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- ओम् शान्ति।
- इस गीत का अर्थ कितना विचित्र है।
- प्रीत बनी है किसके लिए?
- (मरने के लिए) किससे बनी है?
- भगवान से क्योंकि इस दुनिया से मरकर उनके पास जाना है।
- ऐसी कब किसके साथ प्रीत हुई है क्या?
- जो यह ख्याल में आये कि मर जायेंगे।
- फिर कोई प्रीत रखेंगे?
- गीत का अर्थ कितना वन्डरफुल है।
- शमा से परवाने प्रीत रख फेरी पहन जल मरते हैं।
- तुमको भी बाप के पास आते-आते यह शरीर छोड़ना है अर्थात् बाप को याद करते-करते शरीर छोड़ना है।
- यह तो जैसे बड़ा दुश्मन हो गया, जिसके साथ हम प्रीत रखें और मर जाएं इसलिए मनुष्य डरते हैं।
- दान-पुण्य, तीर्थ यात्रा आदि करते हैं, भगवान के पास जाने के लिए।
- शरीर छोड़ते हैं तो मनुष्य कहते हैं भगवान को याद करो।
- भगवान कितना नामी-ग्रामी है।
- वह आते हैं तो सारी पुरानी दुनिया को खत्म कर देते हैं।
- तुम बच्चे जानते हो - हम इस युनिवर्सिटी में आते ही हैं - पुरानी दुनिया से नई दुनिया में जाने के लिए।
- पुरानी दुनिया को पतित दुनिया हेल कहा जाता है।
- बाप नई दुनिया में जाने का रास्ता बताते हैं सिर्फ मुझे याद करो, मैं हूँ हेविनली गॉड फादर।
- उस फादर से तुमको धन, मिलकियत, मकान आदि मिलेगा।
- बच्चियों को वर्सा मिलना नहीं है।
- उनको दूसरे घर भेज देते हैं।
- गोया वह वारिस नहीं ठहरी।
- यह तो बाप है सब आत्माओं का बाप, इनके पास सबको आना है, मरना है।
- कोई समय जरूर बाप आते हैं, सबको घर ले जाते हैं क्योकि नई दुनिया में बहुत थोड़े मनुष्य होते हैं।
- पुरानी दुनिया में तो बहुत हैं, नई दुनिया में मनुष्य भी थोड़े और सुख भी बहुत होता है।
- पुरानी दुनिया में बहुत मनुष्य हैं तो दु:ख भी बहुत है इसलिए पुकारते रहते हैं।
- बापू गांधी जिसको भारत का पिता समझते थे, वह भी कहते थे हे पतित-पावन आओ।
- सिर्फ उनको जानते नहीं थे।
- समझते भी हैं पतित-पावन परमपिता परमात्मा है।
- वही वर्ल्ड का लिबरेटर है।
- राम सीता को तो सारी दुनिया नहीं मानेगी ना।
- यह भूल है।
- सारी दुनिया परमपिता परमात्मा को लिबरेटर गाइड मानती है।
- लिबरेट करते हैं दु:खों से।
- अच्छा दु:ख देने वाला कौन?
