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ओम् शान्ति।
- मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने गीत सुना।
- इसका अर्थ भी जरूर बच्चे समझ गये होंगे।
- बाप आकर नई-नई बातें सुनाते हैं।
- नई दुनिया के नये युग के लिए यह बातें बच्चों ने 5 हजार वर्ष पहले सुनी थी।
- अब फिर सुन रहे हैं।
- बाकी बीच में सिर्फ भक्ति मार्ग की बातें ही सुनी हैं।
- सतयुग में यह बातें होती नहीं।
- वहाँ है ज्ञान मार्ग की प्रालब्ध।
- अब तुम बच्चे नई दुनिया के लिए सच्ची कमाई कर रहे हो।
- नॉलेज को सोर्स आफ इनकम कहा जाता है।
- पढ़ाई द्वारा कोई बैरिस्टर, इंजीनियर आदि बनते हैं।
- आमदनी भी होती है।
- तुम इस पढ़ाई से राजाओं का राजा बनते हो।
- यह कितनी जबरदस्त कमाई है।
- अब तुम बच्चों को यह निश्चय है, अगर थोड़ा संशय है तो आगे चलते-चलते निश्चय होता जायेगा।
- सेकेण्ड में जीवनमुक्ति गाई हुई है।
- बाबा का बना और वर्से का मालिक बना।
- बाप जो स्वर्ग का रचयिता है वह आया है हमको मालिक बनाने।
- यह तो बच्चों को निश्चय होना चाहिए।
- यह भी जानते हो कि दो बाप हैं।
- एक है लौकिक बाप, दूसरा है पारलौकिक, जिसको कहते हैं परमपिता परमात्मा, ओ गॉड फादर।
- लौकिक फादर को कभी परमपिता नहीं कहेंगे।
- सबका सुख दाता, शान्ति दाता वह एक ही पारलौकिक बाप है।
- सतयुग में सब सुखी रहते हैं।
- बाकी आत्मायें शान्तिधाम में रहती हैं।
- सतयुग में तुमको सुख-शान्ति, धन-दौलत, निरोगी काया सब कुछ था।
- तो ऐसे मोस्ट बिलवेड बाप को सब पुकारते हैं।
- साधू-सन्त लोग भी साधना करते हैं, लेकिन किसकी साधना करते हैं, यह जानते नहीं।
- वह करते हैं ब्रह्म की साधना।
- तो हम ब्रह्म में लीन हो जायें, परन्तु लीन तो हो न सकें।
- ब्रह्म को याद करने से पाप थोड़ेही कटेंगे।
- बाप कहते हैं मामेकम् याद करो।
- सर्वशक्तिमान् मैं हूँ वा ब्रह्म, जो रहने का स्थान है?
- ब्रह्म महतत्व में सभी आत्मायें निवास करती हैं।
- तो ब्रह्म को उन्होंने भगवान समझ लिया है।
- जैसे भारतवासियों ने हिन्दुस्तान में रहने के कारण अपना धर्म हिन्दू समझ लिया है।
- वैसे ब्रह्म तत्व रहने के स्थान को परमात्मा समझ लिया है, वह है ब्रह्माण्ड।
- वहाँ आत्मायें, ज्योतिर्बिन्दु अण्डा आकार में रहती हैं, इसलिए उनको ब्रह्माण्ड कहते हैं।
- यह है मनुष्य सृष्टि।
- ब्रह्माण्ड अलग है, मनुष्य सृष्टि अलग है।
- आत्मा क्या है - यह किसको भी पता नहीं है।
- कहते भी हैं - भ्रकुटी के बीच में चमकता है अजब सितारा।
- फिर कहते आत्मा अंगूठे सदृश्य है।
- परन्तु बाप कहते हैं - आत्मा बिल्कुल सूक्ष्म बिन्दू है,
- जिसको इन आँखों से देख नहीं सकते, इनको देखने की, पकड़ने की बहुत कोशिश करते हैं।
- परन्तु किसको पता नहीं पड़ता।
- तुम बच्चे जानते हो तो अब तुमको भारत को स्वर्ग बनाने में बाप का मददगार भी बनना पड़े।
- बाप आते ही भारत में हैं।
- शिव जयन्ती भारत में ही मनाते हैं।
- जैसे क्राइस्ट होकर गया तो क्रिश्चियन लोग क्रिसमस मनाते रहते हैं।
- क्राइस्ट कब आया वह भी जानते हैं।
- परन्तु भारतवासियों को यह पता ही नहीं कि बाप कब आया था, कृष्ण कब आया था?
