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ओम् शान्ति।
- ओम् शान्ति का अर्थ तो बच्चों को समझाया है।
- आत्मा अपना परिचय देती है।
- मेरा स्वरूप शान्त है और मेरा रहने का स्थान शान्तिधाम है, जिसको परमधाम, निर्वाणधाम भी कहा जाता है।
- बाप भी कहते हैं कि देह-अभिमान छोड़ देही-अभिमानी बनो, बाप को याद करो।
- वह है पतित-पावन।
- यह कोई भी नहीं जानते कि हम आत्मा हैं।
- यहाँ आये हैं पार्ट बजाने।
- अब ड्रामा पूरा होता है, वापिस जाना है, इसलिए कहते हैं, मुझे याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।
- इसको ही संस्कृत में कहते हैं, मनमनाभव।
- बाप ने कोई संस्कृत में नहीं कहा है।
- बाप तो इस हिन्दी भाषा में समझाते हैं।
- जैसे गवर्मेन्ट कहती है, एक ही हिन्दी भाषा होनी चाहिए।
- बाप ने भी वास्तव में हिन्दी में ही समझाया है।
- परन्तु इस समय अनेक धर्म, मठ, पंथ होने के कारण भाषायें भी अनेक प्रकार की कर दी हैं।
- सतयुग में इतनी भाषायें होती नहीं, जितनी यहाँ हैं।
- गुजरात में रहने वालों की भाषा अलग।
- जो जिस गाँव में रहते हैं, वह वहाँ की भाषा जानते हैं।
- अनेक मनुष्य हैं, अनेक भाषायें हैं।
- सतयुग में तो एक ही धर्म, एक ही भाषा थी।
- अभी तुम बच्चों को सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज बुद्धि में है, यह कोई शास्त्र में नहीं है।
- ऐसा कोई शास्त्र नहीं जिसमें यह नॉलेज हो।
- न कल्प की आयु का ही लिखा हुआ है, न किसको मालूम है।
- सृष्टि तो एक ही है।
- सृष्टि का चक्र फिरता रहता है।
- नई से पुरानी, पुरानी से फिर नई होती है, इसको ही कहा जाता है, स्वदर्शन चक्र।
- जिसको इस चक्र का नॉलेज है, उसको कहा जाता है स्वदर्शन चक्रधारी।
- आत्मा को ज्ञान रहता है, यह सृष्टि चक्र कैसे फिरता है, वह फिर कृष्ण को, विष्णु को स्वदर्शन चक्र दे देते हैं।
- अब बाप समझाते हैं, उन्हों को तो नॉलेज थी नहीं।
- सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का नॉलेज बाप ही देते हैं।
- यह है स्वदर्शन चक्र।
- बाकी कोई हिंसा की बात नहीं, जिससे गला कट जाए।
- यह सब झूठ लिख दिया है।
- यह नॉलेज बाप के सिवाए कोई मनुष्य मात्र दे न सकें।
- मनुष्य को कभी भगवान कह नहीं सकते, जबकि ब्रह्मा-विष्णु-शंकर को भी देवता कहा जाता है।
- जो बाप की महिमा है, वह देवताओं की भी नहीं।
- बाप तो राजयोग सिखा रहे हैं।
- ऐसे नहीं कहेंगे बच्चों की भी वही महिमा है, जो बाप की है।
- बच्चे फिर भी पुनर्जन्म लेते हैं, बाप तो पुनर्जन्म में नहीं आते हैं।
- बच्चे, बाप को याद करते हैं।
- ऊंचे ते ऊंचा है भगवान, वह सदा पावन है।
- बच्चे पावन बन फिर पतित बनते हैं।
- बाप तो है ही पावन।
- बाप का वर्सा भी जरूर चाहिए, बच्चों को।
