17-11-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - तुम्हें साइलेन्स में रहकर एक बाप को याद करना है, इसमें घण्टे आदि बजाने की दरकार नहीं हैं"
प्रश्नः-
किस बात में बाप समान बनो तो सब काम सिद्ध हो जायेंगे?
उत्तर:-
जैसे बाप प्यार का सागर है वैसे बहुत-बहुत प्यारे बनो।
क्रोध से काम बिगड़ता है, बनता नहीं इसलिए ऑख दिखाना, जोर से बोलना, गर्म होना, इसकी दरकार नहीं है।
शान्त रहना बहुत-बहुत अच्छा है।
प्यार से बहुत काम सिद्ध हो सकते हैं।
गीत:-
तुम्हीं हो माता पिता.....
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- ओम् शान्ति। यह महिमा है एक की।
- परन्तु भक्तिमार्ग में सिर्फ एक की महिमा गाने से भक्ति का शो नहीं होता इसलिए भक्ति में बहुतों की महिमा गाते हैं।
- वहाँ आवाज भी बहुत होता है।
- घण्टा-घड़ियाल, गीत-भजन, रोना-पीटना कितना भक्ति मार्ग में चलता है।
- किसम-किसम के आवाज मन्त्र-जन्त्र, स्तुति आदि होती है और ज्ञान मार्ग में है साइलेन्स।
- सिर्फ इशारा दिया जाता है, आवाज कुछ नहीं।
- भक्ति में कितनी धूमधाम है।
- सबसे जास्ती घण्टे बजते हैं शिव के मन्दिर में, जहाँ तहाँ देखो घण्टे ही घण्टे हैं।
- किसको नींद से जगाने के लिए कोई घण्टे नहीं बजाये जाते हैं।
- शिवबाबा ने आकर मनुष्यों को कुम्भकरण की अज्ञान नींद से जगाया है, परन्तु घण्टे नहीं बजाते।
- बिल्कुल शान्ति से दो अक्षरों में ही समझाते हैं।
- बुद्धिवान जो होते हैं वह दो अक्षर में ही समझ जाते हैं।
- बाप कहते हैं बच्चे - मुझे याद करो।
- तुमने ही मुझे बुलाया है हे पतित-पावन आओ।
- अब मैं आया हूँ तुमको राह बताता हूँ।
- क्या अब तक तुमको पतित बनकर इस दुनिया में ही रहना है!
- तुम तो पावन दुनिया में रहने चाहते हो ना।
- पावन दुनिया स्वर्ग को कहा जाता है।
- कहते ही हैं पतित-पावन, तो समझना चाहिए कि पतित-पावन क्या आकर करेगा?
- जरूर नर्क से स्वर्ग में ले जायेगा।
- बिना समझे ऐसे ही बुलाते रहते हैं, तालियाँ बजाते रहते हैं।
- परन्तु यह नहीं जानते कि बाप आयेगा तो क्या आकर करेगा?
- वास्तव में यह युनिवर्सिटी भी है मनुष्य से देवता बनने की।
- तब गाते हैं मनुष्य को देवता किये..... इसमें शास्त्र आदि कुछ भी पढ़ना नहीं है।
- भक्ति मार्ग में बहुत शास्त्र आदि पढ़ते हैं, ढेर लेक्चर आदि होते हैं।
- मास-मास मण्डप बनाकर बैठ आवाज़ करते हैं।
- यहाँ कितना शान्ति में बाप बैठ समझाते हैं।
- देखो, तुमको बाबा आकर पावन बनाए, पावन दुनिया का मालिक बनाते हैं।
- पढ़ाई भी कितनी सहज है।
- तुम पहले-पहले पावन थे, गोल्डन एज में थे।
- फिर 84 जन्म लेते-लेते आइरन एज में तमोप्रधान बन गये हो।
- अब तुमको सतोप्रधान बनना है इसलिए मुझे याद करो।
- सो भी अजपा।
- जैसे कन्या की जब शादी होती है तो क्या जाप करती है?
