22-02-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन
मीठे बच्चे - अभी यह चढ़ती कला का समय है, भारत गरीब से
साहूकार बनता है, तुम बाप से सतयुगी बादशाही का वर्सा ले लो
प्रश्नः-
बाप का कौन सा टाइटिल श्रीकृष्ण को नहीं दे सकते हैं?
उत्तर:-
बाप है गरीब-निवाज।
श्रीकृष्ण को ऐसे नहीं कहेंगे।
वह तो बहुत
धनवान है, उनके राज्य में सब साहूकार हैं।
बाप जब आते हैं तो सबसे
गरीब भारत है।
भारत को ही साहूकार बनाते हैं।
तुम कहते हो हमारा
भारत स्वर्ग था, अभी नहीं है, फिर से बनने वाला है।
गरीब-निवाज़
बाबा ही भारत को स्वर्ग बनाते हैं।
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- ओम् शान्ति। मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने यह गीत सुना।
- जैसे आत्मा
गुप्त है और शरीर प्रत्यक्ष है।
- आत्मा इन आंखों से देखने में नहीं
आती है, इनकागनीटो है।
- है जरूर परन्तु इस शरीर से ढकी हुई है
इसलिए कहा जाता है आत्मा गुप्त है।
- आत्मा खुद कहती हैं मैं
निराकार हूँ, यहाँ साकार में आकर गुप्त बनी हूँ।
- आत्माओं की
निराकारी दुनिया है।
- उसमें तो गुप्त की बात नहीं।
- परमपिता परमात्मा
भी वहाँ रहते हैं।
- उनको कहा जाता है सुप्रीम।
- ऊंच ते ऊंच आत्मा, परे
ते परे रहने वाला परम आत्मा।
- बाप कहते हैं जैसे तुम गुप्त हो, मुझे
भी गुप्त आना पड़े।
- मैं गर्भजेल में आता नहीं हूँ।
- मेरा नाम एक ही
शिव चला आता है।
- मैं इस तन में आता हूँ तो भी मेरा नाम नहीं
बदलता।
- इनकी आत्मा का जो शरीर है, इनका नाम बदलता है।
- मुझे
तो शिव ही कहते हैं - सब आत्माओं का बाप।
- तो तुम आत्मायें इस
शरीर में गुप्त हो, इस शरीर द्वारा कर्म करती हो।
- मैं भी गुप्त हूँ।
- तो
बच्चों को यह ज्ञान अभी मिल रहा है कि आत्मा इस शरीर से ढकी
हुई है।
- आत्मा है इनकागनीटो।
- शरीर है कागनीटो।
- मैं भी हूँ अशरीरी।
- बाप इनकागनीटो इस शरीर द्वारा सुनाते हैं।
- तुम भी इनकागनीटो हो,
शरीर द्वारा सुनते हो।
- तुम जानते हो बाबा आया हुआ है - भारत को
फिर से गरीब से साहूकार बनाने।
- तुम कहेंगे हमारा भारत।
- हर एक
अपने स्टेट के लिए कहेंगे - हमारा गुजरात, हमारा राजस्थान।
- हमारा-हमारा कहने से उसमें मोह रहता है।
- हमारा भारत गरीब है।
- यह
सभी मानते हैं परन्तु उन्हें यह पता नहीं कि हमारा भारत साहूकार
कब था, कैसे था।
- तुम बच्चों को बहुत नशा है।
- हमारा भारत तो बहुत
साहूकार था, दु:ख की बात नहीं थी।
- सतयुग में दूसरा कोई धर्म नहीं
था।
- एक ही देवी-देवता धर्म था, यह किसको पता नहीं है।
- यह जो
वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी है यह कोई नहीं जानते।
- अभी तुम अच्छी
रीति समझते हो, हमारा भारत बहुत साहूकार था।
- अभी बहुत गरीब
है।
- अब फिर बाप आये हैं साहूकार बनाने।
- भारत सतयुग में बहुत
साहूकार था जबकि देवी-देवताओं का राज्य था फिर वह राज्य कहाँ
चला गया।
- यह कोई नहीं जानते।
- ऋषि-मुनि आदि भी कहते थे हम
रचता और रचना को नहीं जानते हैं।
- बाप कहते हैं सतयुग में भी
देवी-देवताओं को रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान नहीं
था।
- अगर उन्हों को भी ज्ञान हो कि हम सीढ़ी उतरते कलियुग में चले
जायेंगे तो बादशाही का सुख भी न रहे, चिंता लग जाए।
- अभी तुमको
चिंता लगी हुई है हम सतोप्रधान थे फिर हम सतोप्रधान कैसे बनें!
