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ओम् शान्ति।
- रूहानी बाप कहते हैं - मीठे-मीठे रूहों ने अथवा बच्चों ने यह गीत सुना।
- इसको कहा
जाता है ज्ञान का गीत।
- यह गीत तो बहुत अच्छा है।
- तुम आत्मायें अब जाग गई हो।
- ड्रामा के राज़ को भी अभी तुम जान गये हो।
- भक्ति मार्ग का तो कौतुक देख लिया है
ना - जो कुछ बीता वह तुम्हारी बुद्धि में है।
- तुम अपने बीते हुए 84 जन्मों की हिस्ट्री
को जानते हो।
- बाप ने 84 जन्मों की कहानी सुनाई है।
- यह है नई दुनिया के लिए नई
बातें।
- बाप द्वारा तुम नई बातें सुनते हो।
- बाप बच्चों को धीरज देते हैं।
- बच्चे अब नई
दुनिया में चलना है तो पुरानी बातों को भूल जाओ।
- यह वेद शास्त्र जो भी भक्ति मार्ग
की सामग्री है, यह सब खत्म होनी है।
- वहाँ भक्ति मार्ग का चिन्ह भी नहीं रहता।
- वहाँ
तो भक्ति का फल मिल जाता है।
- भक्तों को बाप आकर फल देते हैं।
- बच्चों ने जाना
बाप कैसे आकर भक्ति का फल देते हैं, जिसने सबसे जास्ती भक्ति की है, उनको
जरूर जास्ती फल मिलेगा।
- ज्ञान का पुरुषार्थ भी वह जास्ती करेगा।
- तुम जानते हो हम
आत्माओं ने जास्ती भक्ति की है।
- जरूर ज्ञान में भी वह तीखे जायेंगे तब इन
लक्ष्मी-नारायण जैसा ऊंच पद पायेंगे।
- अब ज्ञान और योग के लिए तुम्हारा पुरुषार्थ है।
- देही-अभिमानी हो रहना है फिर देहधारी भी होना है।
- कर्म करते हुए बाप को याद
करना है।
- देह बिगर तो हम कर्म कर न सकें।
- यह तो ठीक है - बाबा को याद करना
है, परन्तु अपने को आत्मा समझें, देह को भुला देने से काम नहीं होगा, कर्म तो करना
ही है।
- बाप की याद में बहुत मजा है।
- उठते-बैठते, चलते-फिरते बाप को याद करो
परन्तु फिर भी पेट को भोजन तो चाहिए।
- देही-अभिमानी हो रहना है।
- देही-अभिमानी
इस समय तुम बच्चों के सिवाए कोई भी नहीं।
- भल अपने को आत्मा भी समझें परन्तु
परमात्मा का परिचय नहीं।
- भल समझें हम आत्मा अविनाशी हैं, यह शरीर विनाशी है
परन्तु यह समझने से विकर्म विनाश नहीं होंगे।
- कहते भी हैं पुण्य आत्मा, पतित
आत्मा।
- मैं आत्मा हूँ, मेरा यह शरीर है।
- यह तो कॉमन बात है।
- मूल बात बाप
समझाते हैं कि मुझे याद करो।
- शरीर निर्वाह अर्थ देह-अभिमान में तो आना है।
- देह को
खिलाना भी है, देह बिगर तो कुछ कर नहीं सकते।
- हर जन्म में अपना शरीर निर्वाह
करते आते हो, कर्म करते हुए भी अपने माशुक को याद रखना है।
- उस माशूक का
किसी को पूरा पता नहीं है।
- उस माशूक अथवा बाप से हमको वर्सा मिलना है और
उनकी याद से विकर्म विनाश होंगे, यह कोई नहीं समझाते हैं।
- तुम बच्चे नई बातें
सुनते हो।
- तुम जानते हो घर जाने का हमको रास्ता मिला है।
- अपने घर जाकर फिर
राजधानी में आयेंगे।
- बाबा नया मकान बनाते हैं तो जरूर दिल होगी ना कि उसमें
जाकर बैठें।
- अब तुमको रास्ता मिला है, जिसको और कोई नहीं जानते।
- कितने भी यज्ञ
तप आदि करते, माथा फोड़ते रहते हैं, सद्गति को पा नहीं सकते।
- इस दुनिया से उस
दुनिया में जा नहीं सकते।
- यह भी समझना चाहिए।
- शास्त्रों में लाखों वर्ष लिख दिया है
इसलिए मनुष्यों की बुद्धि काम नहीं करती है।
- तुम अच्छी रीति समझ सकते हो - कल
की बात है।
- भारत तो स्वर्ग था, हम आदि सनातन देवी-देवता धर्म वाले थे।
- देवी-देवता
धर्म बहुत सुख देने वाला है।
- भारत जैसा सुख कोई भी पा नहीं सकता।
- स्वर्ग में तो
और कोई धर्म वाला जा न सके।
- तुम्हारे जैसा सुख और कोई को हो न सके।
- कितना
भी प्रयत्न करें!
