-
- ओम् शान्ति।
- रूहानी बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं।
- रूहानी अक्षर न कह सिर्फ बाप कहें तो भी अन्डरस्टुड है यह रूहानी बाप है।
- बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं।
- सब अपने को भाई-भाई तो कहते ही हैं।
- तो बाप बैठ समझाते हैं बच्चों को।
- सबको तो नहीं समझाते होंगे।
- गीता में भी लिखा हुआ है भगवानुवाच।
- किसके प्रति?
- भगवान के हैं सब बच्चे।
- वह भगवान बाप है तो भगवान के बच्चे सब ब्रदर्स हैं।
- भगवान ने ही समझाया होगा।
- राजयोग सिखाया होगा।
- अभी तुम्हारी बुद्धि का ताला खुला हुआ है, तुम्हारे सिवाए ऐसे ख्यालात और कोई के चल न सकें।
- जिन-जिन को सन्देश मिलता जायेगा वह स्कूल में आते जायेंगे, पढ़ते जायेंगे।
- समझेंगे प्रदर्शनी तो देखी, अब जाकर ज्यादा सुनें।
- पहली-पहली मुख्य बात है ज्ञान सागर पतित-पावन, गीता ज्ञान दाता शिव भगवानुवाच।
- उनको यह पता पड़े कि इन्हों को सिखलाने वाला, समझाने वाला कौन है।
- वह सुप्रीम सोल, ज्ञान सागर निराकार है।
- वह है ही ट्रूथ।
- वह सत्य ही बतायेगा, फिर उसमें कोई प्रश्न उठ ही नहीं सकता।
- तुमने सब छोड़ दिया, ट्रूथ के ऊपर।
- तो पहले-पहले तो इस पर समझाना है कि हमको परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा राजयोग सिखलाते हैं।
- यह राजाई पद है, जिसको निश्चय हो जायेगा कि जो सभी का बाप है वह पारलौकिक बाप बैठ समझाते हैं, वही सबसे बड़ी अथॉरिटी है।
- तो दूसरा कोई प्रश्न उठ ही नहीं सकता।
- वह है पतित-पावन।
- वह जब यहाँ आते हैं तो जरूर अपने टाइम पर आते होंगे।
- तुम देखते भी हो यह वही महाभारत की लड़ाई है।
- विनाश के बाद वाइसलेस दुनिया होनी है।
- यह मनुष्य जानते नहीं कि भारत ही वाइसलेस था।
- बुद्धि चलती नहीं।
- गॉडरेज का ताला लगा हुआ है।
- उसकी चाबी एक बाप के पास ही है इसलिए यह किसको पता नहीं है कि तुमको पढ़ाने वाला कौन है।
- दादा समझ लेते हैं, तब टीका करते हैं, कुछ बोलते हैं इसलिए पहले-पहले यह समझाओ - इसमें लिखा है शिव भगवानुवाच।
- वह तो है ही ट्रूथ।
- बाप है ही नॉलेजफुल।
- सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का राज समझाते हैं।
- यह शिक्षा अभी तुमको उस बेहद के बाप से मिलती है।
- वही सृष्टि का रचयिता है, पतित सृष्टि को पावन बनाने वाला है।
- तो पहले-पहले बाप का ही परिचय देना है।
- उस परमपिता परमात्मा से आपका क्या सम्बन्ध है।
- वह नर से नारायण बनने की सच्ची नॉलेज देते हैं।
- बच्चे जानते हैं बाप सत्य है, जो बाप ही सचखण्ड बनाते हैं।
- तुम यहाँ आए ही हो नर से नारायण बनने।
- बैरिस्टर पास जायेंगे तो समझेंगे हम बैरिस्टर बनने आये हैं।
- अभी तुमको निश्चय है हमको भगवान पढ़ाते हैं।
- कई निश्चय करते भी हैं फिर संशय बुद्धि हो जाते हैं, तो उनको सब कहते हैं तुम तो कहते थे - हमें भगवान पढ़ाते हैं।
- फिर भगवान को क्यों छोड़ आये हो?
