-
- आज नव विश्व-निर्माता, विश्व के बाप अपने समीप साथी नव-निर्माणकर्ता बच्चों को देख रहे हैं।
- आप सब बच्चे बाप के नव-निर्माण करने के कार्य में समीप सम्बन्धी हो।
- वैसे विश्व नव-निर्माण के कार्य में प्रकृति भी सहयोगी बनती है, वर्तमान समय के नामीग्रामी वैज्ञानिक बच्चे भी सहयोगी बनते हैं लेकिन आप सभी समीप के साथी हो।
- सभी बच्चों के इस ब्राह्मण-जीवन का विशेष कर्तव्य अथवा सेवा क्या है?
- दिन-रात सेवा के उमंग-उत्साह में उड़ रहे हो।
- किस कार्य के लिए?
- विश्व को नया बनाने के लिए।
- दुनिया वाले तो नया वर्ष मनाते हैं लेकिन आपकी दिल में यह लग्न है - इस विश्व को ऐसा नया बना देवें जो सब बातें नई हो जाएं।
- मनुष्य आत्मायें, चाहे प्रकृति सतोप्रधान नई बन जाए।
- पुरानी दुनिया को तो देख ही रहे हो।
- चारों ओर हाहाकार है।
- तो हाहाकार की दुनिया से जय-जयकार की दुनिया बना रहे हो जिसमें हर घड़ी, हर कर्म, हर वस्तु नई बन जायेगी।
- वैसे भी हर एक व्यक्ति को सब कुछ नया ही अच्छा लगता है ना।
- पुरानी चीजें अगर अच्छी भी लगती हैं तो यादगार-मात्र, यूज़ करने के लिए अच्छी नहीं लगेंगी।
- सिर्फ म्यूजियम में यादगार बनाके रखेंगे लेकिन नई चीज़ हर एक को पसन्द आती है।
- इस समय आप ब्राह्मण आत्मायें पुरानी दुनिया में होते हुए भी नई दुनिया में हो।
- दूसरी आत्मायें पुरानी दुनिया में हैं लेकिन आप कहाँ हो ?
- आप नये युग “संगम'' पर रहते हो।
- पुराना जीवन समाप्त हो गया और अब नये ब्राह्मण-जीवन में हो।
- दुनिया वाले एक दिन नया वर्ष मनाते हैं लेकिन आपका तो है ही नया युग, नई जीवन।
- हर कर्म, हर सेकण्ड नया है।
- तुम हो संगम पर।
- एक तरफ पुरानी दुनिया और दूसरी तरफ नई दुनिया देख रहे हो।
- तो बुद्धि किस तरफ जाती है?
- नये तरफ वा कभी-कभी पुरानी दुनिया तरफ भी चली जाती है?
- पुरानी दुनिया अच्छी लगती है क्या?
- जो चीज़ अच्छी नहीं लगती तो वहाँ बुद्धि क्यों जाती है?
- पुरानी दुनिया से दु:ख, अशान्ति, परेशानी के अनुभव कर लिये हैं या अभी थोड़ा अनुभव करना है?
- आज तो मिलने और मनाने के लिए आये हैं।
- आप सभी भी दूरदेश से आकर पहुंचे हो नया वर्ष मनाने लिए।
- तो नये वर्ष के लिए, अपने लिए, विश्व की सेवा के लिए और अपने समीप साथियों के लिए, प्रकृति के लिए और अपने दूर के परिवार के लिए क्या सोचा?
- नये वर्ष में क्या नया करेंगे?
- सिर्फ अपने लिए तो नहीं सोचना है ना!
- बेहद के बाप के बच्चे आप भी बेहद के हो।
- तो सबका सोचेंगे ना, क्योंकि इस समय बापदादा के साथ आप सभी की भी जिम्मेवारी है।
- बाप है करावनहार लेकिन करने के निमित्त तो आप हो ना!
- बापदादा ने दो वर्ष पहले - नये वर्ष में क्या नवीनता लानी है वह डॉयरेक्शन दिये थे।
- बीच में एक वर्ष एक्स्ट्रा मिल गया।
- तो आज अमृतवेले बापदादा देख रहे थे कि हर एक बच्चे ने अपने में नवीनता कहाँ तक लाई है?
