20-11-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - सबको एक बाप का ही परिचय दो, एक बाप से लेन-देन रखो, बाप को ही अपना सच्चा पोतामेल दो''
प्रश्नः-
बच्चों से अब तक भी अनेक प्रकार की भूलें होती रहती हैं, उसका कारण क्या है?
उत्तर:-
मुख्य कारण है - योग में बहुत कच्चे हैं।
बाप की याद में रहते तो कभी कोई बुरा काम हो नहीं सकता।
नाम रूप में फँसेंगे तो योग लग नहीं सकता।
तुम पतित से पावन बनने की धुन में रहो।
निरन्तर शिवबाबा की याद में रहो, तुम्हारा आपस में जिस्मानी प्यार नहीं होना चाहिए।
गीत:-
जले न क्यों परवाना...
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- ओम् शान्ति।
- यह भक्ति मार्ग के गीत गाये हुए हैं।
- आखरीन यह सब बन्द हो जायेंगे, इनकी दरकार नहीं।
- गायन भी है एक सेकेण्ड में बाप से वर्सा मिलता है।
- तुम जानते हो - बेहद के बाबा से जीवनमुक्ति का वर्सा मिलता है।
- जीवन-मुक्ति अर्थात् इस दु:खधाम से मुक्त, भ्रष्टाचारपने से मुक्त।
- फिर क्या बनेंगे?
- उसके लिए एम ऑब्जेक्ट तो बहुत अच्छी समझाने की है।
- बाबा ने रात्रि को भी समझाया कि कोई भी आते हैं तो पहले परिचय दो ऊंच ते ऊंच भगवान का।
- पूछते हैं - यहाँ का उद्देश्य क्या है?
- तो पहले-पहले परिचय देना है बेहद के बाप का।
- अब वह कहते हैं मुझे याद करो तो तुम पावन बनेंगे।
- गाते भी हैं हे पतित-पावन आओ।
- तो बाप को जरूर कोई अथॉरिटी होगी ना।
- कोई तो पार्ट मिला हुआ होगा।
- उनको कहते हैं - ऊंचे ते ऊंचा बाप।
- वह भारत में ही आते हैं।
- भारत को ही आकर ऊंच ते ऊंच बनाते हैं।
- वैकुण्ठ की सौगात ले आते हैं।
- मनुष्य सृष्टि में ऊंचे ते ऊंच हैं देवी-देवतायें, सूर्यवंशी घराना, जो सतयुग में राज्य करते थे।
- सतयुग स्थापन करने वाला ऊंचे ते ऊंचा भगवान ही है।
- उनको कहते भी हैं हेविन स्थापन करने वाला, हेविनली गॉड फादर।
- वह बाप है, उनके लिए कभी ऐसे नहीं कह सकते कि बाप सर्वव्यापी है।
- सर्वव्यापी कहने से बाप का वर्सा गुम हो जाता है।
- कितनी मीठी बातें हैं, बाप माना वर्सा।
- जरूर अपने बच्चों को ही वर्सा देंगे।
- सभी बच्चों का बाप एक ही है।
- वह आकर सुख-शान्ति का वर्सा देते हैं, राजयोग सिखलाते हैं।
- बाकी तो सभी आत्मायें हिसाब-किताब चुक्तू कर वापिस चली जायेंगी।
- अभी पुरानी दुनिया खत्म होने वाली है।
- उसके लिए यह महाभारत लड़ाई है।
- अनेक धर्मो का विनाश, एक धर्म की स्थापना होनी है।
- बुद्धि भी कहती है जरूर कलियुग के बाद सतयुग आना चाहिए।
- देवी-देवताओं की हिस्ट्री रिपीट।
- गाया भी हुआ है ब्रह्मा द्वारा स्थापना करते हैं।
- ऊंच ते ऊंच पद प्राप्त कराते हैं।
- बाप कहते हैं - बच्चे यह अन्तिम जन्म पवित्र बनो।
- अब मृत्युलोक मुर्दाबाद और अमरलोक जिंदाबाद होना है।
- तुम सब पार्वतियां हो, अमरकथा सुन रही हो।
- बच्चे और बच्चियां दोनों अमर बनेंगे ना।
- इसको अमरकथा कहो, तीजरी की कथा कहो।
- अक्सर करके मातायें ही कथा सुनती हैं।
- क्या अमरपुरी में पुरुष नहीं होंगे?
- दोनों ही होंगे, यह बाप ही समझाते हैं कि भक्ति मार्ग के शास्त्र क्या कहते हैं और बाप क्या कहते हैं?
- यह भी कहते हैं भक्ति का फल भगवान देने आते हैं।
- बरोबर सतयुग में इन देवी-देवताओं का ही विश्व पर राज्य था।
- इन्हों को फल किसने दिया?
