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ओम् शान्ति। जैसे कोई हॉस्पिटल में बीमार होते हैं तो पेशेन्ट दु:ख से छूटने की
आश रखते हैं।
- डॉक्टर से पूछते हैं क्या हाल है, कब यह बीमारी छूटेगी?
- वह तो सब
हैं हद की बातें।
- यह है बेहद की बात।
- बाप आकर बच्चों को राय देते हैं।
- यह तो
बच्चे जान चुके हैं कि बरोबर सुख और दु:ख का खेल है।
- यूँ तो तुम बच्चों को
सतयुग में जाने से भी जास्ती फायदा यहाँ है क्योंकि जानते हो कि इस समय हम
ईश्वरीय गोद में हैं, ईश्वरीय औलाद हैं।
- इस समय हमारी बहुत ऊंच ते ऊंच गुप्त
महिमा है।
- मनुष्य मात्र बाप को शिव, ईश्वर, भगवान भी कहते हैं, परन्तु जानते
नहीं हैं।
- बुलाते रहते हैं।
- ड्रामा अनुसार ही ऐसा हुआ है।
- ज्ञान और अज्ञान, दिन और
रात।
- गाते भी आते हैं परन्तु तमोप्रधान बुद्धि ऐसे बन गये हैं जो अपने को
तमोप्रधान समझते ही नहीं हैं।
- किसकी तकदीर में बाप का वर्सा हो तब तो बुद्धि में
बैठ सके।
- बच्चे जानते हैं कि हम बिल्कुल ही घोर अन्धियारे में थे।
- अब बाप आया
है तो कितना सोझरा मिला है।
- बाप जो नॉलेज समझाते हैं वह कोई भी वेद, शास्त्र,
ग्रंथ आदि में नहीं है।
- वह भी बाप सिद्ध कर बताते हैं।
- तुम बच्चों को रचता और
रचना के आदि-मध्य-अन्त की रोशनी देता हूँ, वह फिर प्राय:लोप हो जाती है।
- मेरे
बिगर फिर किसको ज्ञान मिल न सके, फिर यह ज्ञान प्राय:लोप हो जाता है।
- समझ
में आता है कि कलियुग पास्ट हुआ फिर 5 हजार वर्ष बाद रिपीट होगा।
- यह है नई
बात।
- यह तो शास्त्रों में है नहीं।
- बाप तो यह नॉलेज सभी को एक जैसी पढ़ाते हैं, परन्तु धारणा में नम्बरवार हैं।
- कोई
अच्छे सर्विसएबुल बच्चे आते हैं तो बाबा का डांस भी ऐसा चलता है।
- डांसिंग गर्ल के
आगे देखने वाले बहुत शौकीन होते हैं तो वह भी खुशी से बहुत अच्छा डांस करती
है।
- थोड़े बैठे होंगे तो कॉमन रीति से थोड़ा डांस करेगी।
- वाह-वाह करने वाले बहुत
होंगे तो उनका भी उल्लास बढ़ेगा।
- तो यहाँ भी ऐसे है।
- मुरली सब बच्चे सुनते हैं,
लेकिन सम्मुख सुनने की बात और है ना।
- यह भी दिखाते हैं कि कृष्ण डांस करता
था।
- डांस कोई वह नहीं। वास्तव में है ज्ञान की डांस।
- शिवबाबा खुद बताते हैं कि मैं
ज्ञान की डांस करने आता हूँ, मैं ज्ञान का सागर हूँ।
- तो अच्छी-अच्छी प्वाइंट्स
निकलती हैं।
- यह है ज्ञान की मुरली। काठ की मुरली नहीं है।
- पतित-पावन बाप
आकर सहज राजयोग सिखायेंगे या लकड़ी की मुरली बजायेंगे?
