03-01-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - ब्रह्मा सो विष्णु, विष्णु सो ब्रह्मा कैसे बनते हैं, दोनों एक दो की नाभी से कब निकलते हैं, यह राज़ सिद्ध कर समझाओ''
प्रश्नः-
कौन सी गुप्त बात महीन बुद्धि वाले बच्चे ही समझ सकते हैं?
उत्तर:-
हम सबकी बड़ी मां, यह ब्रह्मा है, जिसके हम मुख वंशावली हैं।
यह बड़ी गुप्त बात है।
ब्रह्मा की बेटी है सरस्वती।
वह है सबसे होशियार, गॉडेज आफ नॉलेज।
बाप ने ज्ञान का कलष माताओं पर रखा है।
माता की लोरी गाई हुई है।
वह सबको समझाये कि विश्व में शान्ति कैसे हो सकती है।
गीत:-
भोलेनाथ से निराला...
|
-
ओम् शान्ति।
- बिगड़ी को बनाने वाला जरूर भगवान को ही कहेंगे न कि शंकर को।
- भोलानाथ भी शिव को ही कहेंगे, शंकर को नहीं।
- खिवैया भी शिव को ही कहेंगे, न शंकर को, न विष्णु को।
- खिवैया अथवा गॉड फादर कहने से बुद्धि निराकार तरफ चली जाती है।
- त्रिमूर्ति का चित्र तो नामीग्रामी है।
- गवर्मेन्ट का जो कोट आफ आर्मस है, वह जानवरों का बना दिया है।
- और उस पर लिख दिया है सत्यमेव जयते।
- अब जानवरों के साथ तो कोई अर्थ निकलता नहीं।
- गवर्मेन्ट के कोट ऑफ आर्मस की मोहर होती है।
- जो भी बड़ी-बड़ी राजधानियां हैं उन सबके कोट ऑफ आर्मस हैं।
- भारत में त्रिमूर्ति मशहूर है।
- ब्रह्मा विष्णु शंकर, उसमें शिव का चित्र गुम कर दिया है क्योंकि उनकी नॉलेज ही नहीं है।
- गॉड फादर कहने से बुद्धि निराकार की तरफ चली जयेगी।
- ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को गॉड फादर नहीं कहेंगे।
- गॉड फादर है आत्माओं का।
- वह ऊंचे ते ऊंचा ठहरा।
- दिखाते भी हैं ऊंचे ते ऊंचा भगवान।
- ऐसे नहीं ऊंचे ते ऊंचा ब्रह्मा कहेंगे वा विष्णु वा शंकर को कहेंगे।
- नहीं, ऊंचे से ऊंचा एक भगवान है।
- यह सभी जानते हैं।
- सिक्ख लोग भी उनकी महिमा गाते हैं।
- गुरू नानक को भी यह ज्ञान था कि मनुष्य को देवता बनाने वाला परमपिता परमात्मा के सिवाय कोई हो नहीं सकता।
- सतयुग में तो देवतायें रहते हैं जरूर।
- परन्तु देवताओं को रचने वाला परमात्मा ही है।
- वह देवताओं को कैसे रचते हैं, यह नहीं जानते।
- महिमा गाते हैं - मूत पलीती कप्पड़ धोए।
- तो जो मनुष्य मूत पलीती थे उनको देवता बनाया।
- परन्तु बनाया कब यह नहीं लिखा है।
- तुम जानते हो बरोबर इस समय परमात्मा मनुष्य को देवता बना रहे हैं।
- जरूर दुर्गति से सद्गति की होगी, भ्रष्टाचारी को श्रेष्ठाचारी बनाया होगा!
