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ओम् शान्ति।
- बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं।
- हूबहू जैसे 5 हजार वर्ष पहले समझाया था, वैसे फिर भी समझा रहे हैं कि पुरानी दुनिया का विनाश और नई दुनिया सतयुग की स्थापना कैसे होती है।
- अभी है पुरानी दुनिया और नई दुनिया का संगमयुग।
- बाप ने समझाया है नई दुनिया सतयुग से लेकर अब कलियुग अन्त तक क्या-क्या हो रहा है!
- क्या-क्या सामग्री है!
- क्या-क्या देखते हो!
- यज्ञ, तप, दान-पुण्य आदि क्या करते हैं।
- यह जो कुछ देखने में आता है यह कुछ भी रहना नहीं है।
- पुरानी कोई भी चीज़ रहने वाली नहीं है।
- जैसे पुराना मकान तोड़ते हैं तो उनमें जो मार्बल के पत्थर आदि अच्छी चीज़ें होती हैं, वह रख देते हैं।
- बाकी तोड़ फोड़ देते हैं।
- तुम बच्चे जानते हो यह पुराना सब खत्म होना है।
- बाकी यह जो साइंस का हुनर है, वह कायम रहेगा।
- तुम सब जानते हो कि यह सृष्टि चक्र कैसे फिरता है।
- सतयुग से कलियुग अन्त तक क्या-क्या होता है।
- यह साइंस भी एक विद्या है, उनसे एरोप्लेन, बिजली आदि सब कुछ बने हैं।
- पहले यह नहीं था, अब बना है।
- दुनिया तो चलती रहती है।
- भारत है अविनाशी खण्ड, प्रलय तो होती नहीं।
- यह साइंस जिससे अभी इतना सुख मिलता है, वह हुनर भी वहाँ रहता है।
- सीखी हुई चीज़ें दूसरे जन्म में भी काम आती हैं।
- कुछ न कुछ रहता है।
- यहाँ भी अर्थक्वेक जहाँ होती है तो फिर जल्दी में सारा नया बना देते हैं।
- वहाँ नई दुनिया में विमान आदि बनाने वाले भी होंगे।
- सृष्टि तो चलती ही रहती है।
- यह बनाने वाले फिर भी आयेंगे।
- अन्त मती सो गति होगी।
- भल उन्हों में यह ज्ञान नहीं है परन्तु वह आयेंगे जरूर और आकर नई-नई चीज़ें बनायेंगे।
- यह ख्यालात अभी तुम्हारी बुद्धि में हैं।
- यह सब खत्म हो जायेंगे, बाकी सिर्फ भारत खण्ड ही रहेगा।
- तुम वारियर्स हो।
- अपने लिए योगबल से स्वराज्य की स्थापना कर रहे हो।
- वहाँ सब कुछ नया होगा।
- तत्व भी जो तमोप्रधान हैं वह सतोप्रधान बन जायेंगे।
- तुम भी नई पवित्र दुनिया में जाने के लिए अब पवित्र बन रहे हो।
- तुम जानते हो हम बच्चे यह सीखकर बहुत होशियार हो जायेंगे।
- बहुत मीठे फूल बन जायेंगे।
- तुम कोई को भी यह बातें सुनाते हो तो वह बहुत खुश होते हैं।
- जो जितना अच्छी रीति समझाते हैं, उन पर बहुत खुश होते हैं।
- कहते हैं यह समझाते तो बहुत अच्छा हैं, परन्तु जब ओपीनियन लिखने लिए कहते हैं तो कहते हैं विचार करेंगे।
- इतने में हम कैसे लिख दें।
- एक बार सुनने से बाप से योग कैसे रखें, यह सीख नहीं सकते।
- अच्छा तो लगता है।
- तुम यह जरूर समझाते होंगे कि अब पुरानी दुनिया का विनाश होना है।
- पापों का बोझा सिर पर बहुत है।
- यह पतित दुनिया है, पाप बहुत किये हुए हैं।
- रावणराज्य में सब पतित हैं तब तो पतित-पावन बाप को बुलाते हैं।
- यह ज्ञान अभी तुमको है।
- सतयुग में यह कोई नहीं जानते कि इनके बाद त्रेता आयेगा।
- वहाँ तो प्रालब्ध भोगते हैं।
- अब तुम बच्चे कितने बुद्धिवान बनते हो, जानते हो हमको रूहानी बाप पढ़ाते हैं।
