01-11-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन



"मीठे बच्चे - तुम्हारी चलन बहुत-बहुत मीठी रॉयल होनी चाहिए, क्रोध का भूत बिल्कुल न हो''

प्रश्नः-

21 जन्मों की प्रालब्ध पाने के लिए बच्चों को किस बात का ध्यान जरूर रखना है?

उत्तर:-

इस दुनिया में रहते, सब कुछ करते, बुद्धि का योग एक सच्चे माशुक के साथ रहे।

ऐसी कोई बुरी आदत न हो जिससे बाप की आबरू खत्म हो।

घर में रहते भी इतना प्यार से रहो जो दूसरे समझें कि इसमें तो बहुत अच्छे दैवीगुण हैं।

 

गीत:- जाग सजनियां जाग....


  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने गीत सुना।
  • इसका अर्थ भी जरूर बच्चे समझ गये होंगे।
  • बाप आकर नई-नई बातें सुनाते हैं।
  • नई दुनिया के नये युग के लिए यह बातें बच्चों ने 5 हजार वर्ष पहले सुनी थी।
  • अब फिर सुन रहे हैं।
  • बाकी बीच में सिर्फ भक्ति मार्ग की बातें ही सुनी हैं।
  • सतयुग में यह बातें होती नहीं।
  • वहाँ है ज्ञान मार्ग की प्रालब्ध।
  • अब तुम बच्चे नई दुनिया के लिए सच्ची कमाई कर रहे हो।
  • नॉलेज को सोर्स आफ इनकम कहा जाता है।
  • पढ़ाई द्वारा कोई बैरिस्टर, इंजीनियर आदि बनते हैं।
  • आमदनी भी होती है।
  • तुम इस पढ़ाई से राजाओं का राजा बनते हो।
  • यह कितनी जबरदस्त कमाई है।
  • अब तुम बच्चों को यह निश्चय है, अगर थोड़ा संशय है तो आगे चलते-चलते निश्चय होता जायेगा।
  • सेकेण्ड में जीवनमुक्ति गाई हुई है।
  • बाबा का बना और वर्से का मालिक बना।
  • बाप जो स्वर्ग का रचयिता है वह आया है हमको मालिक बनाने।
  • यह तो बच्चों को निश्चय होना चाहिए।
  • यह भी जानते हो कि दो बाप हैं।
  • एक है लौकिक बाप, दूसरा है पारलौकिक, जिसको कहते हैं परमपिता परमात्मा, ओ गॉड फादर।
  • लौकिक फादर को कभी परमपिता नहीं कहेंगे।
  • सबका सुख दाता, शान्ति दाता वह एक ही पारलौकिक बाप है।
  • सतयुग में सब सुखी रहते हैं।
  • बाकी आत्मायें शान्तिधाम में रहती हैं।
  • सतयुग में तुमको सुख-शान्ति, धन-दौलत, निरोगी काया सब कुछ था।
  • तो ऐसे मोस्ट बिलवेड बाप को सब पुकारते हैं।
  • साधू-सन्त लोग भी साधना करते हैं, लेकिन किसकी साधना करते हैं, यह जानते नहीं।
  • वह करते हैं ब्रह्म की साधना।
  • तो हम ब्रह्म में लीन हो जायें, परन्तु लीन तो हो न सकें।
  • ब्रह्म को याद करने से पाप थोड़ेही कटेंगे।
  • बाप कहते हैं मामेकम् याद करो।
  • सर्वशक्तिमान् मैं हूँ वा ब्रह्म, जो रहने का स्थान है?
  • ब्रह्म महतत्व में सभी आत्मायें निवास करती हैं।
  • तो ब्रह्म को उन्होंने भगवान समझ लिया है।
  • जैसे भारतवासियों ने हिन्दुस्तान में रहने के कारण अपना धर्म हिन्दू समझ लिया है।