- हम
आत्मायें जो निराकारी दुनिया में रहती थी, वहाँ से फिर कैसे सुखधाम
में आये यह भी ज्ञान है।
- हम अभी चढ़ती कला में हैं।
- यह 84 जन्मों
की सीढ़ी है।
- ड्रामा अनुसार हर एक एक्टर नम्बरवार अपने-अपने समय
पर आकर पार्ट बजायेंगे।
- अब तुम बच्चे जानते हो गरीब-निवाज़
किसको कहा जाता है, यह दुनिया नहीं जानती।
- गीत में भी सुना -
आखिर वह दिन आया आज, जिस दिन का रास्ता तकते थे....., सब
भक्त।
- भगवान कब आकर हम भक्तों को इस भक्ति मार्ग से छुड़ाए
सद्गति में ले जायेंगे - यह अभी समझा है।
- बाबा फिर से आ गया है
इस शरीर में।
- शिव जयन्ती भी मनाते हैं तो जरूर आते हैं।
- ऐसे भी
नहीं कहेंगे मैं कृष्ण के तन में आता हूँ। नहीं।
- बाप कहते हैं कृष्ण की
आत्मा ने 84 जन्म लिए हैं।
- उनके बहुत जन्मों के अन्त का यह
अन्तिम जन्म है।
- जो पहले नम्बर में था वह अब अन्त में है
ततत्वम्।
- मैं तो आता हूँ साधारण तन में।
- तुमको आकर बतलाता हूँ -
तुमने कैसे 84 जन्म भोगे हैं।
- सरदार लोग भी समझते हैं एकोअंकार
परमपिता परमात्मा बाप है।
- वह बरोबर मनुष्य से देवता बनाने वाला
है।
- तो क्यों नहीं हम भी देवता बनें।
- जो देवता बने होंगे वह एकदम
चटक पड़ेंगे।
- देवी-देवता धर्म का तो एक भी अपने को समझते नहीं।
- और धर्मों की हिस्ट्री बहुत छोटी है।
- कोई की 500 वर्ष की, कोई की
1250 वर्ष की।
- तुम्हारी हिस्ट्री है 5 हज़ार वर्ष की।
- देवता धर्म वाले ही
स्वर्ग में आयेंगे।
- और धर्म तो आते ही बाद में हैं।
- देवता धर्म वाले भी
अब और धर्मों में कनवर्ट हो गये हैं ड्रामा अनुसार।
- फिर भी ऐसे
कनवर्ट हो जायेंगे।
- फिर अपने-अपने धर्म में लौटकर आयेंगे।
- बाप समझाते हैं - बच्चे, तुम तो विश्व के मालिक थे।
- तुम भी
समझते हो बाबा स्वर्ग की स्थापना करने वाला है तो हम क्यों नहीं
स्वर्ग में होंगे, बाप से हम वर्सा जरूर लेंगे - तो इससे सिद्ध होता है
यह हमारे धर्म का है।
- जो नहीं होगा वह आयेगा ही नहीं।
- कहेंगे पराये
धर्म में क्यों जायें।
- तुम बच्चे जानते हो सतयुग नई दुनिया में
देवताओं को बहुत सुख थे, सोने के महल थे।
- सोमनाथ के मन्दिर में
कितना सोना था।
- ऐसा कोई दूसरा धर्म होता ही नहीं।
- सोमनाथ
मन्दिर जैसा इतना भारी मन्दिर कोई होगा नहीं।
- बहुत हीरे-जवाहरात
थे।
- बुद्ध आदि के कोई हीरे-जवाहरातों के महल थोड़ेही होंगे।
- तुम बच्चों
को जिस बाप ने इतना ऊंच बनाया है उनकी तुमने कितनी इज्जत
रखी है!
