25-03-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन
मीठे बच्चे - जैसे बाप का पार्ट है सर्व का कल्याण करना, ऐसे बाप समान कल्याणकारी बनो, अपना और सर्व का कल्याण करो
प्रश्नः-
बच्चों की किस एक विशेषता को देख बापदादा बहुत खुश होते हैं?
उत्तर:-
गरीब बच्चे बाबा के यज्ञ में 8 आना, एक रूपया भेज देते हैं।
कहते हैं बाबा इसके बदले हमको महल देना।
बाबा कहते बच्चे, यह एक रूपया भी शिवबाबा के खजाने में जमा हो गया।
तुमको 21 जन्मों के लिए महल मिल जायेंगे।
सुदामा का मिसाल है ना।
बिगर कौड़ी खर्चा तुम बच्चों को विश्व की बादशाही मिल जाती है।
बाबा गरीब बच्चों की इस विशेषता पर बहुत खुश होते हैं।
गीत:-
तुम्हें पाके हमने........
|
-
ओम् शान्ति। मीठे-मीठे बच्चे समझते हैं कि बाबा से अभी बेहद का वर्सा ले रहे हैं।
- बच्चे कहते हैं कि बाबा आपकी श्रीमत अनुसार हम आपसे फिर से बेहद का वर्सा पा रहे हैं।
- नई बात नहीं है।
- बच्चों को नॉलेज मिली है।
- जानते हैं सुखधाम का वर्सा हम कल्प-कल्प पाते रहते हैं।
- कल्प-कल्प 84 जन्म तो लेने पड़ते हैं।
- बरोबर हम बेहद के बाप द्वारा 21 जन्मों का वर्सा पाते हैं फिर धीरे-धीरे गँवाते हैं।
- बाप ने समझाया है यह अनादि बना-बनाया खेल है।
- तुम बच्चों को खातिरी होती जाती है।
- यह भी जानते हो ड्रामा में सुख बहुत है।
- पिछाड़ी में आकर रावण द्वारा दु:ख पाते हैं।
- अभी तुम अजुन थोड़े हो, आगे चलकर बहुत वृद्धि होती जायेगी।
- मनुष्य से देवता बनते हैं।
- जरूर दिल में समझेंगे हम कल्प-कल्प बाप से वर्सा पाते हैं।
- जो जो आकर नॉलेज लेंगे वह समझेंगे अब ज्ञान सागर बाप द्वारा सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज पाई है।
- बाप ही ज्ञान का सागर, पतितों को पावन बनाने वाला है अर्थात् मुक्ति-जीवनमुक्ति में ले जाने वाला है।
- यह भी तुम अभी जानते हो।
- गुरू तो बहुतों ने किये हैं ना।
- आखरीन गुरूओं को भी छोड़ आकर नॉलेज लेंगे।
- तुमको भी अभी यह नॉलेज मिली है।
- जानते हो इससे पहले अज्ञानी थे।
- सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है।
- शिवबाबा, ब्रह्मा, विष्णु, शंकर कौन हैं, यह कुछ भी नहीं जानते थे।
- अब मालूम पड़ा है हम विश्व के मालिक थे तो तुम्हारी बुद्धि में बड़ा अच्छा नशा चढ़ा रहना चाहिए।
- बाप को और सृष्टि चक्र को याद करते रहना चाहिए।
- अल्फ और बे।
- बाप समझाते हैं इनसे पहले तुम कुछ नहीं जानते थे ना।
- न बाप को, न उनकी रचना को जानते थे।
- सारी सृष्टि के मनुष्य मात्र न बाप को, न रचना के आदि-मध्य-अन्त को जानते हैं।
- अभी तुम शूद्र से ब्राह्मण बने हो।
- बाप सब बच्चों से बात कर रहे हैं।
- कितने ढेर बच्चे हैं।
- सेन्टर्स कितने हैं।
- अभी तो सेन्टर्स खुलेंगे।
- तो बाप समझाते हैं आगे तुम कुछ नहीं जानते थे।
- अब नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार जान चुके हो।
- यह भी जानते हो अभी हम बाप द्वारा पतित से पावन बन रहे हैं।
- और तो पुकारते रहते हैं, तुम हो गुप्त।
- ब्रह्माकुमार-कुमारी कहते हैं परन्तु समझते नहीं कि इन्हों को पढ़ाने वाला कौन है?
- शास्त्रों में कहाँ लिखा हुआ नहीं है।
- वही गीता के भगवान शिव ने आकर बच्चों को राजयोग सिखाया है।
- यह तुम्हारी बुद्धि में आता है ना।
- गीता भी तुमने पढ़ी होगी।
- यह भी अभी समझते हो - ज्ञान मार्ग बिल्कुल अलग है।
- विदुत मण्डली से जो शास्त्र आदि पढ़कर टाइटिल लेते हैं वह सब भक्ति मार्ग के शास्त्र हैं।
- यह नॉलेज उन्हों में है नहीं।
- यह तो बाप ही आकर रचना के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज देते हैं।
- यह तो बाप ने आकर तुम्हारी बुद्धि का ताला खोला है।
- तुम जानते हो आगे हम क्या थे, अब क्या बने हैं!
