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- ओम् शान्ति।
- ओम् शान्ति का अर्थ तो रूहानी बाप ने समझाया है।
- ओम् माना अहम् आत्मा हूँ और मेरा शरीर है।
- आत्मा तो देखने में नहीं आती है।
- यह समझ में आता है - मैं आत्मा हूँ, यह मेरा शरीर है।
- आत्मा में ही मन-बुद्धि है।
- शरीर में बुद्धि नहीं है।
- आत्मा में ही संस्कार अच्छे वा बुरे रहते हैं।
- मुख्य है आत्मा।
- उस आत्मा को कोई देख नहीं सकते हैं।
- शरीर को आत्मा देखती है।
- आत्मा को शरीर नहीं देख सकता।
- जान सकते हैं कि आत्मा निकल जाती है तो शरीर जड़ हो जाता है।
- आत्मा देखी नहीं जाती है, शरीर देखा जाता है।
- वैसे ही आत्मा का जो फादर है, जिसको ओ गॉड फादर कहते हैं, वह भी देखने में नहीं आते हैं।
- उनको समझा जा सकता है, जाना जा सकता है।
- आत्मायें सब ब्रदर्स हैं।
- शरीर में आते हैं तो कहेंगे यह भाई-भाई हैं वा भाई-बहिन हैं।
- आत्माओं का बाप है परमपिता परमात्मा।
- जिस्मानी भाई-बहिन एक-दो को देख सकते हैं।
- आत्माओं का बाप सभी का एक है, उनको देख नहीं सकते।
- तो बाप आये हैं पुरानी दुनिया को नया बनाने।
- नई दुनिया सतयुग थी, यह पुरानी दुनिया कलियुग है।
- इनको अब बदलना है।
- जैसे पुराना घर खत्म हो नया घर बनता है।
- वैसे यह पुरानी दुनिया खलास होनी है।
- सतयुग के बाद त्रेता, द्वापर, कलियुग फिर सतयुग आना जरूर है।
- वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होनी है।
- सतयुग में होता है देवी-देवताओं का राज्य।
- आधाकल्प चलता है सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी।
- उनको कहा जाता है लक्ष्मी-नारायण की डिनायस्टी, राम-सीता की डिनायस्टी।
- तो यह सहज है ना।
- फिर द्वापर, कलियुग में और धर्म आते हैं।
- फिर देवी-देवतायें जो पवित्र थे, वह अपवित्र बन जाते हैं।
- इनको कहा जाता है रावण राज्य।
- रावण को वर्ष-वर्ष जलाते हैं, परन्तु जलता ही नहीं है।
- यह है सबका बड़ा दुश्मन, इसलिए उनको जलाने की रसम पड़ गई है।
- भारत का नम्बरवन दुश्मन है रावण और नम्बरवन दोस्त सदा सुख देने वाला है खुदा।
- खुदा को दोस्त कहते हैं ना।
- इस पर एक कहानी भी है तो खुदा है दोस्त।
- रावण है दुश्मन।
- खुदा दोस्त को कभी जलायेंगे नहीं।
- रावण दुश्मन है इसलिए 10 शीश वाला रावण बनाकर उनको वर्ष-वर्ष जलाते हैं।
- गांधी जी भी कहते थे हमें रामराज्य चाहिए।
- रामराज्य में है सुख, रावण राज्य में है दु:ख।
- अब यह कौन बैठ समझाते हैं?