- कोई भी साधू-संन्यासी आदि तो दे न सकें।
- यह भी जानते हो भक्ति भी सब एक जैसी नहीं करते।
- जो बहुत भक्ति करेगा उनको फल भी जरूर ऐसा ही मिलेगा।
- जो पूज्य थे वही पुजारी बनें फिर पूज्य बनेंगे।
- भक्ति का फल तो मिलेगा ना।
- यह बातें भी सब समझानी होती हैं।
- पहले-पहले त्रिमूर्ति पर समझाना है।
- ऐसा नहीं कि पहले सीढ़ी के चित्र पर ले जाओ।
- यह है डीटेल की बातें।
- पहले-पहले परिचय देना है बाप का।
- वह है ऊंचे ते ऊंचा।
- फिर ब्रह्मा विष्णु शंकर का फिर लक्ष्मी-नारायण का।
- बाकी भक्ति मार्ग के चित्र तो ढेरों के ढेर हैं।
- पहले-पहले यह बोलो कि बेहद का बाप है - जिससे हम बेहद स्वर्ग का वर्सा लेते हैं।
- ऊंचे ते ऊंचा भगवान वर्सा भी ऊंचे ते ऊंचा देते हैं।
- भारत में शिव जयन्ती भी मनाई जाती है, जरूर हेविनली गॉड फादर ने आकर हेविन स्थापन किया होगा।
- बाप ही स्वर्ग स्थापन करते हैं फिर 5 हजार वर्ष के बाद नर्क हो जाता है।
- राम को भी आना पड़ता है, तो समय पर रावण को भी आना पड़ता है।
- राम वर्सा देते, रावण श्राप देते हैं।
- ज्ञान अर्थात् दिन पूरा हो रात हो जाती है।
- दिन में सिर्फ सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी।
- यह बातें नटशेल में समझाने की बहुत सहज हैं।
- पहले-पहले ऊंचे ते ऊंच बाप का परिचय दे पक्का कराना चाहिए।
- मूल बात ही यह है।
- सतयुग में देवी-देवता घराना था।
- सतोप्रधान थे फिर सतो-रजो-तमो में आये।
- यह है चक्र।
- एक ही चीज़ कायम नहीं रह सकती।
- तुम बच्चों की बुद्धि में यही याद रहे कि ऊंचे ते ऊंच बाप को याद करना है।
- इस याद में बहुत कच्चे हैं।
- बाबा भी अपना अनुभव बताते हैं तो याद ही घड़ी-घड़ी भूल जाती है क्योंकि इनको बहुत ख्यालात रहते हैं।
- तब तो कहा जाता है जिनके मत्थे मामला, वह याद में कैसे रह सकें।
- बाबा का सारा दिन ख्यालात चलता रहता है।
- कितनी बातें सामने आती हैं।
- बाबा को सुबह उठकर बैठने में जास्ती मजा आता है।
- नशा भी रहता है।
- बस, यह स्थापना होने के बाद हम विश्व का महाराजा बनूँगा फिर से।
- जैसे बाबा अपना अनुभव बताते हैं कि पहली-पहली मुख्य बात है - बाप का परिचय।
- और जो भी बातें कोई कहे बोलो, इससे कोई फायदा नहीं।
- हम तुमको परिचय देते हैं ऊंचे ते ऊंच बाप का।
- वही ऊंचे ते ऊंच वर्सा देते हैं विश्व का मालिक बनने का।
- आर्य समाजी लोग देवताओं के चित्रों को नहीं मानते।
- तुम्हारे पास चित्र देखते हैं तब ही बिगड़ते हैं।
- जिसको वर्सा लेना होगा वह शान्ति से आकर सुनते रहेंगे।
- मुख्य बात ही एक है ऊंचे ते ऊंचे भगवान की।
- ऊंचे ते ऊंचा ब्रह्मा विष्णु शंकर को नहीं कहेंगे।
- ऊंचे ते ऊंच बाप से ही वर्सा मिलता है।
- वही पतित-पावन है।
- यह बात पक्की कर लो।
- गॉड इज वन।
- बाप माना वर्सा।
- भारत में आकर वर्सा देते हैं।
- ब्रह्मा द्वारा नई दुनिया की स्थापना, शंकर द्वारा विनाश।
- इस महाभारत लड़ाई से ही स्वर्ग के गेट खुलते हैं।
- पतित से पावन बनते हैं।
- बेहद के बाप से ही भारत को वर्सा मिल रहा है।
- दूसरी कोई बात नहीं।
- यहाँ है एक बात।
- बाप कहते हैं - मुझे याद करो तो तुम्हारी खाद निकले।
- यह एक बात जब समझें तब और कुछ समझाना।
- यह जो इतने चित्र हैं, यह हैं रेजगारी।
- हम कहते हैं ज्ञान अमृत पीकर पवित्र बनो।
- वह कहते हैं विष चाहिए।
- उस पर भी यह चित्र हैं, तब कहते हैं अमृत छोड़ विष काहे को खाये।
