- ओम् शान्ति। रूहानी बाप रूहानी बच्चों को बैठ समझाते
हैं।
- रूहानी बाप की महिमा तो बच्चों को सुनाई है।
- वह
ज्ञान का सागर, सत-चित-आनंद स्वरूप है।
- शान्ति का
सागर है।
- उनको सब बेहद की शिफ्तें दी जाती हैं।
- अब
बाप है ज्ञान का सागर।
- और इस समय जो भी मनुष्य हैं
सब जानते हैं हम भक्ति के सागर हैं।
- भक्ति में जो
सबसे तीखा होता है उनको मान मिलता है।
- इस समय
कलियुग में है भक्ति, दु:ख।
- सतयुग में है ज्ञान का सुख।
- ऐसे नहीं कि वहाँ ज्ञान है।
- तो यह महिमा सिर्फ एक ही
बाप की है और बच्चों की महिमा भी है क्योंकि बाप बच्चों
को पढ़ाते हैं अथवा यात्रा सिखलाते हैं।
- बाप ने समझाया है
दो यात्रायें हैं।
- भक्त लोग तीर्थ करते हैं, चारों तरफ चक्र
लगाते हैं।
- तो जितना टाइम चारों तरफ चक्र लगाते हैं,
उतना टाइम विकार में नहीं जाते हैं।
- शराब आदि छी-छी
कोई चीज़ नहीं खाते पीते हैं।
- कभी बद्रीनाथ, कभी काशी
चक्र लगाते हैं।
- भक्ति करते हैं भगवान की।
- अब भगवान
तो एक होना चाहिए ना।
- सब तरफ तो चक्र नहीं लगाना
चाहिए ना!
- शिवबाबा के तीर्थ का भी चक्र लगाते हैं।
- सबसे
बड़ा बनारस का तीर्थ गाया हुआ है, जिसको शिव की पुरी
कहते हैं।
- चारों तरफ जाते हैं परन्तु जिनका दर्शन करने
जाते हैं अथवा जिनकी भक्ति करते हैं, उनकी बायोग्राफी,
आक्यूपेशन का किसको पता नहीं इसलिए उनको कहा
जाता है अन्धश्रद्धा।
- किसकी पूजा करना, माथा टेकना और
उनकी जीवन कहानी को न जानना, उसको कहा जाता है
ब्लाइन्डफेथ।
- घर में भी मनाते हैं, देवियों की कितनी पूजा
करते हैं, मिट्टी की वा पत्थर की देवियां बनाए उनको बहुत
श्रृंगारते हैं।
- समझो लक्ष्मी का चित्र बनाते हैं, उनसे पूछो
इनकी बायोग्राफी बताओ तो कहेंगे सतयुग की महारानी
थी।
- त्रेता की फिर सीता थी।
- बाकी इन्होंने कितना समय
राज्य किया, लक्ष्मी-नारायण का राज्य कब से कब तक
चला, यह कोई भी जानते नहीं।
- मनुष्य भक्ति मार्ग में
यात्रा पर जाते हैं, यह सब हैं भगवान से मिलने के उपाय।
- शास्त्र पढ़ना यह भी उपाय है भगवान से मिलने लिए।
- परन्तु भगवान है कहाँ?
- कहेंगे वह तो सर्वव्यापी है।
- अभी तुम जानते हो पढ़ाई से हम यह (देवी-देवता) बनते
हैं।
- बाप खुद आकर पढ़ाते हैं, जिसके मिलने लिए
आधाकल्प भक्ति मार्ग चलता है।
- कहते हैं बाबा पावन
बनाओ और अपना परिचय भी दो कि आप हैं कौन?