- यह किसके ख्याल
में नहीं होगा कि बाप आकर ऐसे राजयोग सिखाते हैं।
- अभी तुम जानते हो बाकी
कोई भी मनुष्य मात्र को यह बुद्धि में आ न सके।
- आने वालों में भी नम्बरवार पद
पाते हैं।
- जैसे कल्प पहले किया है वैसे ही पुरूषार्थ करते रहते हैं।
- तुम जानते हो कि
कल्प पहले मुआफिक बाप आते हैं, आकर बच्चों को सब राज़ खोलकर बताते हैं।
- कहते हैं कि मैं भी बन्धन में बँधा हुआ हूँ।
- हर एक इस ड्रामा के बन्धन में बँधा
हुआ है।
- जो कुछ सतयुग में हुआ था, वही फिर होगा।
- कितनी अनेक प्रकार की
योनियाँ हैं।
- सतयुग में इतनी योनियाँ थोड़ेही होंगी।
- वहाँ तो थोड़ी वैरायटी होती है।
- फिर वृद्धि को पाते रहते हैं।
- जैसे धर्म भी बढ़ते जाते हैं ना।
- सतयुग में तो थे नहीं।
- जो सतयुग में थे वह फिर सतयुग में ही देखेंगे।
- सतयुग में कोई भी छी-छी गंद
करने वाली चीज़ हो न सके।
- उन देवी-देवताओं को कहते ही हैं भगवान-भगवती।
- और कोई खण्ड में कभी भी किसको गॉड गॉडेज कह नहीं सकते।
- वह देवतायें जरूर
हेविन में राज्य करते थे।
- उनका देखो गायन कितना है।
- तुम बच्चों को अभी धीरज आ गया है।
- तुम जानते हो हमारा मर्तबा कितना ऊंच है
वा कम है।
- हम इतने मार्क्स से पास होंगे।
- हर एक अपने को समझ तो सकते हैं
ना कि फलाना अच्छी सर्विस कर रहा है।
- हाँ, चलते-चलते तूफान भी आ जाते हैं।
- बाप तो कहते हैं कि बच्चों को कोई भी ग्रहचारी, तूफान आदि न आयें।
- माया
अच्छे-अच्छे बच्चों को भी गिरा देती है।
- तो बाप धीरज देते रहते हैं, बाकी थोड़ा
समय है।
- तुमको सर्विस भी करनी है।
- स्थापना हो गई फिर तो जाना ही है।
- इसमें
एक सेकण्ड भी आगे-पीछे नहीं हो सकता।
- यह राज़ बच्चे ही समझ सकते हैं।
- हम
ड्रामा के एक्टर्स हैं, इसमें हमारा मुख्य पार्ट है।
- भारत पर ही हार और जीत का खेल
बना हुआ है।
- भारत ही पावन था।
- कितनी पीस, प्योरिटी थी।
- यह कल की ही बात
है।
- कल हमने ही पार्ट बजाया था।
- 5 हजार वर्ष का पार्ट सारा नूँधा हुआ है।
- हम
चक्र लगाकर आये हैं।
- अब फिर बाबा से योग लगाते हैं, इससे ही खाद निकलती है।
- बाप याद आयेगा तो वर्सा भी जरूर याद आयेगा।
- पहले-पहले अल्फ को जानना है।
- बाप कहते हैं, तुम मेरे को जानने से मेरे द्वारा सब कुछ जान जायेंगे।
- ज्ञान तो बड़ा
सहज है, एक सेकण्ड का।
- फिर भी समझाते रहते हैं।
- प्वाइंट्स देते रहते हैं।
- मुख्य
प्वाइंट है मनमनाभव, इसमें ही विघ्न पड़ते हैं।
- देह-अभिमान आ जाने से फिर
अनेक प्रकार के घुटके आ जाते हैं, फिर योग में रहने नहीं देते हैं।
- जैसे भक्ति मार्ग
में कृष्ण की याद में बैठते हैं तो बुद्धि कहाँ-कहाँ भाग जाती है।
- भक्ति का अनुभव
तो सबको है।
- इस जन्म की बात है।
- इस जन्म को जानने से कुछ न कुछ पास्ट
जन्म को भी समझ सकते हैं।
- बच्चों को हॉबी हो गई है - बाप को याद करने की।
- जितना याद करते हो उतना खुशी बढ़ती है।
- साथ-साथ दिव्य अलौकिक कर्म भी
करना है।
- तुम हो ब्राह्मण।
- तुम सत्य नारायण की कथा, अमरकथा सुनाते हो।
- मूल
बात एक है - जिसमें सब कुछ आ जाता है।