  • वैसे ब्रह्म तत्व रहने के स्थान को परमात्मा समझ लिया है, वह है ब्रह्माण्ड।
  • वहाँ आत्मायें, ज्योतिर्बिन्दु अण्डा आकार में रहती हैं, इसलिए उनको ब्रह्माण्ड कहते हैं।
  • यह है मनुष्य सृष्टि।
  • ब्रह्माण्ड अलग है, मनुष्य सृष्टि अलग है।
  • आत्मा क्या है - यह किसको भी पता नहीं है।
  • कहते भी हैं - भ्रकुटी के बीच में चमकता है अजब सितारा।
  • फिर कहते आत्मा अंगूठे सदृश्य है।
  • परन्तु बाप कहते हैं - आत्मा बिल्कुल सूक्ष्म बिन्दू है,
    • जिसको इन आँखों से देख नहीं सकते, इनको देखने की, पकड़ने की बहुत कोशिश करते हैं।
  • परन्तु किसको पता नहीं पड़ता।
  • तुम बच्चे जानते हो तो अब तुमको भारत को स्वर्ग बनाने में बाप का मददगार भी बनना पड़े।
  • बाप आते ही भारत में हैं।
  • शिव जयन्ती भारत में ही मनाते हैं।
  • जैसे क्राइस्ट होकर गया तो क्रिश्चियन लोग क्रिसमस मनाते रहते हैं।
  • क्राइस्ट कब आया वह भी जानते हैं।
  • परन्तु भारतवासियों को यह पता ही नहीं कि बाप कब आया था, कृष्ण कब आया था?
  • किसका भी उन्हों को पता नहीं है।
  • महिमा सारी कृष्ण की गाते हैं।
  • उसको झूले में झुलाते हैं, प्यार करते हैं परन्तु यह नहीं जानते कि उनका जन्म कब हुआ।
  • कह देते द्वापर में गीता सुनाई।
  • परन्तु कृष्ण द्वापर में तो आते नहीं।
  • लीला है एक बाप की।
  • तब उनके लिए कहते हैं तुम्हारी गति मत... कृष्ण है सतयुग का प्रिन्स।
  • पहले से माता को साक्षात्कार हो जाता है कि योगबल से बच्चा पैदा होने वाला है।
  • वहाँ शरीर भी ऐसे ही छोड़ते हैं।
  • एक शरीर छोड़ दूसरा लेते हैं।
  • सर्प का मिसाल।
  • वास्तव में संन्यासी ये मिसाल दे नहीं सकते।
  • तुम विकारी मनुष्यों को बैठ ज्ञान की भूँ-भूँ कर तमोप्रधान से सतोप्रधान बना देते हो।
  • यह तुम्हारा धन्धा है - भूँ-भूँ कर मनुष्य को देवता बना देते हो।
  • कछुओं आदि का मिसाल भी इस समय का है।
  • कर्म करके फिर जितना समय मिले बाप को याद करना है।
  • तुम जानते हो यह हमारा अन्तिम जन्म है।
  • अब नाटक पूरा होना है, पुराना शरीर है।
  • इसका कर्मभोग चुक्तू करना है।
  • जब सतोप्रधान हो जायेंगे तो फिर कर्मातीत अवस्था हो जायेगी, फिर हम इस शरीर में रह नहीं सकेंगे।
  • कर्मातीत अवस्था हुई फिर शरीर छोड़ देंगे, फिर लड़ाई शुरू होगी।
  • मच्छरों सदृश्य सब शरीर खत्म हो आत्मायें चली जायेंगी।
  • पवित्र बनने बिगर तो कोई जा नहीं सकेंगे।
  • यह है दु:खधाम रावण का स्थापन किया, और राम का स्थापन किया हुआ है शिवालय।
  • वास्तव में परमात्मा का नाम है शिव, न कि राम।
  • सतयुग शिवालय में सभी देवतायें रहते हैं।
  • फिर भक्ति मार्ग में शिव की प्रतिमा के लिए मन्दिर, शिवालय आदि बनाते हैं।