- एक तो मुक्ति चाहिए, दूसरा जीवनमुक्ति चाहिए।
- शान्तिधाम को मुक्ति, सुखधाम को जीवनमुक्ति कहा जाता है।
- मुक्ति तो सबको मिलती है।
- जीवनमुक्ति जो पढ़ेंगे उनको मिलेगी।
- भारत में बरोबर जीवन-मुक्ति थी, बाकी सब इतने मुक्तिधाम में थे।
- सतयुग में सिर्फ एक ही भारत खण्ड था।
- लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
- बाबा ने समझाया है, लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर सबसे जास्ती बनाते हैं।
- बिड़ला आदि जो मन्दिर बनाते हैं, वह यह नहीं जानते कि लक्ष्मी-नारायण को यह बादशाही कहाँ से मिली, कितना समय राज्य किया।
- फिर कहाँ चले गये, कुछ भी नहीं जानते।
- तो जैसे गुड़ियों की पूजा हुई ना, इसको कहा जाता है, भक्ति।
- आपेही पूज्य फिर आपेही पुजारी।
- पूज्य और पुजारी में बहुत फर्क है, उनका भी अर्थ होगा ना।
- पतित उनको कहा जाता है, जो विकारी हैं।
- क्रोधी को पतित नहीं कहेंगे, जो विकार में जाते हैं उनको पतित कहा जाता है।
- इस समय तुमको ज्ञान अमृत मिलता है।
- ज्ञान का सागर है ही एक बाप।
- बाबा ने समझाया है - यह भारत ही सतोप्रधान ऊंच ते ऊंच था, अभी तमोप्रधान है, यह तुम्हारी बुद्धि में है।
- यहाँ कोई राजाई तो है नहीं।
- यह है ही प्रजा का प्रजा पर राज्य।
- सतयुग में बहुत थोड़े होते हैं, अभी तो कितने हैं।
- विनाश की तैयारियाँ भी होती हैं।
- देहली परिस्तान तो बनना ही है।
- परन्तु यह कोई जानते नहीं हैं।
- वह तो समझते हैं, यह न्यु देहली है।
- इस पुरानी दुनिया को पलटाने वाला कौन है!
- यह किसको पता नहीं है।
- कोई शास्त्र में भी नहीं है।
- समझाने वाला एक ही बाप है।
- अभी तुम बच्चे नई दुनिया के लिए तैयारी कर रहे हो।
- कौड़ी से हीरे मिसल बन रहे हो।
- भारत कितना सॉलवेन्ट था, दूसरा कोई धर्म नहीं था।
- अभी तो अनेक धर्म हैं।
- अब रहमदिल बाप को याद करते हैं।
- भारत सुखधाम था, यह भूल गये हैं।
- अब तो भारत का क्या हाल है।
- नहीं तो भारत हेविन था।
- बाप का जन्म स्थान है ना।
- तो ड्रामा अनुसार उनको तरस आ जाता है।
- भारत तो प्राचीन देश है।
- कहते भी हैं बरोबर क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले भारत स्वर्ग था और कोई धर्म नहीं था।
- अभी यह भारत बिल्कुल पट आकर पड़ा है।
- गाते तो हैं - भारत हमारा देश सबसे ऊंच था।
- नाम ही था हेविन, स्वर्ग।
- भारत की महिमा का भी कोई को पता नहीं है।
- बाप ही आकर भारत की कहानी समझाते हैं।
- भारत की कहानी माना दुनिया की, इसको सत्य-नारायण की कहानी कहा जाता है।
- बाप ही बैठ समझाते हैं - पूरे 5 हजार वर्ष पहले भारत में लक्ष्मी-नारायण का राज्य था, जिन्हों के चित्र भी हैं।
- परन्तु उन्हों को यह राज्य कैसे मिला?
- सतयुग के आगे क्या था?
- संगम के आगे क्या था?