- मन्सा में, वाणी में, कर्म में क्या नवीनता लाई और सेवा-सम्पर्क में क्या नवीनता लाई?
- जो अगले वर्ष मन्सा का चार्ट रहा वह अभी मन्सा का चार्ट क्या है?
- ऐसे सब बातों का चार्ट चेक करो।
- नवीनता अर्थात् विशेषता।
- सब बातों में विशेषता लाई?
- मन्सा की विशेषता उड़ती कला के हिसाब से कैसी है?
- उड़ती कला वालों की विशेषता अर्थात् हर समय हर आत्मा के प्रति स्वत: ही शुभभावना और शुभकामना के शुद्ध वायब्रेशन अपने को और दूसरों को भी अनुभव हों अर्थात् मन से हर समय सर्व आत्माओं प्रति दुआयें स्वत: ही निकलती रहें।
- मन्सा सदा इस सेवा में बिजी रहे।
- जैसे वाचा की सेवा में सदा बिजी रहने के अनुभवी हो गये हो।
- अगर सेवा नहीं मिलती तो अपने को खाली अनुभव करते हो।
- ऐसे हर समय वाणी के साथ-साथ मन्सा सेवा स्वत: ही होनी चाहिए।
- वाचा सेवा के बहुत अच्छे प्लैन्स बनाते हो।
- यह कान्फ्रेन्स करेंगे - नेशनल करेंगे, अभी इंटरनेशनल करेंगे, वर्गीकरण की करेंगे।
- तो वाचा की सेवा में अपने को बिजी रखने के लिए एक के पीछे दूसरा प्लैन पहले ही सोचते हो, इसमें बिजी रहना आ गया है।
- मैजारिटी अच्छे उमंग से इस सेवा में आगे बढ़ रहे हैं।
- बिजी रहने का तरीका आ गया है।
- लेकिन मन्सा सेवा में भी बिजी रहें - इसमें मैनारिटी हैं, मैजारिटी नहीं हैं।
- जब कोई ऐसी बात सामने आती है तो उस समय विशेष मन्सा सेवा की स्मृति आती है।
- लेकिन निरन्तर जैसे वाचा सेवा नेचुरल हो गई है, ऐसे मन्सा सेवा भी साथ-साथ और नेचुरल हो।
- यह विशेषता और ज्यादा चाहिए।
- वाणी के साथ-साथ मन्सा सेवा भी करते रहो तो आपको बोलना कम पड़ेगा।
- बोलने में जो एनर्जी लगाते हो वह मन्सा सेवा के सहयोग कारण वाणी की एनर्जी जमा होगी और मन्सा की शक्तिशाली सेवा सफलता ज्यादा अनुभव करायेगी।
- जितना अभी तन, मन, धन और समय लगाते हो, उससे बहुत थोड़े समय में सफलता ज्यादा मिलेगी और जो अपने प्रति भी कभी-कभी मेहनत करनी पड़ती है - अपनी नेचर को परिवर्तन करने की वा संगठन में चलने की वा सेवा में सफलता कभी कम देख दिलशिकस्त होने की, यह सब समाप्त हो जायेगी।
- छोटी-छोटी बातें जो बड़ी बन जाती हैं, वह सब ऐसे समाप्त हो जायेगी जो आप स्वयं सोचेंगे कि यह तो जादू हो गया!
- अभी जादूमंत्र पसन्द आता है ना!
- तो यह अभ्यास जादू का मन्त्र हो जायेगा।
- जहाँ मन्त्र होता है वहाँ अन्तर जल्दी आता है, इसलिए जादूमन्त्र कहते हैं।
- तो नये वर्ष में जादू का मन्त्र यूज़ करो।
- यह नवीनता वा विशेषता करो और जादू का मन्त्र क्या है?
