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- ओम् शान्ति।
- बच्चों ने गीत की दो लाइन सुनी।
- उन्होंने तो गीत बना दिया है।
- जैसे कोई की सगाई होती है तो यह पक्का ही है कि स्त्री-पुरुष कभी एक दो को छोड़ेंगे नहीं।
- कोई बिरला ऐसे होते हैं जो आपस में नहीं बनती हैं तो छोड़ भी देते हैं।
- यहाँ तुम बच्चे किसके साथ प्रतिज्ञा करते हो?
- ईश्वर के साथ।
- जिसके साथ तुम बच्चों की वा सजनियों की सगाई हुई है।
- परन्तु ऐसा जो विश्व का मालिक बनाते हैं उनको भी छोड़ देते हैं।
- यहाँ तुम बच्चे बैठे हो।
- तुम जानते हो अभी बेहद का बापदादा आया कि आया।
- यह अवस्था जो तुम्हारी यहाँ रहती है, बाहर सेन्टर पर हो न सके।
- यहाँ तुम समझेंगे बापदादा आया कि आया।
- बाहर सेन्टर पर समझेंगे बाबा की बजाई हुई मुरली आई कि आई।
- यहाँ और वहाँ में बहुत फ़र्क रहता है क्योंकि यहाँ बेहद के बापदादा के सम्मुख तुम बैठे हो।
- वहाँ तुम सम्मुख नहीं हो।
- चाहते हो सम्मुख जाकर मुरली सुनें।
- यहाँ बच्चों की बुद्धि में आया कि बाबा आया कि आया।
- जैसे और सतसंग होते हैं।
- वहाँ समझेंगे फलाना स्वामी आयेगा।
- परन्तु यह ख्यालात भी सबकी एकरस नहीं रहती।
- कोई को सम्बन्धी याद आयेगा।
- बुद्धि एक गुरू के साथ भी ठहरती नहीं है।
- कोई बिरला ही होगा जो स्वामी की याद में बैठा होगा।
- यहाँ भी ऐसे है।
- ऐसे नहीं कि सब शिवबाबा की याद में रहते हैं।
- बुद्धि दौड़ती रहती है।
- मित्र सम्बन्धी याद आयेंगे।
- सारा समय एक ही शिवबाबा के सम्मुख रहने में तो अहो सौभाग्य।
- स्थाई याद में कोई विरला ही रहते हैं।
- यहाँ शिवबाबा के सम्मुख रहने में तो बहुत खुशी रहनी चाहिए।
- अतीन्द्रिय सुख गोपी वल्लभ के गोप गोपियों से पूछो।
- यह यहाँ का गाया हुआ है।
- यहाँ तुम बाबा की याद में बैठे हो।
- जानते हो अभी हम ईश्वर के बने हैं फिर दैवी गोद में होंगे।
- भल कोई की बुद्धि में सर्विस के ख्यालात चलते हैं।
- इस चित्र में यह करेक्शन करें, यह लिखें।
- परन्तु अच्छे बच्चे होंगे तो समझेंगे कि अभी तो बाप से ही सुनना है, और कोई संकल्प आने नहीं देंगे।
- बाप ज्ञान रत्नों से झोली भरने आये हैं।
- तो बाप से ही बुद्धि-योग लगाना है।
- नम्बरवार धारणा करने वाले तो होते ही हैं।
- कोई अच्छी रीति धारण करते हैं, कोई कम धारण करते हैं।
- बुद्धियोग और तरफ दौड़ता रहेगा तो धारणा नहीं होगी।
- कच्चे हो जायेंगे।
- एक दो बार मुरली सुनी, धारणा नहीं हुई तो आदत पक्की हो जाती है।
- फिर कितना भी सुनता रहेगा, धारणा होगी नहीं।
- किसको सुना नहीं सकेंगे।
- जिसको धारणा होगी उसको सर्विस का शौक होगा, उछलता रहेगा।
- जाकर धन दान करूँ, क्योंकि यह धन एक बाप के सिवाए और कोई के पास है नहीं।
- बाप यह भी जानते हैं सबको धारणा हो न सके।
- सब एकरस ऊंच पद पा नहीं सकते इसलिए बुद्धि और तरफ भटकती रहती है।
- भविष्य तकदीर इतनी ऊंच बन नहीं सकती है।
- फिर कोई स्थूल सर्विस में अपनी हड्डी देते हैं, सबको राज़ी करते हैं।
- जैसे भोजन पकाते हैं, खिलाते हैं यह भी सब्जेक्ट है ना।
- सर्विस का जिनको शौक होगा वह मुख से कहने बिना रहेंगे नहीं।