  • अब शिवबाबा का यह तख्त है।
  • आत्मा इस तख्त पर विराजमान है।
  • बाप भी यहाँ बाजू में आकर विराजमान होते हैं और आकर पढ़ाते हैं।
  • सदैव तो नहीं रहता।
  • याद करो तो यह आया।
  • बाप कहते हैं - मैं तुम्हारा बेहद का बाप हूँ।
  • वर्सा मेरे से तुमको मिलना है।
  • ब्रह्मा थोड़ेही बेहद का बाप है इसलिए तुम मुझे याद करो।
  • मीठे बच्चे जानते हैं कि बाबा ज्ञान का सागर है, प्यार का सागर है।
  • तो तुम बच्चों को भी प्यार का सागर बनना है।
  • स्त्री-पुरुष एक दो को सच्चा प्यार नहीं करते, वह तो काम विकार को ही प्यार समझते हैं परन्तु बाबा ने कहा है कि काम महाशत्रु है।
  • यह आदि-मध्य-अन्त दु:ख देने वाला है।
  • देवतायें निर्विकारी थे, तब तो कहते हैं - कृष्ण जैसा बच्चा मिले, कृष्ण जैसा पति मिले।
  • कृष्णपुरी को याद करते हैं ना।
  • अब बाप कृष्णपुरी स्थापन कर रहे हैं।
  • तुम स्वयं श्रीकृष्ण जैसे अथवा मोहन जैसे बन सकते हो।
  • प्रिन्स प्रिन्सेज और भी होंगे।
  • तो यह सब यहाँ बन रहे हैं।
  • उनकी भी लिस्ट रहती है।
  • माला के 8 दाने भी हैं, तो 108 दाने भी हैं।
  • लोग 9 रतन की अंगूठी पहनते हैं।
  • अब यह 8 कौन हैं? बीच में कौन है?
  • यह भी तुम जानते हो कि मीठे ते मीठे बाप द्वारा हम रत्न बन रहे हैं।
  • बाप कहते हैं - बच्चे आपस में बहुत प्यार से चलना है।
  • नहीं तो बाबा का नाम बदनाम करेंगे।
  • फिर सतगुरू की निंदा कराने वाले ठौर नहीं पा सकते।
  • सबको मन्त्र भी बताना है कि एक बाप को याद करो तो खाद निकल जायेगी।
  • घर में भी इतना प्यार से चलना चाहिए जो दूसरे समझें कि इसमें क्रोध नहीं है।
  • बहुत प्यार आ गया है।
  • शराब, सिगरेट आदि पीना बहुत बुरी आदत है, ऐसी सब बुरी आदतें छोड़ देनी चाहिए।
  • दैवीगुण यहाँ ही धारण करने हैं।
  • राजधानी स्थापन करने में मेहनत लगती है।
  • दूसरे धर्म वाले राजधानी स्थापन नहीं करते।
  • वह ऊपर से एकदम पिछाड़ी में आते रहते हैं।
  • तुम 21 जन्म की प्रालब्ध बना रहे हो, इसमें माया के तूफान बहुत आयेंगे।
  • फिर भी पुरुषार्थ कर दैवी गुण धारण करने हैं।
  • अगर क्रोध से बात करेंगे तो लोग कहेंगे इनमें भूत है।
  • गोया बेहद बाप की आबरू गँवाई।
  • फिर ऐसे ऊंच पद कैसे पायेंगे?
  • बहुत मीठा अनासक्त बनना है।
  • यहाँ रहते, सब कुछ करते योग माशूक के साथ चाहिए।
  • बाबा ने कहा है मुझे याद करो तो पाप भस्म हो जायेंगे, इसको योग अग्नि कहा जाता है।
  • यहाँ हठयोग की दरकार नहीं है।
  • अपना शरीर तन्दरूस्त रखना है, मोस्ट वैल्युबुल शरीर है।
  • भोजन भी शुद्ध खाना है।
  • देवताओं को कैसा भोग लगाते हैं।
