेंगे।
  • ऐसा कोई नहीं जो अपने को आत्मा समझ परमात्मा को याद करे।
  • बाकी हाँ जो बाप का परिचय लेंगे तो स्वर्ग में आ जायेंगे।
  • सबका बाप तो एक ही है - पतित-पावन।
  • वह पतितों को कहते हैं मुझे याद करने से तुम्हारे पाप कट जायेंगे और मैं जो सुखधाम स्थापन करता हूँ उसमें तुम आ जायेंगे।
  • लड़ाई में भी शिवबाबा को याद करेंगे तो स्वर्ग में आ जायेंगे।
  • उस युद्ध के मैदान की बात और है, यहाँ और है।
  • बाप कहते हैं ज्ञान का विनाश नहीं होता है।
  • शिवबाबा के बच्चे तो सब हैं।
  • अब शिवबाबा कहते हैं मामेकम् याद करने से तुम मेरे पास आ जायेंगे मुक्तिधाम।
  • फिर जो ज्ञान सिखाया जाता है वह पढ़ेंगे तो स्वर्ग की राजाई मिल जायेगी।
  • कितना सहज है, स्वर्ग में जाने का रास्ता सेकेण्ड में मिल जाता है।
  • हम आत्मा बाप को याद करती हैं, लड़ाई के मैदान में तो खुशी से जाना है।
  • कर्म तो करना ही है।
  • देश के बचाव के लिए सब कुछ करना पड़ता है।
  • वहाँ तो है ही एक धर्म।
  • मतभेद की कोई बात नहीं। यहाँ कितना मतभेद है।
  • पानी पर, जमीन पर झगड़ा।
  • पानी बन्द कर देते हैं, तो पत्थर मारने लग पड़ते हैं।
  • एक-दो को अनाज नहीं देते तो झगड़ा हो जाता है।
  • तुम बच्चे जानते हो हम अपना स्वराज्य स्थापन कर रहे हैं।
  • पढ़ाई से राज्य पाते हैं।
  • नई दुनिया जरूर स्थापन होनी है, नूँध है तो कितनी खुशी होनी चाहिए।
  • कोई भी चीज़ में लड़ने-झगड़ने की कोई बात नहीं।
  • रहना भी बहुत साधारण है।
  • बाबा ने समझाया है तुम ससुरघर जाते हो इसलिए अब वनवाह में हो।
  • सभी आत्मायें जायेंगी, शरीर थोड़ेही जायेंगे।
  • शरीर का अभिमान भी छोड़ देना है।
  • हम आत्मा हैं, 84 जन्म अब पूरे हुए हैं।
  • जो भी भारतवासी हों-बोलो भारत स्वर्ग था, अब तो कलियुग है।
  • कलियुग में अनेक धर्म हैं।
  • सतयुग में एक ही धर्म था।
  • भारत फिर से स्वर्ग बनना है।
  • समझते भी हैं भगवान आया हुआ है।
  • आगे चल भविष्य वाणी भी करते रहेंगे।
  • वायुमण्डल देखेंगे ना।
  • तो बाप बच्चों को समझाते हैं।
  • बाप तो सभी का है ना। सबका हक है।
  • बाप कहते हैं मैं आया हूँ और सबको कहता हूँ-मामेकम् याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।
  • अभी तो मनुष्य समझते हैं-कभी भी लड़ाई हो सकती है।
  • यह तो कल भी हो सकती है।
  • लड़ाई जोर भरने में देरी थोड़ेही लगती है।
  • परन्तु तुम बच्चे समझते हो अभी हमारी राजधानी स्थापन हुई नहीं है तो विनाश कैसे हो सकता है।
  • अजुन बाप का पैगाम ही चारों तरफ कहाँ दिया है।
  • पतित-पावन बाप कहते हैं मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
  • यह पैगाम सबके कानों पर जाना चाहिए।
  • भल लड़ाई लगे, बॉम्बस भी लग जाएं परन्तु तुमको निश्चय है कि हमारी राजधानी जरूर स्थापन होनी है, तब तक विनाश हो नहीं सकता।
  • विश्व में शान्ति कहते हैं ना।
  • विश्व में वार होगी तो विश्व को खत्म कर देंगे।
  • यह है विश्व विद्यालय, सारे विश्व को तुम नॉलेज देते हो।
  • एक ही बाप आकर सारे विश्व को पलटाते (परिवर्तन करते) हैं।
  • वो लोग तो कल्प की आयु ही लाखों वर्ष कह देते हैं।
  • तुम जानते हो इनकी आयु पूरे 5000 वर्ष है।
  • कहते हैं क्राइस्ट से 3 हज़ार वर्ष पहले हेविन था।
  • इस्लामी, बौद्धी आदि सबका हिसाब-किताब निकालते हैं।
  • उनसे पहले दूसरे कोई का नाम है नहीं।
  • तुम अंगे अक्षरे बता सकते हो।
  • तो तुमको कितना नशा रहना चाहिए।
  • झगड़े आदि की बात ही नहीं।
  • झगड़ते वह हैं जो निधनके होते हैं।
  • तुम अभी जो पुरूषार्थ करेंगे 21 जन्म के लिए प्रालब्ध बन जायेगी।
