19-06-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति
"बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम महान सौभाग्यशाली हो क्योंकि तुम्हें भगवान वह पढ़ाई पढ़ाते हैं
जो अब तक किसी ऋषि-मुनि ने भी नहीं पढ़ी''
प्रश्नः-
ड्रामा की कौन सी भावी तुम बच्चे जानते हो, दुनिया के मनुष्य नहीं?
उत्तर:-
तुम जानते हो इस रूद्र ज्ञान यज्ञ से विनाश ज्वाला प्रज्जवलित हुई है।
अब सारी
पुरानी दुनिया इसमें स्वाहा हो जायेगी।
यह भावी कोई टाल नहीं सकता।
यह ऐसा
अश्वमेध अविनाशी रूद्र यज्ञ है जिसमें सारी सामग्री स्वाहा होगी फिर हम इस पतित
दुनिया में नहीं आयेंगे।
इसे ईश्वर की भावी नहीं, ड्रामा की भावी कहेंगे।
गीत:- मुखड़ा देख ले प्राणी...
|
-
ओम् शान्ति।
- तुम बच्चे भी मनुष्य हो।
- यह मनुष्यों की सृष्टि है।
- इस समय तुम
ब्राह्मण धर्म के मनुष्य बने हो।
- बाप शिक्षा देते हैं आत्माओं को।
- आत्मा को अभी
अपने स्वधर्म का पता है कि हम आत्मा इस शरीर को चलाने वाली हैं।
- आत्मा का यह
रथ है।
- जैसे बाप इस रथ पर आकर सवार हुए हैं, तुम्हारी आत्मा भी इस रथ पर
सवार है।
- सिर्फ आत्मा को यह ज्ञान भूल गया है कि हम आत्मा शान्त स्वरूप हैं।
- हमारे रहने का स्थान ही मूलवतन में है।
- यह शरीर हमको यहाँ मिलता है।
- ऐसे-ऐसे
अपने साथ बातें करनी हैं।
- बाप कहते हैं तुम आत्मा शान्त स्वरूप हो।
- अगर तुम चाहो
हम शान्ति में बैठें तो अपने को आत्मा समझ शान्तिधाम के निवासी समझो।
- थोड़ा
समय शान्ति में बैठ सकते हैं।
- मनुष्य शान्ति ही मांगते हैं।
- मन को शान्ति चाहिए -
यह आत्मा ने कहा, परन्तु मनुष्य यह नहीं जानते हैं कि मैं आत्मा हूँ।
- यह भूल गये
हैं।
- एक कहानी भी है ना - रानी के गले में हार पड़ा था और ढूँढती थी बाहर।
- तो बाप
भी समझाते हैं शान्ति तो तुम्हारा स्वधर्म है।
- बच्चों ने समझा है हम आत्मायें शान्त
स्वरूप हैं।
- यहाँ आई हैं पार्ट बजाने।
- इन आरगन्स से डिटैच हो जाते हैं तो आत्मा
शान्त है।
- आत्मा अपने स्वधर्म शान्ति में जितना चाहे बैठ सकती है।
- चाहो हम इस
शरीर से काम न करें, तो शान्त में बैठ जाओ।
- यह है सच्ची शान्ति, इनको तुम ढूँढते
नहीं।
- तुम्हारा स्वधर्म शान्त है।
- अभी यहाँ पार्ट बजा रहे हैं।
- बाप द्वारा मालूम पड़ा है,
हमने 84 जन्मों का पार्ट बजाया।
- इन 84 जन्मों के चक्र का कोई को पता नहीं।
- सिर्फ
तुम बच्चे ही समझते हो।
- पहले हम सूर्यवंशी राजा वा प्रजा थे फिर चन्द्रवंशी सो वैश्य
वंशी, सो शूद्र वंशी बनें।
- अब फिर से हमको सूर्यवंशी बनना है।
- तुम बच्चे सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त को जान गये हो, तुम कितने सौभाग्यशाली हो।
- बाप तो यथार्थ बात समझाते हैं।
- यह है ही सद्गति मार्ग।
- यह समझाना है कि सर्व का
सद्गति दाता एक है।
- अभी जान गये हो हमको बाबा आकर 21 जन्मों के लिए
सद्गति प्राप्त करा रहे हैं।
- बाहर वाले मनुष्य इन बातों को जानते ही नहीं।
- तुम
ब्रह्माकुमार-कुमारियाँ ही जानते हो।
- कोई पूछते हैं - तुम बी.के. क्या जानते हो?