- फिर बाबा देखते भी हैं कि कहाँ देह-अभिमान तो नहीं है।
- बड़े का रिगॉर्ड रखते हैं वा नहीं।
- बड़े महारथियों का रिगॉर्ड तो रखना होता है।
- हाँ, कोई छोटा भी होशियार हो जाता है, तो हो सकता है बड़े को उनका रिगॉर्ड रखना पड़े क्योंकि बुद्धि उनकी गैलप कर लेती है।
- सर्विस का शौक देख बाप तो खुश होगा ना।
- यह अच्छी सर्विस करेंगे।
- सारा दिन प्रदर्शनी समझाने की भी प्रैक्टिस करनी चाहिए।
- प्रजा भी तो ढेर बननी है ना।
- लाखों प्रजा चाहिए। और तो कोई उपाय है नहीं।
- सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी राजा रानी प्रजा सब यहाँ बनने हैं।
- कितनी सर्विस करनी चाहिए।
- बच्चों की बुद्धि में है अभी हम ब्राह्मण बने हैं।
- घर गृहस्थ में रहने से हर एक की अवस्था अपनी रहती है ना।
- घरबार तो छोड़ना नहीं है।
- बाबा कहते हैं घर में भल रहो, परन्तु बुद्धि में यह निश्चय रखना है कि यह पुरानी दुनिया खत्म हुई पड़ी है।
- हमारा अब बाप से काम है।
- यह भी जानते हैं कल्प पहले जिन्होंने यह ज्ञान लिया था, वही लेंगे।
- सेकेण्ड बाई सेकेण्ड हूबहू रिपीट हो रहा है।
- आत्मा में ज्ञान है ना।
- बाप के पास भी ज्ञान है।
- तुम बच्चों को भी बाप जैसा बनना है, प्वाइंट धारण करनी है।
- सब प्वाइंट एक साथ नहीं समझाई जाती हैं।
- लक्ष्य पक्का रखा जाता है।
- विनाश भी सामने खड़ा है।
- यह वही विनाश है।
- सतयुग, त्रेता में कोई लड़ाई आदि होती नहीं है।
- वह तो बाद में जब बहुत धर्म होते हैं, लश्कर बड़े होते हैं तब लड़ाई शुरू होती है।
- पहले-पहले आत्मायें सतोप्रधान से उतरती हैं फिर सतो रजो तमो में आती हैं।
- यह सब बुद्धि में रखना है।
- कैसे राजधानी स्थापन हो रही है।
- यहाँ बैठे हो तो यह बुद्धि में रखना है।
- शिवबाबा आकर हमको खजाना देते हैं, जिसको बुद्धि में धारण करना है।
- अच्छे-अच्छे बच्चे नोट्स लेते हैं, नोट्स लेना अच्छा है, तो बुद्धि में टॉपिक्स आयेंगी।
- आज इस टॉपिक पर समझायेंगे।
- बाप कहते हैं हमने तुमको कितना खजाना दिया था।
- सतयुग त्रेता में तुम्हारे पास अथाह धन था फिर वाम मार्ग में जाने से कम होता गया।
- खुशी भी कम होती गई।
- कुछ न कुछ विकर्म होने लगे।
- उतरते-उतरते कलायें कम होती जाती हैं।
- सतोप्रधान सतो, रजो, तमो की स्टेजेस होती हैं ना।
- सतो से रजो में आते हैं तो ऐसे नहीं फट से आ जाते हैं।
- तमोप्रधान में भी आहिस्ते-आहिस्ते उतरते हो, उसमें भी सतो रजो तमो स्टेजेस आयेंगी।
- फट से तमोप्रधान नहीं होंगे।
- धीरे-धीरे सीढ़ी उतरते जाते हैं।
- कला कम होती है।
- अभी जम्प लगाना है।
- तमोप्रधान से सतोप्रधान बनना है, इसके लिए टाइम बाकी थोड़ा है।
- गाया हुआ भी है चढ़े तो चाखे बैकुण्ठ रस।
- काम की चमाट लगती है तो एकदम चकनाचूर हो जाते हैं।
- हडगुड टूट जाते हैं, जैसे कोई मनुष्य अपना जीवघात करते हैं।
- आत्मघात नहीं, जीवघात कहा जाता है।
- ऐसे यह भी आत्मा का घात हो जाता है।
- की कमाई सब खत्म हो जाती है।
- यहाँ तो बाप से वर्सा पाना है, बाप को याद करना है क्योंकि बाप से बादशाही मिलती है।
- अपने से पूछना है कि हमने बाप को याद कर कितनी भविष्य के लिए कमाई की?
- कितने अन्धों की लाठी बनें?
