11-12-2021 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - तुम अभी वन्डरफुल रूहानी यात्री हो, तुम्हें इस यात्रा से 21 जन्मों के लिए निरोगी बनना है''
प्रश्नः-
सतयुग में कौन सी चीज़ काम नहीं आती है जो भक्ति मार्ग में बाप के काम आती है?
उत्तर:-
दिव्य दृष्टि की चाबी।
सतयुग में इस चाबी की दरकार नहीं रहती।
जब भक्तिमार्ग शुरू होता है तो भक्तों को खुश करने के लिए साक्षात्कार कराना पड़ता है।
उस समय यह चाबी बाप के काम आती है इसलिए बाप को दिव्य दृष्टि दाता कहा जाता है।
बाप तुम बच्चों को विश्व की बादशाही देते हैं, दिव्य दृष्टि की चाबी नहीं।
गीत:-
मरना तेरी गली में....
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- ओम् शान्ति। मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने गीत सुना।
- रूहानी बच्चों को अंग्रेजी में कहा जाता है स्प्रीचुअल चिल्ड्रेन।
- स्प्रीचुअल फादर और स्प्रीचुअल चिल्ड्रेन।
- अब यह तो रूहानी बच्चे जानते हैं कि हम आत्माओं को वहाँ शरीर तो है नहीं इसलिए वहाँ कोई रूहरिहान हो नहीं सकती।
- रूह से रूहरिहान अर्थात् वार्तालाप तब हो जब दोनों को शरीर हो।
- आत्माओं को यहाँ तो अपना-अपना शरीर है।
- बाकी जो नॉलेजफुल रूहानी बाप है उनको अपना शरीर नहीं है।
- वह है ही निराकार।
- बच्चे समझते हैं कि शान्तिधाम में हम आत्मायें अशरीरी रहती हैं।
- जैसे बाप भी अशरीरी वा विचित्र है, ऐसे तुम आत्मायें भी बिना शरीर के वहाँ रहती हो।
- यह समझने की बात है।
- कहते भी हैं नंगे आये हैं, नंगा जाना है यानी यह शरीर रूपी वस्त्र वहाँ नहीं होगा।
- आत्मा जब शान्तिधाम में रहती है तो अशरीरी है, शान्ति में रहती है।
- अब रूहानी बाप यह नॉलेज देते हैं।
- सारी दुनिया में रूहानी बाप और कोई है नहीं।
- और सभी हैं जिस्मानी बाप।
- रूहानी बाप खुद कहते हैं मैं अशरीरी हूँ।
- बात करने समय शरीर का आधार लेना पड़ता है।
- भल शास्त्रों में अक्षर हैं कि प्रकृति का आधार लेना पड़ता है।
- परन्तु बाप समझाते हैं प्रकृति का तो शरीर बना हुआ है।
- मैं साधारण शरीर का आधार लेता हूँ।
- रूहानी बाप को रूहानी सर्जन कहा जाता है क्योंकि याद वा योग सिखलाते हैं, जिससे हमारी आत्मा एवर निरोगी बन जाती है।
- 21 जन्म कभी रोगी नहीं बनते।
- फिर जब माया का राज्य होता है तो हम रोगी बन जाते हैं।
- बाप आकर हमको 21 जन्मों के लिए निरोगी बनाते हैं।
- बाप को यात्रा सिखलाने वाला पण्डा भी कहा जाता है।
- हम वन्डरफुल रूहानी यात्री हैं।
- इस रूहानी यात्रा को और कोई मनुष्य-मात्र दुनिया में नहीं जानते हैं।
- भारत खास और दुनिया आम, हमेशा ऐसे कहा जाता है।
- खास हमको यह रूहानी यात्रा सिखलाई जाती है।
- कौन सिखलाते हैं?
- स्प्रीचुअल फादर।
- जिस्मानी यात्रायें तो मनुष्य जन्म-जन्मान्तर करते आये हैं।
- कोई-कोई तो एक जन्म में दो चार यात्रायें भी करते हैं।
- वह कहेंगे जीव आत्माओं की यात्रा और यह है आत्माओं की यात्रा।
- यह बड़ी समझने की बातें हैं।
- चलते फिरते बुद्धि में बाबा को याद रखना है तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।
- बाबा की याद में हम बाबा के पास चले जायेंगे।
- अब तुम रूहानी बच्चों को रूहानी बाप यह यात्रा सिखलाते हैं।
- गीता में मनमनाभव अक्षर है परन्तु उनका अर्थ भी कोई समझते नहीं हैं।
- बाप कहते हैं - मुझे याद करो तो तुम्हारे पाप भस्म होंगे।
- फिर क्या होगा?