- बाबा
ने समझाया है कि तुम आत्मा बिन्दी हो, आत्मा को ही यहाँ शरीर मिला हुआ है, इसलिए यहाँ कर्म करती है।
- देवताओं के लिए कहेंगे कि यह सतयुग में राज्य करके
गये हैं।
- क्रिश्चियन लोग तो समझते हैं बरोबर गॉड फादर
ने पैराडाइज़ स्थापन किया।
- हम उसमें नहीं थे।
- भारत में
पैराडाइज़ था, उन्हों की बुद्धि फिर भी अच्छी है।
- भारतवासी सतोप्रधान भी बनते हैं तो फिर तमोप्रधान भी
बनते हैं।
- वह (क्रिश्चियन लोग) इतना सुख नहीं देखते तो दु:ख भी इतना
नहीं देखते हैं।
- अभी पिछाड़ी के क्रिश्चियन लोग कितना
सुखी हैं।
- पहले तो वह गरीब थे।
- पैसा तो मेहनत से
कमाया जाता है ना।
- पहले एक क्राइस्ट आया, फिर उनका
धर्म स्थापन होता है, वृद्धि होती जाती है।
- एक से दो, दो
से चार..... फिर ऐसे वृद्धि होती जाती है।
- अभी देखो
क्रिश्चियन का झाड़ कितना हो गया है।
- फाउण्डेशन है -
देवी-देवता घराना।
- वह फिर यहाँ इस समय स्थापन होता
है।
- पहले एक ब्रह्मा फिर ब्राह्मणों की एडाप्टेड सन्तान
वृद्धि को पाते हैं।
- बाप पढ़ाते हैं तो बहुत ढेर ब्राह्मण हो
जाते हैं।
- पहले तो यह एक था ना।
- एक से कितनी वृद्धि
हुई है।
- कितनी होने की है।
- जितने सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी
देवतायें थे, उतने सब बनने के हैं।
- पहले है एक बाप,
उनकी आत्मा तो है ही।
- बाप की हम आत्मायें सन्तान
कितनी हैं?
- हम सब आत्माओं का बाप एक अनादि है।
- फिर सृष्टि का चक्र फिरता रहता है।
- सब मनुष्य तो सदैव
नहीं हैं ना।
- आत्माओं को भिन्न-भिन्न पार्ट बजाना है।
- इस झाड़ का पहले-पहले थुर है देवी-देवताओं का, फिर
उनसे ट्युब्स निकली हैं।
- तो बाप बैठ बच्चों को समझाते
हैं - बच्चों, मैं आकरके क्या करता हूँ?
- आत्मा में ही
धारणा होती है।
- बाप बैठ सुनाते हैं - मैं आया कैसे?
- तुम
सब बच्चे जबकि पतित बने हो तो याद करते हो।
- सतयुग-त्रेता में तो तुम सुखी थे तो याद नहीं करते थे।
- द्वापर के बाद जब दु:ख जास्ती हुआ है तब पुकारा है - हे
परमपिता परमात्मा बाबा।
- हाँ बच्चों, सुना।
- क्या चाहते
हो?
- बाबा आकर पतितों को पावन बनाओ।
- बाबा हम बहुत
दु:खी, पतित हैं।
- हमको आकर पावन बनाओ।
- कृपा करो,
आशीर्वाद करो।
- तुमने मुझे पुकारा है - बाबा, आकर पतितों
को पावन बनाओ।
- पावन सतयुग को कहा जाता है।
- यह
भी बाप खुद बैठ बतलाते हैं।
- ड्रामा के प्लैन अनुसार जब
संगमयुग होता है, सृष्टि पुरानी होती है तब मैं आता हूँ।
- तुम समझते हो संन्यासी भी दो प्रकार के हैं।
- वह हैं
हठयोगी, उनको राजयोगी नहीं कहा जाता।
- उन्हों का है
हद का संन्यास।
- घरबार छोड़ जाए जंगल में रहते हैं।
- गुरूओं के फालोअर्स बनते हैं।
- गोपीचन्द राजा के लिए भी
एक कथा सुनाते हैं।
- उसने कहा तुम घरबार क्यों छोड़ते
हो?
- कहाँ जाते हो?