- बुद्धि में सारा चक्र आ गया है।
- शुरू में थोड़ेही समझते थे।
- दिन-प्रतिदिन ज्ञान का तीसरा नेत्र अच्छी तरह खुलता जाता है।
- यह भी किसको पता नहीं है कि भगवान कब आया, वो कौन था - जिसने आकर गीता का ज्ञान सुनाया।
- तुम बच्चे अभी जान गये हो।
- बुद्धि में सारे चक्र का ज्ञान है।
- कब से हम हार खाते हैं और कैसे वाम मार्ग में जाते हैं, कैसे सीढ़ी उतरते हैं।
- यह चित्र में कितना सहज समझाया हुआ है।
- 84 जन्मों की सीढ़ी है।
- कैसे उतरते हैं फिर चढ़ते हैं।
- पतित-पावन कौन है?
- पतित किसने बनाया?
- यह तुम अभी जानते हो वह तो सिर्फ गाते रहते हैं - पतित-पावन।
- यह थोड़ेही समझते हैं कि रावण राज्य कब से शुरू होता है?
- पतित कब से बने?
- यह नॉलेज है ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म वालों के लिए।
- बाप कहते हैं मैंने ही आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना की थी।
- यह वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी बाप के सिवाए कोई समझा न सके।
- तुम्हारे लिए जैसेकि कहानी है।
- कैसे राज्य पाते, कैसे गँवाते हैं।
- वह हम हिस्ट्री-जॉग्राफी पढ़ते हैं।
- यह है बेहद की बात।
- हम 84 का चक्र कैसे लगाते हैं, हम विश्व के मालिक थे फिर रावण ने राज्य छीना, यह नॉलेज बाप ने दी है।
- मनुष्य दशहरा आदि त्योहार मनाते हैं परन्तु कुछ भी नॉलेज नहीं है।
- जैसे तुमको यह नॉलेज नहीं थी, अब नॉलेज मिल रही है तो तुम खुशी में रहते हो।
- नॉलेज खुशी देती है।
- बेहद की नॉलेज बुद्धि में है।
- बाप तुम्हारी झोली भर रहे हैं।
- कहते हैं ना - झोली भर दे।
- किसको कहते हैं?
- साधू-सन्त आदि को नहीं कहते।
- भोलानाथ शिव को कहते हैं, उससे ही भीख मांगते हैं।
- तुम्हारा तो अब खुशी का पारावार नहीं।
- तुमको बहुत खुशी होनी चाहिए।
- बुद्धि में कितनी नॉलेज आ गई है।
- बेहद बाप से बेहद का वर्सा मिलता है।
- तो अब अपना और दूसरों का भी कल्याण करना है।
- सबका कल्याण करना है।
- आगे तो एक-दो का अकल्याण ही करते थे क्योंकि आसुरी मत थी।
- अभी तुम श्रीमत पर हो तो अपना भी कल्याण करना है।
- तुम्हारी दिल होती है यह बेहद की पढ़ाई सब पढ़ें, सेन्टर्स खुलते जाएं।
- कहते हैं बाबा प्रदर्शनी दो, प्रोजेक्टर दो हम सेन्टर खोलें।
- हमको जो नॉलेज मिली है, जिससे बेहद की खुशी का पारा चढ़ा है वह औरों को भी अनुभव करायें।
- ड्रामा अनुसार यह भी पुरूषार्थ चलता रहता है।
- बाप आया है भारत को फिर से स्वर्ग बनाने।
- तुम जानते हो हम आगे नर्कवासी थे, अब स्वर्गवासी बन रहे हैं।
- यह चक्र तुम्हारी बुद्धि में सदैव फिरता रहना चाहिए, जिससे सदैव तुम खुशी में रहो।
- औरों को समझाने का भी नशा रहे।
- हम बाप से नॉलेज ले रहे हैं।
- तुम्हारे और बहन-भाई जो नहीं जानते हैं उन्हों को भी रास्ता बताना तुम्हारा धर्म है।
- जैसे बाप का पार्ट है सबका कल्याण करना वैसे हमारा भी पार्ट है सबका कल्याणकारी बनें।
- बाबा ने कल्याणकारी बनाया है तो अपना भी कल्याण करना है औरों का भी करना है।
- बाप कहते हैं तुम फलाने सेन्टर पर जाओ, जाकर सर्विस करो।
- एक जगह बैठ सर्विस नहीं करनी है।
- जितना जो होशियार है उतना उनको शौक होता है, जाकर हम सर्विस करें।
- फलाना नया सेन्टर खुला है, यह तो जानते हैं कौन-कौन सर्विसएबुल हैं, कौन-कौन आज्ञाकारी, वफादार, फरमानबरदार हैं।
- अज्ञानकाल में भी कपूत बच्चों पर बाप नाराज होते हैं।
- यह तो बेहद का बाप कहते हैं मैं बिल्कुल साधारण रीति समझाता हूँ, इसमें डरने की कोई बात नहीं है।
- यह तो जो करेगा सो पायेगा।
- श्राप या नाराज होने की बात नहीं है।
- बाप समझाते हैं क्यों नहीं अच्छी सर्विस कर अपना भी और दूसरों का भी कल्याण करते।
- जितना जो बहुतों का कल्याण करते हैं उतना बाबा भी खुश होते हैं।
- बगीचे में बाबा देखेंगे यह फूल कितना अच्छा है।
- यह सारा बगीचा है।
- बगीचे को देखने के लिए कहते हैं - बाबा हम सेन्टर का चक्र लगायें।
- कैसे-कैसे फूल हैं!
