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- ओम् शान्ति।
- पतित-पावन बाप, जो बच्चे पावन बनते हैं उन्हों को बैठ समझाते हैं।
- पतित बच्चे ही पावन बनाने वाले बाप को पुकारते हैं।
- ड्रामा का प्लैन भी कहते हैं, रावण राज्य होने के कारण सभी मनुष्य पतित हैं।
- पतित उसे कहा जाता है जो विकार में जाते हैं।
- ऐसे बहुत हैं जो विकार में नहीं जाते हैं।
- ब्रह्मचारी रहते हैं।
- समझते हैं हम निर्विकारी हैं, जैसे पादरी लोग हैं, मुल्लेकाज़ी हैं, बौद्धी भी होते हैं जो पवित्र रहते हैं।
- उनको पवित्र किसने बनाया?
- वह खुद बने हैं।
- दुनिया में बहुत ऐसे धर्मों में हैं जो विकार में नहीं जाते हैं।
- परन्तु उनको पतित-पावन बाप तो पावन नहीं बनाते हैं ना इसलिए वह पावन दुनिया का मालिक नहीं बन सकते।
- पावन दुनिया में जा नहीं सकते।
- संन्यासी भी 5 विकारों को छोड़ देते हैं।
- परन्तु उनको संन्यास कराया किसने?
- पतित-पावन परमपिता परमात्मा ने तो संन्यास नहीं कराया ना।
- पतित-पावन बाप के सिवाए सफलता हो नहीं सकती।
- पावन दुनिया शान्तिधाम में जा नहीं सकते।
- यहाँ तो बाप आकर तुमको पावन बनने की श्रीमत देते हैं।
- सतयुग को कहा जाता है वाइसलेस दुनिया।
- इससे सिद्ध है, सतयुग में आने वाले पवित्र जरूर होंगे।
- सतयुग में भी पवित्र थे, शान्तिधाम में भी आत्मायें पवित्र हैं।
- इस रावणराज्य में हैं ही सब पतित।
- पुनर्जन्म तो लेना ही है।
- सतयुग में भी पुनर्जन्म लेते हैं, परन्तु विकार से नहीं।
- वह है ही सम्पूर्ण निर्विकारी दुनिया।
- भल त्रेता में 2 कलायें कम होती हैं परन्तु विकारी नहीं कहेंगे।
- भगवान श्री राम, भगवती श्री सीता कहते हैं ना।
- 16 कला फिर 14 कला कहा जाता है।
- चन्द्रमा का भी ऐसे होता है ना।
- तो इससे सिद्ध होता है
- जब तक पतित-पावन बाप आकर पावन न बनाये तब तक मुक्ति-जीवनमुक्ति में कोई जा नहीं सकते।
- बाप ही गाइड है।
- इस दुनिया में पवित्र तो बहुत हैं।
- संन्यासियों की भी पवित्रता के कारण मान्यता है।
- परन्तु बाप द्वारा पवित्र नहीं बनते हैं।
- अभी तुम बच्चे जानते हो हमको पावन बनाने वाला निराकार परमपिता परमात्मा है।
- वह तो आपेही अपनी मत पर पवित्र बनते हैं।
- तुम बाप द्वारा पवित्र बनते हो।
- पतित-पावन बाप द्वारा ही पावन दुनिया का वर्सा मिलता है।
- बाप कहते हैं - हे बच्चों काम तुम्हारा महा-दुश्मन है, इन पर जीत पहनो, गिरते भी इसमें हैं।
- ऐसे कभी नहीं लिखेंगे कि हमने क्रोध किया, तो काला मुँह कर दिया।
- काम के लिए ही लिखते हैं हमने काला मुँह किया।
- गिर गया।
- इन बातों को तुम बच्चे ही जानते हो, दुनिया नहीं जानती।
- ड्रामा अनुसार जिनको आकर ब्राह्मण बनना है, वह आते जायेंगे।
- और सतसंगों में तो कोई एम आब्जेक्ट ही नहीं है।
- शिवानंद आदि के फालोअर्स तो बहुत हैं परन्तु उनमें भी कोई-कोई संन्यास लेते होंगे।
- गृहस्थी तो लेते ही नहीं।
- बाकी घरबार छोड़ने वाले बहुत थोड़े निकल पड़ते हैं।
- संन्यासी बनते हैं फिर भी पुनर्जन्म लेना पड़ता है।
- शिवानंद के लिए थोड़ेही कहेंगे कि ज्योति ज्योत में समाया।
- तुम समझते हो तो सर्व का सद्गति दाता बाप ही है, वही गाइड है।
- गाइड बिगर कोई जा नहीं सकता।
- तुम बच्चे जानते हो हमारा बाप, बाप भी है, नॉलेजफुल भी है।
- मनुष्य सृष्टि का बीजरूप है।
- सारे मनुष्य सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज तो बीज को ही होगी ना।
- फादर तो सब कहते हैं ना।
- बच्चे तो जानते हैं हमारा गॉड फादर एक ही है तो तरस भी उस फादर को ही सब पर पड़ेगा ना।
- कितने ढेर मनुष्य हैं, कितने जीव-जन्तु हैं।
- वहाँ मनुष्य थोड़े होते हैं तो जीव-जन्तु भी थोड़े होते हैं।
- सतयुग में ऐसी किचड़पट्टी होती नहीं।
- यहाँ तो अनेक प्रकार की बीमारियां आदि कितनी निकलती रहती हैं, जिसके लिए फिर नई दवाइयां निकलती रहती हैं।
- ड्रामा प्लैन अनुसार अनेक प्रकार के हुनर निकालते रहते हैं।
- वह सब है मनुष्य के हुनर।
- पारलौकिक बाप का हुनर क्या है?