- याद में रहती है।
- तुम भी सब पत्नियाँ हो, यह शिवबाबा पतियों का पति है।
- तुम्हारी सगाई हुई है परमात्मा के साथ।
- सगाई जब हो गई तो बस याद बुद्धि में बैठ गई।
- खातिरी हो गई कि हमने सगाई कर ली।
- फिर एक दो को याद करते रहते हैं।
- तुमको भी बाप कहते हैं निश्चय बुद्धि हो गये कि हम एक बाप के बच्चे आपस में भाई-भाई हैं।
- भाइयों को वर्सा मिलता है - एक बाप से, इसलिए बाप को पुकारते हैं।
- भल मनुष्य तन में आकर भाई-बहन बन जाते हैं।
- परन्तु पुकारती आत्मा है ना।
- भाई-भाई पुकारते हैं हे पतित-पावन बाबा आओ।
- बाबा कहते हैं - मुझे याद करो तो तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे।
- पावन को सतोप्रधान, पतित को तमोप्रधान कहा जाता है।
- यह बातें बाबा संगम पर ही समझाते हैं।
- यह है गीता पाठशाला।
- इस पाठशाला में बाप आकर राजयोग सिखलाते हैं, नर से नारायण बनाते हैं।
- वहाँ टीचर तो सामने बैठ पढ़ाते हैं, दिखाई पड़ता है।
- यह है गुप्त।
- तो इस टीचर को भी बुद्धियोग से समझना पड़ता है।
- वह निराकार पतित-पावन बाप है।
- वही स्मृति दिलाते हैं कि कल्प पहले भी मैंने तुमको राजयोग सिखाया था।
- तब कहा जाता है मनमनाभव, पवित्र बनो तो यह लक्ष्मी-नारायण बन जायेंगे।
- इसमें घण्टा-घड़ियाल आदि बजाने की दरकार ही नहीं।
- बाप खुद आकर जगाते हैं।
- मनमनाभव का अर्थ है साइलेन्स।
- अपने को आत्मा निश्चय करो।
- बस! अब हमको अपने घर जाना है।
- बाप को ही सब कहते हैं कि हमको दु:ख से छुड़ाए मुक्त करो।
- संन्यासी लोग सिर्फ ब्रह्म को याद करते हैं।
- अब ब्रह्म तत्व तो है घर। वह घर को याद करेंगे, यहाँ बाप को याद करना है।
- सिर्फ घर को याद करेंगे तो जैसे संन्यासी हो जायेंगे।
- ब्रह्म तो भगवान है नहीं।
- बाप बैठ समझाते हैं - मुझे याद करो तो तुम निर्वाणधाम में चले जायेंगे।
- फिर वहाँ से आयेंगे स्वर्ग में।
- यहाँ से मैं तुम बच्चों को साथ ले जाऊंगा।
- तुमको मालूम है टिड्डियों का झुण्ड कितना बड़ा होता है।
- सबकी युनिटी होती है।
- पहले आगे वाला बैठा तो सब बैठ जायेंगे।
- मधुमक्खियाँ भी ऐसी होती हैं।
- रानी ने घर छोड़ा तो सब भागेंगी उनके पिछाड़ी।
- वह जैसे उन्हों का साज़न हुआ।
- उनमें फिर सजनी ही राज्य करती है हमजिन्स पर।
- शास्त्रों में भी है आत्मायें सब मच्छरों सदृश्य भागती हैं।
- अनगिनत आत्मायें हैं।
- वह मक्खियाँ हर सीज़न में अपनी रानी के पीछे भागती हैं।
- तुमको तो एक बार भागना है।
- अब सब आत्माओं को जाना है मूलवतन।
- तुम्हारा आवाज़ कुछ भी नहीं इसलिए बाबा मिसाल देते हैं।
- सरसों के दाने मिसल पीसते हैं।
- बाबा भी बिन्दी, सरसों के दाने मिसल है।
- खस-खस का दाना भी छोटा होता है।
- परमात्मा भी बिन्दी है।
- उनको देखा भी नहीं जाता - दिव्य दृष्टि बिना।
- बिल्कुल छोटा स्टॉर मिसल है।
- गीता में दिखाया है अखण्ड ज्योति का साक्षात्कार हुआ, तो यहाँ भी जब अखण्ड ज्योति का साक्षात्कार हो तब समझेंगे साक्षात्कार हुआ।
- अगर बिन्दी का हुआ तो समझेंगे यह परमात्मा थोड़ेही है।
- गीता में तो लिखा हुआ है - अर्जुन को बहुत तेजोमय साक्षात्कार हुआ।
- भक्ति की बातें बुद्धि में बैठी हुई हैं।
- भक्ति मार्ग और ज्ञान मार्ग में रात दिन का फर्क है।
- तुम जानते हो हम 63 जन्म शरीर द्वारा कितना डाँस करते हैं।
- 63 जन्म कितना भक्ति मार्ग का हंगामा देखते हैं।
