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ओम् शान्ति। रूहानी बाप रूहानी बच्चों को समझा रहे हैं,
पढ़ाई माना समझ।
- तुम बच्चे समझते हो यह पढ़ाई बहुत
सहज और बहुत ऊंची है और बहुत ऊंच पद देने वाली है।
- यह सिर्फ तुम बच्चे ही जानते हो कि यह पढ़ाई हम विश्व
का मालिक बनने के लिए पढ़ रहे हैं।
- तो पढ़ने वालों को
बहुत खुशी होनी चाहिए।
- कितनी ऊंची पढ़ाई है!
- यह वही
गीता एपीसोड भी है।
- संगमयुग भी है।
- तुम बच्चे अब जगे
हो, बाकी सब सोये पड़े हैं।
- गायन भी है माया की नींद में
सोये पड़े हैं।
- तुमको बाबा ने आकर जगाया है।
- सिर्फ एक
बात पर समझाते हैं - मीठे बच्चे, याद की यात्रा के बल
से तुम सारे विश्व पर राज्य करो।
- जैसे कल्प पहले किया
था।
- यह स्मृति बाप दिलाते हैं।
- बच्चे भी समझते हैं हमें
स्मृति आई - कल्प-कल्प हम इस योगबल से विश्व का
मालिक बनते हैं और फिर दैवीगुण भी धारण किये हैं।
- योग पर ही पूरा ध्यान देना है।
- इस योगबल से तुम बच्चों
में ऑटोमेटिकली दैवीगुण आ जाते हैं।
- बरोबर यह इम्तहान
है ही मनुष्य से देवता बनने का।
- तुम यहाँ आये हो
योगबल से मनुष्य से देवता बनने के लिए।
- और यह भी
जानते हो कि हमारे योगबल से सारा विश्व पवित्र होना है।
- पवित्र था, अब अपवित्र बना है।
- सारे चक्र के राज़ को तुम
बच्चों ने समझा है और दिल में भी है।
- भल कोई नया हो
तो भी यह बातें बहुत सहज हैं समझने की।
- तुम देवता
पूज्य थे, फिर पुजारी तमोप्रधान बने और कोई ऐसे बतला
भी न सके।
- बाप क्लीयर बताते हैं वह है भक्ति मार्ग, यह
है ज्ञान मार्ग।
- भक्ति पास्ट हो गई।
- पास्ट की बात चितवो
नहीं।
- वो तो गिरने की बात है।
- बाप अब चढ़ने की बातें
सुना रहे हैं।
- बच्चे भी जानते हैं - हमको दैवीगुण धारण
करने है जरूर।
- रोज़ चार्ट लिखना चाहिए - हम कितना
समय याद में रहते हैं?
- हमारे से क्या क्या भूलें हुई?
- भूल
की भारी चोट भी लगती है, उस पढ़ाई में भी कैरेक्टर्स
देखे जाते हैं।
- इसमें भी कैरेक्टर देखा जाता है।
- बाप तो
तुम्हारे कल्याण के लिए ही कहते हैं।
- उसमें भी रजिस्टर
रखते हैं - पढ़ाई का और कैरेक्टर का।
- यहाँ भी बच्चों का
दैवी कैरेक्टर बनाना है।
- भूल न हो, यह सम्भाल करनी है।
- मेरे से कोई भूल तो नहीं हुई?