- घर-घर में पैगाम देना है कि यह पुरानी दुनिया बदल रही है।
- बाप नई दुनिया के लिए राजयोग सिखा रहे हैं।
- सीढ़ी में दिखाया है, यह बनाने में मेहनत लगती है।
- सारा दिन ख्यालात चलता रहता है कि ऐसा सहज बनावें जो कोई समझ जाए। सारी दुनिया तो नहीं आयेगी।
- देवी-देवता धर्म वाले ही आयेंगे।
- तुम्हारी सर्विस तो बहुत चलनी है।
- तुम जानते हो हमारा क्लास कब तक चलेगा!
- वह तो लाखों वर्ष कल्प की आयु समझते हैं।
- तो शास्त्र आदि सुनाते ही रहते हैं।
- समझते हैं जब अन्त होगा तब सबका सद्गति दाता आयेगा।
- फिर जो हमारे चेले हैं उनकी गति हो जायेगी।
- फिर हम भी जाकर ज्योति में समा जायेंगे, परन्तु ऐसा तो है नहीं।
- तुम जानते हो हम अमर बाप द्वारा सच्ची-सच्ची अमरकथा सुन रहे हैं।
- तो अमर बाबा जो कहते हैं वह मानना भी चाहिए।
- सिर्फ कहते हैं मुझे याद करो और पवित्र बनो।
- नहीं तो बहुत सजायें खानी पड़ेगी, पद भी कम मिलेगा।
- सर्विस में मेहनत करनी है।
- जैसे दधीचि ऋषि का मिसाल है, हड्डियाँ भी सर्विस में दे दी।
- अपने शरीर का भी ख्याल नहीं करके सर्विस में रहना है, इसको कहा जाता है हड्डी सर्विस और दूसरा है रूहानी हड्डी सर्विस।
- रूहानी सर्विस वाले रूहानी नॉलेज ही सुनाते रहेंगे।
- ज्ञान धन दान करते खुशी में नाचते रहेंगे।
- दुनिया में जो मनुष्य सर्विस करते हैं वह है जिस्मानी।
- शास्त्र बैठ सुनाते हैं, वह कोई रूहानी सर्विस नहीं है।
- रूहानी सर्विस सिर्फ बाप ही सिखलाते हैं।
- स्प्रीचुअल बाप ही आकर स्प्रीचुअल बच्चों (आत्माओं) को पढ़ाते हैं।
- तुम अब तैयारी कर रहे हो - सतयुग नई दुनिया में जाने के लिए।
- वहाँ तुमसे कोई विकर्म नहीं होगा।
- वह है रामराज्य।
- वहाँ होते ही हैं थोड़े।
- वह थोड़े मनुष्य आकर पढ़ेंगे।
- अभी तो रावणराज्य में सब दु:खी हैं ना।
- यह सारी नॉलेज तुम्हारी बुद्धि में है, नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार।
- इस सीढ़ी के चित्र में ही सारी नॉलेज आ जाती है।
- यह चित्र बनाने के लिए मशीनरी चाहिए।
- उस गवर्नमेन्ट की रोज़ अखबारें कितनी छपती हैं।
- कितनी कारोबार चलती है।
- यहाँ तो सब हाथ से बनाना पड़ता है।
- बाप कहते हैं - यह अन्तिम जन्म पवित्र बनो तो पवित्र दुनिया के मालिक बनोंगे।
- यह नॉलेज कोई के पास नहीं है।
- कहेंगे इस सीढ़ी में और धर्मो का समाचार कहाँ है?
- वह भी इस गोले में लगा हुआ है।
- वह नई दुनिया में तो आते ही नहीं हैं।
- उन्हों को शान्ति मिलती है।
- भारतवासी ही स्वर्ग में थे ना।
- भारत में ही बाप राजयोग सिखलाने आते हैं इसलिए भारत का प्राचीन राजयोग सब पसन्द करते हैं।
- इस चित्र से वह खुद ही समझ जायेंगे, बरोबर नई दुनिया में सिर्फ भारत ही था।
- अपने धर्म को भी समझ जायेंगे।
- जैसे क्राइस्ट आया धर्म स्थापन करने।
- इस समय वह भी बेगर रूप में है, सभी तमोप्रधान हैं।
- यह रचता और रचना की कितनी बड़ी नॉलेज है।
- तुम कह सकते हो कि हमको किसी के पैसे की दरकार नहीं है।
- पैसा हम क्या करेंगे!