- बाबा है वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी, वह है शास्त्रों की अथॉरिटी।
- उन शास्त्र पढ़ने वालों को आलमाइटी नहीं कहा जाता है।
- यह सब भक्ति मार्ग के शास्त्र हैं।
- बाकी यह जो बाबा तुमको पढ़ा रहे हैं, यह हैं नई दुनिया के लिए नई बातें।
- तो तुम बच्चों को बहुत खुशी होनी चाहिए।
- बुद्धि में सारा दिन यह ज्ञान टपकता रहे।
- स्टूडेन्ट जो पढ़ते हैं उसको फिर रिवाइज़ भी करते हैं, जिसको ही विचार सागर मंथन कहा जाता है।
- तुम यह समझते हो कि बाबा हमको बेहद की पढ़ाई अथवा सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का सारा राज़ बैठ समझाते हैं, जिसको तुम्हारे सिवाए कोई समझ नहीं सकते इसलिए तुमको बहुत खुशी होनी चाहिए।
- तुम बहुत बड़े आदमी हो।
- तुमको पढ़ाने वाला भी ऊंचे ते ऊंचा बाप है।
- तो तुमको सदैव खुशी का पारा चढ़ा रहना चाहिए।
- सदैव बुद्धि में यह बातें रिवाइज करो कि पहले-पहले हम पावन थे।
- फिर 84 जन्म ले पतित बन गये, अब ड्रामा प्लैन अनुसार बाबा पावन बना रहे हैं।
- साधू-सन्त सब कहते हैं कि हम रचता बाप और रचना के आदि मध्य अन्त को नहीं जानते।
- तुम जानते हो क्राइस्ट फिर अपने समय पर आयेगा।
- क्रिश्चियन का जैसे सारी पृथ्वी पर राज्य था, अब सब अलग-अलग हो गये हैं, आपस में लड़ झगड़ रहे हैं।
- अब कहते हैं एक राज्य एक भाषा हो।
- मतभेद न हो, यह कैसे हो सकता है।
- अब तो आपस में लड़ झगड़ कर और ही पक्के हो गये हैं।
- अभी यह तो हो नहीं सकता जो सबकी एक देवताई मत हो जाए।
- भल कहते हैं रामराज्य चाहिए परन्तु समझते कुछ नहीं हैं।
- तुमको भी पहले कुछ पता नहीं था।
- अभी तुम ब्राह्मण बने हो, तुम जानते हो कि हमारा युग ही अलग है।
- इस संगमयुग पर ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण धर्म की स्थापना होती है।
- तुम ब्राह्मण हो राजऋषि।
- तुम पवित्र भी हो और शिव-बाबा से राज्य प्राप्त करते हो।
- वह योग रखते हैं ब्रह्म से, एक बाप से नहीं रखते।
- कोई किससे रखते, कोई किससे।
- कोई किसका पुजारी, तो कोई किसका।
- यह किसको पता ही नहीं कि ऊंचे ते ऊंचा कौन है इसलिए बाप ने कहा है यह सब हैं आसुरी सम्प्रदाय, तुच्छ बुद्धि।
- रावण के मुरीद हैं।
- तुम अभी शिवबाबा के बने हो।
- तुमको बाप से वर्सा मिलता है नई दुनिया सतयुग का।
- बाप कहते हैं - हे आत्मायें तुमको अब तमोप्रधान से सतोप्रधान जरूर बनना है इसलिए सिर्फ मुझे याद करो।
- कितनी सहज बात है।
- गीता में कृष्ण का नाम डाल दिया है फिर उनको द्वापर युग में ले गये हैं।
- भूल तो भारी की है परन्तु यह बातें उनकी ही बुद्धि में बैठेंगी जो स्थाई यहाँ आते रहेंगे।
- मेले में आते तो ढेर हैं उनमें से देखो सैपलिंग कैसे लगता है।
- अनेक धर्म वाले आते हैं, उसमें भी जास्ती हिन्दू धर्म वाले आते हैं, जो देवी-देवताओं के पुजारी होंगे।
- आपेही पूज्य आपेही पुजारी...इसका भी अर्थ समझाना पड़ता है।
- मेले प्रदर्शनी में इतना अधिक समझा नहीं सकते।
- कोई तो 4-5 मास आते हैं, समझते हैं।