- संशय आने से ही भागन्ती हो जाते हैं।
- कोई न कोई विकर्म करते हैं।
- भगवानुवाच - काम महाशत्रु है, उन पर जीत पाने से ही जगतजीत बनेंगे।
- जो पावन बनेंगे वही पावन दुनिया में जायेंगे।
- यहाँ है ही राजयोग की बात, तुम जाकर राजाई करेंगे।
- बाकी जो आत्मायें हैं वह अपना हिसाब चुक्तू कर वापिस चली जायेंगी।
- यह कयामत का समय है।
- अब यह बुद्धि कहती है - सतयुग की स्थापना जरूर होनी है।
- पावन दुनिया सतयुग को कहा जाता है।
- बाकी सब मुक्तिधाम में चले जायेंगे।
- उनको फिर अपना पार्ट रिपीट करना है।
- तुम भी अपना पुरूषार्थ करते रहते हो।
- पावन बन और पावन दुनिया का मालिक बनने के लिए।
- मालिक तो अपने को समझेंगे ना।
- प्रजा भी मालिक है।
- अभी प्रजा भी कहती है ना - हमारा भारत।
- तुम समझते हो अभी सब नर्कवासी हैं।
- अभी हम स्वर्गवासी बनने के लिए राजयोग सीख रहे हैं।
- सब तो स्वर्गवासी नहीं बनेंगे।
- बाप कहते हैं जब भक्ति मार्ग पूरा होगा तब ही मैं आऊंगा।
- मुझे ही आकर सब भक्तों को भक्ति का फल देना है।
- मैजारिटी तो भक्तों की है ना।
- सब पुकारते रहते हैं हे गॉड फादर।
- भक्तों के मुख से ओ गॉड फादर, हे भगवान - यह जरूर निकलेगा।
- अब भक्ति और ज्ञान में फ़र्क है।
- तुम्हारे मुख से कभी हे ईश्वर, हे भगवान नहीं निकलेगा।
- मनुष्यों को तो यह आधाकल्प की प्रैक्टिस पड़ी हुई है।
- तुम जानते हो वह हमारा बाप है, तुमको हे बाबा थोड़ेही कहना है।
- बाप से तुमको तो वर्सा लेना है।
- पहले तो यह निश्चय हो कि हम बाप से वर्सा लेते हैं।
- बाप बच्चों को वर्सा लेने के अधिकारी बनाते हैं।
- यह तो सच्चा बाप है ना।
- बाप जानते हैं हमने जिन बच्चों को ज्ञान अमृत पिलाए, ज्ञान-चिता पर बिठाय विश्व का मालिक देवता बनाया था वही काम-चिता पर बैठ भस्मीभूत हो गये हैं।
- अब मैं फिर ज्ञान-चिता पर बिठाए, घोर नींद से जगाए स्वर्ग में ले जाता हूँ।
- बाप ने समझाया है - तुम आत्मायें वहाँ शान्तिधाम और सुखधाम में रहती हो।
- सुखधाम को कहा जाता है वाइसलेस वर्ल्ड, सम्पूर्ण निर्विकारी।
- वहाँ देवतायें रहते हैं और वह है स्वीट होम, आत्माओं का घर।
- सभी एक्टर्स उस शान्तिधाम से आते हैं, यहाँ पार्ट बजाने।
- हम आत्मायें यहाँ की रहवासी नहीं हैं।
- वह एक्टर्स यहाँ के रहवासी होते हैं।
- सिर्फ घर से आकर ड्रेस बदली कर पार्ट बजाते हैं।
- तुम तो समझते हो हमारा घर शान्तिधाम है, जहाँ हम फिर वापिस जाते हैं।
- जब सभी एक्टर्स स्टेज पर आ जाते हैं तब बाप आकर सबको ले जायेंगे, इसलिए उनको लिबरेटर, गाइड भी कहा जाता है।
- दु:ख हर्ता, सुख कर्ता है तो इतने सारे मनुष्य कहाँ जायेंगे।
- विचार तो करो - पतित-पावन को बुलाते हैं किसलिए?
- अपने मौत के लिए।
- दु:ख की दुनिया में रहने नहीं चाहते हैं, इसलिए कहते हैं घर ले चलो।
- यह सब मुक्ति को ही मानने वाले हैं।
- भारत का प्राचीन योग भी कितना मशहूर है, विलायत में भी जाते हैं प्राचीन राजयोग सिखलाने।
- क्रिश्चियन में बहुत हैं जो संन्यासियों का मान रखते हैं।
- गेरू कफनी की जो पहरवाइस है - वह है हठयोग की।
- तुमको तो घरबार छोड़ना नहीं है।
- न कोई सफेद कपड़े का बन्धन है।
- परन्तु सफेद अच्छा है।
- तुम भट्ठी में रहे हो तो ड्रेस भी यह हो गई है।
- आजकल सफेद पसन्द करते हैं।
- मनुष्य मरते हैं तो सफेद चादर डालते हैं।
- तो पहले कोई को भी बाप का परिचय देना है।
- दो बाप हैं, यह बातें समझने में टाइम लेती हैं।
- प्रदर्शनी में इतना समझा नहीं सकेंगे।
- सतयुग में एक बाप, इस समय हैं तुमको तीन बाप, क्योंकि भगवान आते हैं प्रजापिता ब्रह्मा के तन में।
- वह भी तो बाप है सबका।
- अच्छा अब तीनों बाप में ऊंच वर्सा किसका?
