- ओम् शान्ति। देखो, गीत में कहते हैं जीवन डोर तुम से बांधी।
- जैसे
कोई कन्या है, वह अपनी जीवन की डोर पति के साथ बांधती है।
- समझती है कि जीवन भर उनका ही साथी होकर रहना है।
- उनको ही
परवरिश करनी है।
- ऐसे नहीं कि कन्या को उनकी परवरिश करनी है।
- नहीं, जीवन तक उनको परवरिश करनी है।
- तुम बच्चों ने भी जीवन
डोर बांधी है।
- बेहद का बाप कहो, टीचर कहो, गुरू कहो जो कहो........
यह आत्माओं की जीवन की डोर परमात्मा के साथ बांधने की है।
- वह
है हद की स्थूल बात, यह है सूक्ष्म बात।
- कन्या के जीवन की डोर
पति के साथ बांधी जाती है।
- वह उनके घर जाती है।
- देखो, हर एक
बात समझने की बुद्धि चाहिए।
- कलियुग में हैं सब आसुरी मत की
बातें।
- तुम जानते हो हमने जीवन की डोर एक से बांधी है।
- तुम्हारा
कनेक्शन एक से है।
- एक से ही तोड़ निभाना है क्योंकि उनसे हमको
बहुत अच्छा सुख मिलता है।
- वह तो हमको स्वर्ग का मालिक बनाता
है।
- तो ऐसे बाप की श्रीमत पर चलना चाहिए।
- यह है रूहानी डोर।
- रूह
ही श्रीमत लेती है।
- आसुरी मत लेने से तो नीचे गिरे हैं।
- अब रूहानी
बाप की श्रीमत पर चलना चाहिए।
- तुम जानते हो हम अपनी आत्मा की डोर परमात्मा के साथ बांधते हैं,
तो हमें उनसे 21 जन्म सदा सुख का वर्सा मिलता है।
- उस अल्पकाल
की जीवन डोर से तो नीचे गिरते आये हैं।
- यह 21 जन्मों के लिए
गैरन्टी है।
- तुम्हारी कमाई कितनी जबरदस्त है, इसमें ग़फलत नहीं
करनी चाहिए।
- माया ग़फलत बहुत कराती है।
- इन लक्ष्मी-नारायण ने
जरूर कोई से जीवन डोर बांधी जिससे 21 जन्म का वर्सा मिला।
- तुम
आत्माओं की परमात्मा से जीवन डोर बांधी जाती है, कल्प-कल्प।
- उनकी तो गिनती नहीं।
- बुद्धि में बैठता है - हम शिवबाबा के बने हैं,
उनसे जीवन डोर बांधी है।
- हर एक बात बाप बैठ समझाते हैं।
- तुम
जानते हो कल्प पहले भी बांधी थी।
- अब शिव जयन्ती मनाते हैं परन्तु
किसकी मनाते हैं, पता नहीं है।
- शिवबाबा जो पतित-पावन है वह जरूर
संगम पर ही आयेगा।
- यह तुम जानते हो, दुनिया नहीं जानती है
इसलिए गाया हुआ है कोटों में कोऊ।
- आदि सनातन देवी-देवता धर्म
प्राय:लोप हो गया है और सब शास्त्र कहानियां आदि हैं।
- यह धर्म है ही
नहीं तो जाने कैसे।
- अभी तुम जीवन की डोर बांध रहे हो।
- आत्माओं
की परमात्मा के साथ डोर जुटी हुई है, इसमें शरीर की कोई बात नहीं
है।
- भल घर में बैठे रहो, बुद्धि से याद करना है।
- तुम आत्माओं की
जीवन डोर बांधी हुई है। पल्लव बांधते हैं ना।
- वह स्थूल पल्लव, यह है
आत्माओं का परमात्मा के साथ योग।
- भारत में शिव जयन्ती भी
मनाते हैं परन्तु वह कब आये थे, यह किसको भी पता नहीं है।
- कृष्ण
की जयन्ति कब, राम की जयन्ति कब है, यह नहीं जानते।
- बच्चे तुम
त्रिमूर्ति शिव जयन्ती अक्षर लिखते हो परन्तु इस समय तीन मूर्तियां
तो हैं नहीं।
- तुम कहेंगे शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा सृष्टि रचते हैं तो ब्रह्मा