- धन खर्च करें फिर भी स्वर्ग में जो सुख है वह मिल न सके।
- किसको
हेल्थ होगी तो वेल्थ नहीं होगी।
- किसको वेल्थ होगी तो हेल्थ नहीं होगी।
- यह है ही
दु:ख की दुनिया, तो अब बाप कहते हैं हे आत्मायें जागो... तुमको अब ज्ञान का तीसरा
नेत्र मिला है।
- कितनी जागृति आई है।
- तुम सारी दुनिया की हिस्ट्री-जॉग्राफी जानते हो।
- बाप जानी-जाननहार है ना।
- इसका मतलब यह नहीं कि सबके दिलों को जानता है।
- यह
कौन है, कितना समझाते हैं।
- यह कहाँ तक पवित्र रहते हैं, कहाँ तक बाबा को याद
करते हैं।
- मैं हर एक का यह ख्याल क्यों बैठ करूँ... हम तो रास्ता बताते हैं कि तुम
आत्माओं को अपने परमपिता परमात्मा को याद करना है।
- इस सृष्टि चक्र को बुद्धि में
रखना है।
- देही-अभिमानी तो जरूर बनना है।
- देह-अभिमानी बनने के कारण तुम्हारी यह
दुर्गति हुई है।
- अब तुमको बाप को याद करना है।
- गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल
समान बनना है।
- स्वदर्शन चक्रधारी भी तुम हो, देवताओं को तो शंख आदि नहीं है।
- यह ज्ञान शंख आदि तुम ब्राह्मणों को है।
- सिक्ख लोग शंख बजाते हैं, बहुत बड़ा
आवाज़ करते हैं।
- तुम भी यह ज्ञान बैठ देते हो तो बड़ी सभा में लाउड-स्पीकर लगाते
हो।
- तुमको यहाँ लाउड स्पीकर लगाने की दरकार नहीं।
- टीचर पढ़ायेंगे तो लाउड-स्पीकर
लगायेंगे क्या?
- यहाँ तो सिर्फ शिवबाबा को याद करना है तो विकर्म विनाश होंगे।
- मैं
सर्वशक्तिमान् हूँ ना।
- तुम लाउड-स्पीकर लगाते हो कि आवाज दूर-दूर तक सुनने में
आये।
- वह भी आगे चल काम में आयेगा।
- तुमको सुनाना यह है कि मौत सामने है।
- अभी सबको वापिस जाना है।
- महाभारत लड़ाई भी सामने खड़ी है।
- गीता में भी लिखा
हुआ है कि महाभारत लड़ाई लगी, विनाश हुआ।
- अच्छा फिर क्या हुआ?
- पाण्डव भी
गल मरे।
- बाप समझाते हैं - पहले अगर विनाश हो जाए फिर तो भारत खण्ड भी
खाली हो जाए।
- भारत तो अविनाशी खण्ड है, खाली तो होता नहीं।
- तुम जानते हो
प्रलय तो होती नहीं।
- बाबा अविनाशी है तो उनका बर्थ प्लेस भी अविनाशी है।
- बच्चों
को खुशी रहनी चाहिए - बाबा सर्व का सद्गति दाता, सुख-शान्ति कर्ता है।
- जो भी आते
हैं, कहते हैं शान्ति चाहिए।
- आत्मा को इतनी शान्ति क्यों याद आती है!
- शान्तिधाम
आत्माओं का घर है ना।
- घर किसको याद नहीं रहेगा?
