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- ओम् शान्ति।
- मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने गीत सुना।
- नयों ने भी सुना तो पुरानों ने भी सुना, कुमारियों ने भी सुना।
- यह पाठशाला है।
- पाठशाला में कोई न कोई तकदीर बनाने जाते हैं।
- वहाँ तो अनेक प्रकार की तकदीर है, कोई सर्जन बनने की, कोई बैरिस्टर बनने की तकदीर बनाते हैं।
- तकदीर को एम आब्जेक्ट कहा जाता है।
- तकदीर बनाने बिगर पाठशाला में क्या पढ़ेंगे।
- अब यहाँ बच्चे जानते हैं कि हम भी तकदीर बनाकर आये हैं - नई दुनिया के लिए अपना राज्य भाग्य लेने।
- यह है नई दुनिया के लिए राजयोग।
- वह पुरानी दुनिया के लिए बैरिस्टर, इन्जीनियर, सर्जन आदि बनते हैं।
- वह बनते-बनते, अभी पुरानी दुनिया का टाइम बहुत थोड़ा रहा है, वह तो खत्म हो जायेगा।
- वह तकदीर है इस मृत्युलोक के लिए, इस जन्म के लिए।
- तुम्हारी पढ़ाई है नई दुनिया के लिए।
- तुम नई दुनिया के लिए तकदीर बनाकर आये हो।
- नई दुनिया में तुमको राज्य-भाग्य मिलेगा।
- कौन पढ़ाते हैं?
- बेहद का बाप, जिससे ही वर्सा पाना है।
- जैसे डॉक्टर लोगों को डॉक्टरी का वर्सा मिलता है अपनी पढ़ाई का।
- अच्छा जब बूढ़े होते हैं तब गुरू के पास जाते हैं।
- क्या चाहते हैं?
- कहते हैं हमको शान्तिधाम जाने की शिक्षा दो, हमको सद्गति दो।
- यहाँ से निकल शान्तिधाम ले जाओ।
- बाप से भी वर्सा मिलता है - इस जन्म के लिए।
- बाकी गुरू से तो कुछ नहीं मिलता।
- टीचर से कुछ न कुछ वर्सा पाते हैं क्योंकि आजीविका तो चाहिए ना।
- बाप का वर्सा होते हुए भी पढ़ते हैं कि हम भी अपनी कमाई करें।
- गुरू से कमाई कुछ हुई नहीं।
- हाँ, कोई-कोई गीता आदि अच्छी पढ़कर फिर गीता पर भाषण आदि करते हैं।
- यह सब है अल्पकाल सुख के लिए।
- अब तो इस मृत्युलोक का अन्त है।
- तुम जानते हो हम नई दुनिया की तकदीर बनाने आये हैं।
- यह पुरानी दुनिया खत्म हो जानी है।
- बाप की वा अपनी मिलकियत भी सब भस्म जो जायेगी।
- हाथ फिर भी खाली जायेंगे।
- अभी तो कमाई चाहिए नई दुनिया के लिए।
- पुरानी दुनिया के मनुष्य तो वह कर नहीं सकेंगे।
- नई दुनिया की कमाई कराने वाला है ही शिवबाबा।
- यहाँ तुम नई दुनिया के लिए तकदीर बनाने आये हो।
- वह बाप ही तुम्हारा बाप भी है, टीचर भी है, गुरू भी है।
- और वह आते ही हैं संगम पर, भविष्य के लिए कमाई सिखलाने।
- अब इस पुरानी दुनिया में तो थोड़े रोज़ हैं।
- यह दुनिया के मनुष्य नहीं जानते।
- तुम बच्चे जानते हो नई दुनिया के लिए यह हमारा बाप टीचर सतगुरू है।
- बाप आते ही हैं शान्तिधाम, सुखधाम में ले जाने।
- कोई तकदीर नहीं बनाते हैं, गोया कुछ भी समझते नहीं।
- एक ही घर में स्त्री पढ़ती है, पुरूष नहीं पढ़ता, बच्चे पढ़ेंगे माँ-बाप नहीं पढ़ेंगे।
- ऐसे होता रहता है।
- शुरू में परिवार के परिवार आये।
- परन्तु माया का तूफान लगने से आश्चर्यवत सुनन्ती, कथन्ती बाप को छोड़ चले गये।
- गाया हुआ भी है आश्चर्यवत सुनन्ती कथन्ती बाप का बनन्ती, पढ़ाई पढ़ावन्ती फिर भी... हाय कुदरत`, ड्रामा की।
- ड्रामा की ही बात हुई ना।
- बाप खुद कहते हैं अहो ड्रामा, अहो माया।
- किसको फारकती दे दी!