- यह रूहानी नॉलेज स्प्रीचुअल फादर ही देते हैं।
- वह बाप सर्वव्यापी कैसे होगा।
- तुम बाप को सर्वव्यापी मानते हो तो भल मानो, हम अब नहीं मानेंगे।
- आगे हम मानते थे।
- अब बाप ने बताया है यह भूल है।
- बाप से वर्सा मिलता है।
- अब भारत नर्क है, उसको फिर हम स्वर्ग अर्थात् पवित्र गृहस्थ आश्रम बनाते हैं।
- आदि सनातन देवी-देवताओं का पवित्र गृहस्थ आश्रम था।
- अभी है अपवित्र विशश दुनिया। बाप कहते हैं मुझे याद करो।
- ऊंचे ते ऊंच शिवबाबा, क्रियेटर है, उनसे वर्सा मिलता है।
- अभी कलियुग में हैं ढेर मनुष्य, सतयुग में तो बहुत थोड़े मनुष्य हैं।
- तो उस समय बाकी सब शान्तिधाम में हैं।
- तो जरूर अब लड़ाई लगेगी तब तो मुक्ति में जायेंगे।
- यह सब बातें बच्चों की बुद्धि में रहनी चाहिए।
- बच्चों को सर्विस जरूर करनी है।
- सर्विस से ही ऊंच पद पायेंगे।
- ऐसे नहीं आपस में नहीं बनी तो शिवबाबा को भूल जाना या शिवबाबा की सर्विस करना छोड़ देना है।
- फिर तो यह पद भ्रष्ट हो जायेगा।
- फिर यह सर्विस करने के बदले डिससर्विस कर देंगे।
- आपस में लून-पानी होकर सर्विस को छोड़ देना, इस जैसा बुरा काम कोई नहीं।
- बाबा को याद करो तो कमाई भी होगी।
- अब ज्ञान मिला है होली बनो और बाप को याद करो।
- धुरिया कहा जाता है ज्ञान की रिमझिम को।
- ज्ञान और विज्ञान कहा जाता है।
- विज्ञान है योग, ज्ञान है सृष्टि चक्र का।
- होली-धुरिया, मनुष्य कुछ समझते नहीं हैं।
- बाप को याद करना और ज्ञान सबको सुनाना।
- बाबा बार-बार समझाते हैं कि ऊंचे ते ऊंच बाप को सर्वव्यापी कह नहीं सकते।
- नहीं तो खुद किसको याद करते हैं?
- बाप कहते हैं - निरन्तर मुझे याद करो।
- परन्तु रचयिता को नहीं जानते तो मिलेगा क्या!
- न जानने के कारण सर्वव्यापी कह देते हैं।
- तो ऊंचे ते ऊंचा सिद्ध कर समझाओ तो सर्वव्यापी की बातें बुद्धि से निकल जाएं।
- हम सब ब्रदर्स हैं।
- बाप हर 5 हजार वर्ष के बाद आकर वर्सा देते हैं।
- सतयुग में देवी-देवता होंगे।
- बाकी सब मुक्ति में जायेंगे।
- सबको बाप का परिचय देते रहो।
- क्राइस्ट की प्रेयर करते हैं - बोलो क्राइस्ट तो सबका फादर नहीं है ना।
- सबका फादर तो निराकार है, जिसको ही आत्मा पुकारती है - ओ गॉड फादर, क्राइस्ट उनका सन गाया हुआ है।
- सन से वर्सा कैसे मिलेगा?
- क्राइस्ट तो रचना है।
- ऐसे कोई भी शास्त्र में लिखा हुआ नहीं है कि क्राइस्ट को याद करने से आत्मा तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेगी।
- एक गीता में ही है कि मामेकम् याद करो।
- गॉड फादर का शास्त्र है ही गीता।
- सिर्फ बाप का नाम बदली कर कृष्ण का नाम लिख दिया है।
- यह भूल कर दी है।
- ऊंचे ते ऊंचा बाप है, वही सुख-शान्ति का वर्सा देते हैं।
- शिव का चित्र सबको अपने पास रखना है।
- शिवबाबा यह वर्सा देते हैं फिर 84 जन्मों में गँवा देते हैं।
- सीढ़ी पर समझाना है - पतित-पावन बाप ही आकर पावन बनने की युक्ति बताते हैं।
- वह कहते हैं कृष्ण भगवानुवाच, तुम कहते हो शिव भगवानुवाच।
- फर्स्ट फ्लोर में ऊंचा बाप रहता है फिर सेकण्ड फ्लोर में सूक्ष्मवतन।
- यह है थर्ड फ्लोर।
- सृष्टि यहाँ है, पीछे सूक्ष्मवतन में जाते हैं।
- वहाँ ट्रिब्यूनल बैठती है, सजायें मिलती हैं।
- सजायें खाकर पवित्र बन चले जाते हैं ऊपर।
- बाप सब बच्चों को ले जाते हैं।
- अब है संगम।
- इसको 100 वर्ष देने चाहिए।
- बच्चे पूछते हैं बाबा स्वर्ग में क्या-क्या होगा?