- तुम समझा सकते हो इस भारत में ही श्रेष्ठाचारी देवता थे।
- गुरू नानक जब आये तब तो भ्रष्टाचारी दुनिया थी ना, तब तो गाते थे।
- लक्ष्मी-नारायण आदि के चित्र तो रहते हैं ना, जिनके साथ ही इनकी कम्पीटीशन होती है।
- गुरू गोविन्दसिंह का जन्म बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
- सिक्ख धर्म का रचयिता है।
- खुद कहते हैं भगवान निराकार-निरहंकारी है।
- आकर मनुष्य को पतित से पावन देवता बनाते हैं।
- श्रीकृष्ण मनुष्य को देवता नहीं बना सकते।
- गीता में भी है मैं तुमको सहज राजयोग सिखलाकर श्रेष्ठाचारी महाराजा महारानी बनाता हूँ।
- पतित-पावन गॉड फादर को ही कहेंगे।
- वह जरूर आयेंगे भ्रष्टाचारी दुनिया में।
- उनको कहते हैं आकर पावन बनाओ।
- श्रेष्ठाचारी बनाने वाला तो एक ही निराकार बाप ऊंचे ते ऊंचा भगवान है फिर है ब्रह्मा, विष्णु, शंकर, यह हुई रचना परमपिता परमात्मा की।
- जिसका चित्र तो है नहीं।
- अब बाप समझाते हैं विष्णु की नाभी से ब्रह्मा निकला फिर ब्रह्मा की नाभी से विष्णु कैसे निकलेंगे क्योंकि ब्रह्मा सो विष्णु, विष्णु सो ब्रह्मा बनते हैं।
- ब्रह्मा द्वारा स्थापना फिर वही ब्रह्मा सरस्वती दूसरे जन्म में विष्णु के दो रूप लक्ष्मी-नारायण बन पालना करते हैं।
- तो ब्रहमा सरस्वती सो लक्ष्मी-नारायण।
- ब्रह्मा कहेंगे हम सो विष्णु के दो रूप लक्ष्मी-नारायण बनते हैं।
- लक्ष्मी-नारायण फिर कहेंगे हम सो ब्रह्मा सरस्वती तो एक दो के नाभी से निकले ना।
- हम सो देवता फिर क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बनें।
- यह बहुत समझने की बातें हैं।
- बाबा ने समझाया जिस ब्रह्मा के तन में मैंने प्रवेश किया है उनके पूरे 84 जन्म हुए हैं।
- बाकी कोई रथ आदि की बात नहीं।
- वह सब झूठ है।
- इस संगम के समय का किसको पता नहीं है।
- मनुष्यों को घोर अंधकार में डाल दिया है।
- कलियुग की आयु इतने लाखों वर्ष की है।
- सतयुग की आयु इतनी है।
- ऐसी-ऐसी बातें सुनाए घोर अंधकार में डाल दिया है।
- बाप कहते हैं मैं उन बच्चों के आगे सम्मुख होता हूँ जो मुझे पहचानते हैं।
- बाकी तो मुझे पहचानते ही नहीं।
- वह समझेंगे भी नहीं कि यह कौन हैं।
- कोई बड़ी सभा में जाओ तो वह समझेंगे थोड़ेही।
- तुम्हारे में भी मुश्किल ही समझते हैं।
- घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं।
- यह तो बड़े ते बड़ी हाइएस्ट अथॉरिटी है।
- पोप का देखो कितना रिगार्ड रखते हैं।
- पोप कौन है?