  • लड़ेंगे-झगड़ेंगे तो ऊंच पद भी नहीं मिलेगा।
  • सज़ायें भी खानी पड़ेगी।
  • कोई भी बात है, कुछ भी चाहिए तो बाप के पास आओ, गवर्मेन्ट भी कहती है ना तुम फैंसला अपने हाथ में नहीं उठाओ।
  • कोई कहते हैं हमको विलायत का बूट चाहिए।
  • बाबा कहेंगे बच्चे अभी तो वनवाह में हो।
  • वहाँ तुमको बहुत माल मिलेंगे।
  • बाप तो राइट ही समझायेंगे ना कि यह बात ठीक नहीं है।
  • यहाँ तुम यह आश क्यों रखते हो।
  • यहाँ तो बहुत सिम्पुल रहना चाहिए।
  • नहीं तो देह-अभिमान आ जाता है, इसमें अपनी नहीं चलानी होती है, बाबा जो कहे, बीमारी आदि है डॉक्टर आदि को भी बुलाते हैं, दवाई आदि से सम्भाल तो सबकी होती है।
  • फिर भी हर बात में बाप बैठा है।
  • श्रीमत तो श्रीमत है ना।
  • निश्चय में विजय है।
  • वो तो सब कुछ समझते हैं ना।
  • बाप की राय पर चलने में ही कल्याण है।
  • अपना भी कल्याण करना है।
  • कोई को वर्थ पाउण्ड बना नहीं सकते हैं तो वर्थ नाट ए पेनी ठहरे ना।
  • पाउण्ड बनने लायक नहीं।
  • यहाँ वैल्यु नहीं तो वहाँ भी वैल्यु नहीं रहेगी।
  • सर्विसएबुल बच्चों को सर्विस का कितना शौक रहता है।
  • चक्र लगाते रहते हैं। सर्विस नहीं करते तो उनको रहमदिल, कल्याणकारी कुछ भी नहीं कहेंगे।
  • बाबा को याद नहीं करते तो तुच्छ काम करते रहेंगे।
  • पद भी तुच्छ पायेंगे।
  • ऐसे नहीं, हमारा तो शिवबाबा से योग है।
  • यह तो है ही बी.के.। शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा ही ज्ञान दे सकते हैं।
  • सिर्फ शिवबाबा को याद करेंगे तो मुरली कैसे सुनेंगे फिर नतीजा क्या होगा?
  • पढ़ेंगे नहीं तो पद क्या पायेंगे।
  • यह भी जानते हैं सबकी तकदीर ऊंच नहीं बनती है।
  • वहाँ भी तो नम्बरवार पद होंगे।
  • पवित्र तो सबको होना है। आत्मा पवित्र बनने बिगर शान्तिधाम जा नहीं सकती।
  • बाप समझाते हैं तुम सबको यह ज्ञान सुनाते चलो, कोई भल अभी नहीं भी सुनते हैं, आगे चलकर जरूर सुनेंगे।
  • अभी कितने भी विघ्न, तूफान ज़ोर से आयें-तुम्हें डरना नहीं है क्योंकि नये धर्म की स्थापना होती है ना।
  • तुम गुप्त राजधानी स्थापन कर रहे हो।
  • बाबा सर्विसएबुल बच्चों को देखकर खुश होते हैं।
  • तुम्हें अपने को आपेही राजतिलक देना है, श्रीमत पर चलना है।
  • इसमें अपना हठ चल न सके।
  • मुफ्त अपने को घाटे में नहीं डालना चाहिए।
  • बाप कहते हैं-बच्चे, सर्विसएबुल और कल्याणकारी बनो।
  • स्टूडेन्ट को टीचर कहेंगे ना, पढ़कर गैलप करो। तुमको 21 जन्मों के लिए स्वर्ग की स्कालरशिप मिलती है।
  • डिनायस्टी में जाना यही बड़ी स्कालरशिप है।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
    • 1) संगम पर बहुत सिम्पुल साधारण रहना है क्योंकि यह वनवाह में रहने का समय है।
    • यहाँ कोई भी आश नहीं रखनी है।
    • कभी अपने हाथ में लॉ नहीं लेना है।
    • लड़ना-झगड़ना नहीं है।
    • 2) विनाश के पहले नई राजधानी स्थापन करने के लिए सबको बाप का पैगाम देना है कि बाप कहते हैं मुझे याद करो तो विकर्म विनाश हों और तुम पावन बनो।
  • वरदान:-
    • बाप द्वारा सफलता का तिलक प्राप्त करने वाले सदा आज्ञाकारी, दिलतख्तनशीन भव भाग्य विधाता बाप रोज़ अमृतवेले अपने आज्ञाकारी बच्चों को सफलता का तिलक लगाते हैं।
    • आज्ञाकारी ब्राह्मण बच्चे कभी मेहनत वा मुश्किल शब्द मुख से तो क्या संकल्प में भी नहीं ला सकते हैं।
    • वह सहजयोगी बन जाते हैं इसलिए कभी भी दिलशिकस्त नहीं बनो लेकिन सदा दिलतख्तनशीन बनो, रहमदिल बनो।
    • अहम भाव और वहम भाव को समाप्त करो।
  • स्लोगन:-
    • विश्व परिवर्तन की डेट नहीं सोचो, स्वयं के परिवर्तन की घड़ी निश्चित करो।