साकार में जरूर चाहिए ना।
- बाकी विष्णु और शंकर इस समय कहाँ हैं,
जो तुम त्रिमूर्ति कहते हो।
- यह बहुत समझने की बातें हैं।
- त्रिमूर्ति का
अर्थ ही ब्रह्मा-विष्णु-शंकर है।
- ब्रह्मा द्वारा स्थापना वह तो इस समय
होती है। विष्णु द्वारा सतयुग में पालना होगी।
- विनाश का कार्य अन्त
में होना है।
- यह आदि सनातन देवी-देवता धर्म भारत का एक ही है।
- वह तो सब आते हैं धर्म स्थापन करने।
- हर एक जानता है यह धर्म
स्थापन किया और उनका संवत यह है।
- फलाने टाइम, फलाना धर्म
स्थापन किया।
- भारत का किसको पता नहीं है।
- गीता जयन्ती, शिव
जयन्ती कब हुई, किसको पता नहीं है।
- कृष्ण और राधे की आयु में 2
-3 वर्ष का फ़र्क होगा।
- सतयुग में जरूर पहले कृष्ण ने जन्म लिया
होगा फिर राधे ने।
- परन्तु सतयुग कब था, यह किसको पता नहीं है।
- तुमको भी समझने में बहुत वर्ष लगे हैं, तो दो दिन में कोई कहाँ तक
समझेंगे।
- बाप तो बहुत सहज बताते हैं, वह है बेहद का बाप, जरूर
उनसे सबको वर्सा मिलना चाहिए ना।
- ओ गॉड फादर कह याद करते
हैं।
- लक्ष्मी-नारायण का मन्दिर है।
- यह स्वर्ग में राज्य करते थे परन्तु
उनको यह वर्सा किसने दिया?
- जरूर स्वर्ग के रचयिता ने दिया होगा।
- परन्तु कब कैसे दिया, वह कोई नहीं जानते हैं।
- तुम बच्चे जानते हो
जब सतयुग था और कोई धर्म नहीं था।
- सतयुग में हम पवित्र थे,
कलियुग में हम पतित हैं।
- तो संगम पर ज्ञान दिया होगा, सतयुग में
नहीं।
- वहाँ तो प्रालब्ध है।
- जरूर अगले जन्म में ज्ञान लिया होगा।
- तुम
भी अब ले रहे हो।
- तुम जानते हो आदि सनातन देवी-देवता धर्म की
स्थापना बाप ही करेगा।
- कृष्ण तो सतयुग में था, उसको यह प्रालब्ध
कहाँ से मिली?
- लक्ष्मी-नारायण ही राधे-कृष्ण थे, यह कोई नहीं जानते
हैं।
- बाप कहते हैं जिन्होंने कल्प पहले समझा था वही समझेंगे।
- यह
सैपलिंग लगता है।
- मोस्ट स्वीटेस्ट झाड़ का कलम लगता है।
- तुम
जानते हो आज से 5 हज़ार वर्ष पहले भी बाप ने आकर मनुष्य से
देवता बनाया था।
- अभी तुम ट्रांसफर हो रहे हो।
- पहले ब्राह्मण बनना
है।
- बाजोली खेलते हैं तो चोटी जरूर आयेगी।
- बरोबर हम अभी ब्राह्मण
बने हैं।
- यज्ञ में तो जरूर ब्राह्मण चाहिए।
- यह शिव वा रूद्र का यज्ञ
है।
- रूद्र ज्ञान यज्ञ ही कहा जाता है।
- कृष्ण ने यज्ञ नहीं रचा।
- इस रूद्र
ज्ञान यज्ञ से विनाश ज्वाला प्रज्जवलित होती है।
- यह शिवबाबा का
यज्ञ पतितों को पावन बनाने के लिए है।
- रूद्र शिवबाबा निराकार है,
वह यज्ञ कैसे रचे।
- जब तक मनुष्य तन में न आये।
- मनुष्य ही यज्ञ
रचते हैं।
- सूक्ष्म वा मूल वतन में यह बातें नहीं होती।
- बाप समझाते हैं
यह संगमयुग है।
- जब लक्ष्मी-नारायण का राज्य था तो सतयुग था।
- अब फिर तुम यह बन रहे हो।
- यह जीवन की डोर आत्माओं की
परमात्मा के साथ है।
- यह डोर क्यों बांधी है?