- स्त्री-पुरूष एक-दो को डायओर्स देते हैं।
- बच्चे बाप को फारकती देते हैं।
- यहाँ तो वह नहीं है।
- यहाँ तो डायओर्स दे न सकें।
- बाप तो आये हैं बच्चों को सच्ची कमाई कराने।
- बाप थोड़ेही किसको खड्डे में डालेंगे।
- बाप तो है ही पतित-पावन, रहमदिल।
- बाप आकर दु:ख से लिबरेट करते हैं और गाइड बन साथ ले जाने वाला है।
- ऐसे कोई लौकिक गुरू नहीं कहेंगे कि मैं तुमको साथ ले जाऊंगा।
- शास्त्रों में है भगवानुवाच - कि मैं तुम सबको ले जाऊंगा।
- मच्छरों सदृश्य सब जाने हैं।
- तुम बच्चे अच्छी रीति जानते हो अभी हमको जाना है घर।
- यह शरीर छोड़ना है।
- आप मुये मर गई दुनिया।
- अपने को सिर्फ आत्मा समझ बाप को याद करना है।
- यह तो पुराना चोला छी-छी है।
- यह दुनिया भी पुरानी है।
- जैसे पुराने घर में बैठे होते हैं, नया घर सामने बनता रहता है तो बाप भी समझेगा हमारे लिए, बच्चे भी समझते हमारे लिए बन रहा है।
- बुद्धि चली जायेगी नये घर तरफ।
- इसमें यह बनाओ, यह करो।
- बुद्धि उसमें ही लगी रहेगी फिर पुराना तोड़ देते हैं।
- ममत्व सारा पुराने से मिटाए नये से जुट जाता है।
- यह है बेहद दुनिया की बात।
- पुरानी दुनिया से ममत्व मिटाना है और नई दुनिया से लगाना है।
- जानते हैं यह पुरानी दुनिया खत्म होनी है।
- नई दुनिया है स्वर्ग।
- उसमें हम राजाई पद पाते हैं।
- जितना योग में रहेंगे, ज्ञान की धारणा करेंगे औरों को समझायेंगे, उतना खुशी का पारा चढ़ेगा।
- बड़ा भारी इम्तहान है।
- हम 21 जन्म के लिए वर्सा पा रहे हैं।
- साहूकार बनना तो अच्छा है ना।
- बड़ी आयु मिले तो अच्छा है ना।
- सृष्टि चक्र को जितना याद करेंगे, जितने को आप समान बनायेंगे उतना फायदा है।
- राजा बनना है तो प्रजा भी बनानी है।
- प्रदर्शनी में इतने ढेर आते हैं, वह सारी प्रजा बनती जायेगी क्योंकि इस अविनाशी ज्ञान का विनाश नहीं होता।
- बुद्धि में आयेगा - पवित्र बन पवित्र दुनिया का मालिक बनना है।
- रामराज्य की स्थापना हो रही है, रावण राज्य का विनाश हो जायेगा।
- सतयुग में तो होंगे ही देवतायें।
- बाबा ने समझाया था - लक्ष्मी-नारायण का चित्र जो बनाते हैं, उसमें लिखना चाहिए कि पास्ट जन्म में यह तमोप्रधान दुनिया में थे फिर इस पुरुषार्थ से तमोप्रधान दुनिया से सतोप्रधान विश्व के मालिक बनेंगे।
- मालिक राजा-प्रजा सब होती है ना।
- प्रजा भी कहेगी भारत हमारा सबसे ऊंचा है।
- बरोबर भारत ही सबसे ऊंच था।
- अभी नहीं है, था जरूर।
- अभी तो बिल्कुल गरीब हो गया है।
- प्राचीन भारत सबसे साहूकार था।
- हम भारतवासी सबसे ऊंच देवता कुल के थे।
- दूसरे कोई को देवी-देवता नहीं कहा जाता।
- अब तुम बच्चियां भी पढ़ती हो फिर औरों को समझाना है ना।
- बाबा ने डायरेक्शन दिया ना।
- कैसे प्रदर्शनी आदि में तार दी जाये, सो लिखकर आओ।
- तुम्हारे पास चित्र भी हैं, तुम सिद्ध कर बतला सकते हो कि उन्होंने यह पद कैसे पाया।
- अब फिर से यह पद पा रहे हैं शिवबाबा से।
- उनका चित्र भी है।
- शिव है परमपिता परमात्मा।
- ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के भी चित्र हैं।
- परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा स्थापना कर रहे हैं।
- विष्णुपुरी सामने खड़ी है।
- विष्णु द्वारा नई दुनिया की पालना।
- विष्णु है राधे-कृष्ण के दो रूप।
- अब गीता का भगवान कौन ठहरा?