- पतित-पावन बाप, शिवबाबा ब्रह्मा दादा।
- बाबा हमेशा सही करते हैं - बापदादा।
- प्रजापिता ब्रह्मा भी तो सबका होगा, जिसको एडम कहा जाता है।
- उनको ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर कहा जाता है।
- मनुष्य सृष्टि में प्रजापिता हुआ।
- प्रजा-पिता ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण फिर ब्राह्मण सो देवी-देवता बनते हैं।
- देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बन जाते हैं, इनको कहा जाता है प्रजापिता ब्रह्मा, मनुष्य सृष्टि का बड़ा।
- प्रजापिता ब्रह्मा के कितने ढेर बच्चे हैं।
- बाबा-बाबा कहते रहते हैं।
- यह है साकार बाबा।
- शिवबाबा है निराकार बाबा।
- गाया भी जाता है प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा नई मनुष्य सृष्टि रचते हैं।
- यह है पतित दुनिया रावण राज्य।
- अब रावण की आसुरी दुनिया खत्म हो जायेगी, उसके लिए यह महाभारत लड़ाई है।
- फिर सतयुग में इस रावण दुश्मन को कोई जलायेंगे ही नहीं।
- रावण होगा ही नहीं।
- रावण ने ही यह दु:ख की दुनिया बनाई है।
- ऐसे नहीं जिनके पास पैसे बहुत हैं, बड़े-बड़े महल आदि हैं वह स्वर्ग में हैं।
- बाप समझाते हैं भल किसके पास करोड़ हैं, परन्तु शान्ति नहीं है, पैसे आदि तो सब मिट्टी में मिल जाने वाले हैं।
- नई दुनिया में फिर नई खानियां निकलती हैं, जिससे नई दुनिया के महल आदि सारे बनाये जाते हैं।
- यह पुरानी दुनिया अब खत्म होनी है।
- सतयुग में है वाइसलेस सम्पूर्ण निर्विकारी।
- वहाँ बच्चे योगबल से पैदा होते हैं।
- विकार वहाँ होता ही नहीं।
- न देह-अभिमान, न क्रोध, न काम।
- 5 विकार होते ही नहीं इसलिए वहाँ कब रावण को जलाते ही नहीं।
- यहाँ तो रावण राज्य है, इसलिए सब पुकारते हैं हे पतित-पावन आओ।
- वह तो लिबरेटर भी है, सबका दु:ख हर्ता है।
- अभी सब रावण राज्य में हैं।
- बाप को आकर छुड़ाना पड़ता है।
- अब बाप कहते हैं तुम पवित्र बनो।
- यह पतित दुनिया खत्म होनी है, जो श्रीमत पर चलेंगे वह श्रेष्ठ देवी-देवता बनेंगे।
- विनाश तो होगा, सब खत्म हो जायेंगे।
- बाकी कौन बचेंगे?
- जो श्रीमत पर पवित्र रहते हैं, वही बाप की मत पर चल विश्व की बादशाही का वर्सा पाते हैं।
- इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य था ना।
- अभी तो रावण राज्य है जो खत्म होना है।
- सतयुगी रामराज्य स्थापन होना है।
- राम वह सीता वाला नहीं।
- शास्त्रों में तो बहुत फालतू बातें लिख दी हैं।
- लंका यह सारी दुनिया है, इसमें रावण का राज्य है।
- भारत सोने की चिड़िया था सतयुग में।
- जबकि दूसरा कोई राज्य ही नहीं था।
- बाप भारत में आकर फिर से सोने की चिड़िया स्वर्ग बनाते हैं।
- बाकी जो इतने धर्म हैं, सब खत्म हो जायेंगे।
- समुद्र भी उछल मारेगा।
- बाम्बे क्या था, एक छोटा सा गांवड़ा था।
- अभी सतयुग की स्थापना होती है फिर बाम्बे आदि रहेगी नहीं।
- सतयुग में बहुत थोड़े मनुष्य होते हैं।
- कैपिटल देहली होती है, जहाँ लक्ष्मी-नारायण का राज्य होता है।
- देहली सतयुग में परिस्तान थी।
- देहली ही गद्दी थी।
- रामराज्य में भी देहली ही कैपिटल रहती है।
- परन्तु रामराज्य में हीरे जवाहरों के महल थे, अथाह सुख था।
- बाप कहते हैं तुमने विश्व का राज्य गँवाया है, मैं फिर से देता हूँ।
- तुम मेरी मत पर चलो।
- श्रेष्ठ बनना है तो सिर्फ मुझे ही याद करो और किसी देहधारी को याद नहीं करो।
- अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो तो तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे, तुम मेरे पास चले आयेंगे।