- यह है संगमयुग।
- जिसमें बाप को आना पड़ता है क्योंकि जब पुरानी दुनिया को नया बनाना हो तभी मुझे आना पड़ता है - पतित दुनिया को पावन बनाने।
- मेरे लिए फिर कह दिया है सर्वव्यापी।
- युगे-युगे आता है, तो मनुष्य ही मूँझ गये हैं।
- संगमयुग को सिर्फ तुम जानते हो।
- तुम कौन हो - बोर्ड पर लिखा हुआ है, प्रजापिता ब्रह्माकुमार कुमारी।
- ब्रह्मा का बाप कौन?
- शिव, ऊंच ते ऊंच।
- पीछे है ब्रह्मा फिर ब्रह्मा द्वारा रचना होती है।
- प्रजापिता तो जरूर ब्रह्मा को ही कहा जाता है।
- शिव को प्रजापिता नहीं कहेंगे।
- शिव सभी आत्माओं का निराकार बाप है।
- फिर यहाँ आकर प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा एडाप्ट करते हैं।
- बाप समझाते हैं मैंने इसमें प्रवेश किया है।
- उन द्वारा तुम मुख वंशावली ब्राह्मण बने हो।
- ब्रह्मा द्वारा ही तुमको ब्राह्मण बनाए फिर देवता बनाता हूँ।
- अभी तुम ब्रह्मा के बच्चे बने हो।
- ब्रह्मा किसका बच्चा?
- ब्रह्मा के बाप का कोई नाम है?
- वह है शिव निराकार बाप।
- वह आकर इनमें प्रवेश कर एडाप्ट करते हैं, मुख वंशावली बनाते हैं।
- बाप कहते हैं, मैं इनके बहुत जन्मों के अन्त में प्रवेश करता हूँ।
- यह हमारा बन जाता है, संन्यास धारण करते हैं।
- किसका संन्यास?
- घरबार छोड़ने की दरकार नहीं।
- गृहस्थ व्यवहार में रहते पवित्र रहना है।
- मामेकम् याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश हो जायेंगे।
- यही योग है, जिससे खाद निकल जाती है और तुम सतोप्रधान बन जाते हो।
- भक्ति में तो भल कितने भी गंगा स्नान करें, जप-तप आदि करें, नीचे उतरना जरूर है।
- सतोप्रधान थे, अब तमोप्रधान हैं फिर सतोप्रधान कैसे बनें?
- सो सिवाए बाप के कोई रास्ता बता न सके।
- बाप तो बिल्कुल ही सहज रीति बताते हैं - मामेकम् याद करो।
- यह आत्माओं से बात करते हैं।
- कोई गुजरातियों वा सिन्धियों से बात नहीं करते, यह है ही रूहानी ज्ञान।
- शास्त्रों में है जिस्मानी ज्ञान।
- रूह को ही ज्ञान चाहिए, रूह ही पतित बना है, उनको ही रूहानी इन्जेक्शन चाहिए।
- बाप को कहा जाता है, रूहानी अविनाशी सर्जन।
- वह आकर अपना परिचय देते हैं कि मैं तुम्हारा रूहानी सर्जन हूँ।
- तुम्हारी आत्मा पतित होने के कारण शरीर भी रोगी हो गया है।
- इस समय भारतवासी तथा सारी दुनिया नर्कवासी है, फिर स्वर्गवासी कैसे बन सकती है, सो बाप समझाते हैं।
- बाप कहते हैं - मैं ही आकर सब बच्चों को स्वर्गवासी बनाता हूँ।
- तुम भी समझते हो, बरोबर हम नर्कवासी थे।
- कलियुग को नर्क कहा जाता है।
- अब नर्क का भी अन्त है।
- भारतवासी इस समय रौरव नर्क में पड़े हैं, इसको सावरन्टी भी नहीं कहेंगे।
- लड़ते-झगड़ते रहते हैं।
- अब बाप स्वर्ग में ले जाने लायक बनाते हैं, तो उनका मानना चाहिए।
- अपने धर्म-शास्त्र को भी नहीं जानते हैं, बाप को ही नहीं जानते।
- बाप कहते हैं - मैंने तुमको पतित से पावन बनाया था न कि श्रीकृष्ण ने।
- कृष्ण तो पावन नम्बरवन था।
- उनको कहते भी हैं श्याम-सुन्दर।
- कृष्ण की आत्मा पुनर्जन्म लेते-लेते अब श्याम बनी है।
- काम-चिता पर बैठ काले बने हैं।
- जगत-अम्बा को काली क्यों दिखाते हैं?