- पहले तो यह लिखो कि गीता का भगवान निराकार शिव है न कि कृष्ण।
- ब्रहमा सो विष्णु, विष्णु सो ब्रह्मा कैसे बनते हैं।
- एक ही चित्र पर समझाने में कितना टाइम लगाता है।
- जब बुद्धि में बात बैठे।
- पहले-पहले तो यह समझाकर और फिर लिखना चाहिए।
- बाप कहते हैं - ब्रह्मा द्वारा तुमको योगबल से 21 जन्म का अधिकार मिलता है।
- शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा वर्सा दे रहे हैं।
- पहले-पहले इनकी आत्मा सुनती है।
- आत्मा ही धारण करती है।
- मूल बात है ही यह।
- चित्र तो शिव का दिखाते हैं।
- यह है परमपिता परमात्मा शिव फिर प्रजापिता ब्रह्मा तो जरूर चाहिए।
- यहाँ प्रजापिता ब्रह्मा के ब्रह्माकुमार-कुमारियां ढेर के ढेर हैं।
- जब तक ब्रह्मा के बच्चे न बनें, ब्राह्मण न बनें तो शिवबाबा से वर्सा कैसे लेंगे।
- कुख की पैदाइस तो हो न सके।
- यह भी गाया जाता है मुख वंशावली।
- तुम कहेंगे हम प्रजापिता ब्रह्मा के मुख वंशावली हैं।
- वो गुरुओं के चेले अथवा फॉलोअर्स होते हैं।
- यहाँ तुम एक को ही बाप टीचर सतगुरू कहते हो।
- सो भी उनको कहते हो जो निराकार शिवबाबा ज्ञान का सागर, नॉलेजफुल है।
- सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान देते हैं।
- वह टीचर भी है।
- निराकार, आकर साकार द्वारा सुनाते हैं।
- आत्मा ही बोलती है ना।
- आत्मा कहती है मेरे शरीर को तंग मत करो।
- आत्मा दु:खी होती है।
- इस समय है पतित आत्मा।
- पतितों को पावन बनाने वाला परमपिता परमात्मा है।
- आत्मा बुलाती है हे पतित-पावन, हे गॉड फादर।
- अब फादर तो एक बैठा है फिर भी याद किसको करते हैं।
- आत्मा कहती है यह हमारी आत्मा का फादर है।
- वह है शरीर का फादर।
- समझाया जाता है अब आत्माओं का बाप जो निराकार है, वह बड़ा या शरीर का रचयिता साकार बाप है, वह बड़ा?
- साकार तो निराकार को याद करता है।
- अब सबको समझानी दी जाती है, जबकि विनाश सामने खड़ा है।
- पारलौकिक बाप आते ही हैं अन्त में, सभी को वापिस ले जाने।
- बाकी जो कुछ भी है वह विनाश होने का है, इसको कहा ही जाता है मृत्युलोक।
- जब कोई मरता है तो कहते हैं फलाना परलोक पधारा, शान्तिधाम गया।
- मनुष्यों को पता नहीं है कि परलोक सतयुग को कहा जाता है या शान्तिधाम को?
- सतयुग तो यहाँ ही होता है।
- परलोक, शान्तिधाम को कहेंगे।
- समझाने की बड़ी युक्ति चाहिए।
- मन्दिरों में जाकर समझाना चाहिए।
- यह शिवबाबा का यादगार है, जो शिवबाबा हमको पढ़ा रहे हैं।
- शिव है वास्तव में बिन्दी।
- परन्तु बिन्दी की पूजा कैसे करें।
- फल फूल आदि कैसे चढ़ाये जायें, इसलिए बड़ा रूप बनाया है।
- इतना बड़ा रूप कोई होता नहीं।
- गाया भी जाता है भ्रकुटी के बीच चमकता है अजब सितारा... बड़ी चीज़ हो तो साइंस वाले झट उनको पकड़ लें।
- बाबा समझाते हैं उनको परमपिता परमात्मा का पूरा परिचय मिला नहीं है।
- जब तक तकदीर खुले, अभी तकदीर ही नहीं खुली है।
- जब तक बाप को न जानें, यह न समझें कि हमारी आत्मा बिन्दी समान है।
- शिवबाबा भी बिन्दी है, हम बिन्दी को याद करते हैं।
- ऐसे समझ याद करें तब विकर्म विनाश हों।
- बाकी यह देखने में आता, वह आता... इसे माया का विघ्न कहा जाता है।
- अभी तो खुशी है कि हमको परमात्मा मिला है, परन्तु ज्ञान भी चाहिए ना।
- किसको कृष्ण का साक्षात्कार होता है तो खुश हो जाते हैं।
- बाबा कहते हैं - कृष्ण का साक्षात्कार कर बहुत खुशी में डांस आदि करते हैं परन्तु उनसे कोई सद्गति नहीं होती।
- यह साक्षात्कार तो अनायास ही हो जाता है।
- अगर अच्छी रीति नहीं पढ़ेंगे तो प्रजा में चले जायेंगे।
- थोड़ा भी सुनते हैं तो कृष्णपुरी में साधारण प्रजा आदि जाकर बनेंगे।
- अभी तुम बच्चे जानते हो शिव-बाबा हमको यह नॉलेज सुना रहे हैं।
- वह है ही नॉलेजफुल।
- बाबा का फरमान है कि पवित्र जरूर बनना है।
- परन्तु कोई पवित्र भी रह नहीं सकते।
- कभी-कभी पतित भी यहाँ छिपकर आ जाते हैं।
- वह अपना ही नुकसान करते हैं।
- अपने को ठगते हैं।
- बाप को ठगने की बात ही नहीं।
- बाप से ठगी कर कोई पैसा लेना है क्या!