- तुम मेरे गले की माला बन फिर विष्णु के गले की माला बन जायेंगे।
- माला में ऊपर हूँ मैं।
- फिर युगल है ब्रह्मा-सरस्वती।
- वही सतयुग के महाराजा-महारानी बनते हैं।
- उन्हों की फिर सारी माला है जो नम्बरवार गद्दी पर बैठते हैं।
- मैं भारत को इन ब्रह्मा-सरस्वती और ब्राह्मणों द्वारा स्वर्ग बनाता हूँ।
- जो मेहनत करते हैं, उन्हों के फिर यादगार बनते हैं।
- आत्माओं का रहने का स्थान है परमधाम, जिसको ब्रह्माण्ड भी कहते हैं।
- हम सब आत्मायें वहाँ स्वीट होम में रहने वाली हैं - बाप के साथ।
- वह है शान्तिधाम, मनुष्य चाहते हैं - हम मुक्तिधाम में जायें।
- परन्तु वापिस कोई जा नहीं सकते।
- सबको पार्ट में आना ही है।
- तब तक बाप तुमको तैयार करते रहते हैं।
- तुम तैयार हो जायेंगे तो वहाँ जो भी आत्मायें हैं, वह सब आ जायेंगी, फिर खलास।
- तुम जाकर नई दुनिया में राज्य करेंगे फिर नम्बरवार चक्र चलेगा।
- गीत में भी सुना है ना, आखिर वह दिन आया आज।
- भक्ति मार्ग में धक्के खाते रहते थे।
- बाप है ज्ञान सूर्य।
- ज्ञान सूर्य प्रगटा..... अभी तुम्हारी बुद्धि में सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान है।
- जानते हो जो भारतवासी नर्कवासी हैं वह फिर स्वर्गवासी बनेंगे।
- बाकी इतनी सब आत्मायें शान्तिधाम में चली जायेंगी।
- समझाना बहुत थोड़ा है, अल्फ बाबा, बे बादशाही।
- अल्फ द्वारा बादशाही मिल जाती है।
- गदाई खत्म हो जाती है।
- उसकी कहानी बाप बैठ समझाते हैं।
- यह है सच्ची सत्य-नारायण की कथा।
- बाकी सब हैं दन्त कथायें।
- बाबा ही नर से नारायण बनने के लिए यह ज्ञान सुनाते हैं।
- हिस्ट्री-जॉग्राफी है ना।
- लक्ष्मी-नारायण का राज्य कब शुरू हुआ, कब तक चला।
- तो कथा भी हुई ना!
- जो विश्व पर राज्य करते थे, वह 84 जन्म लेकर बिल्कुल ही तमोप्रधान बन गये हैं।
- अभी बाप कहते हैं - मैं वही राज्य फिर से स्थापन करता हूँ।
- तुम कैसे पतित से पावन, पावन से पतित बनते हो - वह सारी हिस्ट्री-जॉग्राफी समझाते हैं।
- पहले-पहले सूर्यवंशियों का राज्य फिर चन्द्रवंशियों का... उनके बाद दूसरे भी बौद्धी, इस्लामी फिर क्रिश्चियन आये।
- फिर वह देवी-देवता धर्म जो था सो गुम हो गया।
- फिर वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होगी।
- शास्त्रों में ब्रह्मा की आयु 100 वर्ष दिखाई हुई है।
- यह जो ब्रह्मा है, जिसमें बाप बैठ वर्सा देते हैं, इनका भी शरीर छूट जायेगा।
- आत्माओं को बैठ जो आत्माओं का बाप है वह सुनाते हैं, वही पतित-पावन है।
- मनुष्य; मनुष्य को पावन बना नहीं सकेंगे।
- जो खुद ही मुक्त नहीं हो सकते वह औरों को फिर कैसे करेंगे।
- वह तो सब भक्ति सिखलाने वाले अनेक गुरू हैं।
- कोई कहेंगे फलाने की भक्ति करो, कोई कहेंगे शास्त्र सुनो।
- अनेकानेक मत-मतान्तर हैं, इसलिए सब और ही बेसमझ बन गये हैं।
- अब बाप आकर समझदार बनाते हैं।
- यह लक्ष्मी-नारायण समझदार विश्व के मालिक थे ना।
- अब कितने कंगाल बन गये हैं।
- फिर शिवबाबा आकर नर्कवासी से स्वर्गवासी बनाते हैं।
- बाप कितना अच्छी तरह से समझाते हैं कि यहाँ तकदीर जग जाए।
- बाप आते ही हैं मनुष्य मात्र की तकदीर जगाने।
- सब पतित दु:खी हैं ना।
- सब त्राहि-त्राहि कर विनाश हो जायेंगे इसलिए बाबा कहते हैं त्राहि-त्राहि के पहले बेहद के बाप से कुछ वर्सा ले लो।
- यह जो कुछ दुनिया में देखते हो वह सब खत्म हो जाना है।
- फॉल आफ भारत, राइज़ ऑफ भारत।