- उसमें भी पहले जब सतोप्रधान भक्ति थी तो एक शिवबाबा की भक्ति करते थे।
- फिर यह गंगा स्नान आदि बाद में शुरू होते हैं।
- पहले अव्यभिचारी भक्ति होती है फिर वृद्धि को पाते हैं।
- यहाँ तो एकदम साइलेन्स लगी पड़ी है।
- बगैर कौड़ी तुम विश्व के मालिक बनते हो।
- मम्मा बिना कौड़ी आई और विश्व महारानी बन गई।
- यह साधारण था।
- एकदम गरीब घर के बिना कौड़ी खर्चा देखो क्या बनते हैं।
- मम्मा फिर सर्विस बहुत करती थी।
- जाकर औरों को समझाती थी कि बाबा कहते हैं मुझे याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे और तुम सतोप्रधान बन जायेंगे।
- इसमें खर्चे की तो कोई बात ही नहीं।
- अगर कोई थोड़ा खर्चा भी करते हैं तो अपने लिए।
- जैसे खेती में दो मुट्ठी अन्न की डालने से कितना ढेर अन्न निकलता है।
- खेती बड़ी हो जाती है।
- यह भी 21 जन्मों के लिए तुम्हारी कितनी आमदनी होती है।
- मनुष्य से देवता बनना कितना सहज है।
- एक सेकेण्ड की बात है।
- बैठे भी कैसे साधारण हैं।
- अगर कोई बैठ नहीं सकता है तो बाबा कहते हैं सो करके भी (लेट करके) मुरली सुनो।
- यह है धारणा की बात।
- अन्दर में बाबा और चक्र को याद करते रहो।
- याद करते-करते ही शरीर छोड़ना है।
- बाकी मुख में गंगा जल डालने की कोई बात नहीं है।
- गुरू गोसाई तो बहुत डर देते हैं कि तुम यह नियम तोड़ेंगे, भक्ति नहीं करेंगे तो यह होगा।
- समझो कोई की टांग टूट पड़ती है वा नुकसान हुआ तो कहेंगे तुमने भक्ति छोड़ी है तब यह नतीजा निकला, तो डर जाते हैं।
- यहाँ तो कुछ भी करना नहीं है।
- बाबा की याद दिलानी है, चक्र का राज़ समझाना है।
- अभी कलियुग के बाद सतयुग आना है, विनाश होना है जरूर, इसलिए यह महाभारी लड़ाई खड़ी है।
- भगवान आकर राजयोग सिखाए नर से नारायण बनाते हैं।
- यह राजयोग है, प्रजा योग नहीं।
- शुभ बोलना चाहिए।
- बच्चों को बहुत मीठा बनना है।
- बाबा मीठा है ना।
- क्रोध आदि सब दान में ले लेते हैं।
- बाप कहते हैं - मैं प्यार का सागर हूँ, तुम भी बनो।
- बड़ा प्यार से समझाते हैं।
- नहीं तो बच्चे बहुत हंगामा करते हैं क्योंकि माया माथा खराब कर देती है, इसलिए ख्याल आता है कभी भी किसको कुछ कहें नहीं।
- प्यार से समझायें।
- ऑख दिखाना, गर्म होना, जोर से बोलना, इसकी दरकार नहीं है, इससे काम बिगड़ता है।
- शान्त रहना अच्छा है।
- विकारों का दान देकर फिर लेते हैं तो अपना पद गंवाते हैं।
- बाबा का बने गोया 5 विकारों का दान दे दिया।
- कहते हैं दे दान तो छूटे ग्रहण।
- फिर भी बाप पण्डा है ना, पण्डे ब्राह्मण होते हैं।
- शिवबाबा भी रूहानी पण्डा है।
- तुम भी पण्डे हो।
- बाबा ब्रह्मा के तन में आते हैं तो यह भी ब्राह्मण ठहरा।
- बाबा इसमें बैठा है, उनकी महिमा गाते हैं तुम मात-पिता..... और किसकी यह महिमा नहीं।
- उनका कर्तव्य भी ऐसा है।
- यह पाठशाला है, बाप पढ़ाते हैं।
- यह बच्चों को याद रहना चाहिए।
- एम आब्जेक्ट है ही विश्व की बादशाही पाना।
- तो ऐसे पढ़ाने वाले को पूरी तरह याद करना चाहिए।
- स्कूल से स्टूडेन्ट अच्छा पास होते हैं तो साल-साल टीचर को सौगात भेजते रहते हैं।
- यह त्योहार आदि सब इस समय के हैं, परन्तु इनके महत्व को कोई जानता नहीं।
- बाबा है नॉलेजफुल।
- वह आते ही हैं रचना के आदि-मध्य और अन्त की नॉलेज देने।
- ठिक्कर-भित्तर में कैसे आयेंगे?
