01-05-2021 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन
मीठे बच्चे - इसी रूहानी नशे में रहो कि हम ईश्वरीय फैमिली के हैं, हम अपनी गुप्त दैवी राजधानी स्थापन कर रहे हैं
प्रश्नः-
बच्चों में कौन सी आदत पक्की हो तो सारा दिन खुशी बनी रहे?
उत्तर:-
अगर सवेरे-सवेरे उठकर विचार सागर मंथन करने की आदत हो तो सारा दिन अपार खुशी रहे।
बाप की श्रीमत है बच्चे, अमृतवेले उठकर अपने बाप से मीठी-मीठी बातें करो।
विचार करो - हम अभी किस फैमिली के हैं।
हमारा कर्तव्य क्या है, अगर बुद्धि में रहे कि हमारी यह ईश्वरीय फैमिली है,
हम अपनी नई राजधानी स्थापन कर रहे हैं तो सारा दिन खुशी बनी रहे।
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ओम् शान्ति।
- बच्चे जानते हैं कि यह रूहानी परिवार है, वह सब है जिस्मानी परिवार।
- यह है रूहानी परिवार।
- रूहानी बाप का यह परिवार, जैसे लौकिक घर में माँ-बाप, बच्चे होते हैं, वह हुआ हद का परिवार।
- तुम अभी बेहद की फैमिली ठहरे।
- बच्चे गाते भी हैं तुम मात-पिता... तो जैसे फैमिली हो गये।
- क्रियेटर की क्रियेशन ठहरे।
- यूँ तो बच्चे उनकी क्रियेशन हैं, परन्तु जानते नहीं हैं।
- तुम बच्चे अभी जानते हो, बरोबर बेहद बाप की यह फैमिली है।
- ईश्वरीय विश्व विद्यालय।
- इनके लिए गाया है विनाश काले प्रीत बुद्धि विजयन्ती।
- ऐसी फैमिली कभी गीता में नहीं गाई हुई है।
- तुम ईश्वरीय फैमिली; गुप्त दैवी राजधानी स्थापन कर रहे हो।
- किसको भी पता नहीं पड़ता।
- तुमको नशा है, जो-जो बाप को याद करेंगे, उनको नशा रहेगा।
- देह-अभिमान में आने से वह नशा उतर जायेगा।
- यह ईश्वरीय फैमिली है।
- हमको घर जाना है फिर दैवी राजधानी में आयेंगे।
- वहाँ है दैवी फैमिली।
- वह आसुरी फैमिली, यह है तुम्हारी ईश्वरीय फैमिली।
- रूहानी बापदादा के बच्चे बहन-भाई हैं।
- बस यह है रूहानी प्रवृत्ति मार्ग।
- सतयुग में ईश्वरीय फैमिली नहीं कहेंगे।
- वहाँ दैवी फैमिली हो जाती है।
- यह ईश्वरीय फैमिली बड़ी जबरदस्त है।
- तुम जानते हो अभी हम ईश्वरीय फैमिली, दैवी राज्य स्थापन कर रहे हैं।
- ऐसे-ऐसे अपने साथ बातें करते, विचार सागर मंथन करना चाहिए।
- सवेरे उठकर याद में बैठो तो विचार सागर मंथन करने की आदत पड़ जायेगी।
- उमंग में आते जायेंगे।
- जब और सब मनुष्य नींद में सोये रहते हैं, तुम उस समय जागते हो।
- तुम्हें सवेरे-सवेरे उठकर ऐसे-ऐसे ख्याल करने चाहिए फिर देखो तुमको कितनी खुशी रहती है।
- जो भी श्रीमत मिलती है उस पर चलना है फिर तुमको खुशी बहुत होगी, ईश्वरीय फैमिली की याद आयेगी।
- आसुरी फैमिली से दिल हट जायेगी।
- नया मकान जब बिल्कुल तैयार हो जाता है तो फिर पुराने से आसक्ति निकल जाती है।
- जब तक नया नहीं बना है तब तक कुछ न कुछ मरम्मत आदि करते रहते हैं।
- फिर दिल हट जाती है।
- यह पुरानी दुनिया भी ऐसी है।
- अब तुम जानते हो यह पुराना घर है, हम नये घर में जायेंगे।
