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ओम् शान्ति।
- मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों ने भक्ति की महिमा सुनी।
- तुम भी महिमा गाते थे।
- अब महिमा नहीं गाते हो और न तुम्हारे लिए महिमा की जरूरत है।
- जो भगत करते हैं वह तुम बच्चे नहीं कर सकते हो।
- तुम भगत थे, अब तुमको भगवान मिला है।
- सबको इकट्ठा तो मिल नहीं सकता है।
- बाप सबको इकट्ठा कैसे पढ़ाये?
- यह तो हो नहीं सकता।
- सभी भक्त भी इकट्ठे नहीं हो सकते।
- हाँ, बाप को पढ़ाना है जरूर क्योंकि यह राजयोग है।
- सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी राज्य स्थापन होना है।
- बच्चों को प्रदर्शनी में समझाना है, त्योहारों आदि पर भी तुम बहुत अच्छी सर्विस कर सकते हो।
- तुम्हें अपने लिए ही राज्य स्थापन करना है।
- तुम शिव शक्ति, महारथी सेना हो और कोई ड्रिल आदि तुम नहीं सीखते हो।
- तुम रूहानी ड्रिल सीखते हो।
- यह ड्रिल भारत की नामीग्रामी है।
- यह है योग की ड्रिल।
- आत्मा को परमपिता परमात्मा से योग लगाना है, उनसे वर्सा लेना है।
- इसमें लड़ाई की कोई बात नहीं।
- तुम बाप से वर्सा लेते हो, इसमें लड़ाई का कनेक्शन नहीं है।
- तुम हो बेहद बाप के वारिस।
- तो बाप का बनकर बाप की श्रीमत पर चलना है।
- बाप की मत लड़ाई आदि की नहीं है।
- बाप सिर्फ कहते हैं - मीठे-मीठे बच्चे तुम सतोप्रधान थे, राज्य करते थे अब तुमको स्मृति आई है।
- बाप कहते हैं - तुम अपने जन्मों को नहीं जानते हो।
- गाते भी हैं 84 जन्म मनुष्य लेते हैं।
- 84 लाख यह तो गपोड़े हैं।
- भक्ति मार्ग में जिसको जो आया सो पढ़ते रहते हैं।
- ड्रामा अनुसार यह भक्ति मार्ग की सामग्री है।
- सतयुग त्रेता में भक्ति होती नहीं।
- भक्ति अलग है, ज्ञान अलग है।
- तुम बच्चों के सिवाए और कोई ऋषि मुनि आदि की बुद्धि में यह ज्ञान नहीं है।
- उन्हों को यह भी मालूम नहीं कि सुख अलग है, दु:ख अलग है।
- सुख बाप देते हैं, दु:ख रावण देते हैं।
- जो तुम सूर्यवंशी चन्द्रवंशी थे, सो 84 का चक्र लगाकर शूद्रवंशी बनें।
- बाप स्मृति दिलाते हैं - तुम विश्व के मालिक थे।
- तुम 84 जन्म भोग नीचे उतरते, तुच्छ बुद्धि, तमोप्रधान बन गये हो।
- सतोप्रधान वाले को स्वच्छ ऊंच बुद्धि कहा जाता है।
- तमोप्रधान को नीच बुद्धि कहा जाता है।
- नीच बुद्धि वाले ऊंच बुद्धि वालों को नमस्ते करते हैं।
- यह तुमको भी मालूम नहीं था कि हम ही ऊंच थे, अब हम ही नीच बने हैं।
- बाबा ने समझाया है, जिसने पहले नम्बर में जन्म लिया होगा वही सतोप्रधान बनेगा।