- कैसे सर्विस कर रहे हैं!
- जाने से मालूम पड़ता है।
- कैसे खुशी में नाचते रहते हैं।
- बाबा को भी आकर कहते थे बाबा फलाने को हमने ऐसे समझाया।
- आज अपने पति को, भाई को ले आई हूँ।
- समझाया है बाबा आया हुआ है, वह कैसे हीरे जैसा जीवन बनाते हैं।
- सुनते हैं तो चाहते हैं हम भी देखें।
- तो बच्चों में उमंग आता है, ले आते हैं।
- वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी को जानना चाहिए।
- तुम जज कर सकते हो भारत सारे विश्व का मालिक था।
- अब तो क्या हालत है।
- सतयुग-त्रेता में कितना सुख था।
- अब फिर बाबा विश्व का मालिक बना रहे हैं।
- यह भी जानते हो दुनिया में पिछाड़ी में बहुत हंगामा होना है।
- लड़ाई कोई बंद थोड़ेही होती है।
- कहाँ न कहाँ लगती रहती है।
- जहाँ देखो वहाँ झगड़ा ही है।
- कितना घमसान लगा हुआ है।
- विलायत में क्या-क्या हो रहा है।
- समझते नहीं कि हम क्या कर रहे हैं।
- कितने तूफान लगते रहते हैं।
- मनुष्य भी मरते रहते हैं।
- कितनी दु:ख की दुनिया है।
- तुम बच्चे जानते हो - इस दु:ख की दुनिया से बस अब गये कि गये।
- बाबा तो धीरज दे रहे हैं।
- यह छी-छी दुनिया है।
- थोड़े रोज़ में हम विश्व पर शान्ति से राज्य करेंगे।
- इसमें तो खुशी होनी चाहिए ना।
- सेन्टर्स खुलते रहते हैं।
- अब देखो सेन्टर खुलते हैं, बाबा लिखते हैं अब अच्छे-अच्छे बच्चे जाओ।
- नाम भी लिख देता हूँ, जो दिल पर चढ़े रहते हैं।
- बहुतों का कल्याण होता है।
- ऐसे बहुत लिखते हैं - बाबा हम तो बांधेली हैं।
- अच्छा सेन्टर खुल जाए तो बहुत आकर वर्सा पायें।
- यह भी जानते हो कि यह सब विनाश हो जाना है तो क्यों नहीं बहुतों के कल्याण अर्थ काम में लगा दो।
- ड्रामा में उन्हों का ऐसे पार्ट है।
- हर एक अपना-अपना पार्ट बजा रहे हैं।
- तरस पड़ता है।
- दूसरों को भी बंधनमुक्त करने कुछ तो मदद करें।
- वह भी वर्सा ले लेवें।
- बाप को कितनी फिकरात रहती है।
- सब काम चिता पर जल मरे हैं।
- सारा कब्रिस्तान हो पड़ा है।
- कहते भी है - अल्लाह आकर कब्रिस्तान से जगाए सबको ले जाते हैं।
- तुम अभी समझते हो रावण ने कैसे हराया है।
- आगे थोड़ेही समझते थे।
- हम जौहरी लखपति हैं, इतने बच्चे हैं, नशा तो रहता है ना।
- अभी समझते हैं हम पूरे पतित थे।
- भल पुरानी दुनिया में कितने भी लखपति, करोड़पति हैं परन्तु यह सब हैं कौड़ी मिसल।
- अब गये कि गये।
- माया भी कितनी प्रबल है।
- बाप कहते हैं बच्चे सेन्टर खोलो, बहुतों का कल्याण हो जायेगा।
- गरीब जल्दी जागते हैं, धनवान जरा मुश्किल जागते हैं।
- अपनी खुशी में ही मस्त रहते हैं।
- माया ने एकदम अपने वश में कर लिया है।
- समझाने से समझते भी हैं परन्तु छोड़े कैसे?