- निराकार बाप वर्सा कैसे दें?
- वह फिर देते हैं ब्रह्मा द्वारा।
- ब्रह्मा द्वारा स्थापना करते और ब्रह्मा द्वारा वर्सा भी देते हैं।
- इस चित्र पर तुम बहुत अच्छी रीति समझा सकते हो।
- शिवबाबा है, फिर यह प्रजापिता ब्रह्मा आदि देव, आदि देवी।
- यह है ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर।
- बाप कहते हैं मुझ शिव को ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर नहीं कहेंगे।
- मैं सबका बाप हूँ।
- यह है प्रजापिता ब्रह्मा।
- तुम हो गये भाई-बहिन, आपस में क्रिमिनल एसाल्ट कर न सकें।
- अगर दोनों की आपस में विकार की दृष्टि खींचती है तो फिर गिर पड़ते हैं, बाप को भूल जाते हैं।
- बाप कहते हैं -तुम हमारा बच्चा बन काला मुँह करते हो।
- बेहद का बाप बच्चों को समझाते हैं।
- तुमको यह नशा चढ़ा हुआ है।
- जानते हो गृहस्थ व्यवहार में भी रहना है।
- लौकिक सम्बन्धियों को भी मुँह देना है।
- लौकिक बाप को तुम बाप कहेंगे ना।
- उनको तो तुम भाई नहीं कह सकते।
- आर्डनरी वे में बाप को बाप ही कहेंगे।
- बुद्धि में है कि यह हमारा लौकिक बाप है।
- ज्ञान तो है ना।
- यह ज्ञान बड़ा विचित्र है।
- आजकल करके नाम भी ले लेते हैं परन्तु कोई विजीटर आदि बाहर के आदमी के सामने भाई कह दो तो वह समझेंगे इनका माथा खराब हुआ है।
- इसमें बड़ी युक्ति चाहिए।
- तुम्हारा गुप्त ज्ञान, गुप्त सम्बन्ध है।
- अक्सर करके स्त्रियाँ पति का नाम नहीं लेती हैं।
- पति स्त्री का नाम ले सकते हैं।
- इसमें बड़ी युक्ति से चलना है।
- लौकिक से भी तोड़ निभाना है।
- बुद्धि चली जानी चाहिए ऊपर।
- हम बाप से वर्सा ले रहे हैं।
- बाकी चाचे को चाचा, बाप को बाप कहना पड़ेगा ना।
- जो ब्रह्माकुमार-कुमारी नहीं बने हैं वह भाई-बहन नहीं समझेंगे।
- जो बी.के. बने हैं, वही इन बातों को समझेंगे।
- बाहर वाले तो पहले ही चमकेंगे।
- इसमें समझने की बुद्धि अच्छी चाहिए।
- बाप तो बच्चों को विशालबुद्धि बनाते हैं।
- तुम पहले हद की बुद्धि में थे।
- अभी बुद्धि चली जाती है बेहद में।
- वह हमारा बेहद का बाप है।
- यह सब हमारे भाई-बहिन हैं।
- लेकिन घर में सासू को सासू ही कहेंगे, बहन थोड़ेही कहेंगे।
- घर में रहते बड़ी युक्ति से चलना है, नहीं तो लोग कहेंगे यह तो पति को भाई, सासू को बहन कह देते, यह क्या है?
- यह ज्ञान की बातें तुम ही जानो और न जाने कोई।
- कहते हैं ना - प्रभू तेरी गति मत तुम ही जानो।
- अब तुम उनके बच्चे बनते हो तो तुम्हारी गत मत तुम ही जानो।
- बड़ी सम्भाल से चलना पड़ता है।
- कहाँ कोई मूँझे नहीं।
- तो प्रदर्शनी में तुम बच्चों को पहले-पहले यह समझाना है कि हमको पढ़ाने वाला भगवान है।
- अब तुम बताओ भगवान कौन?
- निराकार शिव या देहधारी श्रीकृष्ण।
- जो गीता में भगवानुवाच है वह शिव परमात्मा ने महावाक्य उच्चारे हैं या श्रीकृष्ण ने?