  • श्रीनाथ द्वारे जाकर देखो, बंगाल में तो काली पर बकरे का भोग लगाते हैं।
  • वे अपने पित्रों को भी मछली खिलाते हैं।
  • नहीं तो समझते हैं कि पित्र नाराज़ हो जायेंगे।
  • कोई ने रिवाज़ डाला है, वह चलता रहता है।
  • देवी-देवताओं के राज्य में कोई पाप नहीं होता।
  • वह है रामराज्य।
  • यहाँ कर्म-विकर्म बनते हैं।
  • वहाँ कर्म-अकर्म बनते हैं।
  • अब हरिद्वार में जाकर बैठते हैं।
  • हरि कृष्ण को कहते हैं।
  • अब कृष्ण तो है सतयुग में।
  • वास्तव में हरि नाम शिव का है।
  • दु:ख हरने वाला।
  • परन्तु गीता में कृष्ण का नाम डाल, हरि कृष्ण को समझ लिया है।
  • वास्तव में दु:ख हरने वाला है शिवबाबा।
  • हरि का द्वार सतयुग को कहा जाता है।
  • भक्ति मार्ग में जो कुछ आता है बोलते रहते हैं।
  • बाप कहते हैं - मैं संगमयुग पर आता हूँ, पुरानी दुनिया को नई बनाने।
  • रावण है पुराना दुश्मन।
  • हर वर्ष उनको जलाते हैं।
  • कितने पैसे खर्च करते हैं।
  • सब वेस्ट ऑफ टाइम, वेस्ट ऑफ मनी है।
  • बंगाल में कितनी देवियाँ बनाते हैं, उनको खिला-पिलाकर पूजा कर फिर जाकर डुबोते हैं।
  • इस पर एक गीत है।
  • बच्चों को बहुत मीठा बनना है।
  • कभी गुस्से से बात नहीं करनी है।
  • बाप से कभी रूठना नहीं है।
  • रूठ कर अगर पढ़ाई छोड़ा गोया अपने पैर पर कुल्हाड़ा मारा।
  • यहाँ तुम आये हो विश्व का मालिक बनने।
  • महाराजा श्री नारायण, महारानी श्री लक्ष्मी को कहा जाता है।
  • बाकी श्री श्री है शिवबाबा का टाइटल।
  • श्री कहा जाता है देवताओं को।
  • श्री अर्थात् श्रेष्ठ।
  • अब तुम ख्याल करो हम क्या थे?
  • माया ने हमारा माथा मुड़वा कर हमको क्या बना दिया है।
  • भारत कितना साहूकार था।
  • फिर कंगाल कैसे बना?
  • क्या हुआ?
  • कुछ भी समझते नहीं।
  • अब तुम जानते हो हम सो देवता थे, फिर क्षत्रिय बनें।
  • वह कह देते आत्मा सो परमात्मा।
  • नहीं तो हम सो का अर्थ कितना सहज है।
  • वो लोग कहते हैं मनुष्य का जन्म सिर्फ एक होता है।
  • परन्तु बाप समझाते हैं कि मनुष्य के जन्म 84 होते हैं।
  • उस 84 जन्म में तुम्हारा यह संगम का एक जन्म दुर्लभ है।
  • जबकि तुम बेहद बाप से स्वर्ग का वर्सा पाते हो।
  • तुम बहुत रॉयल बाप के बच्चे हो, तो तुम्हारे में कितनी रॉयल्टी होनी चाहिए।
  • रॉयल मनुष्य कभी जोर से बात नहीं करते।
  • दुनिया में घर-घर में कितना हंगामा होता है।
  • स्वर्ग में ऐसी कोई बात नहीं।
  • यह बाबा भी वल्लभाचारी कुल का था।
  • फिर भी कहाँ वह सतयुग के देवतायें, कहाँ आजकल के वैष्णव लोग!
  • ऐसे नहीं - वैष्णव हैं तो विकार में नहीं जाते हैं।
  • रावण राज्य में सब विकार से पैदा होते हैं।