- 84 जन्म भी सूर्यवंशी ही लेंगे।
- अब तुम समझते हो हम विश्व के मालिक थे तो पावन सतोप्रधान थे।
- पतित थोड़ेही विश्व के मालिक बन सकते हैं।
- उन्हों की महिमा देखो कितनी ऊंची है।
- सर्वगुण सम्पन्न... त्रेता में 14 कला सम्पूर्ण नहीं कहेंगे।
- सूर्यवंशी को 16 कला सम्पूर्ण कहेंगे।
- 14 कला के पीछे सम्पूर्ण अक्षर नहीं आयेगा।
- सम्पूर्ण 16 कला वालों को लिखना है।
- अभी तुम बच्चे 16 कला सम्पूर्ण बनते हो।
- यह भी बच्चों को समझाया है कि यह ज्ञान अति सहज है, इससे सहज कोई बात होती नहीं।
- बाबा रहमदिल है ना।
- बाबा जानते हैं बच्चे भक्ति में धक्के खा-खाकर थक गये होंगे इसलिए दिखाया है द्रोपदी के पांव दबाये।
- बाबा के पास बुढ़ी-बुढ़ी मातायें आती हैं।
- बाबा कहते हैं तुम भक्ति के धक्के खाकर थके हुए हो, इसलिए बाबा अभी तुम्हारी थक सब दूर कर देते हैं।
- भक्ति में राम-राम जपते, माला फेरते रहते हैं।
- बाबा का पादरियों से भी सम्पर्क रहा है।
- पादरी भी बाइबिल लेकर बैठ समझाते रहते हैं।
- बहुत क्रिश्चियन बन जाते हैं।
- यहाँ माला आदि फेरने की बात नहीं।
- बाप कहते हैं - अपने को आत्मा समझ बाबा को याद करो।
- शिव-शिव मुख से कहना नहीं है।
- हम तो आवाज से परे जाने वाले हैं।
- बाबा बहुत सहज युक्ति बताते हैं कि मुझे याद करो तो खाद निकल जाए और गृहस्थ व्यवहार में रहते पवित्र बनना है।
- कमल फूल बड़ा नामीग्रामी है।
- उनकी बड़ी पंचायत होती है, परन्तु फिर भी न्यारा और प्यारा रहता है।
- तुम भी विषय सागर में रहते न्यारे प्यारे रहो।
- यह विषय सागर है, इसको नदी नहीं कहेंगे।
- तुम बच्चे अभी कितना समझदार बनते हो, इसी समझ से तुम महाराजकुमार बन जाते हो।
- तुमको तो बहुत खुशी होनी चाहिए।
- पुरुषार्थ करना चाहिए, बच्चा अथवा बच्ची दोनों की आत्मा को पुरूषार्थ करना है।
- लौकिक सम्बन्ध में बाप का वर्सा सिर्फ बच्चों को मिलता है, बच्ची को नहीं।
- यहाँ सब आत्माओं को वर्सा मिलता है।
- बाप समझाते हैं याद की यात्रा से ही तुम ऊंच पद पा सकते हो।
- प्रदर्शनी में पहले-पहले बाप का परिचय देना है फिर उनके बाद है बाप का वर्सा।
- पहले यह निश्चय बिठाओ कि यह तुम्हारा बेहद का बाप है।
- उनको समझाना है भगवान एक है - ब्रह्मा, विष्णु, शंकर भी भगवान नहीं हैं, देवता हैं।
- भगवान पतित-पावन निराकार बाप है।
- उनकी महिमा ही अलग है।
- आजकल प्रदर्शनी में त्रिमूर्ति पर समझाना होता है।
- वह बाप, यह दादा।
- वर्सा उनसे मिलता है।
- वह निराकार है उनसे वर्सा कैसे मिले!