- वह है क्रिश्चियन घराने का।
- यह है अन्तिम जन्म।
- क्राइस्ट के समय से पुनर्जन्म लेते अब तमोप्रधान अवस्था में है।
- सभी पतित हैं।
- एक दो को दु:ख देते रहते हैं।
- बाप कहते हैं - यह भी बना बनाया खेल है।
- तो ऊंचे ते ऊंचा है निराकार भगवान फिर ब्रह्मा विष्णु शंकर।
- ब्रह्मा द्वारा स्थापना।
- जिससे स्थापना होती है उनसे ही पालना होगी।
- तो इन ब्रह्मा सरस्वती को फिर लक्ष्मी-नारायण बनना है।
- लक्ष्मी-नारायण ही अभी आकर ब्रह्मा सरस्वती बने हैं।
- प्रजापिता की यह हैं मुख वंशावली।
- कृष्ण को प्रजापिता नहीं कहेंगे।
- इनका नाम ही प्रजापिता ब्रह्मा है।
- ब्रह्मा द्वारा जरूर ब्राह्मण चाहिए।
- बाप कहते हैं ब्रह्मा को एडाप्ट करता हूँ।
- मुझे उनको ही ब्रह्मा बनाना है, जो पूरे 84 जन्म भोग अभी अन्तिम जन्म में है।
- ब्रह्मा तो एक ही होगा ना।
- यह अपने जन्मों को नहीं जानते हैं तो जैसे ब्रह्मा को बैठ समझाते हैं तो जरूर ब्राह्मण भी होंगे।
- ब्राह्मण हैं ब्रह्मा के मुख वंशावली।
- यह सब एडाप्टेड चिल्ड्रेन कुमार-कुमारियां हैं।
- प्रजापिता के जरूर मुख वंशावली होंगे।
- यह बहुत समझने की बातें हैं।
- खुद समझाते हैं मुझे बहुत जन्मों के अन्त में आना पड़ता है।
- सतयुग में पहले-पहले यह लक्ष्मी-नारायण थे।
- जरूर इन्होंने ही 84 जन्म लिए होंगे।
- औरों ने जरूर कम लिये होंगे।
- यह ब्रह्मा-सरस्वती ही फिर विष्णु युगल बनेगा।
- तो कितनी समझने की बातें हैं।
- पहले-पहले तो यह निश्चय चाहिए कि यह नॉलेज कृष्ण नहीं दे सकते।
- अच्छा फिर गाते हैं आपेही पूज्य, आपेही पुजारी।
- भक्ति मार्ग में पुजारी हैं, ज्ञान मार्ग में पूज्य हैं।
- विष्णु के दो रूप बरोबर पूज्य थे।
- फिर यह ब्रह्मा ही पुजारी बन विष्णु की पूजा करते थे।
- कहते हैं हम सो पुजारी थे विष्णु के।
- अब हम सो विष्णु पूज्य बन रहा हूँ, तत्त्वम्।
- इसको गुह्य ते गुह्य बात कही जाती है।
- ब्रह्मा कहाँ से आया!
- विष्णु कहाँ गया!
- यह तुम ही जानते हो।
- विष्णु के दो रूप लक्ष्मी-नारायण को 84 जन्म पूरे कर अन्त में पतित बनना है।
- डिनायस्टी ही पतित हो तब तो मैं आकर स्थापना करूँ और सब धर्मों को खलास कर दूँ।
- फिर से सहज राजयोग सिखलाकर श्रेष्ठाचारी देवी-देवता धर्म की स्थापना कर, बाकी जो भ्रष्टाचारी धर्म हैं उन सबका विनाश कराता हूँ।
- रामराज्य में दूसरा कोई धर्म होता नहीं।
- अभी सब धर्म हैं।
- भारत का असली धर्म है नहीं, वह फिर से स्थापन हो रहा है।
- चित्र भी हैं।
- त्रिमूर्ति के ऊपर शिव भी है।
- ब्रह्मा सरस्वती सो लक्ष्मी-नारायण, वही राधे कृष्ण थे।
- राजधानी राधे की अपनी थी।
- तो कृष्ण अपनी राजधानी के थे।
- ज्ञान की सितार राधे के पास नहीं है।
- सरस्वती नॉलेज से भविष्य में राधे बनी है।
- सरस्वती को गॉडेज आफ नॉलेज कहते हैं।
- उनको जरूर बाप द्वारा नॉलेज मिली होगी।
- सरस्वती है ब्रह्मा की बेटी।
- प्रजापिता ब्रह्मा है तो जगत अम्बा भी चाहिए।
- वास्तव में यह है गुप्त बात।
- बड़ी अम्बा तो यह ब्रह्मा है।
- इन द्वारा ज्ञान देते हैं माताओं को।
- वह बड़ी बेटी जगत अम्बा गाई जाती है।
- नहीं तो ब्रह्मा मुख द्वारा एडाप्ट होते हो तो माता यह हो गई।
- होशियार में होशियार ब्रह्मा की बेटी सरस्वती है।
- वह कहाँ से आई?