- डर लगता है कि इन्हों मुआफिक सब छोड़ना पड़ेगा।
- तकदीर में नहीं है तो चल नहीं सकते।
- जैसेकि छुटकारा पाना ही मुश्किल है।
- उस समय वैराग्य आता है - बरोबर छी-छी दुनिया है।
- फिर वहाँ की वहाँ रही।
- कोटों में कोई निकलते हैं।
- बाम्बे में सैकड़ों आते हैं, कोई-कोई को रंग लगता है।
- समझते हैं भविष्य के लिए कुछ बना लेवें।
- कौड़ी बदले हमको हीरा मिल जायेगा।
- बाप समझाते हैं ना - बैग बैगेज सारा ट्रांसफर करो स्वर्ग में।
- वहाँ 21 जन्म के लिए तुमको राज्य-भाग्य मिलेगा।
- कोई-कोई एक रूपया 8 आना भी भेज देते हैं।
- बाप कहते हैं एक रूपया भी तुम्हारा शिवबाबा के खजाने में जमा हुआ।
- तुमको 21 जन्मों के लिए महल मिल जायेंगे।
- सुदामा का मिसाल है ना।
- ऐसे-ऐसे को देख बाबा को बहुत खुशी होती है।
- बिगर कोई खर्चा तुम बच्चों को विश्व की बादशाही मिलती है।
- लड़ाई आदि कुछ भी नहीं।
- वह तो थोड़े टुकड़े के लिए भी कितना लड़ते हैं।
- तुमको सिर्फ कहते हैं मनमनाभव।
- बस यहाँ बैठने की दरकार नहीं है, चलते फिरते बाप को और वर्से को याद करो।
- खुशी में रहो।
- खान-पान भी शुद्ध रखना है।
- तुम जानते हो हमारी आत्मा कहाँ तक पवित्र बनी है, जो फिर जाकर प्रिन्स का जन्म लेंगे।
- आगे चल दुनिया की हालत बिल्कुल खराब होनी है।
- खाने लिए अनाज नहीं मिलेगा तो घास खाने लगेंगे।
- फिर ऐसे थोड़ेही कहेंगे माखन बिगर हम रह नहीं सकते हैं।
- कुछ भी नहीं मिलेगा।
- अभी भी कितनी जगह पर मनुष्य घास खाकर गुज़र कर रहे हैं।
- तुम तो बहुत मौज में बाबा के घर में बैठे हो।
- घर में बाप पहले बच्चों को खिलाते हैं ना।
- जमाना बहुत खराब है।
- यहाँ तुम बहुत सुखी बैठे हो।
- सिर्फ बाप को और वर्से को याद करते रहो।
- अपना और औरों का भी कल्याण करना है।
- आगे चल आपेही आयेंगे, तकदीर जागेगी। जगनी तो है ना।
- बेहद की राजधानी स्थापन होनी है।
- हर एक कल्प पहले मिसल पुरूषार्थ करते हैं।
- बच्चों को तो बहुत खुशी में रहना चाहिए।
- बापदादा का चित्र देखते ही खुशी में रोमांच खड़े हो जाने चाहिए।
- वह खुशी का पारा स्थाई रहना चाहिए।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) सदा अपार खुशी में रहने के लिए बेहद की नॉलेज बुद्धि में रखना है।
- ज्ञान रत्नों से अपनी झोली भरकर अपना और सर्व का कल्याण करना है।
- नॉलेज में बहुत-बहुत होशियार बनना है।
- 2) भविष्य 21 जन्मों के राज्य भाग्य का अधिकार लेने के लिए अपना बैग बैगेज सब ट्रांसफर कर देना है।
- इस छी-छी दुनिया से छुटकारा पाने की युक्ति रचनी है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- हर कर्म रूपी बीज को फलदायक बनाने वाले योग्य शिक्षक भव
- योग्य शिक्षक उसे कहा जाता है - जो स्वयं शिक्षा स्वरूप हो क्योंकि शिक्षा देने का सबसे सहज साधन है स्वरूप द्वारा शिक्षा देना।
- वे अपने हर कदम द्वारा शिक्षा देते हैं, उनके हर बोल वाक्य नहीं लेकिन महावाक्य कहे जाते हैं।
- उनका हर कर्म रूपी बीज फलदायक होता है, निष्फल नहीं।
- ऐसे योग्य शिक्षक का संकल्प आत्माओं को नई सृष्टि का अधिकारी बना देता है।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- मनमनाभव की स्थिति में रहो तो अलौकिक सुख व मनरस स्थिति का अनुभव करेंगे।
|