- इसलिए कचहरी भी करते
हैं।
- और कोई स्कूल आदि में कचहरी नहीं होती।
- अपने
दिल से पूछना है।
- बाप ने समझाया है माया के कारण
कुछ-न-कुछ अवज्ञायें होती रहती हैं।
- शुरू में भी कचहरी
होती थी।
- बच्चे सच बताते थे।
- बाप समझाते रहते हैं -
अगर सच न बताया तो वह भूलें वृद्धि को पाती रहेंगी।
- उल्टा और भूल का दण्ड मिल जाता है।
- भूल न बताने से
फिर ऩाफरमानबरदार का टीका लग जाता है।
- फिर राजाई
का तिलक मिल न सके।
- आज्ञा नहीं मानते हैं, बेव़फादार
बनते हैं तो राजाई पा नहीं सकते।
- सर्जन भिन्न-भिन्न
प्रकार से समझाते रहते हैं।
- सर्जन से अगर बीमारी
छिपायेंगे तो पद भी कम हो जायेगा।
- सर्जन को बताने से
कोई मार तो नहीं पड़ती है ना।
- बाप सिर्फ कहेंगे सावधान।
- फिर अगर ऐसी भूल करेंगे तो नुकसान को पायेंगे।
- पद
बहुत कम हो जायेगा।
- वहाँ तो नैचुरल दैवी चलन होगी।
- यहाँ पुरूषार्थ करना है।
- घड़ी-घड़ी फेल नहीं होना है।
- बाप
कहते हैं - बच्चे, जास्ती भूल न करो।
- बाप बहुत प्यार का
सागर है।
- बच्चों को भी बनना है।
- यथा बाप तथा बच्चे।
- यथा राजा रानी तथा प्रजा।
- बाबा तो राजा है नहीं।
- तुम
जानते हो बाबा हमको आप समान बनाते हैं।
- बाप की जो
महिमा करते हैं, वह तुम्हारी भी होनी चाहिए।
- बाबा समान
बनना है।
- माया बड़ी प्रबल है, तुमको रजिस्टर रखने नहीं
देती है।
- माया के फँदे में तो पूरे फँसे हुए हो।
- माया की
जेल से तुम निकल नहीं सकते हो।
- सच बताते नहीं हो।
- तो बाप कहते हैं एक्यूरेट याद का चार्ट रखो।
- सुबह को उठ
बाबा को याद करो।
- बाप की ही महिमा करो।
- बाबा, आप
हमको विश्व का मालिक बनाते हो तो हम आपकी महिमा
करेंगे।
- भक्ति मार्ग में कितनी महिमा गाते हैं, उनको तो
कुछ भी पता नहीं।
- देवताओं की महिमा है नहीं।
- महिमा है
तुम ब्राह्मणों की।
- सबको सद्गति देने वाला भी एक बाप
है।
- वह क्रियेटर भी है, डायरेक्टर भी है।
- सर्विस भी करते
हैं और बच्चों को समझाते भी हैं।
- प्रैक्टिकल में कहते हैं।
- वो तो सिर्फ भगवानुवाच सुनते रहते हैं शास्त्रों से।
- गीता
पढ़ते आते हैं फिर उनसे मिलता क्या है?
- कितना प्रेम से
बैठ पढ़ते हैं, भक्ति करते हैं, पता नहीं पड़ता कि इनसे
क्या होगा!
- यह नहीं जानते कि हम नीचे ही सीढ़ी उतर रहे
हैं।
- दिन-प्रतिदिन तमोप्रधान बनना ही है।
- ड्रामा में नूँध ही
ऐसी है।
- इस सीढ़ी का राज़ सिवाए बाप के कोई समझा न
सके।
- शिवबाबा ही ब्रह्मा द्वारा समझाते हैं।
- यह भी इनसे
समझकर फिर तुमको समझाते हैं।
- मूल बड़ा टीचर, बड़ा
सर्जन तो बाप ही है।
- उनको ही याद करना है।
- ऐसे नहीं
कहते कि ब्राह्मणी को याद करो।
- याद तो एक की रखनी
है।
- कभी भी किसी के साथ मोह नहीं रखना है।
- एक बाप
से ही शिक्षा लेनी है।
- निर्मोही भी बनना है।
- इसमें बड़ी
मेहनत चाहिए।
- सारी पुरानी दुनिया से वैराग्य।
- यह तो
ख़त्म हुई पड़ी है।
- इसमें लव वा आसक्ति कुछ भी नहीं।
- कितने बड़े-बड़े मकान आदि बनाते रहते हैं।
- उन्हों को यह
भी पता नहीं कि यह पुरानी दुनिया बाकी कितना समय
है।
- तुम बच्चे अब जगे हो औरों को भी जगाते हो।
- बाप
आत्माओं को ही जगाते हैं, घड़ी-घड़ी कहते हैं अपने को