- यह भारत का ही खेल है।
- राइज़ होगा सतयुग में।
- अब कलयुग में फॉल होना है।
- यह सब रावण राज्य का पाम्प है।
- अब विनाश होना है।
- फॉल आफ वर्ल्ड, राइज़ आफ वर्ल्ड।
- सतयुग में कौन-कौन राज्य करते हैं, यह बाप बैठ समझाते हैं।
- राइज़ आफ भारत, देवताओं का राज्य।
- फाल आफ भारत, रावण का राज्य।
- अभी नई दुनिया बन रही है।
- पुरानी दुनिया खत्म हो जायेगी।
- इसके पहले तुम पढ़ रहे हो, बाप से वर्सा लेने।
- कितना सहज है।
- यह है मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई।
- संन्यासियों का है ही निवृति मार्ग।
- वह धर्म ही अलग है।
- वह तो गृहस्थ व्यवहार छोड़ चले जाते हैं, उनका है हद का संन्यास।
- तुमको इस पुरानी दुनिया का संन्यास कर फिर यहाँ आना नहीं है।
- यह भी अच्छी रीति समझाना है, कौन-कौन से धर्म कब आते हैं।
- द्वापर के बाद ही और धर्म आते हैं।
- पहले सुख भोगते हैं फिर दु:ख।
- यह सारा चक्र बुद्धि में बिठाना होता है।
- जब से तुम चक्र में आते हो महाराजा-महारानी बनते हो।
- सिर्फ अल्फ और बे को समझाना है।
- बाबा किसको विलायत में जाने की मना नहीं करते हैं।
- यूँ तो सब चाहते हैं कि मृत्यु अपने देश में ही हो।
- अब विनाश तो होना ही है, हंगामा इतना हो जायेगा जो विलायत से फिर आ भी नहीं सकेंगे इसलिए बाप समझाते हैं कि भारत भूमि सबसे उत्तम है, जहाँ बाप आकर अवतार लेते हैं।
- शिव जयन्ती भी मनाई जाती है।
- सिर्फ कृष्ण का नाम डालने से सारी महिमा ही खत्म हो गई है।
- सर्व मनुष्य मात्र का लिबरेटर यहाँ आकर अवतार लेते हैं।
- गॉड फादर ही है जो आकर लिबरेट करते हैं।
- तो ऐसे बाप को नमन करना चाहिए, उनकी जयन्ती मनानी चाहिए।
- परन्तु कृष्ण का नाम डालने से सारी वैल्यु गुम कर दी है।
- नहीं तो भारत सबसे ऊंच तीर्थ है।
- वह बाप यहाँ ही आकर सबको पावन बनाते हैं, तो यह सबसे बड़ा तीर्थ ठहरा।
- सबको दुर्गति से छुड़ाय सद्गति देते हैं।
- यह ड्रामा बना हुआ है।
- अभी तुम आत्मायें जानती हो, हमारा बाबा इस अपने शरीर द्वारा यह राज़ समझा रहे हैं।
- हम आत्मा इस शरीर द्वारा सुनती हैं।
- आत्म-अभिमानी बनना है।
- अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो कट निकलती जायेगी और पवित्र बन तुम बाप के पास आ जायेंगे।
- जितना याद करेंगे उतना पवित्र बनेंगे, औरों को भी आप समान बनायेंगे तो बहुतों की आशीर्वाद मिलेगी।
- ऊंच पद पा लेंगे इसलिए गाया जाता है सेकेण्ड में जीवनमुक्ति।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) बाप के गले की माला बन विष्णु के गले में पिरोने के लिए सम्पूर्ण सतोप्रधान बनना है।
- 2) ऐसी सेवा करनी है जो अनेक आत्माओं की आशीर्वाद मिलती रहे।
- त्राहि-त्राहि होने के पहले बाप से पूरा-पूरा वर्सा लेना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- ताज और तिलक को धारण कर बापदादा के मददगार बनने वाले दिलतख्तनशीन भव
- जब कोई तख्त पर बैठते हैं तो तिलक और ताज उनकी निशानी होती है।
- ऐसे जो दिल तख्तनशीन हैं उनके मस्तक पर सदैव अविनाशी आत्मा की स्थिति का तिलक दूर से ही चमकता हुआ नज़र आता है।
- सर्व आत्माओं के कल्याण की शुभ भावना उनके नयनों से वा मुखड़े से दिखाई देती है।
- उनका हर संकल्प, वचन और कर्म बाप के समान होता है।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- सरल याद के लिए सरलता का गुण धारण करो, संस्कारों को सरल बनाओ।
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