- जैसे कृष्ण को काला दिखाया है वैसे जगत-अम्बा को भी काला दिखाते हैं।
- अब तुम काले हो फिर सुन्दर बनते हो।
- तुम समझा सकते हो भारत बहुत सुन्दर था।
- सुन्दरता देखनी हो तो अजमेर (सोनी द्वारिका) में देखो।
- स्वर्ग में सोने हीरे के महल थे।
- अभी तो पत्थर-भित्तर के हैं, सब तमोप्रधान हैं।
- तो बच्चे जानते हैं - शिवबाबा, ब्रह्मा दादा दोनों इकट्ठे हैं, इसलिए कहते हैं बापदादा।
- वर्सा शिवबाबा से मिलता है।
- अगर दादा से कहेंगे तो बाकी शिव के पास क्या है?
- वर्सा शिवबाबा से मिलता है, ब्रह्मा द्वारा।
- ब्रह्मा द्वारा विष्णुपुरी की स्थापना।
- अभी तो रावण राज्य है सिवाए तुम्हारे सब नर्कवासी हैं।
- तुम अभी संगम पर हो।
- अभी पतित से पावन बन रहे हो फिर विश्व के मालिक बन जायेंगे।
- यह कोई मनुष्य नहीं पढ़ाते हैं।
- तुमको मुरली कौन सुनाते हैं?
- शिव-बाबा।
- परमधाम से आते हैं, पुरानी दुनिया, पुराने शरीर में।
- कोई को निश्चय हो जाए तो फिर बाप से मिलने के सिवाए रह न सकें।
- कहें, पहले बेहद के बाप को तो मिलें, ठहर नहीं सकेंगे।
- कहेंगे, बेहद का बाप जो स्वर्ग का मालिक बनाते हैं, उनके पास हमको फौरन ले चलो।
- देखें तो सही, शिवबाबा का रथ कौन सा है!
- वो लोग भी घोड़े को श्रृंगारते हैं।
- पटका निशानी रखते हैं।
- वह रथ था मुहम्मद का, जिसने धर्म स्थापन किया।
- भारतवासी फिर बैल को तिलक दे, मन्दिर में रखते हैं।
- समझते हैं, इस पर शिव की सवारी हुई।
- अब बैल पर तो न शिव की, न शंकर की सवारी है।
- शिव निराकार है वह कैसे सवारी करेंगे।
- टांगे चाहिए जो बैल पर बैठ सकें।
- अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) बाप से जो ज्ञान अमृत मिलता है, उस अमृत को पीना और पिलाना है।
- पुजारी से पूज्य बनने के लिए विकारों का त्याग करना है।
- 2) बाप जो स्वर्ग में जाने के लायक बना रहे हैं, उनकी हर बात माननी है, पूरा निश्चयबुद्धि बनना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- अपने सम्पूर्ण स्वरूप के आह्वान द्वारा आवागमन के चक्र से छूटने वाले लक्की सितारे भव
- अब अपनी सम्पूर्ण स्थिति व सम्पूर्ण स्वरूप का आह्वान करो तो वही स्वरूप सदा स्मृति में रहेगा फिर जो कभी ऊंची स्थिति, कभी नीची स्थिति में आने-जाने का (आवागमन का) चक्र चलता है, बार-बार स्मृति और विस्मृति के चक्र में आते हो, इस चक्र से मुक्त हो जायेंगे।
- वे लोग जन्म-मरण के चक्र से छूटने चाहते हैं और आप लोग व्यर्थ बातों से छूट चमकते हुए लक्की सितारे बन जाते हो।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- किसी भी विघ्न के वश होना अर्थात् डायमण्ड पर दाग लगाना।
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