- तुम बच्चे जानते हो हम याद से तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे।
- इस समय सब तमोप्रधान हैं।
- सारा झाड़ जड़जड़ीभूत हो गया है।
- अब आत्मा सतोप्रधान कैसे बने?
- वापिस घर में कैसे जाये?
- वहाँ तो पवित्र आत्मायें ही रहती हैं।
- फिर यहाँ शरीर धारण करते रजो तमो में आती है।
- हर चीज़ की स्टेज होती है।
- गाते भी हैं दुनिया बदल रही है।
- इनको कहेंगे पुरानी दुनिया आइरन एजेड, नई दुनिया को कहा जाता है गोल्डन एज सतयुग।
- अब बच्चों की बुद्धि में यह होना चाहिए।
- जब सतयुग था तो आदि सनातन देवी-देवता धर्म था।
- अभी वह धर्म नहीं है।
- डिटीज्म, इस्लामिज्म, बुद्धिज्म, क्रिश्चियनिज्म.. यह मुख्य हैं।
- युगों पर भी समझाया है कि मुख्य 4 युग हैं।
- बाकी यह ब्राह्मणों का संगमयुग है गुप्त।
- परमपिता परमात्मा ही आकर ब्राह्मण देवता क्षत्रिय धर्म स्थापन करते हैं।
- यह सब बातें बच्चों को याद रखनी है और अपना बुद्धियोग बाप के साथ रखना है।
- मूल बात ही है विकर्माजीत बनने की।
- बरोबर हम सतोप्रधान पवित्र थे।
- असुल में 24 कैरेट सोना थे।
- फिर सतो में आये 22 कैरेट बने।
- फिर रजो में 18 कैरेट, तमो में 9 कैरेट बनें।
- सोने की डिग्री होती है।
- यह आत्मा की ही बात है।
- जैसे भ्रमरी छी-छी कीड़ों को ले आती है, उनको बैठ आप समान बनाती है।
- तुम भी भूँ-भूँ कर मनुष्य से देवता बनाते हो।
- भ्रमरी कीड़े को ले आकर घर में एकान्त में बिठाती है, उनमें भी कितना अक्ल है।
- तुम्हारी आत्मा में भी ड्रामा अनुसार पार्ट नूँधा हुआ है।
- तुम जानते हो कल्प पहले भी रूहानी बाप से हमने रूहानी ज्ञान सुना था।
- कल्प-कल्प सुनते रहेंगे।
- नथिंगन्यु।
- यह भी बाप ही समझा सकते हैं।
- झाड़ को जानने वाला तो बीज है ना।
- बाप आते हैं तुमको त्रिकालदर्शी बनाने।
- तीनों कालों की नॉलेज देते हैं ना।
- तुमको जीते जी एडाप्ट करते हैं।
- जैसे कन्या को भी जीते जी एडाप्ट करते हैं कि यह हमारी स्त्री है।
- अब प्रजापिता ब्रह्मा की स्त्री तो है नहीं, तो यह एडाप्ट होते हैं, परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा एडाप्ट करते हैं।
- तुम भी कहते हो यह हमारा बाबा है।
- परमपिता परमात्मा बाप भी कहते हैं तुम मेरे बच्चे हो।
- वह शिवबाबा है रूहानी, प्रजापिता ब्रह्मा दादा है जिस्मानी।
- रूहानी बाप जब तक शरीर में न आये तो नॉलेज कैसे सुनाये।
- परमपिता परमात्मा को ही नॉलेजफुल कहा जाता है।
- कोई भी प्रकार की नॉलेज हमेशा आत्मा में ही रहती है।
- जिस्मानी नॉलेज भी आत्मा ही पढ़ती है ना।
- परन्तु तमोप्रधान होने के कारण आत्म-अभिमान कोई को रहता ही नहीं।
- आत्म-अभिमानी तुम अभी बनते हो।
- सतयुग में यह बातें नहीं समझाई जायेंगी।
- इस समय बाप कहते हैं तुम अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो क्योंकि पापों का बोझा इस समय सिर पर है, वह उतारना है।
- बाप को बुलाते भी इस समय हैं कि आकर पतितों को पावन बनाओ।
- आत्मा ही इमप्योर तमोप्रधान बनी है, इसलिए बाप को याद करती है।
- भक्त कोई भी नहीं जानते कि परमपिता परमात्मा कोई बिन्दी है।
- बिन्दी का तो मन्दिर बना न सकें, शोभा ही नहीं होगी।
- एक तो लिंग बनाते हैं फिर साक्षात्कार के लिए कहते हैं हजारों सूर्य से तेजोमय है।
- क्या लिंग इतना तेजोमय है?