- बाप के लिए कहते हैं हे पतित-पावन आकर हमारी आत्मा को पावन बनाओ, शरीर भी पावन, कहते हैं पतित-पावन, दु:ख हर्ता, सुख कर्ता, एक को ही बुलाते हैं ना।
- अपनी-अपनी भाषा में याद जरूर करते हैं।
- मनुष्य मरने पर होते हैं तो भी भगवान को याद करते हैं, समझते हैं दूसरा कोई सहारा नहीं देगा, इसलिए कहते हैं - गॉड फादर को याद करो।
- क्रिश्चियन भी कहेंगे गॉड फादर को याद करो।
- ऐसे नहीं कहेंगे - क्राइस्ट को याद करो।
- जानते हैं क्राइस्ट के ऊपर गॉड है।
- गॉड तो सबका एक होगा ना।
- अब तुम बच्चे जानते हो मृत्युलोक क्या है, अमरलोक क्या है!
- दुनिया में कोई नहीं जानते।
- वह तो कहते स्वर्ग नर्क सब यहाँ ही है।
- कोई-कोई समझते हैं सतयुग था, देवताओं का राज्य था।
- अभी तक भी कितने नये-नये मन्दिर बनते रहते हैं।
- तुम बच्चे जानते हो सिवाए एक बाप के और कोई भी हमको पावन बनाए वापिस अपने घर ले नहीं जा सकते।
- तुम्हारी बुद्धि में है कि हम अपने स्वीटहोम में जा रहे हैं।
- बाप हमको वापिस ले जाने के लिए लायक बना रहे हैं।
- यह स्मृति में रहना चाहिए।
- बाप समझाते हैं बच्चे तुमने इतने-इतने जन्म लिए हैं।
- अभी हम आकर शूद्र से ब्राह्मण बने हैं।
- फिर ब्राह्मण से देवता बनना है, स्वर्ग में जाना है।
- अभी है संगम।
- विराटरूप में ब्राह्मणों की चोटी मशहूर है।
- हिन्दुओं के लिए भी चोटी निशानी है।
- मनुष्य तो मनुष्य ही हैं।
- खालसे, मुसलमान आदि ऐसे बन जाते हैं जो तुमको मालूम भी न पड़े कौन हैं?
- बाकी चीनी हैं, अफ्रीकन हैं, उनका मालूम पड़ जाता है।
- उन्हों की शक्ल ही अलग है।
- क्रिश्चियन का भारत से कनेक्शन है तो यह सीखे हैं।
- कितनी वैरायटी है धर्मो की।
- उनकी रसम-रिवाज़ पहरवाइस सब अलग है।
- अभी तुम बच्चों को ज्ञान मिला है, हम सतयुग की स्थापना कर रहे हैं।
- वहाँ और कोई धर्म नहीं था।
- अभी तो सब वैरायटी धर्म वाले हाज़िर हैं।
- अब अन्त में और क्या धर्म स्थापन करेंगे।
- हाँ, नई आत्मायें पावन होती हैं इसलिए जो नई आत्मा आती है तो कुछ न कुछ उस आत्मा की महिमा होती रहेगी।
- विवेक कहता है जो पिछाड़ी में आयेंगे उनको पहले जरूर सुख मिलेगा।
- महिमा होगी फिर दु:ख भी होगा।
- है ही एक जन्म जैसे तुम सुखधाम में बहुत रहते हो।
- वह फिर शान्तिधाम में बहुत रहते हैं।
- अन्त तक वृद्धि बहुत होती है।
- झाड़ बड़ा है ना।
- इस समय मनुष्यों की कितनी वृद्धि होती रहती है इसलिए इनको बन्द करने के उपाय निकालते रहते हैं।
- परन्तु इससे कुछ हो नहीं सकता।
- तुम जानते हो ड्रामा प्लैन अनुसार वृद्धि होनी है जरूर।
- नये पत्ते आते जायेंगे फिर टालियां आदि निकलती रहेंगी।
- कितनी वैरायटी है।
- अब बच्चे जानते हैं हम और कोई कनेक्शन में नहीं हैं।
- बाप ही हमको पावन बनाते हैं और सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का समाचार सुनाते हैं।
- तुम भी उनको ही बुलाते हो हे पतित-पावन आकर हमको पावन बनाओ तो जरूर पतित दुनिया विनाश को पायेगी।
- यह भी हिसाब है।
- सतयुग में थोड़े मनुष्य रहते हैं।