- मन्सा और वाचा-दोनों का मेल करो।
- दोनों का बैलेन्स, दोनों का मिलन - यही जादू का मन्त्र है।
- जब मन्सा में सदा शुभ भावना वा शुभ दुआयें देने का नेचुरल अभ्यास हो जायेगा तो मन्सा आपकी बिजी हो जायेगी।
- मन में जो हलचल होती है, उससे स्वत: ही किनारे हो जायेंगे।
- अपने पुरुषार्थ में जो कभी दिलशिकस्त होते हो वह नहीं होंगे।
- जादूमन्त्र हो जायेगा।
- संगठन में कभी-कभी घबरा जाते हो।
- सोचते हो - हमने तो वायदा किया था “बाप और मैं'', यह थोड़ेही वायदा किया था कि संगठन में रहेंगे।
- बाप तो बहुत अच्छा है, बाप के साथ रहना भी बहुत अच्छा है लेकिन संगठन में सबके संस्कारों को समझकर चलना यह बहुत मुश्किल है।
- लेकिन यह भी बहुत सहज हो जायेगा क्योंकि मन से, दिल से हर आत्मा के प्रति दुआयें, शुभभावना, शुभकामना पावरफुल होने के कारण दूसरे के संस्कार दब जायेंगे।
- वह आपका सामना नहीं करेंगे और दबते-दबते समाप्त हो जायेंगे।
- फिर कहेंगे - हाँ, हम 40 के साथ भी रह सकते हैं।
- इस वर्ष चारों ओर के देश-विदेश के बच्चों को यह हर समय की नवीनता वा विशेषता अपने में लानी है।
- कभी-कभी सोचते हो ना कि अभी तो 9 लाख पूरे नहीं हुए हैं।
- अन्त तक 33 करोड़ देवतायें हैं - उसकी तो बात ही छोड़ो।
- 9 लाख तो अच्छी आत्मायें चाहिए।
- पहली राजधानी में तो अच्छी आत्मायें चाहिए।
- प्रजा भी अच्छी नम्बरवन चाहिए क्योंकि वन-वन-वन शुरू होगा।
- तो उसमें जो भी प्रकृति होगी, व्यक्ति होंगे, वैभव होंगे - वे सब नम्बरवन होंगे।
- तो अभी नम्बरवन प्रजा 9 लाख बनाई है?
- कितने लाख तैयार किये हैं?
- आप जो रिपोर्ट बनाते हो उसमें तो कभी-कभी वाले भी एड करते हो ना।
- लेकिन अभी तो आधा भी नहीं हुआ है।
- नम्बरवन प्रजा भी कम से कम बाप के स्नेह का अनुभव अवश्य करेगी।
- सहयोग में रहते हैं, वह पहला कदम है।
- लेकिन दूसरा कदम है सहयोगी, स्नेही बनेंगे।
- समर्पण नहीं हो, वह दूसरी बात है लेकिन सदा बाप का स्नेह रहे।
- सिर्फ परिवार वा भाई-बहिनों का स्नेह नहीं।
- अभी यहाँ तक पहुंचे हैं - जो सेवा करते हैं उन्हों प्रति स्नेही बनते।
- लेकिन बाप के स्नेह की अनुभूति करें।
- उन्हों के भी दिल से बाबा निकले तब तो प्रजा बनेंगे।
- ब्रह्मा की प्रजा, पहले विश्व-महाराजन की बनेगी।
- जिसकी प्रजा बननी है, उसका स्नेह तो अभी से चाहिए ना।
- यह जो सोचते हो ना कि अभी तो बहुत सेवा पड़ी है, वह इस मन्सा-वाचा की सम्मिलित सेवा में विहंग-मार्ग की सेवा का प्रभाव देखेगे।
- पहले की सेवा से अभी की सेवा को विहंग-मार्ग की सेवा कहते हो।
- आगे चल करके और विहंग-मार्ग की सेवा का अनुभव करेंगे।
- बापदादा बच्चों की सेवा से खुश हैं।
- जब एक-एक की सेवा को देखते हैं तो एक-एक के प्रति बहुत स्नेह पैदा होता है।
- देश चाहे विदेश में सेवा की धुन तो अच्छी लगी हुई है।
- कितने गांवों में चारों ओर सेवा फैल रही है!