- शास्त्रों में बहुत कुछ कहानियां हैं।
- अभी तुम बी.के. राजाओं को भी जाकर ज्ञान और योग
सिखलाते हो।
- एक अष्टापा गीता भी है, जिसमें दिखाते हैं
- राजा को वैराग्य आया, बोला हमको कोई परमात्मा से
मिलाये।
- ढिंढोरा पिटवाया।
- वह यही समय है।
- तुम जाकर
राजाओं को ज्ञान देते हो ना, बाप से मिलाने लिए।
- जैसे
तुम मिले हो तो औरों को भी मिलाने की कोशिश करते
हो।
- तुम कहते हो हम तुमको स्वर्ग का मालिक बनायेंगे,
मुक्ति-जीवनमुक्ति देंगे।
- फिर उनको बोलो शिवबाबा को
याद करो, और कोई को नहीं।
- तुम्हारे पास भी शुरू में
बैठे-बैठे एक-दो को देखते ध्यान में चले जाते थे ना।
- बड़ा
वन्डर लगता था।
- बाप था ना इनमें, तो वह चमत्कार
दिखाते थे।
- सबकी रस्सी खींच लेते थे।
- बापदादा इकट्ठे हो
गये ना।
- कब्रिस्तान बनाते थे।
- सब बाप की याद में सो
जाओ।
- सब ध्यान में चले जाते थे।
- यह सब शिवबाबा की
चतुराई थी।
- इसको फिर कई जादू समझने लगे।
- यह था
शिवबाबा का खेल।
- बाप जादूगर, सौदागर, रत्नागर है ना।
- धोबी भी है, सोनार भी है, वकील भी है।
- सबको रावण की
जेल से छुड़ाते हैं।
- उनको ही सब बुलाते हैं - हे
पतित-पावन, हे दूरदेश के रहने वाले....... हमको आकर
पावन बनाओ।
- आओ भी पतित दुनिया में, पतित शरीर में
आकर हमको पावन बनाओ।
- अभी तुम उनका भी अर्थ
समझते हो।
- बाप आकर बतलाते हैं तुम बच्चों ने रावण के
देश में हमको बुलाया है, मैं तो परमधाम में बैठा था।
- स्वर्ग स्थापन करने के लिए मुझे नर्क रावण के देश में
बुलाया कि अब सुखधाम में ले चलो।
- अभी तुम बच्चों को
ले चलते हैं ना।
- तो यह है ड्रामा।
- मैंने जो तुमको राज्य
दिया था वह पूरा हुआ फिर द्वापर से रावण राज्य चला
है।
- 5 विकारों में गिरे, उनके फिर चित्र भी हैं जगन्नाथपुरी
में।
- पहले नम्बर में जो था वही फिर 84 जन्म ले अब
पिछाड़ी में है फिर उनको ही पहले नम्बर में जाना है।
- यह
ब्रह्मा बैठा है, विष्णु भी बैठा है।
- इनका आपस में क्या
कनेक्शन है?
- दुनिया में कोई नहीं जानते।
- ब्रह्मा-सरस्वती
भी असुल में सतयुग के मालिक लक्ष्मी-नारायण थे।
- अभी
नर्क के मालिक हैं।
- अभी यह तपस्या कर रहे हैं - यह
लक्ष्मी-नारायण बनने के लिए।
- देलवाड़ा मन्दिर में पूरा
यादगार है।
- बाप भी यहाँ ही आये हैं इसलिए अब लिखते
भी हैं - आबू सर्व तीर्थों में, सब धर्मों के तीर्थों में मुख्य
तीर्थ है क्योंकि यहाँ ही बाप आकर सर्व धर्मों की सद्गति
करते हैं।
- तुम शान्तिधाम होकर फिर स्वर्ग में जाते हो।
- बाकी सब शान्तिधाम में चले जाते हैं।
- वह है जड़
यादगार, यह है चैतन्य।
- जब तुम चैतन्य में वह बन
जायेंगे तो फिर यह मन्दिर आदि सब खत्म हो जायेंगे।
- फिर भक्ति मार्ग में यह यादगार बनायेंगे।
- अभी तुम स्वर्ग
की स्थापना कर रहे हो।
- मनुष्य समझते हैं - स्वर्ग ऊपर
में है।
- अभी तुम समझते हो यही भारत स्वर्ग था, अभी
नर्क है।
- यह चक्र देखने से ही सारा ज्ञान आ जाता है।
- द्वापर से और और धर्म आते हैं तो अभी देखो कितने
धर्म हैं।
- यह है आइरन एज।
- अभी तुम संगम पर हो।
- सतयुग में जाने के लिए पुरुषार्थ करते हो।
- कलियुग में हैं
सब पत्थरबुद्धि।
- सतयुग में हैं पारसबुद्धि।
- तुम ही पारसबुद्धि
थे, तुम ही फिर पत्थरबुद्धि बने हो, फिर पारसबुद्धि बनना
है।
- अब बाप कहते हैं तुमने हमको बुलाया है तो मैं आया
हुआ हूँ और तुमको कहता हूँ - काम को जीतो तो
जगतजीत बनेंगे।
- मुख्य यह विकार ही है।
- सतयुग में हैं
सब निर्विकारी।
- कलियुग में हैं विकारी।
- बाप कहते हैं
बच्चे, अब निर्विकारी बनो।
- 63 जन्म विकार में गये हो।
- अब यह अन्तिम जन्म पवित्र बनो।
- अभी मरना भी
सबको है।
- मैं स्वर्ग स्थापन करने आया हूँ तो अब मेरी
श्रीमत पर चलो।
- मैं जो कहूँ वह सुनो।
- अभी तुम
पत्थरबुद्धि को पारसबुद्धि बनाने का पुरुषार्थ कर रहे हो।
- तुम ही पूरी सीढ़ी उतरते हो फिर चढ़ते हो।
- तुम जैसे
जिन्न हो।
- जिन्न की कहानी है ना - उसने बोला काम दो
तो राजा ने कहा अच्छा सीढ़ी उतरो और चढ़ो।
- बहुत
मनुष्य कहते हैं भगवान को क्या पड़ी थी जो सीढ़ी चढ़ाते
और उतारते हैं।
- भगवान को क्या हुआ जो ऐसी सीढ़ी
बनाई!