- कृष्ण तो है स्वर्ग का पहला प्रिन्स।
- ऐसे तो कह नहीं सकते कि कृष्ण जयन्ती सो शिव जयन्ती।
- शिव जयन्ती के बाद फिर कृष्ण जयन्ती।
- शिव जयन्ती से स्वर्ग का प्रिन्स श्रीकृष्ण कैसे बना, वह है समझने की बात।
- शिव जयन्ती फिर गीता जयन्ती फिर फट से है कृष्ण जयन्ती क्योंकि बाप राजयोग सिखलाते हैं ना।
- बच्चों की बुद्धि में आया है ना।
- जब तक शिव परमात्मा ना आये तब तक शिव जयन्ती मना नहीं सकते।
- जब तक शिव आकर कृष्णपुरी स्थापन न करे तो कृष्ण जयन्ती भी कैसे मनाई जाये।
- कृष्ण का जन्म तो मनाते हैं परन्तु समझते थोड़ेही हैं।
- कृष्ण प्रिन्स था तो जरूर सतयुग में होगा ना।
- देवी-देवताओं की राजधानी होगी जरूर।
- सिर्फ एक कृष्ण को बादशाही तो नहीं मिलेगी ना।
- जरूर कृष्णपुरी होगी ना!
- कहते भी हैं कृष्णपुरी... और फिर यह है कंसपुरी।
- कृष्णपुरी नई दुनिया, कंसपुरी है पुरानी दुनिया।
- कहते हैं देवताओं और असुरों की लड़ाई लगी।
- देवताओं ने जीता।
- परन्तु ऐसे तो है नहीं।
- कंसपुरी खत्म हुई फिर कृष्णपुरी स्थापन हुई ना।
- कंसपुरी पुरानी दुनिया में होगी।
- नई दुनिया में थोड़ेही यह कंस दैत्य आदि होंगे।
- यहाँ तो देखो कितने मनुष्य हैं।
- सतयुग में बहुत थोड़े हैं।
- यह भी तुम समझ सकते हो, अभी तुम्हारी बुद्धि चलती है।
- देवताओं ने तो कोई लड़ाई की नहीं।
- दैवी सम्प्रदाय सतयुग में ही होते हैं।
- आसुरी सम्प्रदाय यहाँ हैं।
- बाकी न देवताओं और असुरों की लड़ाई हुई, न कौरवों और पाण्डवों की हुई है।
- तुम रावण पर जीत पाते हो।
- बाप कहते हैं - इन विकारों पर जीत पानी है तो जगतजीत बन जायेंगे।
- इसमें कोई लड़ना नहीं है।
- लड़ने का नाम लें तो वॉयलेन्स (हिंसक) बन जायें।
- रावण पर जीत पानी है परन्तु नानवायलेन्स।
- सिर्फ बाप को याद करने से हमारे विकर्म विनाश होते हैं।
- भारत का प्राचीन राजयोग मशहूर है।
- बाप कहते हैं - मेरे साथ बुद्धि का योग लगाओ तो तुम्हारे पाप भस्म होंगे।
- बाप पतित-पावन है तो बुद्धि योग उस बाप से ही लगाना है, तो तुम पतित से पावन बन जायेंगे।
- अभी तुम प्रैक्टिकल में उनसे योग लगा रहे हो, इसमें लड़ाई की कोई बात ही नहीं।
- जो अच्छी रीति पढ़ेंगे, बाप के साथ योग लगायेंगे, वही बाप से वर्सा पायेंगे - कल्प पहले मुआफिक।
- इस पुरानी दुनिया का विनाश भी होगा।
- सब हिसाब-किताब चुक्तू कर जायेंगे।
- फिर क्लास ट्रांसफर हो नम्बरवार जाकर बैठते हैं ना।
- तुम भी नम्बरवार जाकर वहाँ राज्य करेंगे।
- कितनी समझ की बातें हैं।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) इस कयामत के समय जबकि सतयुग की स्थापना हो रही है तो पावन जरूर बनना है।
- बाप और बाप के कार्य में कभी संशय नहीं उठाना है।
- 2) ज्ञान और सम्बन्ध गुप्त है, इसलिए लौकिक में बहुत युक्ति से विशाल बुद्धि बनकर चलना है।
- कोई ऐसे शब्द नहीं बोलने हैं जो सुनने वाले मूँझ जाएं।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- मनमत, परमत को समाप्त कर श्रीमत पर पदमों की कमाई जमा करने वाले पदमापदम भाग्यशाली भव
- श्रीमत पर चलने वाले एक संकल्प भी मनमत वा परमत पर नहीं कर सकते।
- स्थिति की स्पीड यदि तेज नहीं होती है तो जरूर कुछ न कुछ श्रीमत में मनमत वा परमत मिक्स है।
- मनमत अर्थात् अल्पज्ञ आत्मा के संस्कार अनुसार जो संकल्प उत्पन्न होता है वह स्थिति को डगमग करता है इसलिए चेक करो और कराओ, एक कदम भी श्रीमत के बिना न हो तब पदमों की कमाई जमा कर पदमापदम भाग्यशाली बन सकेंगे।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- मन में सर्व के कल्याण की भावना बनी रहे - यही विश्व कल्याणकारी आत्मा का कर्तव्य है।
|