- वह है सबका रचयिता।
- ब्रह्मा विष्णु शंकर भी रचना हैं।
- रचना को रचता से ही वर्सा मिल सकता है।
- वह तो निराकार बाप इस द्वारा वर्सा देते हैं।
- रचता सबका एक है इसलिए गाया जाता है सर्व का सद्गति दाता एक।
- उसको ज्ञान सागर कहा जाता है।
- बाकी वह सब शास्त्रों की अथॉरिटी हैं।
- यह है ज्ञान सागर खुद अथॉरिटी।
- वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी खुद कहते हैं कि मैं वेदों शास्त्रों को जानता हूँ और तुमको सार समझाता हूँ।
- यह सब है भक्ति मार्ग की सामग्री जो सतयुग त्रेता में होती नहीं।
- भक्ति से ही सीढ़ी नीचे उतरनी होती है।
- सर्वशक्तिमान् एक बाप को ही गाया जाता है।
- उनके साथ योग लगाने से ही हम पवित्र बन जाते हैं तो सर्वशक्तिमान् हुआ ना।
- हम सबको पतित से पावन बना देते हैं।
- रावणराज्य से मुक्त कर देते हैं।
- तुम अब शिवबाबा से शक्ति ले रहे हो।
- जितना जास्ती याद करेंगे उतना शक्ति मिलेगी और खाद निकल जायेगी।
- तुमको दिन-रात यही फुरना रहना चाहिए कि पतित से पावन, तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायें।
- माया के तूफान आयेंगे।
- बाबा कहते हैं खबरदार रहना चाहिए।
- तुम्हारी माया के साथ युद्ध है।
- फालतू विकल्प बहुत आयेंगे।
- जो कभी अज्ञान में नहीं आये होंगे वह भी आयेंगे।
- तुम युद्ध के मैदान में हो।
- मेहनत सारी याद की यात्रा में है।
- भारत का योग नामीग्रामी है।
- योग के लिए ही बाबा समझाते हैं कि तुम अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।
- ऐसे और कोई मनुष्य समझा न सके।
- वह कह देते हैं सब भगवान के रूप हैं।
- जिधर देखता हूँ - परमात्मा ही परमात्मा है।
- बाप समझाते हैं तुम आत्मा हो, 84 जन्म भोगते हो।
- अगर सब परमात्मा हैं तो क्या परमात्मा जन्म-मरण के चक्र में आते हैं?
- आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है।
- आत्मा में अच्छे बुरे संस्कार रहते हैं।
- अच्छे संस्कार वालों की महिमा गाते हैं।
- बुरे संस्कार वालों को कहते हैं पापी नीच।
- बाबा पवित्र बनने की सहज युक्ति बताते हैं।
- मन्सा, वाचा, कर्मणा किसको दु:ख नहीं देना है।
- अपने को भी दु:ख नहीं देना है।
- कोई भी विकर्म, चोरी आदि नहीं करना चाहिए।
- अगर कहाँ झूठ बोलना पड़ता है तो बाबा से राय पूछो।
- सबसे बड़ा पाप है - काम कटारी चलाना, वह मत चलाओ।
- बाप कहते हैं - बच्चे हाथों से काम करते बुद्धि का योग मेरे से लगाओ। (हथ कार डे......बुद्धि यार डे) बाबा सर्जन भी है।
- सबकी बीमारी एक जैसी हो न सके।
- कर्म भी एक जैसे हो न सकें।
- तो कदम-कदम पर पूछना चाहिए।
- मंजिल बड़ी भारी है।
- अमरनाथ की यात्रा पर जाते हैं तो कहते हैं अमरनाथ की जय, बद्रीनाथ की जय।
- हे बद्रीनाथ हमारी रक्षा करना।
- अब तुमको तीर्थ यात्रा आदि कुछ नहीं करना है।
- यह ज्ञान की बातें बाप ही समझाते हैं।
- उनका ही पार्ट है।
- तुम भी बाबा के साथ-साथ पार्टधारी हो।
- जितना जो पढ़ेगा उतना ऊंच पद मिलेगा।
- इसमें कोई की बड़ाई नही।
- बड़ाई एक की ही है, जो सर्व मनुष्यों को सद्गति देता है।
- सर्व बच्चों को पतित से पावन बनाते हैं।
- ड्रामा में मुझे भी पार्ट मिला हुआ है।
- 5 तत्वों को भी अपना-अपना पार्ट मिला हुआ है, सो बजाना है।
- धरती को उथलना है, विनाश होना है।
- तुम्हारा भी ड्रामा में पार्ट है, इसमें बड़ाई क्या है।
- राज्य करते-करते पतित बन गये।
- तुम भी पहले क्या थे?
- वर्थ नाट ऐ पेनी।
- अब तुम विश्व के मालिक बनते हो, यह तुम्हारा पार्ट है फिर भी हमको ऐसा बनना ही है।
- इसमे बड़ाई की वा महिमा की कोई बात नहीं।
- यह ड्रामा बना हुआ है।
- बाबा भी आकर अपना पार्ट बजाते हैं।
- भगत लोग बड़ाई देते, महिमा गाते, वह काम हम नहीं कर सकते।
- यहाँ तो बाप को याद करना है।
- बाबा इस ड्रामा का राज़ तो बड़ा वन्डरफुल है!