- परीक्षा
तो होनी ही चाहिए कि ब्राह्मण वा ब्राह्मणी हैं वा नहीं।
- अगर तुम ब्रह्मा के बच्चे हो
तो सृष्टि चक्र को जरूर जानते होंगे।
- बाप रचयिता को जानते हो?
- ऋषि-मुनि आदि तो रचता और रचना को जानते ही नहीं।
- तो गोया नास्तिक ठहरे।
- तुम भी नास्तिक थे।
- तुम भी रचता बाप और रचना के आदि-मध्य-अन्त को नहीं जानते थे।
- स्कूल में पहले
अनपढ़ ही आते हैं।
- फिर कहेंगे स्कूल में यह-यह पढ़ा है।
- अभी तुम हो ईश्वरीय पढ़ाई
में।
- परमपिता परमात्मा तुमको पढ़ा रहे हैं।
- यह बुद्धि में समझना चाहिए।
- रचता तो
एक शिवबाबा ही है।
- रूद्र ने ज्ञान यज्ञ रचा यह शास्त्रों में भी है।
- अब रूद्र और शिव
परमात्मा में फ़र्क तो कोई है नहीं।
- यह भी है कि रूद्र ज्ञान यज्ञ से विनाश ज्वाला
निकली।
- सिर्फ रूद्र शिव की जगह कृष्ण का नाम डाल दिया है।
- है वही गीता।
- कहते हैं
इस ज्ञान यज्ञ से विनाश ज्वाला प्रज्जवलित हुई।
- तो स्वराज्य के लिए यह ज्ञान यज्ञ
है।
- इसमें पुरानी दुनिया स्वाहा होनी है।
- यज्ञ में सारी आहुति अर्थात् सामग्री डालते हैं।
- सब स्वाहा कर देते हैं।
- तो इस रूद्र ज्ञान यज्ञ में सारी पुरानी दुनिया स्वाहा हो
जायेगी।
- तुम अब राजयोग सीख रहे हो।
- इस पतित दुनिया में फिर आयेंगे नहीं।
- यह
दुनिया फिर खत्म हो जानी है।
- तुम जानते हो, नेचुरल कैलेमिटीज आदि सब होंगी।
- यह सारी नॉलेज तुम्हारी बुद्धि में बैठना चाहिए।
- शिवबाबा कहते हैं - मेरी बुद्धि में ही
सारा ज्ञान है।
- बाप सत है, चैतन्य है, ज्ञान का सागर है।
- सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त
को जानते हैं।
- ऋषि-मुनि तो कहते हैं, हम रचता और रचना को नहीं जानते।
- तुमसे
कोई पूछेंगे तुमको क्या मिलता है?
- बोलो - जिसको बड़े-बड़े ऋषि-मुनि आदि कहते थे
कि हम रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त को नहीं जानते हैं सो हम जानते हैं।
- रचता बाप के सिवाए रचना के आदि-मध्य-अन्त का राज़ कोई समझा नहीं सकता।
- रचता ही समझायेंगे।
- तुमको मालूम है, मक्खियों की भी रानी होती है।
- रानी के साथ
पीछे-पीछे सब मक्खियाँ जाती हैं।
- रानी अर्थात् माँ के साथ उनका कितना सम्बन्ध है।
- बेहद का बाप भी आते हैं तो सभी बच्चों को साथ ले जाते हैं।
- तुम जानते हो - बाबा
आया हुआ है, हम आत्माओं को साथ ले जायेंगे - शान्तिधाम में।
- फिर से हमारा
सतयुग का पार्ट शुरू होगा।
- जिस पार्ट बजाने के लिए तुम यह देवी-देवता पद पा रहे
हो।
- यहाँ तुम आते ही हो - मनुष्य से देवता पद पाने।
- सब गुण यहाँ धारण करने हैं।
- इन लक्ष्मी-नारायण जैसा बनना है।
- इनको दिव्य दृष्टि के सिवाए कोई देख न सके।
- अभी तुम जानते हो हम सूर्यवंशी देवता बनेंगे।
- तुम्हारी बुद्धि में है कि स्वर्ग की
राजधानी कैसे स्थापन होती है।
- सतयुग में था ही देवताओं का राज्य परन्तु देवताओं
के राज्य में भी फिर राक्षस आदि दिखाये हैं।
- यह कोई जानते ही नहीं।
- भारत कितना
पवित्र था, महिमा भी गाते हैं सर्वगुण सम्पन्न...।
- उन्हों के आगे माथा भी टेकते हैं।
- मन्दिर भी बहुत बने हुए हैं।
- परन्तु यह पता नहीं कि आदि सनातन देवी-देवता धर्म
सतयुग का कब और कैसे स्थापन हुआ?
