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- ओम् शान्ति।
- मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने इस गीत का अर्थ समझा।
- बाप आये हैं भक्ति रूपी रात का विनाश कर दिन स्थापन करने क्योंकि बाप को ही बुलाते हैं - हे पतित-पावन आओ।
- समझते हैं कोई समय हम पावन थे, अब पतित हैं।
- चीज़ वह माँगी जाती है जो पहले थी अब नहीं है।
- तुम बच्चे जानते हो पवित्र देवी देवताओं की राजधानी थी।
- ज्ञान-ज्ञानेश्वरी ही फिर राज-राजेश्वरी बनेगी।
- जैसे जगत अम्बा, लक्ष्मी अलग-अलग हैं।
- लक्ष्मी को कभी जगत अम्बा नहीं कहेंगे।
- लक्ष्मी को उनके दो बच्चे ही मातेश्वरी कहेंगे।
- यहाँ जगत अम्बा को सब भारतवासी जो भी रिलीजस माइन्डेड हैं, सब माँ कहते हैं।
- देवी-देवताओं के मन्दिर में जाकर उनकी भक्ति करते हैं।
- अभी तुमको मालूम हुआ है कि हमने बहुत भक्ति की है।
- दान-पुण्य आदि जितना तुमने किया है उतना और कोई ने नहीं किया होगा।
- तुमने सबसे जास्ती भक्ति की है।
- अब तुमने अपना यादगार जीते जी देखा है।
- आदि देव और आदि देवी हैं, जिसको जगत अम्बा कहते हैं।
- अभी तुम जानते हो जगत अम्बा धनवान बनती है।
- तुम उनके बच्चे हो ना।
- अब तुम पढ़ रहे हो।
- वह है गॉडेज़ आफ नॉलेज।
- उस नॉलेज से कभी राजा-रानी नहीं बनते हैं।
- तुम जानते हो हम आत्मायें शिवबाबा के बच्चे हैं और यह है प्रजापिता ब्रह्मा।
- शिवबाबा इन द्वारा नई दुनिया की स्थापना कर रहे हैं।
- गाया भी हुआ है ब्रह्मा द्वारा स्थापना।
- यह अच्छी रीति समझकर धारण करना है।
- कहते हैं ना शेरनी के दूध लिए सोने का बर्तन चाहिए।
- यह ज्ञान भी है सर्वशक्तिमान् परमपिता परमात्मा का।
- उसके लिए भी बुद्धि रूपी बर्तन सोने का चाहिए।
- नई दुनिया में आत्मा और शरीर दोनों सोने के बनते हैं।
- अभी तुम्हारी आत्मा पत्थर का बर्तन है।
- तो शरीर भी ऐसा ही है।
- भारत में ही श्याम और सुन्दर, पतित और पावन कहते हैं।
- दूसरे कोई खण्डों में ऐसे नहीं कहेंगे कि हम पतितों को आकर पावन बनाओ।
- कहते हैं दु:ख से छुड़ाए, शान्ति में ले जाओ।
- विवेक भी कहता है कि हम भारतवासी पावन थे, इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
- भल कितने भी बड़े आदमी हैं।
- वह भी गुरू के पाँव में गिरते हैं क्योंकि गुरू ने संन्यास धारण किया हुआ है।
- 5 विकारों को छोड़ा है तो विकारी निर्विकारियों को मान देते हैं।
- पवित्रता का ही मान है।
- द्वापर से राजा-रानी और वजीर होते हैं।
- सतयुग में राजा-रानी को वजीर होते नहीं।
- जब पतित राजा-रानी होते हैं तो एक वजीर रखते हैं, अब तो बहुत पतित हो गये हैं तो सैकड़ों वजीर रखते हैं।
- यह है ड्रामा की भावी।
- बाबा बतलाते हैं देखो कैसे ड्रामा की भावी बनी हुई है।
- तो पहले जरूर भारत ही था फिर दूसरे धर्म वाले आये।
- बाप समझाते हैं इस समय तुम हो ज्ञान ज्ञानेश्वरी।