- मेहनत तो करते हैं लेकिन स्नेह के कारण मेहनत नहीं लगती है।
- भाग-दौड़ करके अपने को बिजी रखने की युक्ति अच्छी करते हैं।
- बाप का स्नेह और बाप की मदद ऐसे चला रही है।
- बापदादा बच्चों को देख खुश होते हैं - कितनी सेवा कर रहे हैं।
- जहाँ तक जैसे की है, बहुत अच्छा किया है।
- अभी और विहंग-मार्ग की सेवा के लिए जो विधि सुनाई, इससे क्वालिटी की आत्मायें समीप आयेंगी और वह क्वालिटी की आत्मायें अनेकों के निमित्त बनेंगी।
- एक से अनेक होते हुए विहंग-मार्ग की सेवा हो जायेगी।
- लेकिन क्वालिटी की सेवा में उन्हों को निमित्त बनाने अथवा उन्हों की बुद्धि को टच करने के लिए अपनी मन्सा बहुत शक्तिशाली चाहिए क्योंकि क्वालिटी वाली आत्मायें वाणी में तो पहले ही होशियार होती हैं लेकिन अनुभूति में कमजोर होती हैं, बिल्कुल ही खाली होती हैं।
- तो जो जिस बात में कमजोर होते हैं, उसको उसी कमजोरी का ही तीर लग सकता है और जब अनुभूति होती है तब समझते हैं कि यह तो हमारे से ऊंचे हैं।
- नहीं तो कभी-कभी मिक्स कर देते - आप लोग भी बहुत अच्छे हैं और भी सब अच्छे हैं, आपको भी भगवान् आशीर्वाद दे।
- यही कहके समाप्त कर देते हैं।
- लेकिन यह आशीर्वाद से चल रहे हैं, परमात्म-आशीर्वाद से इन्हों की जीवन है - अब यह अनुभूति करानी है।
- अभी तो थोड़ा-थोड़ा अभिमान होता है।
- अपने को बड़ा समझने कारण समझते हैं इन्हों को हिम्मत दिलाते हैं।
- लेकिन फिर समझेंगे कि यह हमको भी हिम्मत दिलाने वाले हैं।
- अभी ऐसा जादू का मन्त्र चलाओ।
- अभी तो वाणी की सेवा द्वारा धरनी बनाई है, हल चलाया है, धरनी को सीधा किया है।
- इतनी रिजल्ट निकाली है।
- बीज भी डाला है लेकिन अभी उस बीज को प्राप्ति का पानी चाहिए।
- तो फल निकलने का अनुभव करेंगे।
- मन्सा की क्वालिटी को बढ़ाओ तो क्वालिटी समीप आयेगी।
- इसमें डबल सेवा है।
- स्व की भी और दूसरों की भी।
- स्व के लिए अलग मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।
- प्रालब्ध प्राप्त है, ऐसी स्थिति अनुभव होगी।
- भविष्य प्रालब्ध तो है विश्व का राज्य लेकिन इस समय की प्रालब्ध है “सदा स्वयं सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न रहना और सम्पन्न बनाना''।
- इस समय की प्रालब्ध सबसे श्रेष्ठ है।
- भविष्य की तो है ही गारंटी।
- भगवान की गारंटी कभी बदल नहीं सकती।
- तो ऐसा नया वर्ष मनायेंगे ना?
- सबसे पहले सेवा आरम्भ कौन करेगा?
- मधुबन।
- क्योंकि मधुबन वालों को कहते हैं - चुल पर भी हैं और दिल पर भी हैं, बेहद के भण्डारे से सदा ब्रह्मा भोजन खाने वाले हैं।
- वैसे तो इस समय आप सब मधुबन में बैठे हो, मधुबन निवासी हो और आप लोगों से अगर कोई पूछे - आपकी परमानेन्ट एड्रेस कौन सी है?
- तो मधुबन ही कहेंगे ना!
- वा जहाँ रहते हो वह परमानेन्ट एड्रेस है?