- इज्जत रखी जाती है ना।
- समझते हैं अच्छा कर्म करके गये
हैं।
- अभी तुम जानते हो सबसे अच्छे कर्म पतित-पावन बाप ही करके
जाते हैं।
- तुम्हारी आत्मा कहती है सबसे उत्तम से उत्तम सेवा बेहद
का बाप आकर करते हैं।
- हमको रंक से राव, बेगर से प्रिन्स बना देते
हैं।
- जो भारत को स्वर्ग बनाते हैं, उनकी अभी इज्जत कोई नहीं रखते।
- तुम जानते हो ऊंच ते ऊंच मन्दिर गाया हुआ है जिसको लूट गये।
- लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर को कभी कोई ने लूटा नहीं है।
- सोमनाथ के
मन्दिर को लूटा है।
- भक्ति मार्ग में भी बहुत धनवान होते हैं।
- राजाओं
में भी नम्बरवार होते हैं ना।
- जो ऊंच मर्तबे वाले होते हैं तो छोटे मर्तबे
वाले उन्हों की इज्जत रखते हैं।
- दरबार में भी नम्बरवार बैठते हैं।
- बाबा
तो अनुभवी है ना।
- यहाँ की दरबार है पतित राजाओं की।
- पावन
राजाओं की दरबार कैसी होगी।
- जबकि उन्हों के पास इतना धन है तो
उन्हों के घर भी इतने अच्छे होंगे।
- अभी तुम जानते हो बाप हमको
पढ़ा रहे हैं, स्वर्ग की स्थापना करा रहे हैं।
- हम महारानी-महाराजा स्वर्ग
के बनते हैं फिर हम गिरते-गिरते भक्त बनेंगे तो पहले-पहले शिवबाबा
के पुजारी बनेंगे।
- जिसने स्वर्ग का मालिक बनाया उनकी ही पूजा
करेंगे।
- वह हमको बहुत साहूकार बनाते हैं।
- अभी भारत कितना गरीब
है, जो जमीन 500 रूपये में ली थी उसकी वैल्यू आज 5 हज़ार से भी
अधिक हो गई है।
- यह सब हैं आर्टीफीशियल दाम।
- वहाँ तो धरती का
मूल्य होता नहीं, जिसको जितना चाहिए ले लेवे।
- ढेर की ढेर जमीन
पड़ी होगी।
- मीठी नदियों पर तुम्हारे महल होंगे।
- मनुष्य बहुत थोड़े
होंगे।
- प्रकृति दासी होगी।
- फल-फूल बहुत अच्छे मिलते रहते हैं।
- अभी
तो कितनी मेहनत करनी पड़ती है तो भी अन्न नहीं मिलता।
- मनुष्य
बहुत भूख प्यास में मरते हैं।
- तो गीत सुनने से तुम्हारे रोमांच खड़े हो
जाने चाहिए।
- बाप को गरीब-निवाज़ कहते हैं।
- गरीब-निवाज़ का अर्थ
समझा ना!
- किसको साहूकार बनाते हैं?