- तुम यह सुनो और दूसरों को सुनाने के लिए यह चित्र आदि छपाओ।
- इन चित्रों से काम लेना है।
- हाल बनाओ, जहाँ यह नॉलेज सुनाई जाये।
- बाकी हम पैसा लेकर क्या करेंगे।
- तुम्हारे ही घर का कल्याण होना है।
- तुम सिर्फ प्रबन्ध करो, बहुत आकर सुनेंगे।
- रचना और रचता की नॉलेज तो बड़ी अच्छी है।
- यह तो मनुष्यों को ही समझनी है, विलायत वाले यह नॉलेज सुनकर बहुत पसन्द करेंगे।
- बहुत खुश होंगे।
- समझेंगे हम भी बाप के साथ योग लगायेंगे तो विकर्म विनाश हो जायेंगे।
- सबको बाप का परिचय देना है।
- समझेंगे यह नॉलेज गॉड फादर के सिवाए कोई दे न सके।
- कहते हैं खुदा ने बहिश्त स्थापन किया।
- परन्तु वह कैसे आते हैं, यह किसको पता नहीं है।
- तुम्हारी बातें सुनकर बहुत खुश होंगे।
- फिर पुरुषार्थ कर योग सीखेंगे।
- तमोप्रधान से सतोप्रधान बनने के लिए भी पुरुषार्थ करेंगे।
- सर्विस के लिए तो बहुत ख्याल करना चाहिए।
- भारत में हुनर दिखायें तब बाहर भेजेंगे।
- यह मनुष्य जानेंगे, नई दुनिया बनने में कोई देर थोड़ेही लगती है।
- कहाँ भी अर्थक्वेक आदि होती है तो 2-3 वर्ष में एकदम नये मकान बन जाते हैं।
- जितना बहुत कारीगर होंगे उतना जल्दी मकान बनेंगे।
- एक मास में भी मकान बना सकते हैं।
- कारीगर, सामान आदि सब तैयार हो फिर बनने में देरी थोड़ेही लगेगी।
- विलायत में मकान कैसे बनते हैं, मिनट मोटर।
- तो स्वर्ग में कितना जल्दी बनते होंगे।
- सोना, चाँदी बहुत तुम्हारे को मिल जाते हैं।
- खानियों से सोना, चाँदी, हीरे आदि ले आते हैं।
- हुनर तो सब सीख रहे हैं।
- साइंस का कितना घमण्ड है।
- यही साइंस फिर वहाँ भी काम आयेगी।
- यहाँ सीखने वाले वहाँ दूसरा जन्म ले काम में आयेंगे।
- उस समय तो सारी नई दुनिया हो जाती है, रावण राज्य ही खत्म हो जाता है।
- 5 तत्व भी कायदेमुजीब सर्विस में रहते हैं।
- स्वर्ग बन जाता है।
- वहाँ कोई उपद्रव नहीं होता है।
- रावण राज्य ही नहीं है, सभी सतोप्रधान हैं।
- सबसे अच्छी बात है कि बाप से बहुत लॅव होना चाहिए।
- बाप जो फुरना देते हैं उसको धारण करना और दूसरों को दान देना है।
- जितना दान देंगे उतना इकट्ठा हो जायेगा।
- सर्विस ही नहीं करेंगे तो धारणा कैसे होगी।
- सर्विस में बुद्धि चलनी चाहिए।
- सर्विस तो बहुत ढेर हो सकती है।
- कोई करते रहें।
- दिन-प्रतिदिन उन्नति को पाना है।
- अपनी भी उन्नति करनी है।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) आपस में एक दो का रिगॉर्ड रखना है।
- सर्विस का बहुत-बहुत शौक रखना है।
- ज्ञान रत्नों से अपनी झोली भरकर फिर उसका दान करना है।
- 2) एक बाप से ही सुनने का संकल्प रखना है।
- दूसरे ख्यालातों में बुद्धि को भटकाना नहीं है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- ईश्वरीय अथॉरिटी द्वारा संकल्प वा बुद्धि को आर्डर प्रमाण चलाने वाले मास्टर सर्वशक्तिवान भव
- जैसे स्थूल हाथ पांव को बिल्कुल सहज रीति जहाँ चाहो वहाँ चलाते हो वा कर्म में लगाते हो वैसे संकल्प वा बुद्धि को जहाँ लगाने चाहो वहाँ लगा सको - इसे ही कहते हैं ईश्वरीय अथॉरिटी।
- जैसे वाणी में आना सहज है वैसे वाणी से परे जाना भी इतना ही सहज हो, इसी अभ्यास से साक्षात्कार मूर्त बनेंगे।
- तो अब इस अभ्यास को सहज और निरन्तर बनाओ तब कहेंगे मास्टर सर्वशक्तिवान।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- स्वस्थिति शक्तिशाली हो तो परिस्थिति उसके आगे कुछ भी नहीं है।
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