- विलायत में कोई मरता है तो
चाहते हैं इनको अपनी जन्म भूमि में ले जायें।
- यह अगर सबको पता होता कि भारत
सर्व के सद्गति दाता, दु:ख से मुक्ति दिलाने वाले शिवबाबा का बर्थ प्लेस है तो उनका
बहुत मान होता।
- एक ही शिव के ऊपर आकर फूल चढ़ाये।
- अब तो कितनों के ऊपर
फूल चढ़ाते रहते हैं।
- जो सबको सुख-शान्ति देने वाला है, उनका नाम निशान ही गुम
कर दिया है।
- जो बाप को अच्छी रीति जानते हैं वही वर्सा लेने का पुरुषार्थ करते हैं।
- मेरा नाम ही है दु:ख हर्ता सुख कर्ता।
- दु:ख से लिबरेट करके क्या करेंगे!
- तुम जानते हो
शान्तिधाम में शान्त रहते हैं, सुखधाम में सुख है।
- शान्तिधाम की जगह अलग,
सुखधाम की जगह अलग, यह तो है ही दु:खधाम।
- सबको इस समय दु:ख ही दु:ख है।
- अभी तुम जानते हो हम ऐसे सुख में जाते हैं, जहाँ 21 जन्म कोई प्रकार का दु:ख नहीं
रहेगा।
- नाम ही है - सुखधाम।
- कितना मीठा नाम है।
- बाप कहते हैं - तुमको कोई
तकलीफ नहीं देते हैं।
- सिर्फ बाप को और वर्से को याद करना है।
- अपने को आत्मा
समझना है।
- यह ज्ञान तुमको बाबा सिखला रहे हैं।
- सतयुग में आत्मा का ज्ञान है, हम
आत्मा यह शरीर छोड़ दूसरा जन्म लेंगे, इसको आत्म-अभिमानी कहा जाता है।
- यह है
रूहानी नॉलेज, जो और कोई दे न सके।
- रूह को रूहानी बाप आकर नॉलेज देते हैं।
- हर
5 हजार वर्ष बाद देते हैं।
- मनुष्य तो बिल्कुल ही घोर अन्धियारे में हैं।
- अब तुमको
रोशनी मिली है, तुम अज्ञान नींद से जागे हो।
- सभी सजनियों का साजन है - एक बाप।
- बाप कहते हैं - मैं तुम्हारा बाप भी हूँ, साजन भी हूँ, गुरूओं का गुरू भी हूँ।
- सुप्रीम
टीचर हूँ।
- सर्व गुरूओं का सद्गति दाता एक ही सतगुरू है।
- कहते हैं बच्चे मैं सर्व की
सद्गति करता हूँ।
- गति के बाद सद्गति होती है।
- बाप ने समझाया है - हर एक की आत्मा को वापिस जाना है।
- आत्मा ही सतोप्रधान,
सतो-रजो-तमो बनती है।
- कोई-कोई का बहुत थोड़ा पार्ट है।
- आये और गये।
- जैसे मच्छरों
मुआफिक जन्मे और मरे।
- ऐसे तो बाप से वर्सा नहीं लेते हैं।
- बाप से वर्सा लिया जाता
है पवित्रता, सुख-शान्ति का।
- बाप तुम आत्माओं को समझाते हैं, बाप तो है निराकार।
- वह भी इस मुख से आकर समझाते हैं।
- शिवबाबा के मन्दिर भी बहुत ऊंच-ऊंच बनाते
हैं।
- कितना दूर-दूर जाते हैं, तीर्थों पर मेले पर।
- ऊपर में कोई ज्ञान अमृत पीने का रखा
है क्या!