- सदा सुख का वर्सा पाने
के लिए।
- तुम जानते हो बेहद के बाप द्वारा हम यह लक्ष्मी-नारायण
बनते हैं।
- बाप ने समझाया है तुम सो देवी-देवता धर्म के थे।
- तुम्हारा
राज्य था।
- पीछे तुम पुनर्जन्म लेते-लेते क्षत्रिय धर्म में आये।
- सूर्यवंशी
राजाई चली गई फिर चन्द्रवंशी आये।
- तुमको मालूम है हम यह चक्र
कैसे लगाते हैं।
- इतने-इतने जन्म लिए।
- भगवानुवाच - हे बच्चे, तुम
अपने जन्मों को नहीं जानते हो, मैं जानता हूँ।
- अब इस समय इस
तन में दो मूर्ति हैं।
- ब्रह्मा की आत्मा और शिव परम आत्मा।
- इस
समय दो मूर्ति इकट्ठी हैं - ब्रह्मा और शिव।
- शंकर तो कभी पार्ट में
आता नहीं।
- बाकी विष्णु सतयुग में है।
- अभी तुम ब्राह्मण सो देवता
बनेंगे।
- हम सो का अर्थ वास्तव में यह है। उन्होंने कह दिया है -
आत्मा सो परमात्मा।
- परमात्मा सो आत्मा।
- कितना फ़र्क है।
- रावण के
आने से ही रावण की मत शुरू हो गई।
- सतयुग में तो यह ज्ञान ही
प्राय:लोप हो जायेगा।
- यह सब होना ड्रामा में नूँध है ना तब तो बाप
आकर स्थापना करे।
- अभी है संगम।
- बाप कहते हैं मैं कल्प-कल्प,
कल्प के संगमयुग पर आकर तुमको मनुष्य से देवता बनाता हूँ।
- ज्ञान
यज्ञ रचता हूँ।
- बाकी जो हैं वह इस यज्ञ में स्वाहा हो जाने हैं।
- यह
विनाश ज्वाला इस यज्ञ से प्रज्जवलित होनी है।
- पतित दुनिया का तो
विनाश होना है।
- नहीं तो पावन दुनिया कैसे हो।
- तुम कहते भी हो हे
पतित-पावन आओ तो पतित दुनिया पावन दुनिया इकट्ठी रहेगी क्या?
- पतित दुनिया का विनाश होगा, इसमें तो खुश होना चाहिए।
- महाभारत
की लड़ाई लगी थी, जिससे स्वर्ग के गेट खुले।
- कहते हैं यह वही
महाभारत लड़ाई है।
- यह तो अच्छा है, पतित दुनिया खत्म हो जायेगी।
- पीस के लिए माथा मारने की दरकार क्या है।
- तुमको जो अब तीसरा
नेत्र मिला है वह कोई को नहीं है।
- तुम बच्चों को खुश होना चाहिए -
हम बेहद के बाप से फिर से वर्सा ले रहे हैं।
- बाबा हमने अनेक बार
आपसे वर्सा लिया है।
- रावण ने फिर श्राप दिया।
- यह बातें याद करना
सहज है।
- बाकी सब दन्त कथायें हैं।
- तुमको इतना साहूकार बनाया
फिर गरीब क्यों बनें?
- यह सब ड्रामा में नूँध है।
- गाया भी जाता है
ज्ञान, भक्ति, वैराग्य।
- भक्ति से वैराग्य तब हो जब ज्ञान मिले।
- तुमको
ज्ञान मिला तब भक्ति से वैराग्य हुआ।
- सारी पुरानी दुनिया से वैराग्य।
- यह तो कब्रिस्तान है।
- 84 जन्म का चक्र लगाया है।
- अभी घर चलना
है।
- मुझे याद करो तो मेरे पास चले आयेंगे।
- विकर्म विनाश हो जायेंगे
और कोई उपाय नहीं।
- योग अग्नि से पाप भस्म होंगे।
- गंगा स्नान से
नहीं होंगे।
- बाबा कहते हैं माया ने तुमको फूल (मूर्ख) बना दिया है, अप्रैल फूल
कहते हैं ना।
- अभी मैं तुमको लक्ष्मी-नारायण जैसा बनाने आया हूँ।
- चित्र तो बहुत अच्छे हैं - आज हम क्या हैं, कल हम क्या होंगे?