- किसका भी उन्हों को पता नहीं है।
- महिमा सारी कृष्ण की गाते हैं।
- उसको झूले में झुलाते हैं, प्यार करते हैं परन्तु यह नहीं जानते कि उनका जन्म कब हुआ।
- कह देते द्वापर में गीता सुनाई।
- परन्तु कृष्ण द्वापर में तो आते नहीं।
- लीला है एक बाप की।
- तब उनके लिए कहते हैं तुम्हारी गति मत... कृष्ण है सतयुग का प्रिन्स।
- पहले से माता को साक्षात्कार हो जाता है कि योगबल से बच्चा पैदा होने वाला है।
- वहाँ शरीर भी ऐसे ही छोड़ते हैं।
- एक शरीर छोड़ दूसरा लेते हैं।
- सर्प का मिसाल।
- वास्तव में संन्यासी ये मिसाल दे नहीं सकते।
- तुम विकारी मनुष्यों को बैठ ज्ञान की भूँ-भूँ कर तमोप्रधान से सतोप्रधान बना देते हो।
- यह तुम्हारा धन्धा है - भूँ-भूँ कर मनुष्य को देवता बना देते हो।
- कछुओं आदि का मिसाल भी इस समय का है।
- कर्म करके फिर जितना समय मिले बाप को याद करना है।
- तुम जानते हो यह हमारा अन्तिम जन्म है।
- अब नाटक पूरा होना है, पुराना शरीर है।
- इसका कर्मभोग चुक्तू करना है।
- जब सतोप्रधान हो जायेंगे तो फिर कर्मातीत अवस्था हो जायेगी, फिर हम इस शरीर में रह नहीं सकेंगे।
- कर्मातीत अवस्था हुई फिर शरीर छोड़ देंगे, फिर लड़ाई शुरू होगी।
- मच्छरों सदृश्य सब शरीर खत्म हो आत्मायें चली जायेंगी।
- पवित्र बनने बिगर तो कोई जा नहीं सकेंगे।
- यह है दु:खधाम रावण का स्थापन किया, और राम का स्थापन किया हुआ है शिवालय।
- वास्तव में परमात्मा का नाम है शिव, न कि राम।
- सतयुग शिवालय में सभी देवतायें रहते हैं।
- फिर भक्ति मार्ग में शिव की प्रतिमा के लिए मन्दिर, शिवालय आदि बनाते हैं।
- अब शिवबाबा का यह तख्त है।
- आत्मा इस तख्त पर विराजमान है।
- बाप भी यहाँ बाजू में आकर विराजमान होते हैं और आकर पढ़ाते हैं।
- सदैव तो नहीं रहता।
- याद करो तो यह आया।
- बाप कहते हैं - मैं तुम्हारा बेहद का बाप हूँ।
- वर्सा मेरे से तुमको मिलना है।
- ब्रह्मा थोड़ेही बेहद का बाप है इसलिए तुम मुझे याद करो।
- मीठे बच्चे जानते हैं कि बाबा ज्ञान का सागर है, प्यार का सागर है।
- तो तुम बच्चों को भी प्यार का सागर बनना है।
- स्त्री-पुरुष एक दो को सच्चा प्यार नहीं करते, वह तो काम विकार को ही प्यार समझते हैं परन्तु बाबा ने कहा है कि काम महाशत्रु है।
- यह आदि-मध्य-अन्त दु:ख देने वाला है।
- देवतायें निर्विकारी थे, तब तो कहते हैं - कृष्ण जैसा बच्चा मिले, कृष्ण जैसा पति मिले।
- कृष्णपुरी को याद करते हैं ना।
- अब बाप कृष्णपुरी स्थापन कर रहे हैं।
- तुम स्वयं श्रीकृष्ण जैसे अथवा मोहन जैसे बन सकते हो।
- प्रिन्स प्रिन्सेज और भी होंगे।
- तो यह सब यहाँ बन रहे हैं।
- उनकी भी लिस्ट रहती है।
- माला के 8 दाने भी हैं, तो 108 दाने भी हैं।
- लोग 9 रतन की अंगूठी पहनते हैं।
- अब यह 8 कौन हैं? बीच में कौन है?