- फिर नया चोला पहनेंगे।
- यह देह भी पुरानी है।
- अब तुम भविष्य 21 जन्मों के लिए राज्य भाग्य ले रहे हो।
- यहाँ राज्य नहीं करना है।
- यहाँ होती है स्थापना।
- यह बातें सिर्फ तुम ही जानते हो।
- है भी यह गीता, राजयोग है ना।
- इसे कहा जाता है सहज राजयोग।
- अनेक बार तुम इस राजयोग अभ्यास द्वारा दैवी राज्य स्थापन करते हो।
- वहाँ यह बातें याद नहीं रहेंगी।
- अगर वहाँ यह बातें याद रहें तो फिर सुख ही न भासे।
- चिंता लग जाये।
- इस समय तुमको गुप्त नशा है।
- ऊंच ते ऊंच बाबा की यह फैमिली है।
- इसको कहा जाता है ईश्वरीय गुप्त फैमिली टाइप।
- ईश्वरीय विश्व विद्यालय, ईश्वरीय यज्ञ भी कहते हैं।
- फैमिली है, हमको बहुत लवली बनना है।
- भविष्य में तुम बहुत लवली बनते हो।
- तुम हो रूप-बसन्त।
- आत्मा रूप भी है, बसन्त भी है।
- इतनी छोटी सी आत्मा अविनाशी पार्ट बजाती है।
- इस समय तुम रूप-बसन्त बने हो।
- बाप ज्ञान का सागर है।
- ज्ञान जरूर देंगे तब जब इस शरीर में आयेंगे।
- तुम जानते हो - ज्ञान की वर्षा बरसाते हैं।
- एक-एक रत्न लाखों रूपयों का है।
- अब तुम आत्माओं को बाप का परिचय मिला है।
- बाप ने स्मृति दिलाई है।
- तुम्हारी बुद्धि में है - यह 84 का चक्र कैसे फिरता है इसलिए तुम्हारा नाम ही है - स्वदर्शन चक्रधारी।
- विष्णु वा लक्ष्मी-नारायण स्वदर्शन चक्रधारी नहीं थे, उनमें यह ज्ञान नहीं होता।
- अभी आत्मा को यह ज्ञान मिलता है।
- सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है।
- भल त्रिमूर्ति कहते तो भी शिव नहीं दिखाते।
- त्रिमूर्ति के चित्र बहुत देखे होंगे।
- साकार में प्रजापिता तो यहाँ है ना।
- यह हो गया बहुत पुराना, ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर।
- तो यह हुआ प्रजापिता ब्रह्मा का सिज़रा।
- बाप सृष्टि रचते हैं, ब्रह्मा द्वारा।
- तो ब्रह्मा बड़ा हुआ ना।
- दिखाते भी बूढ़ा हैं।
- यह 84 जन्मों का चक्र लगाया हुआ है।
- अभी तुम इन बातों को समझ गये हो।
- यह भी जानते हो कि बाप के तो सब बच्चे हैं।
- आत्माओं को बाप का परिचय देना है।
- अभी भारत का बहुत बड़ा कल्याण हो रहा है।
- सब आत्मायें पवित्र हो मुक्तिधाम में चली जायेंगी।
- तुम हो ही भारत की सेवा पर।
- भारत खास दुनिया आम।
- तुम अभी थोड़े हो, जो इन बातों को समझते हो फिर नटशेल में समझाया जाता है, बच्चे मनमनाभव।
- अलग में भी समझाया जाता है, जो कुछ है दैवी राजधानी स्थापन करने में लगाओ।
- बापू गांधी क्या करते थे!
- वह भी रामराज्य चाहते थे।
- कैसा वण्डरफुल खेल है ना!
- अभी तुम साक्षी हो खेल देखते हो।
- तुमको हँसी आती है।
- कहाँ की बातें कहाँ ले जाते हैं।
- बाप कहते हैं - ड्रामा अनुसार दुनिया की गति बुरी हो गई है फिर बाप आकर सद्गति करते हैं।
- तुम बच्चों को नशा चढ़ा है।
- यह है सारे वर्ल्ड के निराकार बापू जी।
- यह ब्रह्मा भी किसका बच्चा है?
- शिवबाबा का।
- वह किसका बच्चा?