- जगत अम्बा है ब्रह्मा की बेटी, गॉडेज ऑफ नॉलेज।
- जगत अम्बा ज्ञानवान है, जो दूसरे जन्म में धन लक्ष्मी बनती है।
- तुमको अभी बाप ज्ञान सिखा रहे हैं।
- तुम जानते हो हम वहाँ धनवान बनेंगे।
- दुनिया में यह किसको पता नहीं है कि यह लक्ष्मी-नारायण धनवान कैसे बनें।
- लक्ष्मी-नारायण वही ब्रह्मा सरस्वती हैं।
- ब्रह्मा जगत पिता है तो जरूर ब्राह्मण ब्राह्मणियाँ बहुत होंगे।
- तुम कितने ब्राह्मण ब्राह्मणियाँ हो।
- तुम जानते हो हम इस ज्ञान से भविष्य में ऐसे धनवान बनेंगे।
- एकदम गॉडेज आफ वेल्थ, इनसे अधिक वेल्थ किसके पास हो नहीं सकती इसलिए गाया जाता है - नॉलेज इज़ सोर्स आफ इनकम, जज, बैरिस्टर आदि नॉलेज से बनते हैं ना।
- तो यह इनकम है ना।
- कोई-कोई डॉक्टर को एक-एक केस का लाख रूपया मिलता है।
- कोई राजा-रानी वा प्रिन्स बीमार हुआ, डॉक्टर ने बीमारी से छुड़ाया तो खुशी में आकर बड़ा-बड़ा मकान बनाने के लिए पैसा दे देते हैं।
- कितनी इनकम हुई।
- तो पढ़ाई से ही पद पाते हैं।
- यह तुम्हारी पढ़ाई भी है, धन्धा भी है।
- तुम मीठे बच्चे अब सौदा करने आये हो।
- कखपन दे लाख कमाते हो।
- बाप अविनाशी सर्जन भी है, सदैव हेल्दी बनने के लिए बाबा योग सिखा रहे हैं।
- बाबा कहते हैं मैं गैरन्टी करता हूँ - तुम एवरहेल्दी 21 जन्मों के लिए बनेंगे।
- तो ऐसे सर्जन की दवाई अर्थात् श्रीमत पर क्यों नहीं चलना चाहिए।
- बाप की मत मानो।
- मुझे याद करो।
- कहते हैं ना सिमर-सिमर सुख पाओ, कलह क्लेष मिटे सब तन के।
- भक्ति मार्ग में कोई कलह-क्लेष मिटता नहीं है।
- बहुत संन्यासी लोग भी बीमारी में अर्धांग में पड़े रहते हैं।
- जैसे पागल हो जाते हैं।
- तुम बच्चे जानते हो बाप की श्रीमत पर चलेंगे तो हम एवरहेल्दी बनेंगे।
- वहाँ आयु एवरेज 125-150 वर्ष रहती है।
- ऐसे नहीं कि द्वापर में एकदम 35 वर्ष की हो जाती है।
- नहीं, पहले 100-125 होगी।
- फिर 70-80 की होगी, अब तो 35-40 वर्ष तक आकर पहुँची है।
- छोटेपन में ही मर पड़ते हैं क्योंकि भोगी हैं।
- तुम जानते हो - अभी भोगी से योगी बन रहे हैं।
- वहाँ आयु इतनी बड़ी होगी जो अकाले मृत्यु कब होगी नहीं।
- बाप स्मृति दिलाते हैं, तुमको कितना राज्य भाग्य था।
- अब रावण ने लूट लिया।
- वहाँ यह मन्दिर आदि होते नहीं।
- तुम्हारा स्लोगन भी है - भारत का आदि सनातन देवी-देवता धर्म जिंदाबाद, बाकी सब मुर्दाबाद अर्थात् अनेक धर्म विनाश।
- वहाँ सिर्फ एक ही भारत खण्ड था।
- एक खण्ड में मनुष्य भी जरूर थोड़े होंगे।
- तुम लिख सकते हो थोड़े समय में भारत की आबादी 9 लाख होगी और सब खत्म हो जायेंगे।
- एक धर्म की स्थापना अब हो रही है।
- न्यु डीटी राज्य में एक ही भाषा, एक ही रसम-रिवाज होगा।
- यहाँ हर एक की रसम अपनी।
- वहाँ वन राज्य, वन कम्युनिटी थी।
- तुम ऐसे-ऐसे स्लोगन अखबार में भी डाल सकते हो।
- बाबा से राय लेते हैं कि पैसा खर्च कर अखबार में डालें?