- जैसे अर्जुन के लिए दिखाया है ना।
- उनको साक्षात्कार हुआ तेजोमय रूप का, कहा हम तेज सहन नहीं कर सकते हैं।
- यह अक्षर सुना हुआ है ना।
- यहाँ भी शुरू में बहुतों को साक्षात्कार हुआ था।
- कहते थे बन्द करो, हम सहन नहीं कर सकते हैं।
- आंखे लाल हो जाती थी।
- वह समझते हैं हमने परमात्मा का साक्षात्कार किया।
- किसने कराया?
- कृष्ण ने तो नहीं कराया।
- शिवबाबा ने ही साक्षात्कार कराया।
- उनको दिव्य दृष्टि दाता कहा जाता है।
- बाप कहते हैं - चाबी मैं तुम बच्चों को नहीं दे सकता हूँ।
- यह चीज़ मुझे ही भक्ति मार्ग में काम आती है।
- सतयुग में इसकी दरकार नहीं रहती है।
- तुम पुजारी से पूज्य बन जाते हो।
- बाप कहते हैं - मैं तुमको विश्व का राज्य भाग्य देकर अपने परमधाम में जाकर बैठ जाता हूँ।
- मैं पूज्य, पुजारी नहीं बनता हूँ।
- तुम बच्चे अभी सेन्सीबुल बने हो, चलन से भी समझा जाता है कि यह कितना मीठा है, इनको धारणा बहुत अच्छी होती है।
- कितने टॉपिक्स बनाते हैं।
- बाबा जो टॉपिक सुनाते हैं वह नोट रखने चाहिए।
- आज यात्रा पर समझायेंगे।
- यात्रा दो प्रकार की होती है।
- यह है नम्बरवन टॉपिक।
- मनुष्य सब जिस्मानी यात्रा कराते हैं भक्ति मार्ग में।
- ज्ञान मार्ग में जिस्मानी यात्रा होती नहीं।
- तुम्हारी है रूहानी यात्रा।
- बाप समझाते हैं तमोप्रधान से सतोप्रधान तुम इस यात्रा से बनेंगे।
- आत्मा पवित्र बनने के बिना घर जा नहीं सकती है।
- सब आत्मायें यहाँ ही आती रहती हैं।
- जाते कोई भी नहीं।
- गवर्मेंन्ट को भी तुम समझा सकते हो - सतयुग में जब देवी-देवताओं का राज्य था तो एक बच्चा, एक बच्ची होते थे, सो भी योगबल से।
- अब ख्याल करो सतयुग में कितने थोड़े मनुष्य होंगे और सम्पूर्ण निर्विकारी, लक्ष्मी-नारायण की गद्दी चली है।
- तो जरूर बच्चा भी होगा।
- हम जब योगबल से विश्व के मालिक बनते हैं तो क्या योगबल से बच्चा नहीं पैदा कर सकते।
- यह ड्रामा में नूँध है।
- पवित्र होने के कारण साक्षात्कार होता है कि बच्चा होने वाला है।
- वह खुशी रहती है।
- विकार की कोई बात नहीं।
- तुमसे पूछते हैं बच्चे कैसे पैदा होंगे?
- बोलो, पपीते का झाड़ मेल फीमेल एक दो के बाजू में होने से फल पैदा होता है।
- अगर दोनों एक दो के बाजू में नहीं होंगे तो फल नहीं होगा।
- वन्डर है ना।
- तो वहाँ क्यों नहीं योगबल से बच्चा हो सकता है।
- मोर डेल का भी मिसाल है।
- उनको कहा जाता है नेशनल बर्ड।
- प्रेम के आंसू से गर्भ हो जाता है।
- यह विकार नहीं हुआ ना।
- यह भारत शिवालय था, शिवबाबा ने बनाया था।
- अब रावण ने वेश्यालय बनाया है।
- यह भी किसको पता नहीं है शिव जयन्ती तो मनाते हैं, रावण जयन्ती कहाँ है।
- रावण का तो किसको भी पता नहीं है।
- उनको बनाकर फिर दशहरे के दिन मार डालते हैं।
- तुम बच्चे जानते हो रावण 5 विकारों को इन पटाकों आदि से नहीं जलाना है।
- योगबल से उन पर विजय पानी है, जो योग बाबा ही आकर सिखलाते हैं।
- कहते हैं योगी भव, होली भव।
- गीता में फिर अक्षर है मनमनाभव, मुझे याद करो, इस यात्रा से ही तुम शान्तिधाम में चले जायेंगे।
- फिर अमरलोक में आ जायेंगे।
- मनुष्य यात्रा पर जाते हैं तो पवित्र रहते हैं।
- काशी में जाने वाले पवित्र रहते हैं परन्तु काशी में रहने वाले कोई पवित्र नहीं रहते।
- यहाँ रावण राज्य में है पतितों का व्यवहार पतितों से।
- वहाँ है ही पावन का व्यवहार पावन से।
- फिर भी नीचे तो उतरना ही है।
- बाबा ने समझाया है - आधाकल्प है दिन, आधाकल्प है रात।
- यह भी ब्राह्मणों की बात है।
- ब्राह्मण ही फिर देवता बनते हैं।
- नई दुनिया में लक्ष्मी-नारायण कहाँ से आये?