- ब्रह्माकुमार/कुमारी अर्थात् परमानेन्ट एड्रेस एक ही है, बाकी वहाँ सेवा के लिए भेजा गया है।
- ऐसे नहीं - हम तो विदेशी हैं, नहीं।
- हम ब्राह्मण हैं, बाप ने वहाँ भेजा है सेवा अर्थ।
- यह बुद्धि की टचिंग से आपको वहाँ भेजा गया है।
- बाप के संकल्प से वहाँ पहुंचे हो।
- राज्य भारत में करेंगे वा लण्डन में?
- कभी भी यह नहीं सोचना हम तो विदेश में पैदा हुए हैं तो वहाँ के हैं।
- ब्रह्मा से पैदा हुए न कि विदेश से।
- नहीं तो फिर विदेशी-कुमार, विदेशी कुमारी कहलाओ।
- ब्रह्माकुमार/ब्रह्माकुमारी हो ना!
- जैसे भारत में कोई यू.पी. के हैं, कोई देहली के हैं।
- वैसे आप भी सेवा अर्थ गये हो विदेश में।
- विदेशी हो नहीं।
- यह नशा है ना।
- सेवास्थान वह है, जन्म स्थान मधुबन है।
- वह हिसाब-किताब खत्म हुआ तब तो ब्राह्मण बनें।
- हिसाब खत्म तो हिसाब का किताब ही जल गया।
- गवर्मेन्ट से छूटने के लिए भी किताबों को ही जला देते हैं ना।
- तो पुराना खाता खत्म कर दिया ना!
- कोई होशियार होते हैं तो वह पूरा ही अपना खाता खत्म कर देते हैं और जो होशियार नहीं होते वह कहीं-न कहीं कर्ज में अटके हुए होते हैं, उधार में फंसे हुए होते हैं।
- होशियार कभी भी फंसे हुए नहीं होते।
- तो हिसाब का किताब खत्म माना कोई उधार नहीं, सब खाते साफ।
- सबसे अच्छी रीति-रस्म ब्राह्मणों की है। अच्छा।
- चारों ओर के सर्व सेवा के समीप साथियों को, सर्व हिम्मतवान और बाप के मदद के पात्र आत्माओं को, सदा मन्सा और वाचा - डबल सेवा साथ-साथ करने वाले विहंग-मार्ग के सेवाधारियों को, सदा बाप के समान सर्व आत्माओं प्रति दुआयें देने वाले मास्टर सतगुरू बच्चों को, सदा स्वयं में हर समय नवीनता वा विशेषता लाने वाले सर्वश्रेष्ठ आत्माओं को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- वरदान:-
- ( All Blessings 2021 2022)
- कम समय में सम्पूर्णता की श्रेष्ठ मंजिल को प्राप्त करने वाले डबल लाइट भव
- डबल लाइट स्थिति तीव्रगति के पुरूषार्थ की निशानी है, उसे किसी भी प्रकार का बोझ अनुभव होगा।
- चाहे प्रकृति द्वारा या व्यक्तियों द्वारा कोई भी परिस्थिति आये लेकिन हर परिस्थिति स्व-स्थिति के आगे कुछ भी अनुभव नहीं होगी।
- डबल लाइट अर्थात् ऊंचा रहने से किसी भी प्रकार का प्रभाव, प्रभावित नहीं कर सकता।
- नीचे की बातों से, नीचे के वायुमण्डल से ऊपर रहने से कम समय में सम्पूर्ण बनने की श्रेष्ठ मंजिल को प्राप्त कर लेंगे।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021)
- दु:खधाम से किनारा कर लो तो दु:ख की लहर समीप नहीं आ सकती।
लवलीन स्थिति का अनुभव करो
आप लवलीन बच्चों का संगठन ही बाप को प्रत्यक्ष करेगा।
संगठित रूप में अभ्यास करो, मैं बाबा का, बाबा मेरा।
सब संकल्पों को इसी एक शुद्ध संकल्प में समा दो।
एक सेकण्ड भी इस लवलीन अवस्था से नीचे नहीं आओ।
|