- बाबा कहेंगे भल डालो।
- मनुष्यों को मालूम पड़े कि क्या हो रहा है।
- कहते भी हैं क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले स्वर्ग था।
- वन रिलीजन, वन कम्युनिटी थी, सूर्यवंशी देवी-देवताओं की।
- इस महाभारत लड़ाई के बाद स्वर्ग के गेट खुले थे।
- अखबार में डालो नाम बी.के. का हो।
- परन्तु बी.के. तब कहला सकते हैं जब पवित्र रहें।
- बाप को बुलाया है।
- अब बाप आये हैं तो अब बाप से प्रतिज्ञा करो।
- भक्ति मार्ग में कितने धक्के खाये, यज्ञ, तप, दान आदि किया।
- पहले एक शिव की भक्ति करते थे फिर देवताओं की, अभी तो व्यभिचारी बन पड़े हैं।
- अब बाप तुमको सब दु:खों से छुड़ाते हैं।
- बाप तुम बच्चों को नॉलेज दे कितना ऊंच, मनुष्य से देवता बनाते हैं।
- सतयुग में तुम्हारे पास सब कुछ सोने का होगा।
- बाप तुमको श्रीमत दे स्वर्ग का मालिक बनाते हैं।
- तुम फिर श्रीमत पर क्यों नहीं चलते हो।
- बाप जमघटों की फाँसी से छुड़ाते हैं, गर्भजेल की सजाओं से छुड़ाते हैं।
- तुम स्वर्ग में गर्भ महल में रहते हो।
- यहाँ है जेल क्योंकि मनुष्य पाप कर्म करते हैं।
- वहाँ 5 विकार ही नहीं फिर भी राजा-रानी प्रजा के मर्तबे में तो फर्क होगा ना।
- पैसा कमाने के लिए मनुष्य मेहनत तो करते हैं ना।
- वहाँ वजीर नहीं क्योंकि तुम यहाँ की प्रालब्ध पाते हो।
- अब बाप कहते हैं बच्चे तुम श्रीमत पर चलो।
- मैं दूरदेश से आया हूँ - पतित शरीर में, पतित राज्य में।
- यह है रावण का देश, तुम बच्चों को आकर वर्सा देता हूँ।
- ऐसे बाप की आज्ञा न मानना, वह तो कपूत ठहरा।
- विकार के पीछे इतना थोड़ेही हैरान होना चाहिए।
- बाबा कहते हैं - यह विकार दु:ख देने वाले हैं।
- पतितों को पावन बनाना - यह मेरा काम है।
- कितना प्यार से समझाते हैं - खाओ, पियो सुखी रहो, यह याद रखो हम शिवबाबा के पास आये हैं, उनसे हमारी पालना होती है।
- अगर मित्र-सम्बन्धियों आदि की चीज़ पहनेंगे तो वह याद आयेंगे, पद भ्रष्ट हो जायेगा।
- यहाँ शिवबाबा के भण्डारे से, पतित-पावन बाप के यज्ञ से परवरिश होनी है, न कि पतित घर से।
- और किसी की दी हुई चीज़ होगी तो वह याद आयेगा।
- उसके लिए गायन है अन्तकाल जो स्त्री सिमरे... कितनी अच्छी अवस्था होनी चाहिए।
- गृहस्थ व्यवहार में रहते बुद्धि से समझना है कि यह सब खत्म हुए पड़े हैं।
- हमारा तो एक बाबा है।
- अब बाप की कभी माला सिमरी जाती है क्या?
- मैं तुम बच्चों को स्मृति दिलाता हूँ कि मुझे याद करो, तुमको बहुत बल मिलेगा, विकर्म विनाश होंगे, बलवान बन जायेंगे।
- यह लक्ष्मी-नारायण बलवान हैं ना।
- जो बलवान होते हैं वह राजाई पाते हैं।
- बाबा अपना मिसाल बताते हैं।
- मैंने 12 गुरू किये, गुरू ने कहा सुबह को उठकर 1000 मालायें जपो।
- हम कहते थे कोई और टाइम बताओ।
- सारा दिन धन्धा-धोरी से थक जाते हैं।
- जैसे तुम भी कहते हो - बाबा सवेरे उठ नहीं सकते।
- बाप कहते हैं - ऐसे मत कहो हम पवित्र नहीं रह सकते, याद में नहीं रह सकते।
- याद नहीं करेंगे तो विकर्म विनाश कैसे होंगे।
- तुमको तमोप्रधान से सतोप्रधान जरूर बनना है।
- यह अन्तिम जन्म है जरूर पवित्र बनो।
- बाप की श्रीमत पर नहीं चलेंगे तो क्या पद पायेंगे।
- आधाकल्प से मुझे बुलाया।
- अब मैं कहता हूँ पावन बनकर मुझे याद करो।
- औरों को भी रास्ता बताते रहो, मैसेज देते रहो।
- बाप कहते हैं मन्मनाभव।
- मौत सामने खड़ा है।
- तुमको ही मैसेन्जर अथवा पैगम्बर कहा जाता है।
- तुम ब्राह्मणों के सिवाए कोई मैसेन्जर बन नहीं सकता।
- पतित-पावन शिवबाबा आते हैं।
- किसमें प्रवेश करते हैं, यह भी लिखा हुआ है।
- ब्रह्मा द्वारा स्थापना।
- यह समझते थोड़ेही है।
- सूक्ष्मवतन में प्रजापिता ब्रह्मा होगा क्या?