- कोई लड़ाई तो नहीं की।
- महाभारत लड़ाई दिखाते हैं फिर उनकी रिजल्ट तो कुछ भी दिखाते नहीं हैं।
- कहते हैं 5 पाण्डव थे।
- तुम कितने पाण्डव हो!
- तुम हो रूहानी पण्डे।
- जानते हो अब सबको वापिस जाना है।
- बाबा आते ही हैं सबको ले जाने।
- वह है सुप्रीम पण्डा अथवा गाइड, लिबरेटर, माया से मुक्त कर साथ ले जाते हैं।
- साथ में ले जाने वाला गाइड तो जरूर चाहिए।
- यह बातें बुद्धि में अच्छी रीति याद रहनी चाहिए।
- वह शास्त्र तो छपे हुए होते हैं।
- कोई भी जाकर पढ़ सकते हैं।
- यह ज्ञान तो बाप ही देते हैं।
- फिर शास्त्र पढ़ने की बात ही नहीं।
- बाप से सुनकर धारणा करनी है।
- नम्बरवन है याद की यात्रा, उनसे ही पवित्र बनेंगे।
- हिस्ट्री जॉग्राफी तो कोई भी समझा न सके।
- यात्रा में बहुत कच्चे हैं।
- याद में ही विघ्न पड़ेंगे।
- नॉलेज तो बहुत सहज है।
- बाप समझाते हैं यह ड्रामा का चक्र है।
- उनके 4 भाग हैं इक्वल।
- लाखों वर्ष आयु होती तो मनुष्य कितने बढ़ जाते।
- गवर्मेन्ट भी कितना कहेगी कि बर्थ न हो।
- यह तो बाप का काम है।
- वह सब तो जिस्मानी युक्तियां निकालते रहते हैं।
- बाबा की है यह रूहानी युक्ति।
- बाप कहते हैं मैं आता ही हूँ अनेक धर्मों का विनाश कर एक धर्म की स्थापना करने।
- एक मत सतयुग में ही होगा, यहाँ थोड़ेही हो सकता है।
- अपने को भाई-भाई कोई समझते ही नहीं।
- बाप बच्चों को बहुत युक्तियां समझाते रहते हैं।
- अपने पास टॉपिक्स की लिस्ट रखनी चाहिए।
- एक-एक टॉपिक बहुत फर्स्टक्लास है।
- बाबा कहते हैं - तुम बच्चों को जास्ती टां-टां नहीं करनी है।
- सिर्फ कहना है शिवबाबा कहते हैं सब आत्माओं का बाप मैं परम आत्मा हूँ, मुझे ही भगवान कहा जाता है।
- कोई मनुष्य को भगवान नहीं कह सकते।
- रूहानी यात्रा और जिस्मानी यात्रा की टॉपिक बहुत अच्छी है।
- जिस्मानी यात्रा मृत्युलोक में होती है, यह है मृत्युलोक, वह है अमरलोक।
- तुम बच्चे कल्प-कल्प बाप के साथ मददगार बनते हो, इसलिए तुम हो रूहानी स्वीट चिल्ड्रेन।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) खुद सेन्सीबुल बनकर दूसरों को भी बनाना है।
- अपनी चलन बहुत रॉयल और मीठी रखनी है।
- 2) रूहानी यात्रा पर तत्पर रहना है।
- अपने पास अच्छी टॉपिक्स नोट रखनी है।
- एक-एक टॉपिक पर विचार सागर मंथन करना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- अन्तर स्वरूप में स्थित रह अपने वा बाप के गुप्त रूप को प्रत्यक्ष करने वाले सच्चे स्नेही भव
- जो बच्चे सदा अन्तर की स्थिति में अथवा अन्तर स्वरूप में स्थित रह अन्तर्मुखी रहते हैं, वे कभी किसी बात में लिप्त नहीं हो सकते।
- पुरानी दुनिया, सम्बन्ध, सम्पत्ति, पदार्थ जो अल्पकाल और दिखावा मात्र हैं उनसे धोखा नहीं खा सकते।
- अन्तर स्वरूप की स्थिति में रहने से स्वयं का शक्ति स्वरूप जो गुप्त है वह प्रत्यक्ष हो जाता है और इसी स्वरूप से बाप की प्रत्यक्षता होती है।
- तो ऐसा श्रेष्ठ कर्तव्य करने वाले ही सच्चे स्नेही हैं।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- निश्चय और जन्म सिद्ध अधिकार की शान में रहो तो परेशान नहीं होंगे।
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