- एक डॉक्टर ने सिद्ध किया था कि हर चीज़ में आत्मा है।
- परमात्मा नहीं कहा।
- फिर यह कह देते हैं - सर्वव्यापी।
- उन्होंने कहा सबमें आत्मा, तो संन्यासियों ने कहा सबमें परमात्मा।
- कितना रात-दिन का फ़र्क है।
- वह तो बेहद का बाप है।
- सबसे बुद्धियोग तुड़ाए अपने साथ जुड़ाते हैं।
- वह कहते आत्मा बुदबुदा सागर से निकला है, सागर में लीन हो जायेगा।
- ब्रह्म ज्ञानी समझते हैं - छोटी ज्योति बड़ी ज्योति में लीन हो जायेगी, फिर नई उत्पत्ति होती है।
- बाबा समझाते हैं यह भक्ति की भी ड्रामा में नूँध है।
- मैं भी ड्रामा की नूँध अनुसार तुम बच्चों को आकर समझाता हूँ।
- 84 जन्मों का जो चक्र लगाते हैं, यह भी ड्रामा में नूँध है।
- जो कुछ होता है सब नूँध है।
- कोई गायन भी करते हैं, कोई विघ्न भी डालते हैं।
- तुम बच्चों को शिवबाबा से वर्सा लेना है।
- वह आते ही हैं सब आत्माओं को ले जाने के लिए।
- शरीर का नाम भी नहीं लेते।
- शरीर सहित थोड़ेही किसको भगाने आया हूँ।
- मुझे तो कहते हैं हे लिबरेटर आओ।
- हमको दु:ख से लिबरेट कर और जगह ले चलो।
- जहाँ चैन, सुख-शान्ति पायें।
- तो सबका शरीर यहाँ ही छुड़ाए आत्माओं को ले जाऊंगा।
- तो कालों का काल हुआ ना।
- मैं सबको इकट्ठा ले जाऊंगा।
- कितनी वन्डरफुल बातें बाप बैठ समझाते हैं।
- कहाँ कोई बात समझ में नहीं आती है तो बोलो यह बात बाबा ने अजुन समझाई नहीं है।
- जब समझायेंगे तब आपको सुनायेंगे।
- ऐसे अपने को छुड़ा देना चाहिए।
- बच्चे समझते हैं बाबा ज्ञान का सागर है।
- नई-नई बातें सुनाते रहते हैं।
- वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी सुनाने वाला रचयिता बाप है, जो आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान सुनाते हैं।
- तुम लाइट हाउस भी हो तो स्वदर्शन चक्रधारी भी हो।
- परन्तु माया भुला देती है।
- घुटका खाते हैं।
- कुछ न कुछ लैस आ जाती है।
- कर्मो का हिसाब-किताब है ना।
- जब तक कर्मातीत अवस्था नहीं बनी है तो कुछ न कुछ होता रहता है।
- हिसाब-किताब चुक्तू हुआ और शरीर छोड़ देंगे, लड़ाई शुरू हो जायेगी।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) विकारों का दान देकर वापिस नहीं लेना है।
- मुख से शुभ बोलना है, बहुत मीठा बनना है।
- बाप के समान प्यार का सागर बनकर रहना है।
- 2) साइलेन्स में रह बिना कौड़ी खर्चा विश्व की बादशाही लेनी है।
- बाप की याद में रह थोड़ा बहुत खर्चा कर 21 जन्मों की आमदनी करनी है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- नॉलेज की लाइट द्वारा पुरूषार्थ के मार्ग को सहज और स्पष्ट करने वाले फरिश्ता स्वरूप भव
- फरिश्तेपन की लाइफ में लाइट और माइट दोनों ही स्पष्ट दिखाई देते हैं।
- लेकिन लाइट और माइट रूप बनने के लिए मनन करने और सहन करने की शक्ति चाहिए।
- मन्सा के लिए मननशक्ति और वाचा, कर्मणा के लिए सहनशक्ति धारण करो फिर जो भी शब्द बोलेंगे, कर्म करेंगे वह उसी के प्रमाण होंगे।
- अगर यह दोनों शक्तियां हैं तो हर एक के लिए पुरूषार्थ का मार्ग सहज और स्पष्ट हो जायेगा।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- व्यर्थ बोलना अर्थात् अनेकों को डिस्टर्ब करना।
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