- यह भी तुम जानते हो कि मीठे ते मीठे बाप द्वारा हम रत्न बन रहे हैं।
- बाप कहते हैं - बच्चे आपस में बहुत प्यार से चलना है।
- नहीं तो बाबा का नाम बदनाम करेंगे।
- फिर सतगुरू की निंदा कराने वाले ठौर नहीं पा सकते।
- सबको मन्त्र भी बताना है कि एक बाप को याद करो तो खाद निकल जायेगी।
- घर में भी इतना प्यार से चलना चाहिए जो दूसरे समझें कि इसमें क्रोध नहीं है।
- बहुत प्यार आ गया है।
- शराब, सिगरेट आदि पीना बहुत बुरी आदत है, ऐसी सब बुरी आदतें छोड़ देनी चाहिए।
- दैवीगुण यहाँ ही धारण करने हैं।
- राजधानी स्थापन करने में मेहनत लगती है।
- दूसरे धर्म वाले राजधानी स्थापन नहीं करते।
- वह ऊपर से एकदम पिछाड़ी में आते रहते हैं।
- तुम 21 जन्म की प्रालब्ध बना रहे हो, इसमें माया के तूफान बहुत आयेंगे।
- फिर भी पुरुषार्थ कर दैवी गुण धारण करने हैं।
- अगर क्रोध से बात करेंगे तो लोग कहेंगे इनमें भूत है।
- गोया बेहद बाप की आबरू गँवाई।
- फिर ऐसे ऊंच पद कैसे पायेंगे?
- बहुत मीठा अनासक्त बनना है।
- यहाँ रहते, सब कुछ करते योग माशूक के साथ चाहिए।
- बाबा ने कहा है मुझे याद करो तो पाप भस्म हो जायेंगे, इसको योग अग्नि कहा जाता है।
- यहाँ हठयोग की दरकार नहीं है।
- अपना शरीर तन्दरूस्त रखना है, मोस्ट वैल्युबुल शरीर है।
- भोजन भी शुद्ध खाना है।
- देवताओं को कैसा भोग लगाते हैं।
- श्रीनाथ द्वारे जाकर देखो, बंगाल में तो काली पर बकरे का भोग लगाते हैं।
- वे अपने पित्रों को भी मछली खिलाते हैं।
- नहीं तो समझते हैं कि पित्र नाराज़ हो जायेंगे।
- कोई ने रिवाज़ डाला है, वह चलता रहता है।
- देवी-देवताओं के राज्य में कोई पाप नहीं होता।
- वह है रामराज्य।
- यहाँ कर्म-विकर्म बनते हैं।
- वहाँ कर्म-अकर्म बनते हैं।
- अब हरिद्वार में जाकर बैठते हैं।
- हरि कृष्ण को कहते हैं।
- अब कृष्ण तो है सतयुग में।
- वास्तव में हरि नाम शिव का है।
- दु:ख हरने वाला।
- परन्तु गीता में कृष्ण का नाम डाल, हरि कृष्ण को समझ लिया है।
- वास्तव में दु:ख हरने वाला है शिवबाबा।
- हरि का द्वार सतयुग को कहा जाता है।
- भक्ति मार्ग में जो कुछ आता है बोलते रहते हैं।
- बाप कहते हैं - मैं संगमयुग पर आता हूँ, पुरानी दुनिया को नई बनाने।
- रावण है पुराना दुश्मन।
- हर वर्ष उनको जलाते हैं।
- कितने पैसे खर्च करते हैं।
- सब वेस्ट ऑफ टाइम, वेस्ट ऑफ मनी है।
- बंगाल में कितनी देवियाँ बनाते हैं, उनको खिला-पिलाकर पूजा कर फिर जाकर डुबोते हैं।
- इस पर एक गीत है।
- बच्चों को बहुत मीठा बनना है।
- कभी गुस्से से बात नहीं करनी है।
- बाप से कभी रूठना नहीं है।
- रूठ कर अगर पढ़ाई छोड़ा गोया अपने पैर पर कुल्हाड़ा मारा।
- यहाँ तुम आये हो विश्व का मालिक बनने।
- महाराजा श्री नारायण, महारानी श्री लक्ष्मी को कहा जाता है।
- बाकी श्री श्री है शिवबाबा का टाइटल।
- श्री कहा जाता है देवताओं को।
- श्री अर्थात् श्रेष्ठ।
- अब तुम ख्याल करो हम क्या थे?
- माया ने हमारा माथा मुड़वा कर हमको क्या बना दिया है।
- भारत कितना साहूकार था।
- फिर कंगाल कैसे बना?
- क्या हुआ?