- याद से ही विकर्म विनाश होते हैं।
- यह
एक ही हॉबी, रूहानी है।
- बाप समझाते हैं कि नॉलेज तो बड़ी सहज है।
- कन्याओं का
नाम भी गाया हुआ है।
- अधरकुमारी, कुवांरी कन्या, कुवांरी का नाम सबसे ज्यादा
बाला है।
- उनको कोई बन्धन नहीं है।
- वह पति तो विकारी बना देते।
- यह बाप तो
स्वर्ग में ले जाने के लिए श्रृंगारते हैं।
- स्वीट सागर में ले जाते हैं।
- बाप कहते हैं इस
पुरानी दुनिया को, पुरानी देह सहित बिल्कुल भूल जाओ।
- आत्मा कहती है कि हमने
तो 84 जन्म पूरे किये हैं।
- अब फिर हम बाप से पूरा वर्सा लेंगे।
- हिम्मत रखते हैं,
फिर भी माया से लड़ाई तो है।
- आगे तो यह बाबा है।
- माया के तूफान जास्ती इनके
पास आते हैं।
- बहुत आकर पूछते हैं कि बाबा हमको यह होता है।
- बाबा बताते हैं कि
बच्चे - हाँ, यह तूफान तो जरूर आयेंगे।
- पहले तो मेरे पास आते हैं।
- अन्त में सब
कर्मातीत अवस्था को पा लेंगे।
- यह कोई नई बात नहीं है। कल्प पहले भी हुआ था।
- ड्रामा में पार्ट बजाया, अब फिर वापस घर जाते हैं।
- बच्चे जानते हैं - यह पुरानी
दुनिया नर्क है।
- कहते भी हैं कि यह लक्ष्मी-नारायण क्षीरसागर में रहते थे, इन्हों के
मन्दिर कितने अच्छे-अच्छे बनाते हैं।
- पहले-पहले मन्दिर बनाया होगा तो क्षीर (दूध)
का ही तलाब बनाकर विष्णु की मूर्ति को बिठाया होगा।
- बहुत अच्छे-अच्छे चित्र
बनाकर पूजा करते थे।
- उस समय तो बहुत ही सस्ताई थी।
- बाबा का सब देखा हुआ
है।
- बरोबर यह भारत कितना पवित्र, क्षीर का सागर था।
- दूध घी की जैसे नदियां थीं।
- यह तो महिमा दे दी है।
- स्वर्ग का नाम लेते ही मुख पानी होता है।
- तुम बच्चों को
अब ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है।
- तो बुद्धि में समझ आई है।
- बुद्धि चली जाती है
अपने घर, फिर स्वर्ग में आयेंगे।
- वहाँ सब कुछ नया ही नया होगा।
- बाबा, श्री
नारायण की मूर्ति देख बहुत खुश होता था, बहुत प्यार से रखता था।
- यह नहीं
समझता था कि हम ही यह बनूँगा।
- यह ज्ञान तो अब बाबा से मिला है।
- तुमको
ब्रह्माण्ड और सृष्टि चक्र के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान है।
- जानते हो कि हम कैसे
चक्र लगायेंगे।
- बाबा हमको राजयोग सिखला रहे हैं।
- तुम बच्चों को बहुत खुशी होनी
चाहिए।
- बाकी थोड़ा समय है।
- शरीर को कुछ न कुछ तो होता रहता है।
- अब यह
तुम्हारा अन्तिम जन्म है।
- अब तुम्हारे सुख के दिन आते हैं, ड्रामा प्लैन अनुसार।
- देखते हो कि विनाश सामने खड़ा है।
- तुमको तीसरा नेत्र मिला है।
- मूलवतन,
सूक्ष्मवतन, स्थूलवतन को अच्छी रीति जानते हो।
- यह स्वदर्शन चक्र तुम्हारी बुद्धि में
फिरता रहता है।
- खुशी होती है।
- इस समय हमको बेहद का बाप, टीचर बन पढ़ाते हैं।
- परन्तु नई बात होने कारण घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं।
- नहीं तो बाबा कहने से ही खुशी
का पारा चढ़ जाना चाहिए।
- रामतीर्थ, श्रीकृष्ण का भक्त था।
- तो कृष्ण के दर्शन के
लिए कितना करते थे।
- उसको साक्षात्कार हुआ और खुशी हो गई।
- परन्तु उससे क्या
हुआ?