- कितना खर्चा करते हैं।
- गवर्मेन्ट को भी उन्हों के लिए कितने प्रबन्ध आदि
रखने पड़ते हैं।
- तकलीफ होती है।
- यहाँ तीर्थो पर छोटे बच्चों को कैसे ले जायेंगे।
- बच्चों
आदि को कोई न कोई को सम्भालने लिए दे जाते हैं।
- साथ में नहीं ले जाते हैं।
- दो
तीन मास यात्रा करते हैं।
- यहाँ तुम आते हो, तुमको बैठकर सुनना है, पढ़ना है।
- छोटे
बच्चे तो नहीं सुनेंगे।
- यहाँ तुम आये ही हो - योग और ज्ञान सीखने।
- बाप बैठ ज्ञान
सुनाते हैं तो कोई आवाज आदि नहीं होना चाहिए।
- नहीं तो अटेन्शन जाता है।
- शान्ति
से बैठकर अटेन्शन देकर सुनना है।
- योग तो बहुत सहज है।
- कुछ भी काम करते रहो,
बुद्धि का योग वहाँ लगा रहे।
- बाबा की याद रहने से कमाई बहुत जबरदस्त होती है।
- तुम जानते हो हम एवरहेल्दी बनेंगे।
- अपने साथ बातें करनी होती है।
- बाबा की याद में
रहकर भोजन भी अपने हाथ से बनाना है।
- हाथों से काम भी करो, बाकी याद करो
अपने बाप को।
- तुम्हारा भी कल्याण होगा और याद में रहने से चीज़ भी अच्छी बनेगी।
- तुमको विश्व की बादशाही मिलती है।
- तुम यहाँ आते ही हो - लक्ष्मी-नारायण बनने।
- सब कहते हैं हम सूर्यवंशी बनेंगे।
- तुम जानते हो हमारे मम्मा-बाबा इस समय ब्रह्मा-सरस्वती हैं।
- दूसरे जन्म में
लक्ष्मी-नारायण बनेंगे।
- भविष्य में कोई क्या बनेंगे, ऐसे किसके जन्म का पता नहीं है।
- नेहरू क्या जाकर बना, क्या पता।
- अच्छा कुछ दान किया होगा तो यहाँ अच्छे कुल में
जन्म लेंगे।
- अभी तुमको पूरा पता पड़ता है।
- अभी इनका नाम है - आदि देव ब्रह्मा,
आदि देवी सरस्वती।
- वही फिर स्वर्ग के मालिक बनेंगे।
- अच्छा इनके बच्चे भी साथ हैं।
- वह भी कहेंगे हम स्वर्ग के मालिक बनेंगे।
- यह तो पक्का है।
- सूक्ष्मवतन में भी तुम
देखते हो - देवियों के मन्दिर में भी बहुत मेले लगते हैं।
- अभी जगदम्बा तो है एक।
- उनके फीचर्स भी एक ही होने चाहिए।
- मम्मा को भी तुम देखते हो।
- तुम बच्चों के
फीचर्स हैं फिर नाम रख दिये हैं, कन्या-कुमारी, अधर-कुमारी।
- तुम जानते हो यह हम
ही बनते हैं।
- हम सब हैं ब्रह्माकुमार-कुमारी।
- युगल भी कहते हैं हम ब्रह्माकुमार-कुमारी
हैं, एक बाप के बच्चे हैं।
- तुम्हारा ही यादगार है।
- बरोबर तुम बैठ यह नॉलेज देते हो,
अर्थ सहित यह देलवाड़ा मन्दिर है।
- परन्तु यह तुम ही समझा सकते हो।
- तुम जानते
हो हम स्थापना कर रहे हैं, राजयोग से श्रीमत पर भारत को स्वर्ग बना रहे हैं।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग।
रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) ज्ञान और योग पर पूरा-पूरा अटेन्शन देना है।
- सुनने समय बहुत शान्त, एकाग्रचित
होकर बैठना है।
- कर्मयोगी भी बनना है।
- 2) बाप ने जो घर का रास्ता बताया है, वह सबको बताना है।
- स्वदर्शन चक्रधारी बनने
के साथ-साथ ज्ञान शंख भी बजाना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- “एक बाप दूसरा न कोई'' इस पाठ की स्मृति से एकरस स्थिति बनाने वाली श्रेष्ठ
आत्मा भव
- “एक बाप दूसरा न कोई'' यह पाठ निरन्तर याद हो तो स्थिति एकरस बन जायेगी
क्योंकि नॉलेज तो सब मिल गई है, अनेक प्वाइंट्स हैं, लेकिन प्वाइंट्स होते हुए
प्वाइंट रूप में रहें - यह है उस समय की कमाल जिस समय कोई नीचे खींच रहा हो।
- कभी बात नीचे खीचेंगी, कभी कोई व्यक्ति, कभी कोई चीज़, कभी वायुमण्डल.....यह तो
होगा ही।
- लेकिन सेकण्ड में यह सब विस्तार समाप्त हो एकरस स्थिति रहे - तब
कहेंगे श्रेष्ठ आत्मा भव के वरदानी।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- नॉलेज की शक्ति धारण कर लो तो विघ्न वार करने के बजाए हार खा लेंगे।
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