आत्मा समझो।
- शरीर समझते हो तो जैसे सोये पड़े हो।
- अपने को आत्मा समझो और बाप को भी याद करो।
- आत्मा पतित है तो शरीर भी पतित मिलता है।
- आत्मा
पावन तो शरीर भी पावन मिलता है।
- बाप समझाते हैं तुम ही इस देवी-देवता घराने के थे।
- फिर
तुम ही बन जायेंगे।
- कितना सहज है।
- ऐसे बेहद के बाप
को हम क्यों नहीं याद करेंगे।
- सुबह उठकर भी बाप को
याद करो।
- बाबा आपकी तो कमाल है, आप हमको कितना
ऊंच देवी-देवता बनाकर फिर निर्वाणधाम में बैठ जाते हो।
- इतना ऊंच तो कोई बना न सके।
- आप कितना सहज कर
बतलाते हो।
- बाप कहते हैं - जितना टाइम मिले, कामकाज
करते हुए भी बाप को याद कर सकते हो।
- याद ही तुम्हारा
बेड़ा पार करने वाली है अर्थात् कलियुग से उस पार
शिवालय में ले जाने वाली है।
- शिवालय को भी याद करना
है, शिवबाबा का स्थापन किया हुआ स्वर्ग - तो दोनों की
याद आती है।
- शिवबाबा को याद करने से हम स्वर्ग के
मालिक बनेंगे।
- यह पढ़ाई है ही नई दुनिया के लिए।
- बाप
भी नई दुनिया स्थापन करने आते हैं।
- जरूर बाप आकर
कोई तो कर्तव्य करेंगे ना।
- तुम देखते भी हो मैं पार्ट बजा
रहा हूँ, ड्रामा के प्लैन अनुसार।
- तुम बच्चों को 5 हज़ार
वर्ष पहले वाली याद की यात्रा और आदि-मध्य-अन्त का
राज़ बताता हूँ।
- तुम जानते हो हर 5 हज़ार वर्ष के बाद
बाबा हमारे सम्मुख आता है।
- आत्मा ही बोलती है, शरीर
नहीं बोलेगा।
- बाप बच्चों को शिक्षा देते हैं - आत्मा को ही
प्योर बनाना है।
- आत्मा को एक बार ही प्योर होना होता
है।
- बाबा कहते हैं मैंने अनेक बार तुमको पढ़ाया फिर भी
पढ़ाऊंगा।
- ऐसे कोई सन्यासी कह न सके।
- बाप ही कहते हैं
- बच्चे, मैं ड्रामा के प्लैन अनुसार पढ़ाने आया हूँ।
- फिर 5
हज़ार वर्ष के बाद ऐसे ही आकर पढ़ाऊंगा, जैसे कल्प
पहले तुमको पढ़ाकर राजधानी स्थापन की थी, अनेक बार
तुमको पढ़ाकर राजाई स्थापन की है।
- यह कितनी
वण्डरफुल बातें बाप समझाते हैं।
- श्रीमत कितनी श्रेष्ठ है।
- श्रीमत से ही हम विश्व के मालिक बनते हैं।
- बहुत-बहुत
बड़ा मर्तबा है!
- कोई को बड़ी लॉटरी मिलती है तो माथा
खराब हो जाता है।
- कोई चलते-चलते होपलेस हो जाते हैं।
- हम पढ़ नहीं सकते।
- हम विश्व की बादशाही कैसे लेंगे।
- तुम बच्चों को बहुत खुशी होनी चाहिए।
- बाबा कहते हैं
अतीन्द्रिय सुख और खुशी की बातें मेरे बच्चों से पूछो।
- तुम जाते हो सबको खुशी की बातें सुनाने।
- तुम ही विश्व
के मालिक थे फिर 84 जन्म भोग गुलाम बने हो।
- गाते
भी हैं मैं गुलाम, मैं गुलाम तेरा।
- समझते हैं अपने को
नीच कहना, छोटा होकर चलना अच्छा है।
- देखो, बाप कौन
है!
- उनको कोई जानते नहीं।
- उनको भी सिर्फ तुमने जाना
है।
- बाबा कैसे आकर सबको बच्चा-बच्चा कह समझाते हैं।
- यह आत्मा और परमात्मा का मेला है।
- उनसे हमको स्वर्ग
की बादशाही मिलती है।
- बाकी गंगा स्नान आदि करने से
कोई स्वर्ग की राजाई नहीं मिलती।
- गंगा स्नान तो बहुत
बार किया।
- यूँ तो पानी सागर से आता है परन्तु यह
बरसात कैसे पड़ती है, इनको भी कुदरत कहेंगे।
- इस समय
बाप तुमको सब कुछ समझाते हैं।
- धारणा भी आत्मा ही
करती है, न कि शरीर।
- तुम फील करते हो बरोबर बाबा ने
हमको क्या से क्या बना दिया है!