- कोई थोड़ा अच्छी रीति समझते हैं।
- तुम जितने जास्ती प्रदर्शनी मेले आदि करेंगे उतने बहुत आयेंगे।
- समझेंगे ज्ञान बड़ा अच्छा है, जाकर समझें।
- सेन्टर पर इतने चित्र नहीं होते हैं।
- प्रदर्शनी में बहुत चित्र होते हैं।
- तुम समझाते हो - तो अच्छा भी उन्हों को लगता है परन्तु बाहर जाने से माया का वायुमण्डल है, अपने धन्धेधोरी में लग जाते हैं।
- अभी यह पुरानी दुनिया खत्म हो नई बनेगी और बाबा हमारे लिए स्वर्ग की बादशाही स्थापन कर रहे हैं।
- नई दुनिया में हम जाकर नये महल बनायेंगे।
- ऐसे नहीं नीचे से महल निकल आयेंगे।
- पहली-पहली मुख्य यह बात निश्चय करनी है कि वह हमारा बाप भी है, टीचर भी है।
- मनुष्य सृष्टि का बीजरूप है।
- उनमें सारी नॉलेज है, तब तो महिमा गाते हैं ज्ञान का सागर...वह बीज जड़ होता है।
- वह बोल न सके।
- यह चैतन्य है।
- बाप ने तुमको सारी नॉलेज दी है जो औरों को अच्छी रीति समझानी है।
- मेले वा प्रदर्शनी में ढेर आते हैं।
- निकलते कोटों में कोई हैं।
- 7-8 दिन आकर फिर गुम हो जाते हैं।
- ऐसे करते-करते कोई न कोई निकल आयेगा।
- समय थोड़ा है, विनाश सामने खड़ा है।
- कर्मातीत अवस्था को पाना है जरूर।
- पतित से पावन होने के लिए याद बहुत जरूरी है।
- अपनी सम्भाल करनी है।
- मुझे सतोप्रधान बनना है - यह चिंता लगी रहे क्योंकि सिर पर जन्म-जन्मान्तर का बोझा है।
- रावण राज्य होने से सीढ़ी उतरते ही आये हो।
- अब योगबल से चढ़ना है।
- रात दिन यही फिकरात रहे कि मुझे सतोप्रधान बनना है और सृष्टि चक्र की नॉलेज भी बुद्धि में चाहिए।
- स्कूल में भी यह रहता है कि हम फलानी-फलानी सबजेक्ट में पास हो जायें, इसमें मुख्य सब्जेक्ट है याद की।
- सृष्टि के आदि मध्य अन्त का भी ज्ञान चाहिए।
- तुम्हारी बुद्धि में सारा सीढ़ी का ज्ञान है कि अब हम बाबा की याद से सतयुगी सूर्यवंशी घराने की सीढ़ी चढ़ते हैं।
- 84 जन्म लेते सीढ़ी उतरते आये, अब फट से चढ़ जाना है।
- गायन है ना - सेकेण्ड में जीवनमुक्ति।
- इस जन्म में ही बाप से जीवनमुक्ति का वर्सा लेकर सो देवता बन जायेंगे।
- बाबा कहते हैं बच्चे तुम ही सूर्यवंशी थे, फिर चन्द्रवंशी, वैश्य वंशी बने।
- अभी तुमको ब्राह्मण बनाता हूँ।
- ब्राह्मण हैं चोटी।
- ऊंचे ते ऊंचा परमपिता परमात्मा आकर ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय तीन धर्मों की स्थापना करते हैं।
- तुम जानते हो अभी हम ब्राह्मण वर्ण में हैं।
- फिर देवता वर्ण में आयेंगे।
- बच्चों को रोज़ कितना बुद्धि में ज्ञान भरते रहते हैं, जिसको धारण करना है।
- नहीं तो आप समान कैसे बनायेंगे।
- सूर्यवंशी घराने में बहुत थोड़े आयेंगे, जो अच्छी रीति पढ़ेंगे और पढ़ायेंगे।
- इस समय तुम्हारी गत मत दुनिया से बिल्कुल न्यारी है।
- जैसे कहते हैं ईश्वर की गत मत न्यारी है।
- तुम्हारे सिवाए कोई भी बाप से योग लगाते नहीं हैं।
- प्रदर्शनी में आते हैं फिर चले जाते हैं।
- वह बन जाते हैं प्रजा।
- बाकी जो अच्छी रीति पढ़ेंगे, पढ़ायेंगे वह अच्छा पद पा सकते हैं।
- फिर तुम्हारी यह मिशनरी भी जोर भरती जायेगी।