- शिवबाबा की श्रीमत पर कायदेसिर नहीं चलते तो क्या हाल होगा।
- बहुत सजायें खानी पड़ेंगी, दूसरा फिर पद भी भ्रष्ट हो जायेगा।
- कोई भी कायदे के विरुद्ध काम नहीं करना चाहिए।
- बाप तो समझायेंगे ना - तुम्हारी चलन ठीक नहीं है।
- बाप तो कमाई करने का रास्ता बताते हैं फिर कोई करे न करे उनकी तकदीर।
- सजायें तो खाकर वापिस शान्तिधाम में जाना ही है, पद भ्रष्ट हो जायेगा तो कुछ भी मिलेगा नहीं।
- आते तो बहुत हैं, परन्तु यहाँ बाप से वर्सा लेने की बात है।
- बच्चे कहते हैं, बाबा से तो हम स्वर्ग का सूर्यवंशी राजाई पद पायेंगे।
- राजयोग है ना।
- स्टूडेन्ट स्कॉलरशिप भी लेते हैं ना।
- पास होने वालों को स्कॉलरशिप मिलती है ना।
- यह माला उन्हों की बनी हुई है - जिन्होंने स्कॉलरशिप ली है।
- जितना-जितना जैसा पास होगा, ऐसी स्कॉलरशिप मिलेगी, वृद्धि होते-होते हजारों बन जाते हैं।
- राजाई पद है स्कॉलरशिप।
- जो अच्छी तरह पढ़ाई पढ़ते हैं, वह गुप्त नहीं रह सकते।
- बहुत नये-नये पुरानों से आगे निकल पड़ेंगे।
- हीरे जैसा जीवन बनायेंगे।
- अपनी सच्ची कमाई कर 21 जन्मों के लिए वर्सा पायेंगे, कितना खुशी होती है।
- जानते हैं यह वर्सा अब नहीं लिया तो फिर कभी नहीं ले सकेंगे।
- पढ़ाई का शौक होता है ना।
- कोई को तो जरा भी शौक नहीं है समझाने का।
- ड्रामा अनुसार तकदीर में नहीं है तो भगवान भी क्या करे।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) कोई भी कार्य श्रीमत के विरुद्ध नहीं करना है।
- पढ़ाई अच्छी रीति पढ़कर ऊंच तकदीर बनानी है।
- किसी को भी दु:ख नहीं देना है।
- 2) इस पुरानी दुनिया से ममत्व मिटा देना है।
- बुद्धियोग नई दुनिया से लगाना है।
- खुशी में रहने के लिए ज्ञान को धारण कर दूसरों को धारण कराना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- लाइट हाउस की स्थिति द्वारा पाप कर्मो को समाप्त करने वाले पुण्य आत्मा भव
- जहाँ लाइट होती है वहाँ कोई भी पाप का कर्म नहीं होता है।
- तो सदा लाइट हाउस स्थिति में रहने से माया कोई पाप कर्म नहीं करा सकती, सदा पुण्य आत्मा बन जायेंगे।
- पुण्य आत्मा संकल्प में भी कोई पाप कर्म नहीं कर सकती।
- जहाँ पाप होता है वहाँ बाप की याद नहीं होती।
- तो दृढ़ संकल्प करो कि मैं पुण्य आत्मा हूँ, पाप मेरे सामने आ नहीं सकता।
- स्वप्न वा संकल्प में भी पाप को आने न दो।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- जो हर दृश्य को साक्षी होकर देखते हैं वही सदा हर्षित रहते हैं।
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