- कलियुग में कितने ढेर मनुष्य हैं, तुम बच्चों को समझानी भी देनी है।
- बाप हमको पढ़ाते हैं इस पुरानी दुनिया का अब विनाश होता है।
- स्थापना बाप ही करेंगे।
- भगवानुवाच मैं स्थापना कराता हूँ।
- विनाश तो ड्रामा अनुसार होता है।
- भारत में ही चित्र भी हैं।
- ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण, ब्रह्मा मुख वंशावली देखो कितने हैं।
- वह हैं कुख वंशावली ब्राह्मण।
- वह तो बाप को जानते ही नहीं।
- तुमको अब हौंसला आया है।
- तुम जानते हो अब कलियुग विनाश हो सतयुग आना है।
- यह है ही राजस्व अश्वमेध अविनाशी रूद्र ज्ञान यज्ञ।
- इसमें आहुति पड़नी है - पुरानी दुनिया की।
- दूसरी तो कोई आहुति है नहीं।
- बाप कहते हैं - मैंने सारी सृष्टि पर यह राजस्व अश्वमेध यज्ञ रचा है।
- सारी भूमि पर रचा हुआ है।
- यज्ञ कुण्ड होते हैं ना।
- इसमें सारी दुनिया स्वाहा हो जायेगी।
- यज्ञ कुण्ड बनाते हैं।
- यह सारी सृष्टि यज्ञ कुण्ड बनी हुई है।
- इस यज्ञ कुण्ड में क्या होगा?
- सब इसमें खलास हो जायेंगे।
- यह कुण्ड पवित्र नया हो जायेगा, इसमें फिर देवतायें आयेंगे।
- समुद्र चारों ओर है ही, सारी दुनिया नई हो जायेगी।
- उथल-पाथल तो बहुत होगा।
- ऐसी कोई जगह नहीं है जो किसकी न हो।
- सब कहते हैं यह मेरी है।
- अब मेरी-मेरी कहने वाले मनुष्य सब खत्म हो जायेंगे।
- बाकी मैं जिनको पवित्र बनाता हूँ, वह थोड़े ही सारी दुनिया में रहेंगे।
- पहले-पहले आदि सनातन देवी-देवता धर्म होगा।
- जमुना नदी के कण्ठे पर उन्हों का राज्य होगा।
- यह सब बातें तुम्हारी बुद्धि में बैठनी चाहिए, खुशी रहनी चाहिए।
- मनुष्य एक दूसरे को कहानी बैठ सुनाते रहते हैं ना।
- यह भी सत्य-नारायण की कहानी है, ये है बेहद की।
- तुम्हारी बुद्धि में ही यह बातें हैं।
- उनमें भी जो अच्छे-अच्छे सर्विस-एबुल हैं, उन्हों की बुद्धि में धारणा होती है, झोली भरेगी, दान देते रहेंगे इसलिए
- कहते हैं धन दिये धन ना खुटे।
- समझते हैं दान देने से बरक्कत बढ़ेगी।
- तुम्हारा तो है अविनाशी धन।
- अभी धन दिये धन ना खुटे, जितना दान देंगे उतना ही खुशी होगी।
- सुनते समय कोई-कोई का कांध जैसे झूलता रहेगा।
- कोई तो तवाई मुआफिक बैठे रहते हैं।
- बाप इतनी अच्छी-अच्छी प्वाइंट्स सुनाते हैं।
- तो सुनते समय आटोमेटिक कांध हिलेगा।
- यहाँ बच्चे आते ही हैं सम्मुख बाप से रिफ्रेश होने।
- बाप कैसे बैठ युक्ति से प्वाइंट सुनाते हैं।
- तुम जानते हो भारत में देवी-देवताओं का राज्य था।
- भारत को स्वर्ग कहा जाता है।
- अभी तो नर्क है।
- नर्क बदलकर स्वर्ग होगा बाकी इतने सबका विनाश हो जायेगा।
- तुम्हारे लिए तो स्वर्ग जैसे कल की बात है।
- कल राज्य करते थे, दूसरा कोई ऐसे कह न सके।
- कहते भी हैं क्राइस्ट के इतने वर्ष पहले पैराडाइज था, तब कोई दूसरा धर्म नहीं था।
- द्वापर से सब धर्म आते हैं।
- बड़ी सहज बात है।
- परन्तु मनुष्यों की बुद्धि इस तरफ है नहीं जो समझ सकें।
- बुलाते भी हैं पतित-पावन आओ तो आकर जरूर पतित से पावन बनायेंगे ना!