- बाप तो दु:ख दे न सके क्योंकि वह पतित-पावन है।
- पावन दुनिया सुखधाम में ले जाने वाला है।
- तुम हो उस रूहानी बाप के रूहानी बच्चे।
- जैसे बाप वैसे बच्चे।
- लौकिक बाप के हैं जिस्मानी बच्चे।
- अभी तुम बच्चों को समझना है हम आत्मा हैं, परमपिता परमात्मा हमको वर्सा देने आये हैं।
- हम स्टूडेन्ट हैं, यह भूलना नहीं चाहिए।
- बच्चों की बुद्धि में रहता है शिवबाबा मधुबन में मुरली बजाते हैं।
- वह काठ की मुरली तो यहाँ नहीं है।
- कृष्ण का डांस करना, मुरली बजाना वह भक्ति मार्ग का है।
- तुम कृष्ण के लिए मुरली नहीं कह सकते।
- मुरली शिवबाबा बजाते हैं।
- तुम्हारे पास अच्छे-अच्छे गीत बनाने वाले आयेंगे।
- गीत अक्सर करके पुरुष ही बनाते हैं।
- तुमको कोई भक्ति मार्ग के गीत आदि नहीं गाने हैं।
- तुम्हें तो एक शिवबाबा को ही याद करना है।
- बाप कहते हैं - मुझ अल्फ को याद करो।
- शिव को कहते हैं बिन्दी।
- व्यापारी लोग बिन्दी लिखेंगे तो कहेंगे शिव।
- एक बिन्दी लिखें 10 हो जायेगा फिर बिन्दी लिखो तो 100 .. तुमको भी शिवबाबा को याद करना है।
- जितना शिव को याद करते हो तो आधाकल्प के लिए बहुत साहूकार बन जाते हो।
- वहाँ गरीब होते ही नहीं।
- सब सुखी रहते हैं।
- दु:ख का नाम नहीं।
- बाप की याद से विकर्म विनाश हो जायेंगे।
- तुम बहुत धनवान बनेंगे।
- इसको कहा जाता है सच्चे बाप द्वारा सच्ची कमाई।
- यही साथ चलेगी।
- मनुष्य सभी खाली हाथ जाते हैं।
- तुमको भरतू हाथ जाना है।
- बाप को याद करना है और पवित्र बनना है।
- बाप ने समझाया है - प्योरिटी होगी तो पीस, प्रासपर्टी मिलेगी।
- तुम आत्मा पहले पवित्र थी फिर अपवित्र बनती हो।
- संन्यासियों को भी सेमी पवित्र कहेंगे।
- तुम्हारा है फुल संन्यास।
- तुम जानते हो वह कितना सुख पाते हैं।
- थोड़ा सुख है फिर तो दु:ख ही है।
- वह सब है भक्ति मार्ग।
- भक्ति मार्ग में हनूमान की पूजा करो तो उसका दीदार हो जाता है।
- चण्डिका देवी का कितना मेला लगता है।
- उनका चित्र भी होगा, जिनका ध्यान करेंगे वह तो जरूर सामने आयेगा ही।
- परन्तु उससे क्या मिलेगा?
- अनेक प्रकार के मेले लगते हैं क्योंकि आमदनी तो होती है ना।
- यह सब उन्हों का धन्धा है।
- कहते हैं धन्धे सबमें धूर, बिगर धन्धे नर से नारायण बनाने के।
- यह धन्धा कोई बिरला करे।
- बाप का बनकर सब कुछ देह सहित बाप को दे देना क्योंकि तुम जानते हो हमको नया शरीर चाहिए।
- बाप कहते हैं - तुम कृष्णपुरी जा सकते हो परन्तु जब आत्मा तमोप्रधान से सतोप्रधान बनें।
- कृष्णपुरी में ऐसे नहीं कहेंगे कि हमको पावन बनाओ।
- यहाँ सब मनुष्य मात्र पुकारते हैं - हे लिबरेटर आओ।
- इस पाप आत्माओं की दुनिया से लिबरेट करो।
- अभी तुम जानते हो बाप आया है हमको अपने साथ ले जाने।
- वहाँ जाना तो अच्छा है ना।
- मनुष्य शान्ति चाहते हैं।
- अब शान्ति कहते किसको हैं - यह नहीं जानते।
- कर्म बिगर तो कोई रह नहीं सकते।
- शान्ति तो है शान्तिधाम में।
- फिर यह शरीर लेकर कर्म तो करना ही है।
- सतयुग में कर्म करते हुए शान्त रहते हैं, अशान्ति में मनुष्य को दु:ख होता है इसलिए कहते हैं शान्ति कैसे मिले।
- अभी तुम बच्चे जानते हो शान्तिधाम हमारा घर है।
- सतयुग में शान्ति सुख सब कुछ है।
- अब वह चाहिए या सिर्फ शान्ति चाहिए।
- यहाँ तो दु:ख है इसलिए पतित-पावन बाप को भी यहाँ पुकारते हैं।
- भक्ति करते ही हैं भगवान से मिलने के लिए।
- भक्ति भी पहले अव्यभिचारी फिर व्यभिचारी होती है।
- व्यभिचारी भक्ति में देखो क्या-क्या करते हैं।
- सीढ़ी में देखो कितना अच्छा दिखाया है।
- परन्तु पहले-पहले तो सिद्ध करना चाहिए भगवान कौन है।
- श्रीकृष्ण को ऐसा किसने बनाया!