- अब बाप कहते हैं -
बच्चे, अपने पर रहम करो।
- कोई अवज्ञा न करो।
- देह-अभिमानी मत बनो।
- मुफ्त अपना पद कम कर देंगे।
- टीचर तो समझायेंगे ना।
- तुम जानते हो बाप बेहद का
टीचर है।
- दुनिया में कितनी ढेर भाषायें हैं।
- कोई भी चीज
छपती है तो सब भाषाओं में छपानी चाहिए।
- कोई लिटरेचर
छपाते हो तो सबको एक-एक कापी भेज दो।
- एक-एक
कॉपी लाइब्रेरी में भेज देनी चाहिए।
- खर्चे की बात नहीं।
- बाबा का भण्डारा बहुत भर जायेगा।
- पैसा अपने पास
रखकर क्या करेंगे।
- घर तो नहीं ले जायेंगे।
- अगर कुछ घर
ले जायें तो परमात्मा के यज्ञ की चोरी हो जाये।
- तोबां-तोबां, ऐसी बुद्धि शल किसकी न हो।
- परमात्मा के
यज्ञ की चोरी!
- उन जैसा महान् पाप आत्मा कोई हो न
सके।
- कितनी अधमगति हो जाती है।
- बाप कहते हैं यह
सब ड्रामा में पार्ट है।
- तुम राजाई करेंगे वह तुम्हारे सर्वेन्ट
बनेंगे।
- सर्वेन्ट बिगर राजाई कैसे चलेगी!
- कल्प पहले भी
ऐसे ही स्थापना हुई थी।
- अब बाप कहते हैं - अपना कल्याण करना चाहते हो तो
श्रीमत पर चलो।
- दैवीगुण धारण करो।
- क्रोध करना दैवीगुण
नहीं है।
- वह आसुरी गुण हो जाता है।
- कोई क्रोध करे तो
चुप कर देना चाहिए।
- रेसपान्स नहीं करना चाहिए।
- हर
एक की चलन से समझ सकते हैं, अवगुण तो सबमें हैं।
- जब कोई क्रोध करते हैं तो उनकी शक्ल तांबे जैसी हो
जाती है।
- मुख से बाम चलाते हैं।
- अपना ही नुकसान कर
देते हैं।
- पद भ्रष्ट हो जायेगा।
- समझ होनी चाहिए।
- बाप
कहते हैं जो पाप कर्म करते हो, वह लिख दो।
- बाबा को
बताने से माफ हो जायेगा।
- बोझ हल्का हो जायेगा।
- जन्म-जन्मान्तर से तुम विकार में जाने लगे हो।
- इस
समय तुम कोई पाप कर्म करेंगे तो सौगुणा हो जायेगा।
- बाप के आगे भूल की तो सौगुणा दण्ड पड़ जायेगा।
- किया
और बताया नहीं तो और ही वृद्धि हो जायेगी।
- बाप तो
समझायेंगे कि अपने को नुकसान नहीं पहुँचाओ।
- बाप
बच्चों की बुद्धि सालिम (अच्छी) बनाने आये हैं।
- जानते हैं
यह कैसा पद पायेंगे।
- वह भी 21 जन्मों की बात है।
- जो
सर्विसएबुल बच्चे हैं, उनका स्वभाव बहुत मीठा चाहिए।
- कोई झट बाप को बतलाते हैं - बाबा यह भूल हुई।
- बाबा
खुश होते हैं।
- भगवान् खुश हुआ तो और क्या चाहिए।
- यह
तो बाप टीचर गुरू तीनों ही है।
- नहीं तो तीनों ही नाराज़
होंगे।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का
याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों
को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) श्रीमत पर चल अपनी बुद्धि सालिम (अच्छी) रखनी है।
- कोई भी अवज्ञा नहीं करनी है।
- क्रोध में आकर मुख से
बाम नहीं निकालना है, चुप रहना है।
- 2) दिल से एक बाप की महिमा करनी है।
- इस पुरानी
दुनिया से आसक्ति वा प्यार नहीं रखना है।
- बेहद का
वैरागी और निर्मोही बनना है।
- वरदान:- (Blessings of 2021)
- स्लोगन:-
- सम्पूर्ण सत्यता ही पवित्रता का आधार है।
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