- कुछ भी समझते नहीं।
- अब तुम जानते हो हम सो देवता थे, फिर क्षत्रिय बनें।
- वह कह देते आत्मा सो परमात्मा।
- नहीं तो हम सो का अर्थ कितना सहज है।
- वो लोग कहते हैं मनुष्य का जन्म सिर्फ एक होता है।
- परन्तु बाप समझाते हैं कि मनुष्य के जन्म 84 होते हैं।
- उस 84 जन्म में तुम्हारा यह संगम का एक जन्म दुर्लभ है।
- जबकि तुम बेहद बाप से स्वर्ग का वर्सा पाते हो।
- तुम बहुत रॉयल बाप के बच्चे हो, तो तुम्हारे में कितनी रॉयल्टी होनी चाहिए।
- रॉयल मनुष्य कभी जोर से बात नहीं करते।
- दुनिया में घर-घर में कितना हंगामा होता है।
- स्वर्ग में ऐसी कोई बात नहीं।
- यह बाबा भी वल्लभाचारी कुल का था।
- फिर भी कहाँ वह सतयुग के देवतायें, कहाँ आजकल के वैष्णव लोग!
- ऐसे नहीं - वैष्णव हैं तो विकार में नहीं जाते हैं।
- रावण राज्य में सब विकार से पैदा होते हैं।
- सतयुग में हैं सम्पूर्ण निर्विकारी।
- अब तुम सम्पूर्ण निर्विकारी बन रहे हो और विश्व के मालिक बनते हो योगबल द्वारा।
- तुम्हारी चलन बहुत मीठी रॉयल होनी चाहिए।
- कोई डिबेट या शास्त्रवाद नहीं करना है।
- वह जब शास्त्रवाद करने बैठते हैं तो एक दो को लाठी भी मार देते हैं।
- उन बिचारों का कोई भी दोष नहीं है।
- इस नॉलेज को जानते ही नहीं।
- यह है रूहानी नॉलेज, जो मिलती है रूहानी बाप से।
- वह ज्ञान का सागर है।
- उनके शरीर का नाम नहीं है, वह अव्यक्तमूर्त है।
- कहते हैं मेरा नाम शिव है।
- मैं स्थूल वा सूक्ष्म शरीर नहीं लेता हूँ।
- ज्ञान का सागर, आनंद का सागर मुझे ही कहते हैं।
- शास्त्रों में क्या-क्या लिखा है।
- हनुमान पवन पुत्र था, अब पवन से बच्चा कैसे पैदा होगा!
- फिर परमात्मा के लिए कहते कच्छ मच्छ अवतार, कितनी गाली दी है।
- बाबा आकर उल्हना देते हैं कि तुमने आसुरी मत पर मुझे इतनी गाली दी।
- 24 अवतार से पेट नहीं भरा फिर कण-कण, ठिक्कर-भित्तर में ठोक दिया है।
- यह सब शास्त्र द्वापर से बने हैं।
- पहले-पहले सिर्फ शिव की पूजा होती थी।
- गीता भी बाद में बनाई है।
- अब बाप समझा रहे हैं, यह सारा अनादि खेल है।
- अब मैं आया हूँ तुमको विश्व का मालिक बनाने, तो बाप को पूरा फालो करना चाहिए।
- लक्षण भी बहुत अच्छे होने चाहिए।
- यह भी वण्डर है ना।
- कलियुग के अन्त में क्या है फिर सतयुग में क्या देखेंगे।
- कलियुग में भारत इनसालवेन्ट, सतयुग में भारत सालवेन्ट।
- उस समय और कोई खण्ड नहीं होता।
- यह गीता एपीसोड रिपीट हो रहा है।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) हम रॉयल बाप के बच्चे हैं इसलिए अपनी चलन बहुत रॉयल रखनी है।
- आवाज़ से नहीं बोलना है।
- बहुत मीठा बनना है।
- 2) कभी भी बाप से वा आपस में रूठना नहीं है।
- रूठ कर पढ़ाई कभी नहीं छोड़नी है।
- जो भी बुरी आदतें हैं उन्हें छोड़ना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- सर्वशक्तिमान् के साथ की स्मृति द्वारा समस्याओं को दूर भगाने वाले परमात्म स्नेही भव
- जो बच्चे परमात्म स्नेही हैं वे स्नेही को सदा साथ रखते हैं इसलिए कोई भी समस्या सामने नहीं आती।
- जिनके साथ स्वयं सर्वशक्तिमान् बाप है उनके सामने समस्या ठहर नहीं सकती।
- समस्या पैदा हो और वहाँ ही खत्म कर दो तो वृद्धि नहीं होगी।
- अब समस्याओं का बर्थ कन्ट्रोल करो।
- सदा याद रखो कि सम्पूर्णता को समीप लाना है और समस्याओं को दूर भगाना है।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- प्यारे बनने का पुरुषार्थ नहीं, न्यारे बनने का पुरुषार्थ करो तो प्यारे स्वत: बन जायेंगे।
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