- बाप समझाते हैं यह अनादि खेल है।
- तुमने 5
हजार वर्ष में 84 जन्म लिए हैं।
- 5 हज़ार वर्ष तुमको नीचे
उतरने में लगे हैं फिर ऊपर में जाते हो सेकेण्ड में।
- यह है
तुम्हारे योगबल की लिफ्ट।
- बाप कहते हैं याद करो तो
तुम्हारे पाप कट जायेंगे।
- बाप आते हैं तो सेकेण्ड में तुम
ऊपर चढ़ जाते हो फिर नीचे उतरने में 5 हज़ार वर्ष लगे
हैं।
- कलायें कम होती जाती हैं।
- चढ़ने की तो लिफ्ट है।
- सेकेण्ड में जीवनमुक्ति।
- सतोप्रधान बनना है।
- फिर
आहिस्ते-आहिस्ते तमोप्रधान बनेंगे।
- 5 हज़ार वर्ष लगते हैं।
- अच्छा, फिर तमोप्रधान से सतोप्रधान बनना है एक जन्म
में।
- अभी जबकि मैं तुमको स्वर्ग की बादशाही देता हूँ तो
तुम पवित्र क्यों नहीं बनेंगे।
- परन्तु कामेशु, क्रोधेशु भी हैं
ना।
- विकार न मिलने से फिर स्त्री को मारते हैं, बाहर
निकाल देते हैं, आग लगा देते हैं।
- अबलाओं पर कितने
अत्याचार होते हैं।
- यह भी ड्रामा में नूंध है।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का
याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों
को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) जगत का मालिक बनने वा विश्व की बादशाही लेने के
लिए मुख्य काम विकार पर जीत पानी है।
- सम्पूर्ण
निर्विकारी जरूर बनना है।
- 2) जैसे हमें बाप मिला है ऐसे सबको बाप से मिलाने की
कोशिश करनी है।
- बाप की सही पहचान देनी है।
- सच्ची-सच्ची यात्रा सिखलानी है।
- वरदान:-
- All Blessings of 2021
- साइलेन्स की शक्ति द्वारा सेकण्ड में हर समस्या का हल
करने वाले एकान्तवासी भव
- जब कोई भी नई वा शक्तिशाली इन्वेन्शन करते हैं तो
अन्डरग्राउण्ड करते हैं।
- यहाँ एकान्तवासी बनना ही
अन्डरग्राउण्ड है।
- जो भी समय मिले, कारोबार करते भी,
सुनते-सुनाते, डायरेक्शन देते भी इस देह की दुनिया और
देह के भान से परे साइलेन्स में चले जाओ।
- यह अभ्यास
वा अनुभव करने कराने की स्टेज हर समस्या का हल कर
देगी, इससे एक सेकण्ड में किसी को भी शान्ति वा
शक्ति की अनुभूति करा देंगे।
- जो भी सामने आयेगा वह
इसी स्टेज में साक्षात्कार का अनुभव करेगा।
- स्लोगन:-
- All Slogans of 2021
- व्यर्थ संकल्प वा विकल्प से किनारा कर आत्मिक स्थिति
में रहना ही योगयुक्त बनना है।
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