- मिला तो कुछ भी नहीं।
- यहाँ तो तुम बच्चों को खुशी भी है क्योंकि जानते हो
कि 21 जन्म के लिए हम इतना ऊंच पद पाते हैं।
- 3 हिस्सा तो तुम सुखी रहते हो।
- अगर आधा-आधा हो फिर तो फायदा हुआ नहीं।
- तुम 3 हिस्सा सुख में रहते हो।
- तुम्हारे जैसा सुख कोई देख न सके।
- तुम्हारे लिए तो सुख अपार है।
- महान सुख में
तो दु:ख का पता नहीं चलता है।
- संगम पर तुम दोनों को जान सकते हो कि अभी
हम दु:ख से सुख में जा रहे हैं।
- मुँह है दिन तरफ और लात है रात तरफ।
- इस
दुनिया को लात मारनी है अर्थात् बुद्धि से भूलना है।
- आत्मा जानती है कि अब
वापस घर जाना है, बहुत पार्ट बजाया।
- ऐसे-ऐसे अपने साथ बातें करनी होती हैं।
- अब
जितना बाप को याद करेंगे उतना ही कट निकलेगी।
- जितना बाप की सर्विस पर रह
समान बनायेंगे, उतना ही बाप का शो करेंगे।
- बुद्धि में है कि अब घर जाना है।
- तो
घर को ही याद करना चाहिए।
- पुराना मकान गिरता रहता है।
- अब कहाँ नया मकान,
कहाँ पुराना मकान।
- रात-दिन का फ़र्क है।
- यह तो हूबहू विषय-वैतरणी नदी है।
- एक
दो को मारते, झगड़ते रहते हैं।
- बाकी भी बाबा आया है तो बहुत लड़ाई शुरू हो गई
है।
- अगर स्त्री विकार नहीं देती तो कितना तंग करते हैं।
- कितना माथा मारते हैं।
कल्प पहले भी अत्याचार हुए थे।
- वह अभी की बात गाई जाती है।
- देखते हो कि
कितना पुकारती है।
- वही ड्रामा का पार्ट बज रहा है।
- यह बाप जाने और बच्चे जाने
और न जाने कोई।
- आगे चल सबको समझने का है।
- गाते भी हैं - पतित-पावन, सर्व
का सद्गति दाता बाप है।
- तुम कोई को भी समझा सकते हो कि भारत स्वर्ग और
नर्क कैसे बनता है आओ तो हम तुम्हें सारे वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी समझायें।
- यह
बेहद की हिस्ट्री-जॉग्राफी ईश्वर ही जाने और ईश्वर के तुम बच्चे जानो।
- पवित्रता,
सुख-शान्ति की कैसे स्थापना होती है, इस हिस्ट्री-जॉग्राफी को जानने से तुम सब
कुछ जान जायेंगे।
- बेहद के बाप से तुम जरूर बेहद का ही वर्सा लेंगे।
- यह आकर
समझो।
- टॉपिक बहुत हैं।
- तुम बच्चों का तो अब दिमाग ही पुर (भरपूर) हो गया है।
- खुशी का कितना पारा चढ़ता है।
- सारी नॉलेज तुम बच्चों के पास है।
- नॉलेजफुल बाप
से नॉलेज मिल रही है।
- फिर हम ही जाकर लक्ष्मी-नारायण बनेंगे।
- वहाँ फिर यह
नॉलेज कुछ भी नहीं होगी।
- कितनी गुह्य बातें समझने की हैं।
- बच्चे सीढ़ी को अच्छी
रीति समझ गये हैं ना।
- तो यह चक्र 84 का है।
- अब मनुष्यों को भी क्लीयर कर
समझाना है।
- इसको अब स्वर्ग वा पावन दुनिया थोड़ेही कहेंगे।
- सतयुग अलग है,
कलियुग अलग चीज़ है।
- यह चक्र कैसे फिरता है, यह समझाने में सहज है।
- समझानी अच्छी लगती है।
- परन्तु पुरूषार्थ कर याद की यात्रा में रहे, यह बहुतों से
हो नहीं सकता।
- अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) इस पुरानी देह और दुनिया को बुद्धि से भूल बाप और घर को याद करना है।
- सदा इसी खुशी में रहना है कि अभी हमारे सुख के दिन आये कि आये।
- 2) नॉलेजफुल बाप से जो नॉलेज मिली है उसका सिमरण कर दिमाग को पुर
(भरपूर) रखना है।
- देह-अभिमान में आकर कभी भी किसी प्रकार का घुटका नहीं
खाना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- ईश्वरीय भाग्य में लाइट का क्राउन प्राप्त करने वाले सर्व प्राप्ति स्वरूप भव
- दुनिया में भाग्य की निशानी राजाई होती है और राजाई की निशानी ताज होता है।
- ऐसे ईश्वरीय भाग्य की निशानी लाइट का क्राउन है।
- और इस क्राउन की प्राप्ति का
आधार है प्युरिटी।
- सम्पूर्ण पवित्र आत्मायें लाइट के ताजधारी होने के साथ-साथ सर्व
प्राप्तियों से भी सम्पन्न होती हैं।
- अगर कोई भी प्राप्ति की कमी है तो लाइट का
क्राउन स्पष्ट दिखाई नहीं देगा।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- अपनी रूहानी स्थिति में स्थित रहने वाले ही मन्सा महादानी हैं।
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