- यह मातायें कहती हैं - शिवबाबा हमारा बच्चा।
- यह है शिवबाबा का खेलपाल।
- बाकी ध्यान-दीदार में तो माया की बहुत प्रवेशता होती है।
- यह जो कहते हैं - हमारे में शिवबाबा आते हैं।
- शिवबाबा यह बोलते हैं।
- यह सब भूत की प्रवेशता है।
- तुम बच्चों को खबरदार रहना है।
- यह भूत की बीमारी ऐसी है जो दोनों जहाँ से उड़ा देती है।
- यह कभी भी ख्याल नहीं आना चाहिए कि हम साक्षात्कार करें।
- यह सब भक्ति के ख्यालात हैं।
- ज्ञान मार्ग को अच्छी रीति समझना है।
- माया अनेक प्रकार से धोखा देती है।
- साक्षात्कार आदि से कोई फ़ायदा नहीं।
- बाप कहते हैं इन द्वारा सगाई कराते हैं।
- बाप का फरमान है - तुमको कोई भी देहधारी को याद नहीं करना है।
- तुम अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।
- अपने कल्याण के लिए बाप को याद करना है।
- यह तो बहुत समझ की बात है।
- बाबा को कोई भी समाचार लिख सकते हैं।
- कई बच्चों को तो इतना भी अक्ल नहीं कि बेहद के बाप को चिट्ठी में अपना खुश-खैराफत का समाचार लिखें।
- लौकिक बाप को चिट्ठी न लिखें तो आराम ही फिट जाता।
- यह भी बेहद का बाप है।
- देखते हैं मास डेढ़ चिट्ठी नहीं आती है तो समझते हैं, इनको शायद माया खा गई, जो ऐसे पारलौकिक बाप को चिट्ठी नहीं लिखते हैं।
- इतना तो लिखना चाहिए - बाबा, हम नारायणी नशे में सदैव रहते हैं।
- आपकी दी हुई युक्ति में ही हम तत्पर हैं।
- तो बाबा समझेंगे खुश-राज़ी हैं।
- चिट्ठी नहीं लिखेंगे तो समझेंगे बीमार हैं।
- याद में ही नहीं रहते हैं।
- नहीं तो बाबा को समाचार देना है, बाबा हमने यह सर्विस की है, इनको समझाया, इनकी बुद्धि में पूरा नहीं बैठा।
- तो फिर यह भी समझायेंगे कि इस रीति समझाओ।
- भक्ति मार्ग में जो कुछ कहते हैं, समझते कुछ भी नहीं।
- मुख्य बात - बाप को ही नहीं जानते।
- बाप को जानने से भारत सद्गति को पाता है।
- बाप को न जानने कारण भारत बिल्कुल दुर्गति को पा लेता है।
- अब बाप तुम बच्चों को समझाते हैं - हम तुमको सद्गति में ले जाऊंगा, बाकी सबको मुक्ति में ले जाऊंगा।
- भारत जीवन मुक्ति में है तो बाकी सब मुक्ति में हैं।
- यह चेंज सिवाए बाप के और कोई नहीं कर सकता है।
- सर्व का सद्गति दाता एक ही बाप है।
- सर्व की सद्गति जरूर कल्प-कल्प संगम पर ही होगी।
- तुम जानते हो हम आत्माओं का रूहानी बाप एक है।
- उनको आत्मा ही याद करती है।
- तुमको भक्ति मार्ग में दो बाप हैं।
- सतयुग में है एक बाप।
- संगम पर हैं 3 बाप।
- प्रजापिता ब्रह्मा भी तो बाप ठहरा ना।
- शिव भी बाबा है।
- वह है सर्व आत्माओं का बाप, उनसे ही वर्सा लेना है।
- उनको याद करने से ही विकर्म विनाश होंगे।
- ब्रह्मा को याद करने से विकर्म विनाश नहीं होंगे, इसलिए शिवबाबा को ही याद करना है।
- हम उनके बने हैं, यह है सच्चा-सच्चा रीयल ज्ञान, रूहानी बाप का रूहानी बच्चों प्रति।
- बाकी सब हैं देह-अभिमानी।
- देह-अभिमानी पतित मनुष्य जो कर्तव्य करते हैं वह पतित ही करते हैं।
- दान पुण्य आदि जो भी करते हैं, वह सब पतित ही बनाते हैं।
- रावण राज्य में यह होता ही है।
- अब बाप आकर आर्डीनेन्स निकालते हैं।
- कहते हैं - बच्चे खबरदार, विकार में नहीं जाना, काम पर विजय पानी है।