- आगे जन्म में यह कौन था!
- समझाने की बड़ी युक्ति चाहिए।
- जो अच्छी सर्विस करते हैं, उनकी दिल भी गवाही देती है।
- युनिवर्सिटी में जो अच्छी रीति पढ़ेंगे वह जरूर तीखे जायेंगे।
- नम्बरवार तो होते ही हैं।
- कोई डलहेड भी होते हैं।
- शिवबाबा को आत्मा कहती है मेरी बुद्धि का ताला खोलो।
- बाप कहते हैं - बुद्धि का ताला खोलने के लिए ही तो आया हूँ।
- परन्तु तुम्हारे कर्म ही ऐसे हैं जो ताला खुलता ही नहीं।
- फिर बाबा क्या करेंगे।
- बहुत पाप किये हुए हैं, अब बाबा उनको क्या करेंगे!
- टीचर को कहेंगे, हम कम पढ़ते हैं।
- टीचर क्या करेंगे?
- टीचर तो कोई कृपा नहीं करेंगे।
- करके एक्स्ट्रा टाइम रखेंगे।
- वह तो तुमको मना नहीं है।
- प्रदर्शनी खाली पड़ी है, बैठकर प्रैक्टिस करो।
- भक्ति मार्ग में तो कोई कहेंगे माला फेरो।
- कोई कहेंगे यह मन्त्र याद करो।
- यहाँ तो बाप अपना परिचय देते हैं।
- बाप को ही याद करना है, जिससे वर्सा मिलता है।
- सतयुग में तो पारलौकिक बाप का वर्सा मिल जाता है फिर याद करने की दरकार ही नहीं रहती।
- 21 जन्मों के लिए वर्सा मिल जाता है, तो बाप से अच्छी रीति से वर्सा लेना चाहिए ना।
- इसमें भी बाप कहते हैं, विकार में कभी नहीं जाना।
- थोड़ी भी विकार की टेस्ट बैठी तो फिर वृद्धि हो जायेगी।
- सिगरेट आदि की एक बार टेस्ट करते हैं तो संग का रंग झट लग जाता है फिर उस आदत को छोड़ना मुश्किल हो जाता है।
- बहाना कितने करते हैं।
- आदत कोई नहीं डालनी चाहिए।
- छी-छी आदतें मिटानी हैं।
- बाप कहते हैं - जीते जी देह का भान छोड़ो, मुझे याद करो।
- देवताओं को भोग हमेशा पवित्र ही लगाया जाता है तो तुम भी पवित्र खाओ।
- अभी तुम बच्चों को फूल मुआफिक हर्षित रहना चाहिए।
- कन्या को पति मिलता है तो मुखड़ा खिल जाता है ना।
- अच्छे जेवर आदि कपड़े पहनती है तो चमक उठती है।
- अभी तुम तो ज्ञान के जेवर पहनते हो।
- वहाँ स्वर्ग में तो नेचुरल ब्युटी रहती है।
- कृष्ण का नाम ही है सुन्दर।
- राजा-रानी, प्रिन्स-प्रिन्सेज सब सुन्दर होते हैं।
- वहाँ प्रकृति भी सतोप्रधान हो जाती है।
- लक्ष्मी-नारायण जैसे नेचुरल ब्युटी यहाँ कोई बना न सके।
- उनको कोई इन ऑखों से देख थोड़ेही सकते हैं।
- हाँ साक्षात्कार होता है परन्तु साक्षात्कार से कोई हूबहू चित्र बना थोड़ेही सकेंगे।
- हाँ कोई आर्टिस्ट को साक्षात्कार हो जाए और उसी समय बैठ बनाये।
- परन्तु है मुश्किल।
- तो तुम बच्चों को बहुत नशा रहना चाहिए।
- अभी बाबा हमको लेने लिए आया है।
- बाबा से हमें स्वर्ग का वर्सा मिलता है।
- यह हमारे 84 जन्म पूरे हुए।
- ऐसे-ऐसे ख्याल बुद्धि में होने से खुशी होगी।
- विकार का जरा भी ख्याल नहीं आना चाहिए।
- बाप कहते हैं - काम महाशत्रु है।
- द्रोपदी ने भी इसलिए पुकारा है ना।
- बाप कहते हैं - तुम एक मेरे से ही सुनो और यही श्रीमत औरों को सुनाओ।
- फादर शोज़ सन।
- सन शोज़ फादर।
- फादर कौन?