  • सतयुग में हैं सम्पूर्ण निर्विकारी।
  • अब तुम सम्पूर्ण निर्विकारी बन रहे हो और विश्व के मालिक बनते हो योगबल द्वारा।
  • तुम्हारी चलन बहुत मीठी रॉयल होनी चाहिए।
  • कोई डिबेट या शास्त्रवाद नहीं करना है।
  • वह जब शास्त्रवाद करने बैठते हैं तो एक दो को लाठी भी मार देते हैं।
  • उन बिचारों का कोई भी दोष नहीं है।
  • इस नॉलेज को जानते ही नहीं।
  • यह है रूहानी नॉलेज, जो मिलती है रूहानी बाप से।
  • वह ज्ञान का सागर है।
  • उनके शरीर का नाम नहीं है, वह अव्यक्तमूर्त है।
  • कहते हैं मेरा नाम शिव है।
  • मैं स्थूल वा सूक्ष्म शरीर नहीं लेता हूँ।
  • ज्ञान का सागर, आनंद का सागर मुझे ही कहते हैं।
  • शास्त्रों में क्या-क्या लिखा है।
  • हनुमान पवन पुत्र था, अब पवन से बच्चा कैसे पैदा होगा!
  • फिर परमात्मा के लिए कहते कच्छ मच्छ अवतार, कितनी गाली दी है।
  • बाबा आकर उल्हना देते हैं कि तुमने आसुरी मत पर मुझे इतनी गाली दी।
  • 24 अवतार से पेट नहीं भरा फिर कण-कण, ठिक्कर-भित्तर में ठोक दिया है।
  • यह सब शास्त्र द्वापर से बने हैं।
  • पहले-पहले सिर्फ शिव की पूजा होती थी।
  • गीता भी बाद में बनाई है।
  • अब बाप समझा रहे हैं, यह सारा अनादि खेल है।
  • अब मैं आया हूँ तुमको विश्व का मालिक बनाने, तो बाप को पूरा फालो करना चाहिए।
  • लक्षण भी बहुत अच्छे होने चाहिए।
  • यह भी वण्डर है ना।
  • कलियुग के अन्त में क्या है फिर सतयुग में क्या देखेंगे।
  • कलियुग में भारत इनसालवेन्ट, सतयुग में भारत सालवेन्ट।
  • उस समय और कोई खण्ड नहीं होता।
  • यह गीता एपीसोड रिपीट हो रहा है।
  • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) हम रॉयल बाप के बच्चे हैं इसलिए अपनी चलन बहुत रॉयल रखनी है।
    • आवाज़ से नहीं बोलना है।
    • बहुत मीठा बनना है।
  • 2) कभी भी बाप से वा आपस में रूठना नहीं है।
    • रूठ कर पढ़ाई कभी नहीं छोड़नी है।
    • जो भी बुरी आदतें हैं उन्हें छोड़ना है।
  • वरदान:-
  • ( All Blessings of 2021)
  • सर्वशक्तिमान् के साथ की स्मृति द्वारा समस्याओं को दूर भगाने वाले परमात्म स्नेही भव
  • जो बच्चे परमात्म स्नेही हैं वे स्नेही को सदा साथ रखते हैं इसलिए कोई भी समस्या सामने नहीं आती।
  • जिनके साथ स्वयं सर्वशक्तिमान् बाप है उनके सामने समस्या ठहर नहीं सकती।
  • समस्या पैदा हो और वहाँ ही खत्म कर दो तो वृद्धि नहीं होगी।
  • अब समस्याओं का बर्थ कन्ट्रोल करो।
  • सदा याद रखो कि सम्पूर्णता को समीप लाना है और समस्याओं को दूर भगाना है।
  • स्लोगन:-
  • (All Slogans of 2021)
  • प्यारे बनने का पुरुषार्थ नहीं, न्यारे बनने का पुरुषार्थ करो तो प्यारे स्वत: बन जायेंगे।