- जरूर जहाँ आयेगा उनको
साहूकार बनायेगा ना।
- तुम बच्चे जानते हो - हमको पावन से पतित
बनने में 5 हज़ार वर्ष लगते हैं।
- अभी फिर फट से बाबा पतित से
पावन बनाते हैं।
- ऊंच ते ऊंच बनाते हैं, एक सेकेण्ड में जीवनमुक्ति
मिल जाती है।
- कहते हैं बाबा हम आपका हूँ।
- बाप कहते बच्चे, तुम
विश्व का मालिक हो।
- बच्चा पैदा हुआ और वारिस बना।
- कितनी खुशी
होती है।
- बच्ची को देख चेहरा उतर जाता।
- यहाँ तो सभी आत्मायें बच्चे
हैं।
- अभी पता पड़ा है कि हम 5 हज़ार वर्ष पहले स्वर्ग के मालिक थे।
- बाबा ने ऐसा बनाया था।
- शिवजयन्ती भी मनाते हैं परन्तु यह नहीं
जानते कि वह कब आया था।
- लक्ष्मी-नारायण का राज्य था, यह भी
कोई नहीं जानते।
- जयन्ती मनाते सिर्फ लिंग के बड़े-बड़े मन्दिर बनाते
हैं।
- परन्तु वह कैसे आया, क्या आकर किया, कुछ भी नहीं जानते,
इसको कहा जाता है ब्लाईन्ड फेथ, अन्धश्रद्धा।
- उनको यह पता ही नहीं
है कि हमारा धर्म कौन सा है, कब स्थापन हुआ।
- और धर्म वालों को
पता है, बुद्ध कब आया, तिथि तारीख भी है।
- शिवबाबा की,
लक्ष्मी-नारायण की कोई तिथि तारीख नहीं है।
- 5 हज़ार वर्ष की बात
को लाखों वर्ष लिख दिया है।
- लाखों वर्ष की बात किसको याद आ
सकेगी?
- भारत में देवी-देवता धर्म कब था, यह समझते नहीं हैं।
- लाखों
वर्ष के हिसाब से तो भारत की आबादी सबसे बड़ी होनी चाहिए।
- भारत
की जमीन भी सबसे बड़ी होनी चाहिए।
- लाखों वर्ष में कितने मनुष्य
पैदा होते, बेशुमार मनुष्य हो जायें।
- इतने तो हैं नहीं, और ही कमती
हो गये हैं, यह सब बातें बाप बैठ समझाते हैं।
- मनुष्य सुनते हैं तो
कहते हैं यह बातें तो कभी नहीं सुनी, न कोई शास्त्र में पढ़ी।
- यह
वन्डरफुल बातें हैं।
- अभी तुम बच्चों की बुद्धि में सारे चक्र की नॉलेज है।
- यह बहुत जन्मों
के अन्त के अन्त में अब पतित आत्मा है, जो सतोप्रधान था सो अब
तमोप्रधान है फिर सतोप्रधान बनना है।
- तुम आत्माओं को अब शिक्षा
मिल रही है।
- आत्मा कानों द्वारा सुनती है तो शरीर झूलता है क्योंकि
आत्मा सुनती है ना।
- बरोबर हम आत्मायें 84 जन्म लेती हैं।
- 84
जन्म में 84 माँ-बाप जरूर मिले होंगे।
- यह भी हिसाब है ना।
- बुद्धि में
आता है हम 84 जन्म लेते हैं फिर कम जन्म वाले भी होंगे।
- ऐसे
थोड़ेही सब 84 जन्म लेंगे।
- बाप बैठ समझाते हैं शास्त्रों में क्या-क्या
लिख दिया है।
- तुम्हारे लिए तो फिर भी 84 जन्म कहते, मेरे लिए तो
अनगिनत, बेशुमार जन्म कह देते हैं।
- कण-कण में पत्थर-भित्तर में
ठोक दिया है।
- बस जिधर देखता हूँ तू ही तू।
- कृष्ण ही कृष्ण है।
- मथुरा, वृन्दावन में ऐसे कहते रहते हैं।
- कृष्ण ही सर्वव्यापी है।
- राधे
पंथी वाले फिर कहेंगे राधे ही राधे।
- तुम भी राधे, हम भी राधे।
- तो एक बाप ही बरोबर गरीब-निवाज़ है।
- भारत जो सबसे साहूकार था,
अभी सबसे गरीब बना है इसलिए मुझे भारत में ही आना पड़े।
- यह
बना-बनाया ड्रामा है, इसमें जरा भी फ़र्क नहीं हो सकता।
- ड्रामा जो शूट
हुआ वह हूबहू रिपीट होगा, इसमें पाई का भी फ़र्क नहीं हो सकता।
- ड्रामा का भी पता होना चाहिए।
- ड्रामा माना ड्रामा।
- वह होते हैं हद के
ड्रामा, यह है बेहद का ड्रामा।
- इस बेहद के ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त
को कोई नहीं जानते।
- तो गरीब-निवाज़ निराकार भगवान को ही
मानेंगे, कृष्ण को नहीं मानेंगे।
- कृष्ण तो धनवान सतयुग का प्रिन्स
बनते हैं।
- भगवान को तो अपना शरीर है नहीं।
- वह आकर तुम बच्चों
को धनवान बनाते हैं, तुमको राजयोग की शिक्षा देते हैं।
- पढ़ाई से
बैरिस्टर आदि बनकर फिर कमाई करते हैं।
- बाप भी तुमको अभी
पढ़ाते हैं।
- तुम भविष्य में नर से नारायण बनते हो।
- तुम्हारा जन्म तो
होगा ना।
- ऐसे तो नहीं स्वर्ग कोई समुद्र से निकल आयेगा।
- कृष्ण ने
भी जन्म लिया ना।
- कंसपुरी आदि तो उस समय थी नहीं।
- कृष्ण का
कितना नाम गाया जाता है। उनके बाप का गायन ही नहीं।
- उनका बाप
कहाँ है?