- यहाँ ही पतित से पावन बनते हैं।
- साइलेन्स बल से स्थापना होती है, साइंस बल से विनाश।
- सभी कहते हैं शान्ति कैसे मिले।
- अब आत्मा तो है ही शान्त स्वरूप।
- यहाँ आये हैं पार्ट बजाने, यहाँ शान्त कैसे रहेंगे।
- वह शान्ति शान्तिधाम में मिलेगी, यहाँ तो दु:ख मिलेगा।
- सतयुग में सुख-शान्ति दोनों होंगे।
- अब तुम बच्चे यहाँ सम्मुख सुनते हो।
- बाप कहते हैं - पतित मेरे साथ कब न मिलें।
- नहीं तो ले आने वाली ब्राह्मणी पर पाप चढ़ेगा। (इन्द्र सभा की परी का मिसाल) वास्तव में इन्द्र सभा यह है।
- यह ज्ञान सब्ज परियाँ, पुखराज परियाँ हैं।
- तो और ही धक्का लगेगा।
- बाबा सख्त मना करते हैं।
- कोई पतित को ले नहीं आना है।
- आगे बाबा हमेशा पूछते थे कि प्रतिज्ञा किया है।
- कहते थे पुरुषार्थ कर रहा हूँ।
- जब पक्का निश्चय हो तब मिले।
- अगर मिलकर विकार में गया तो सौ गुना दण्ड पड़ेगा।
- बाप समझेगा शायद इनकी तकदीर में नहीं है।
- बाप तो तदबीर बताते हैं तकदीर बनाने के लिए।
- फिर ऐसे बाप का कहना न माने तो क्या गति होगी!
- बाप को तरस पड़ता है, बाप कहते हैं - अपने को करेक्ट करते जाओ।
- ऐसे न हो चलते-चलते मर जाओ।
- डर रहना चाहिए, हम बाप को याद कर पापों का बोझा उतारें।
- अच्छा!
सबकी सद्गति करने वाला एक ही शिवबाबा है, उनका तो फोटो निकाल नहीं सकते उनको दिव्य दृष्टि से ही देख सकते हैं।
- बाकी जाना जा सकता है।
- अच्छा।
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) ऐसी अवस्था बनानी है जो अन्तकाल में एक बाप की याद आये।
- दूसरा कोई याद न आये, बुद्धि में रहे यह सब विनाश होने वाला है।
- 2) अपने आप को करेक्ट करना है, इस अन्तिम जन्म में पवित्र जरूर बनना है।
- डर रखना है कि हमसे कोई पाप कर्म न हो जाए।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- नम्बरवन बिजनेसमैन बन एक एक सेकण्ड वा संकल्प में कमाई जमा करने वाले पदमपति भव
- नम्बरवन बिजनेसमैन वह है जो स्वयं को बिजी रखने का तरीका जानता है। बिजनेसमैन अर्थात् जिसका एक संकल्प भी व्यर्थ न जाये, हर संकल्प में कमाई हो।
- जैसे वह बिजनेसमैन एक एक पैसे को कार्य में लगाकर पदमगुणा बना देते हैं, ऐसे आप भी एक एक सेकण्ड वा संकल्प कमाई करके दिखाओ तब पदमपति बनेंगे।
- इससे बुद्धि का भटकना बंद हो जायेगा और व्यर्थ संकल्पों की कम्पलेन भी समाप्त हो जायेगी।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- जो मंगता है वो खुशी के खजाने से सम्पन्न नहीं हो सकता।
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