- परन्तु माया कम नहीं।
- माया डोर बांधने नहीं देती।
- खींचातान होती है।
- हम बाबा को याद करते हैं फिर पता नहीं क्या होता है?
- भूल जाते हैं।
- इसमें मेहनत है इसलिए भारत का प्राचीन योग मशहूर है।
- उन्हों को
वर्सा किसने दिया, यह कोई समझते नहीं हैं।
- बाप कहते हैं बच्चों, मैं
तुमको फिर से वर्सा देने आया हूँ।
- यह तो बाप का काम है। इस समय
सब नर्कवासी हैं।
- तुम खुश हो रहे हो।
- यहाँ कोई आते हैं समझते हैं तो
खुशी होती है, बरोबर ठीक है।
- 84 जन्मों का हिसाब है।
- बाप से वर्सा
लेना है।
- बाप जानते हैं आधाकल्प भक्ति करके तुम थक गये हो।
- मीठे बच्चे - बाप तुम्हारी सब थक दूर करेंगे।
- अब भक्ति अन्धियारा
मार्ग पूरा होता है।
- कहाँ यह दु:खधाम, कहाँ वह सुखधाम।
- मैं दु:खधाम
को सुखधाम बनाने कल्प के संगम पर आता हूँ।
- बाप का परिचय देना
है।
- बाप बेहद का वर्सा देने वाला है।
- एक की ही महिमा है।
- शिवबाबा
नहीं होता तो तुमको पावन कौन बनाता।
- ड्रामा में सारी नूँध है।
- कल्प-कल्प तुम मुझे पुकारते हो कि हे पतित-पावन आओ।
- शिव की
जयन्ती है।
- कहते हैं ब्रह्मा ने स्वर्ग की स्थापना की, फिर शिव ने
क्या किया जो शिव जयन्ती मनाते हैं।
- कुछ भी समझते नहीं हैं।
- तुम्हारी बुद्धि में ज्ञान एकदम बैठ जाना चाहिए।
- डोर एक के साथ
बांधी है तो फिर और कोई के साथ नहीं बांधो।
- नहीं तो गिर पड़ेंगे।
- परलौकिक बाप मोस्ट सिम्पल हैं।
- कोई ठाठ-बाठ नहीं।
- वह बाप तो
मोटरों में, एरोप्लेन में घूमते हैं।
- यह बेहद का बाप कहते हैं मैं पतित
दुनिया, पतित शरीर में बच्चों की सेवा के लिए आया हूँ।
- तुमने बुलाया
है हे अविनाशी सर्जन आओ, आकर हमें इन्जेक्शन लगाओ।
- इन्जेक्शन
लग रहा है।
- बाप कहते हैं योग लगाओ तो तुम्हारे पाप भस्म होंगे।
- बाप है ही 63 जन्मों का दु:ख हर्ता। 21 जन्मों का सुख कर्ता।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और
गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) अपने बुद्धि की रूहानी डोर एक बाप के साथ बांधनी है।
- एक की ही
श्रीमत पर चलना है।
- 2) हम मोस्ट स्वीटेस्ट झाड़ का कलम लगा रहे हैं इसलिए पहले
स्वयं को बहुत-बहुत स्वीट बनाना है।
- याद की यात्रा में तत्पर रह
विकर्म विनाश करने हैं।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- सर्व खजानों को विश्व कल्याण प्रति यूज़ करने वाले सिद्धि स्वरूप भव
- जैसे अपने हद की प्रवृत्ति में, अपने हद के स्वभाव-संस्कारों की
प्रवृत्ति में बहुत समय लगा देते हो, लेकिन अपनी-अपनी प्रवृत्ति से
परे अर्थात् उपराम रहो और हर संकल्प, बोल, कर्म और
सम्बन्ध-सम्पर्क में बैलेन्स रखो तो सर्व खजानों की इकॉनामी द्वारा
कम खर्च बाला नशीन बन जायेंगे।
- अभी समय रूपी खजाना, एनर्जी
का खजाना और स्थूल खजाने में कम खर्च बाला नशीन बनो, इन्हें
स्वयं के बजाए विश्व कल्याण प्रति यूज़ करो तो सिद्धि स्वरूप बन
जायेंगे।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- एक की लगन में सदा मगन रहो तो निर्विघ्न बन जायेंगे।
|