- जरूर कृष्ण किसी का बच्चा होगा ना।
- कृष्ण जब जन्म लेते
हैं तब थोड़े बहुत पतित भी रहते हैं।
- जब वह बिल्कुल खत्म हो जाते
हैं तब वह गद्दी पर बैठते हैं।
- अपना राज्य ले लेते हैं, तब से ही उनका
संवत शुरू होता है।
- लक्ष्मी-नारायण से ही संवत शुरू होता है।
- तुम पूरा
हिसाब लिखते हो।
- इनका राज्य इतना समय, फिर इनका इतना
समय, तो मनुष्य समझेंगे - यह कल्प की आयु बड़ी हो नहीं सकती।
- 5 हज़ार वर्ष का पूरा हिसाब है।
- तुम बच्चों की बुद्धि में आता है ना।
- हम कल स्वर्ग के मालिक थे।
- बाप ने बनाया था तब तो उनकी हम
शिव जयन्ती मना रहे हैं।
- तुम सबको जानते हो।
- क्राइस्ट, गुरूनानक
आदि फिर कब आयेंगे, यह तुमको नॉलेज है।
- वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी
हूबहू रिपीट होती है।
- यह पढ़ाई कितनी सहज है।
- तुम स्वर्ग को जानते
हो, बरोबर भारत स्वर्ग था।
- भारत अविनाशी खण्ड है।
- भारत जैसी
महिमा और कोई की हो नहीं सकती।
- सबको पतित से पावन बनाने
वाला एक ही बाप है।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और
गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान बुद्धि में रखते हुए सब चिंतायें
छोड़ देनी हैं।
- एक सतोप्रधान बनने की चिंता रखनी है।
- 2) गरीब निवाज़ बाबा भारत को गरीब से साहूकार बनाने आया है,
उनका पूरा-पूरा मददगार बनना है।
- अपनी नई दुनिया को याद कर
सदा खुशी में रहना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- एक साथ तीन रूपों से सेवा करने वाले मास्टर त्रिमूर्ति भव
- जैसे बाप सदा तीन स्वरूपों से सेवा पर उपस्थित हैं बाप, शिक्षक और
सतगुरू, ऐसे आप बच्चे भी हर सेकण्ड मन, वाणी और कर्म तीनों
द्वारा साथ-साथ सर्विस करो तब कहेंगे मास्टर त्रिमूर्ति।
- मास्टर
त्रिमूर्ति बन जो हर सेकण्ड तीनों रूपों से सेवा पर उपस्थित रहते हैं
वही विश्व कल्याण कर सकेंगे क्योंकि इतने बड़े विश्व का कल्याण
करने के लिए जब एक ही समय पर तीनों रूप से सेवा हो तब यह
सेवा का कार्य समाप्त हो।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- ऊंच ब्राह्मण वह है जो अपनी शक्ति से बुरे को अच्छे में बदल दे।
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