- भारत जो इतना ऊंच था, वह नीच कैसे
बना?
- यह किसको भी पता नहीं है।
- कहते हैं यह भावी बनी बनाई है।
- किसकी भावी
है?
- वह भी नहीं समझते।
- ड्रामा की भावी समझें तो समझ में आये।
- ड्रामा का रचयिता
क्रियेटर, डायरेक्टर कौन है?
- सिर्फ कह देते ईश्वर की भावी।
- ड्रामा कहने से ड्रामा के
आदि-मध्य-अन्त को जानना चाहिए।
- सिर्फ किताब पढ़ने से ड्रामा का पता नहीं पड़
सकता है।
- जब तक जाकर कोई ड्रामा देखे नहीं।
- जैसे अखबार में भी पड़ा था - एक
कृष्ण चरित्र का ड्रामा बना हुआ है।
- परन्तु देखने बिगर कोई समझ थोड़ेही सकता है।
- देखेंगे तब समझेंगे ड्रामा में यह सब होना है।
- तुम बच्चे भी ड्रामा को अभी समझते
हो।
- मनुष्य कहते हैं - वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी का यह चक्र फिरता रहता है।
- परन्तु
कैसे फिरता है, यह किसको पता ही नहीं।
- नाम भी लिखे हुए हैं - सतयुग, त्रेता,
द्वापर, कलियुग फिर संगमयुग।
- परन्तु मनुष्यों ने समझ लिया है - युगे-युगे आते हैं।
- सतयुग त्रेता का भी संगम होता है।
- परन्तु उस संगम का कोई महत्व नहीं है।
- वहाँ तो
कुछ होता नहीं।
- यह बातें तुम जानते हो - सतयुगी सूर्यवंशियों ने फिर चन्द्रवंशियों को
राज्य कैसे दिया?
- ऐसे नहीं कि चन्द्रवंशियों ने सूर्यवंशियों पर जीत पाई।
- नहीं, जो
चन्द्रवंशी का राजा होता है तो सूर्यवंशी राजा-रानी उनको राज्य भाग्य का तिलक दे
तख्त पर बिठाते हैं।
- राजा राम, रानी सीता का टाइटिल मिलता है।
- किसने दिया?
- कहेंगे सूर्यवंशियों ने ट्रासंफर किया, अब तुम राज्य करो।
- जो सीन तुम बच्चों ने
साक्षात्कार में देखी है।
- बाकी कोई लड़ाई आदि नहीं लगती है।
- जैसे किसको राजाई दी
जाती है, वैसे देते हैं।
- उन्हों के पैर आदि धोकर उनको राज्य तिलक देते हैं।
- वहाँ कोई
गुरू गोसाई तो होते नहीं हैं।
- अब तुम बच्चों की बुद्धि में है हम दैवी स्वभाव वाले
बनते हैं।
- सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी राज्य में हम कितने सुखी होंगे।
- बाबा हमको दु:ख से
निकाल सुख में ले जाते हैं और कोई सुखी बना न सके।
- साधू लोग खुद भी चाहते हैं -
हम शान्तिधाम में जायें।
- बाप कहते हैं - मैं इन साधुओं आदि का भी उद्धार कर सबको
शान्तिधाम में ले जाता हूँ।
- सन्यासी तो आते ही द्वापर में हैं।
- स्वर्ग में हम देवतायें ही
रहते हैं।
- वहाँ भी सेक्शन अलग-अलग हैं।
- सूर्यवंशियों का अलग, चन्द्रवंशियों का अलग
फिर बाद में इस्लामी, बौद्धी, सन्यासी आदि जो भी आते हैं, सबका सेक्शन
अलग-अलग बना हुआ है।
- जब हम राज्य करते थे तो दूसरा कोई था नहीं।
- मूलवतन
में भी ऐसी माला नम्बरवार बनी हुई है।
- आदि सनातन देवी-देवता धर्म वालों की है
पहली बिरादरी।
- फिर और बिरादरियाँ निकलती हैं।
- यह बिरादरी है बड़े ते बड़ी और
दूसरे जो धर्म स्थापक आते हैं - सब उनसे निकले हुए हैं।
- तुम कहेंगे इस्लामियों की है
सेकेण्ड नम्बर बिरादरी।
- फिर बौद्धियों की बिरादरी थर्ड नम्बर।
- हम हैं फर्स्ट बाकी हद
की और छोटे-छोटे तो लाखों होंगे।
- यहाँ तो मुख्य हैं 4 बिरादरियाँ।
- पहले-पहले हम
आते हैं फिर इस्लामी, बौद्धी क्रिश्चियन आदि आते हैं।
- अभी हम नीचे गिर गये हैं।