- तूफान आदि तो बहुत आयेंगे।
- इसमें फाँ नहीं होना चाहिए।
- माया के इतने विकल्प आयेंगे जो अज्ञान काल में भी नहीं आये होंगे, ऐसे भी विकल्प आते हैं।
- कहते हैं - भक्ति मार्ग में तो बड़ी खुशी रहती है।
- अभी आपको याद करने चाहते हैं तो कर नहीं सकते।
- बिन्दी याद नहीं पड़ती है।
- बड़ी चीज़ हो तो याद करें।
- बाबा कहते हैं कि तुम शिवबाबा कहकर याद करो, इस पुरानी दुनिया को भूल जाओ।
- तुम शान्तिधाम में याद करो।
- सिर्फ शान्तिधाम को याद नहीं करना है, बाप की याद से ही विकर्म विनाश होंगे।
- आत्मा का स्वीट बाप से लव चाहिए। आधाकल्प का लवर है।
- आत्मा कहती है - हम आधाकल्प आपको भूल गये हैं।
- यहाँ ब्राह्मणियाँ जिनको ले आती हैं, बहुत खबरदारी से निश्चयबुद्धि वाले को ही आना है।
- अगर यहाँ आकर फिर जाए कोई पतित बना तो दण्ड ब्राह्मणी पर आ जायेगा इसलिए ब्राह्मणी पर बहुत रेसपान्सिबिलिटी है।
- बाबा ने यह रथ लिया है।
- सब बातों का अनुभवी है।
- यहाँ तो गन्द की बात नहीं।
- आपस में हँसना, खेलना, बातचीत करना इसकी कोई मना नहीं है।
- बाकी थोड़ा भी कोई आत्मा से प्यार रखेंगे तो फिर जास्ती बढ़ता जायेगा।
- उसकी याद आती रहेगी इसलिए इससे भी पार जाना है।
- अब तुम घर में बैठे हो वा सतयुग में बैठे हो? (घर में)
- बाप बच्चों को घर में पढ़ाते हैं।
- तुम सबका यह घर है।
- जब बाहर जाते हो तो ऐसे नहीं कहेंगे।
- यहाँ बहुत अच्छा नशा रहेगा।
- देह का अभिमान छोड़ना है।
- देही-अभिमानी बनो तो जात-पात का भेद सब निकल जायेगा।
- पुरानी दुनिया तमोप्रधान है, उनमें भेदभाव और ही बढ़ता जाता है।
- आगे ब्रिटिश गवर्मेन्ट के समय भाषाओं की खिटपिट नहीं थी, अब दिन-प्रतिदिन फूट बढ़ती जाती है।
- फिर सतयुग में एक ही भाषा होगी।
- कोई भेदभाव नहीं होगा।
- अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति-माता पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) किसी भी देहधारी की याद न आये, इसके लिए किसी से भी प्यार नहीं करना है।
- इससे भी पार जाना है।
- बहुत खबरदारी रखनी है।
- माया के विकल्पों से घबराना नहीं है, विजयी बनना है।
- 2) ध्यान दीदार में माया की बहुत प्रवेशता होती है इस भूत प्रवेशता से अपने को बचाना है।
- बाप को अपना सच्चा-सच्चा समाचार देना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- शक्ति रूप की स्मृति द्वारा पतित संस्कारों का नाश करने वाले काली रूप भव
- सदा अपना यह स्वरूप स्मृति में रहे कि मैं सर्व शस्त्रधारी शक्ति हूँ,
- मुझ पतित-पावनी पर कोई पतित आत्मा के नज़र की परछाई भी नहीं पड़ सकती।
- पतित आत्मा के पतित संकल्प भी न चल सकें - ऐसी अपनी ब्रेक पावरफुल चाहिए।
- यदि किसी पतित आत्मा का प्रभाव पड़ता है - तो इसका अर्थ है कि प्रभावशाली नहीं हो।
- जो स्वयं संघारी हैं वह कभी किसका शिकार नहीं बन सकते।
- तो ऐसा काली रूप बनो जो कोई भी आपके सामने ऐसा संकल्प भी करे तो उनका संकल्प मूर्छित हो जाए।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- रॉयल रूप की इच्छा का स्वरूप नाम, मान और शान है, इससे न्यारे बनो।
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