- जो कोई को पता नहीं।
- बाबा हम सतयुग में यह भी भूल जायेंगे!
- बड़ा विचित्र ड्रामा है।
- ऐसे-ऐसे अपने से बातें करो।
- कोई पार्टधारी अच्छा पार्ट बजाते हैं तो ताली बजाते हैं।
- हम भी कहते हैं मीठे बाबा का, शिवबाबा का बहुत अच्छा पार्ट है।
- हम भी बाबा के संग अच्छा पार्ट बजाते हैं।
- कितना अच्छी रीति समझाते हैं, फिर भी किन्हों को समझ में नहीं आता तो समझ जाते हैं कि हमारी राजधानी में इन्हों को आना नहीं है।
- यह भी जानते हैं जो ब्राह्मण बने थे वही ब्राह्मण बन फिर देवता बनेंगे।
- देवताओं में भी प्रजा आदि सब बनेंगे।
- सबको अनादि पार्ट मिला हुआ है।
- सृष्टि भी एक ही है, वह चलती रहती है।
- गॉड इज़ वन, क्रियेशन इज वन।
- वही चक्र फिरता रहता है।
- मनुष्य खोज करते हैं, देखें मून में क्या है!
- उनके ऊपर क्या है!
- उनके ऊपर है सूक्ष्मवतन।
- वहाँ क्या देखेंगे?
- लाइट ही लाइट।
- बहुत कोशिश करते हैं - साइंस की भी हद है ना।
- माया की भी बहुत पाम्प है।
- साइंस सुख के लिए भी है तो दु:ख के लिए भी है।
- वहाँ एरोप्लेन कभी गिरेंगे नहीं।
- दु:ख की बात नहीं।
- यहाँ तो दु:ख ही दु:ख है।
- चोर लूट जाते, आग जला देती।
- वहाँ मकान बहुत बड़े होते।
- सारे आबू जितनी जमीन एक-एक राजा की होगी।
- तुम आये हो स्वर्गवासी बनने।
- बाबा को याद करो तो खाद निकले।
- तुम सब आशिक हो, अब माशूक तुमको कहते हैं - मामेकम् याद करो तो अमरपुरी के मालिक बन जायेंगे।
- वहाँ अकाले मृत्यु होता नहीं।
- सतयुग में है श्रेष्ठाचारी दुनिया, यह है भ्रष्टाचारी दुनिया।
- कितने बी.के. बाप से वर्सा ले रहे हैं।
- तुम भी वर्सा ले लो।
- अगर श्रीमत पर नहीं चलेंगे तो ऊंच पद नहीं पा सकेंगे।
- हर 5 हजार वर्ष के बाद बाबा स्वर्ग बनाने आते हैं।
- कलियुग में ढेर मनुष्य, सतयुग में थोड़े, तो विनाश जरूर होगा, इसलिए महाभारत लड़ाई सामने खड़ी है।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) मन्सा, वाचा, कर्मणा किसी को भी दु:ख नहीं देना है।
- बुरे संस्कारों को निकाल अभी अच्छे संस्कार धारण करने हैं।
- कोई विकर्म न हो इसका ध्यान रखना है।
- 2) इस विचित्र ड्रामा में अपने श्रेष्ठ भाग्य को देखते हुए अपने आपसे बातें करनी है कि हम भगवान के साथ पार्टधारी हैं।
- कितना अच्छा हमारा पार्ट है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- मनन द्वारा बाप की प्रापर्टी को अपनी प्रापर्टी बनाने वाले दिव्य बुद्धिवान भव
- बाप द्वारा जो भी खजाना मिलता है, उसे मनन करो तो अन्दर समाता जायेगा।
- प्रापर्टी तो सबको एक जैसी मिली हुई है लेकिन जो मनन करके उसे अपना बनाते हैं, उन्हें उसका नशा और खुशी रहती है इसलिए कहा जाता है - अपनी घोट तो नशा चढ़े।
- जो मनन की मस्ती में सदा मस्त रहते हैं उन्हें दुनिया की कोई भी चीज़, उलझन आकर्षित नहीं कर सकती।
- उन्हें दिव्य बुद्धि का वरदान स्वत: मिल जाता है।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- मन की उलझन को समाप्त करने के लिए निर्णय शक्ति को बढ़ाओ।
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