- हमको ही 84 जन्म ले पार्ट बजाना पड़ता है।
- जो अभी लास्ट में हैं, वही फिर फर्स्ट में
होंगे।
- देवी-देवतायें अब पतित होने के कारण अपने को देवी-देवता कहला नहीं सकते।
- देवताओं को तो पूजते हैं इससे सिद्ध है - उन्हों के बिरादरी के हैं।
- सिक्ख लोग
गुरूनानक को मानते हैं, उनकी बिरादरी के हैं।
- सतयुग में पहला नम्बर हमारी बिरादरी
है।
- उनसे ऊंच बिरादरी कोई होती नहीं।
- हम ऊंच ते ऊंच बिरादरी वाले हैं।
- हम सबसे
जास्ती सुख भोगते हैं, फिर वही कंगाल बनते हैं।
- सबसे जास्ती दु:खी यह हैं।
- कर्जा भी
यह लेते रहते हैं।
- कितने साहूकार थे, अभी कितने गरीब हैं।
- सब कुछ गँवा बैठे हैं।
- यह है ही दु:खधाम।
- अब बाप फिर तुमको सुखधाम का मालिक बनाते हैं।
- बाकी सब
चले जायेंगे शान्तिधाम।
- आधाकल्प तुम सुख भोगते हो, बाकी सब शान्ति में रहते हैं।
- चाहते भी हैं - हम मुक्ति में जायें।
- सुख को काग विष्टा समान समझते हैं।
- उनको
सुखधाम का अनुभव ही नहीं है।
- तुमको अनुभव है।
- महिमा भी गाते हैं परन्तु पतित
होने के कारण भूल गये हैं।
- अब बाप याद दिलाते हैं - हे भारतवासी तुम देवी-देवता
धर्म के हो।
- द्वापर से नाम बदली कर दिया है।
- देवता धर्म वाले ही पतित बन गये।
- गाते भी रहते हैं हे पतित-पावन आओ।
- बाप ने बताया है - तुम कितने जन्म पावन
दुनिया में थे।
- कितने जन्म पतित दुनिया में हैं।
- अब फिर पावन दुनिया में जाना है।
- यह पाठशालाओं की पाठशाला है, यज्ञों का यज्ञ है।
- सारी पुरानी दुनिया इसमें खत्म
होनी है।
- होलिका जलाते हैं, यह सब पर्व अभी के हैं।
- आत्मा चली जायेगी, बाकी शरीर
खत्म हो जायेंगे।
- यह नॉलेज कोई सन्यासी आदि दे न सकें।
- गीता में कुछ है परन्तु
आटे में लून (नमक) ज्ञान प्राय:लोप हो जाता है।
- शिवबाबा कहते हैं - हमने यह यज्ञ
रचा है, इनमें तन-मन-धन सब स्वाहा करते हो, जीते जी मरते हो।
- यह ज्ञान तुमको
अभी मिल रहा है।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमसते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) सुखधाम में जाने के लिए अपना दैवी स्वभाव बनाना है।
- ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त
के राज़ को बुद्धि में रख हर्षित रहना है।
- सबको यही राज़ समझाना है।
- 2) स्वराज्य लेने के लिए इस बेहद यज्ञ में जीते जी अपना तन-मन-धन स्वाहा करना
है।
- सब कुछ नई दुनिया के लिए ट्रांसफर कर लेना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- सर्व आत्माओं पर स्नेह का राज्य करने वाले विश्व राज्य अधिकारी भव
- जो बच्चे वर्तमान समय सर्व आत्माओं के दिल पर स्नेह का राज्य करते हैं वही
भविष्य में विश्व के राज्य का अधिकार प्राप्त करते हैं।
- अभी किसी पर आर्डर नहीं
चलाना है।
- अभी से विश्व महाराजन नहीं बनना है, अभी विश्व सेवाधारी बनना है,
स्नेह देना है।
- देखना है कि अपने भविष्य के खाते में स्नेह कितना जमा किया है।
- विश्व महाराजन बनने के लिए सिर्फ ज्ञान दाता नहीं बनना है इसके लिए सबको स्नेह
अर्थात् सहयोग दो।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- जब थकावट फील हो तो खुशी में डांस करो, इससे मूड चेंज हो जायेगी।
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