- यहाँ तो कोई पावन हो न सके।
- सतयुग को वाइसलेस वर्ल्ड कहा जाता है।
- अभी तो है विशश वर्ल्ड।
- मुख्य बात है पवित्रता की।
- इसके लिए तुमको कितनी मेहनत करनी पड़ती है।
- तुम जानते हो आज दिन तक जो भी पास्ट हुआ वह ड्रामा अनुसार ही कहेंगे।
- इसमें हम किसको बुरा भला नहीं कह सकते।
- जो कुछ होता है, ड्रामा में नूँध है।
- बाप आगे के लिए समझाते हैं कि सर्विस में ऐसे-ऐसे कर्म नहीं करो।
- नहीं तो डिससर्विस हो जाती है।
- बाप ही तो बतायेंगे ना।
- तुम आपस में लूनपानी हो गये हो।
- समझते हैं हम लूनपानी हैं, एक दूसरे से मिलते बात नहीं करते फिर किसको कुछ कहो तो एकदम बिगड़ जाते हैं।
- शिवबाबा को भूल जाते हैं इसलिए समझाया जाता है कि हमेशा शिवबाबा को याद करो।
- बाप सावधानी देते हैं बच्चों को।
- ऐसे-ऐसे काम करने से दुर्गति हो जाती है।
- परन्तु तकदीर में नहीं है तो समझते ही नहीं।
- शिवबाबा जिनसे वर्सा मिलता है, उनसे भी रूठ पड़ते हैं।
- ब्राह्मणी से भी रूठते हैं, इनसे भी रूठते हैं।
- फिर कभी क्लास में नहीं आते हैं।
- शिवबाबा से तो कभी नहीं रूठना चाहिए ना।
- उनकी मुरली तो पढ़नी है।
- याद भी उनको करना है।
- बाबा कहते हैं ना - बच्चे अपने को आत्मा समझ मुझे याद करो तो सद्गति होगी।
- देह-अभिमान में आने से देहधारियों से रूठ पड़ते हैं।
- वर्सा तो दादे से मिलेगा।
- बाप का बनें तब दादे का वर्सा मिले।
- बाप को ही फारकती दे दी तो वर्सा कैसे मिलेगा।
- ब्राह्मण कुल से निकल शूद्र कुल में चले गये तो वर्सा खत्म।
- एडाप्शन रद्द हो गया।
- फिर भी समझते नहीं हैं।
- माया ऐसी है जो एकदम तवाई बना देती है।
- बाप को तो कितना प्यार से याद करना चाहिए परन्तु याद करते ही नहीं।
- शिवबाबा का बच्चा हूँ, जो हमको विश्व का मालिक बनाते हैं।
- जरूर भारत में ही जन्म लेते हैं।
- शिव जयन्ती मनाते हैं ना।
- वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होगी तो पहले-पहले शिवबाबा ही आकर स्वर्ग रचेंगे।
- तुम जानते हो कि हमको स्वर्ग की बादशाही मिल रही है।
- बाप ही आकर स्वर्गवासी बनाते हैं।
- नई दुनिया के लिए राजयोग सिखलाते हैं।
- तुम जाकर नई दुनिया में राज्य चलाते हो।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) बुद्धि रूपी झोली में अविनाशी ज्ञान रत्न भरपूर कर फिर दान करना है।
- दान करने से ही खुशी रहेगी।
- ज्ञान धन बढ़ता जायेगा।
- 2) कभी भी आपस में बिगड़कर लूनपानी नहीं होना है।
- बहुत प्यार से बाप को याद करना है और मुरली सुननी है।
- तवाई नहीं बनना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- सदा पुण्य का खाता जमा करने और कराने वाले मास्टर शिक्षक भव
- हम मास्टर शिक्षक हैं, मास्टर कहने से बाप स्वत: याद आता है।
- बनाने वाले की याद आने से स्वयं निमित्त हूँ - यह स्वत: स्मृति में आ जाता है।
- विशेष स्मृति रहे कि हम पुण्य आत्मा हैं, पुण्य का खाता जमा करना और कराना - यही विशेष सेवा है।
- पुण्य आत्मा कभी पाप का एक परसेन्ट संकल्प मात्र भी नहीं कर सकती।
- मास्टर शिक्षक माना सदा पुण्य का खाता जमा करने और कराने वाले, बाप समान।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- संगठन के महत्व को जानने वाले संगठन में ही स्वयं की सेफ्टी का अनुभव करते हैं।
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