- बहुतों को कशिश होगी, आते रहेंगे।
- नई बात को फैलने में समय तो लगता है ना।
- चित्र भी फट से बहुत बन जायेंगे।
- दिन-प्रतिदिन मनुष्य भी वृद्धि को पाते जाते हैं।
- तुम जानते हो यह जो बाम्ब्स आदि की लड़ाई लगेगी फिर क्या हाल होगा।
- दिन-प्रतिदिन दु:ख अपार होता जायेगा।
- आखरीन यह दु:ख की दुनिया खत्म होगी।
- टोटल विनाश नहीं होगा।
- शास्त्रों में गायन है यह भारत अविनाशी खण्ड है।
- तुम जानते हो हमारा यादगार हूबहू आबू में है।
- उस पर समझाना चाहिए, वह है जड़ यादगार।
- यहाँ प्रैक्टिकल स्थापना हो रही है।
- राजयोग सीख रहे हो वैकुण्ठ के लिए।
- देलवाड़ा मन्दिर कितना अच्छा बना हुआ है।
- हम भी यहाँ आकर बैठे हैं।
- पहले से ही हमारा यादगार बना हुआ है।
- तुम स्वर्ग की राजाई पाने के लिए यहाँ बैठे हो।
- कहते हैं बाबा हम आपसे राज्य लेकर ही छोड़ेंगे।
- जो अच्छी तरह सारा दिन सिमरण करते और कराते होंगे, खुशी भी उन्हों को रहेगी।
- स्टूडेन्ट खुद समझते हैं - हम पास होंगे वा नहीं।
- लाखों करोड़ों में से स्कालरशिप कितने थोड़ों को मिलती है।
- मुख्य हैं 8 सोने के फिर 108 चांदी के, बाकी 16000 तॉम्बे के।
- जैसे देखो पोप मेडल्स देते थे तो सबको सोने का थोड़ेही देंगे।
- कोई को सोने का, कोई को चांदी का।
- माला भी ऐसे बनती है।
- तुम चाहते हो गोल्डन प्राइज लेवें।
- चांदी की लेने से चन्द्रवंशी में आ जायेंगे।
- बाबा कहते हैं मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे और कोई उपाय ही नहीं है।
- यही फुरना रखो पास होने का।
- लड़ाई का थोड़ा जास्ती हंगामा होगा फिर जोर से पुरुषार्थ करने लग पड़ेंगे।
- इम्तहान के टाइम स्टूडेन्ट भी गैलप करने पुरुषार्थ में लग जाते हैं।
- यह बेहद का स्कूल है।
- प्रदर्शनी पर खूब प्रैक्टिस करते रहो।
- प्रोजेक्टर से इतने प्रभावित नहीं होते हैं, जितना प्रदर्शनी देख वन्डर खाते हैं।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) पुरानी दुनिया का विनाश हो उसके पहले अपनी कर्मातीत अवस्था बनानी है, याद में रह सतोप्रधान बनना है।
- 2) सदा यही खुशी रहे कि हमें पढ़ाने वाला स्वयं ऊंचे ते ऊंचा बाप है।
- पढ़ाई अच्छी रीति पढ़नी और पढ़ानी है।
- सुनकर विचार सागर मंथन करना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021)
- निर्विकारी वा फरिश्ते स्वरूप की स्थिति का अनुभव करने वाले आत्म-अभिमानी भव
- जो बच्चे आत्म-अभिमानी बनते हैं वह सहज ही निर्विकारी बन जाते हैं।
- आत्म-अभिमानी स्थिति द्वारा मन्सा में भी निर्विकारीपन की स्टेज का अनुभव होता है।
- ऐसे निर्विकारी, जिन्हें किसी भी प्रकार की इम्प्युरिटी वा 5 तत्वों की आकर्षण आकर्षित नहीं करती - वही फरिश्ता कहलाते हैं।
- इसके लिए साकार में रहते हुए अपनी निराकारी आत्म-अभिमानी स्थिति में स्थित रहो।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- जीवन में अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करने के लिए विशेष अमृतवेले एकान्तप्रिय बनो।
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