- शिव फादर।
- शिव और सालिग्राम का गायन है।
- शिवबाबा जो समझाते हैं इस पर फॉलो करो।
- फॉलो फादर।
- यह गायन उनका है, बाप कहते हैं - मीठे बच्चे फॉलो कर पवित्र बनो, फॉलो करने से ही तुम स्वर्ग के मालिक बनेंगे।
- लौकिक बाप को फॉलो करने से 63 जन्म तुम सीढ़ी नीचे उतरते हो।
- अब पारलौकिक बाप को फॉलो कर ऊपर चढ़ना है।
- बाप के साथ जाना है।
- बाप कहते हैं - एक-एक रत्न लाखों रूपयों का है।
- बाप रोज़ समझाते रहते हैं - मीठे-मीठे बच्चों पहले-पहले सबको दो बाप का परिचय देना है।
- लौकिक बाप वर्सा देते हैं पतित बनने का।
- पारलौकिक बाप वर्सा देते हैं पावन बनने का।
- कितना फ़र्क है।
- अब पारलौकिक बाप कहते हैं पावन बनो।
- विकार में जाने वाले को पतित कहा जाता है।
- तुम्हारी मिशन है पतितों को पावन बनाने का रास्ता बताने वाली।
- पारलौकिक बाप भी अभी कहते हैं - पावन बनो, जबकि विनाश सामने खड़ा है। तो अब क्या करना चाहिए?
- जरूर पारलौकिक बाप की मत पर चलना चाहिए ना।
- प्रदर्शनी में यह भी प्रतिज्ञा लिखानी चाहिए।
- पारलौकिक बाप को फॉलो करेंगे?
- पतित बनना छोड़ेंगे? लिखो।
- बाप ही गैरन्टी लेते हैं, तुम भी गैरन्टी ले सकते हो।
- तुम पतित बनते ही क्यों हो जो फिर पुकारते हो हे पतित-पावन आओ।
- सारी बात ही है प्योरिटी पर।
- तुम बच्चों को दिन-प्रतिदिन खुशी रहनी चाहिए।
- हमको बाप स्वर्ग का वर्सा दे रहे हैं।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) कोई भी गन्दी (छी-छी) आदत नहीं डालनी है।
- जीते जी देह का भान छोड़ना है।
- फूल मुआफिक हर्षित रहना है।
- 2) पारलौकिक बाप को फॉलो कर पावन बनना है।
- उनकी श्रीमत पर चलने की प्रतिज्ञा करनी और करानी है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- अपनी श्रेष्ठ वृत्ति द्वारा शुद्ध वायुमण्डल बनाने वाले सदा शक्तिशाली आत्मा भव
- जो सदा अपनी श्रेष्ठ वृत्ति में स्थित रहते हैं वे किसी भी वायुमण्डल, वायब्रेशन में डगमग नहीं हो सकते।
- वृत्ति से ही वायुमण्डल बनता है, यदि आपकी वृत्ति श्रेष्ठ है तो वायुमण्डल शुद्ध बन जायेगा।
- कई वर्णन करते हैं कि क्या करें वायुमण्डल ही ऐसा है, वायुमण्डल के कारण मेरी वृत्ति चंचल हुई - तो उस समय शक्तिशाली आत्मा के बजाए कमजोर आत्मा बन जाते हैं।
- लेकिन व्रत (प्रतिज्ञा) की स्मृति से वृत्ति को श्रेष्ठ बना दो तो शक्तिशाली बन जायेंगे।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- गुणमूर्त बनकर सर्व को गुणमूर्त बनाना ही महादानी बनना है।
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