- बाबा कहते बच्चे वह आगे चलकर देखना।
- पहले तुम बाप को जानो, पतित से पावन बनने की धुन में रहो।
- स्वर्ग में जो होना होगा सो होता रहेगा।
- तुम पावन ऐसा बनो जो बाप का पूरा वर्सा मिल जाए नई दुनिया का।
- बाकी बीच में क्या होता है, यह भी आगे चलकर देखना है।
- तो यह बातें सब याद रखनी चाहिए।
- न याद रहने के कारण समय पर समझते नहीं, भूल जाते हैं।
- बच्चों को कर्म भी अच्छे करने हैं।
- बाप की याद में रहने से बुरा काम होगा ही नहीं।
- बहुत बुरे कर्म भी करते हैं।
- ऐसे थोड़ेही सिर्फ इसी ब्राह्मणी का अच्छा लगता है।
- वह ब्राह्मणी गई तो खुद भी खलास।
- ब्राह्मणी के कारण मर जाते हैं।
- गोया बाप से वर्सा लेने से मरे।
- यह भी बदकिस्मती कही जाती है।
- कई बच्चे एक दो के नाम रूप में फँस मरते हैं।
- यहाँ तुम्हारा जिस्मानी प्यार नहीं होना चाहिए।
- निरन्तर शिवबाबा को याद करना है।
- कोई से भी लेना-देना नहीं है।
- बोलो, हमको क्यों देते हो?
- तुम्हारा योग तो शिवबाबा से है ना।
- जो डायरेक्ट नहीं देते, उनका शिवबाबा के पास जमा नहीं होता है।
- ब्रह्मा द्वारा स्थापना होती है तो उनके द्वारा सब कुछ करना है।
- बीच में कोई खा गया तो शिवबाबा के पास तो जमा नहीं हुआ।
- शिवबाबा को देना है तो थ्रू ब्रह्मा।
- सेन्टर भी थ्रू ब्रह्मा ही खोलो।
- आपेही सेन्टर खोलते हैं तो वह थोड़ेही सेन्टर हुआ।
- बापदादा दोनों इकट्ठे हैं।
- इनके हाथ आया गोया शिवबाबा के हाथ आया।
- कितने सेन्टर्स हैं जिनका कोई समाचार ही नहीं।
- लिखना चाहिए शिवबाबा आपके सेन्टर का यह पोतामेल है।
- सेठ के पास पोतामेल आना चाहिए ना।
- बहुतों का शिवबाबा के पास जमा नहीं होता है।
- यह भी अक्ल नहीं है, भल ज्ञान बहुत है परन्तु युक्ति नहीं आती है।
- बस हमने सेन्टर खोला। तुमने जिसको दिया, उसने सेन्टर खोला।
- वह शिवबाबा ने थोड़ेही खोला।
- वह सेन्टर फिर ज़ोर भी नहीं भरता है।
- सेन्टर खोलना हो तो शिवबाबा के थ्रू।
- शिवबाबा हम यह देते हैं, इसमें लगा देना।
- बच्चे भूलें बहुत करते हैं।
- योग में बहुत कच्चे हैं।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) ज्ञान के साथ-साथ अपना भविष्य बनाने की युक्ति भी सीखनी है।
- एक बाप से वर्सा लेना है।
- किसी देह-धारी के पीछे बदकिस्मत नहीं बनना है।
- 2) आपस में किसी बात के कारण बाप की सर्विस नहीं छोड़ना है।
- सवेरे-सवेरे उठकर अपने आपसे बातें करनी है।
- याद करने की मेहनत करनी है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- अनुभव की विल पावर द्वारा माया की पावर का सामना करने वाले अनुभवीमूर्त भव
- सबसे पावरफुल स्टेज है अपना अनुभव। अनुभवी आत्मा अपने अनुभव की विल-पावर से माया की कोई भी पावर का, सभी बातों का, सर्व समस्याओं का सहज ही सामना कर सकती है और सभी आत्माओं को सन्तुष्ट भी कर सकती है।
- सामना करने की शक्ति से सर्व को सन्तुष्ट करने की शक्ति अनुभव के विल पावर से सहज प्राप्त होती है, इसलिए हर खजाने को अनुभव में लाकर अनुभवीमूर्त बनो।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- एक दो को देखने के बजाए स्वयं को देखो और परिवर्तन करो।
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