- ब्रह्मा को स्त्री तो नहीं है।
- वह है ही प्रजापिता।
- तो वह है मुख वंशावली।
- यह ड्रामा भी अनादि बना बनाया है।
- तो गॉडेज आफ नॉलेज सरस्वती है।
- अब रिलीजस कान्फ्रेन्स होती है उसमें निराकार शिवबाबा तो जा नहीं सकते।
- ब्रह्मा को भी नहीं बिठा सकते।
- माता की महिमा है।
- सभी धर्म वालों की हेड माता होनी चाहिए।
- सभी की माता जगत अम्बा बैठ लोरी दे।
- बच्चे पैदा होते हैं माँ द्वारा।
- जगत अम्बा सबकी माता ठहरी, तो सबको उनके आगे माथा झुकाना पड़े।
- माता समझा सकती है - यह भ्रष्टाचारी दुनिया श्रेष्ठाचारी कैसे बने वा इस भारत में शान्ति कैसे स्थापन हो।
- रावणराज्य में शान्ति हो न सके।
- शान्ति कहाँ से मिलती है - यह माता ही समझा सकती है।
- शान्तिधाम है निर्वाणधाम।
- यह है दु:खधाम।
- सतयुग है सुखधाम।
- बरोबर सतयुग में एक राज्य था।
- सुख शान्ति पवित्रता सब कुछ था।
- अभी नहीं है।
- तो जरूर ड्रामा पूरा होगा।
- झाड़ की भी आयु पूरी हुई है।
- देवताओं के भी 84 जन्म पूरे हुए हैं।
- 84 लाख जन्म तो हो न सके।
- इस्लामी, बौद्धी धर्म वालों को इतने वर्ष हुए तो फिर 84 लाख जन्म कैसे होंगे।
- बाल युवा वृद्ध होने में समय लगता है।
- 84 लाख जन्म हो तो फिर लम्बा चौड़ा कल्प हो जाए।
- तो यह माता समझायेगी तुम्हारा परमपिता परमात्मा से क्या सम्बन्ध है।
- वह तो फादर रचयिता है ना।
- पहले ब्रह्मा, विष्णु शंकर को रचते होंगे फिर ब्रह्मा द्वारा मनुष्य सृष्टि रचते हैं।
- ऐसे नहीं कोई नई दुनिया रचते हैं।
- अगर ऐसा हो तो फिर मनुष्य ऐसे नहीं कहें कि पतित-पावन आओ।
- इस समय सारी दुनिया पतित है, सब दुर्गति को पाये हुए हैं।
- याद करते रहते हैं ओ गॉड फादर रहम करो।
- हमको इन मायावी दु:खों से छुड़ाओ।
- तो वह फिर दु:ख कैसे देंगे।
- दु:ख देने वाला जरूर और है।
- सतयुग में जब एक धर्म था तो और सब धर्म की आत्माएं निर्वाणधाम में थी।
- अभी तो सभी आत्माएं यहाँ हैं तो फिर जरूर बाप को आकर एक धर्म की स्थापना करनी है।
- ब्रह्मा द्वारा स्थापना फिर वही ब्रह्मा, विष्णु बनते हैं।
- फिर विष्णु की नाभी से ब्रह्मा निकलते हैं।
- उनसे बैठ ज्ञान देता हूँ जो फिर देवता बनते हैं।
- राजयोग सीखते हैं।
- बाकी दुनिया वालों ने जो अनेक चित्र बनाये हैं, वह हैं सब दन्त कथायें।
- मुख्य बात है गीता माता का भगवान कौन?
- समझाना है - परमपिता परमात्मा जन्म देते हैं विष्णु को।
- ब्रह्मा को भी जन्म देंगे ना।
- वह तो देवताये हैं सतयुग के।
- ब्रह्मा कहाँ का?
- जरूर कलियुग का होगा।
- बहुत जन्मों के अन्त का जन्म जरूर देवताओं का ही होगा।
- जो श्रेष्ठाचारी थे, अब भ्रष्टाचारी हैं।
- दो युग में सूर्यवंशी, चन्द्रवंशियों का राज्य, 4 भाग हैं।
- लाखों वर्ष की बात नहीं।
- कहते हैं क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले भारत स्वर्ग था।
- यह सब अच्छी तरह समझाना पड़े।
- बाप कहते हैं यह सब एडाप्टेड चिल्ड्रेन हैं।
- अब विनाश सामने खड़ा है।
- भ्रष्टाचारी भारत को कोई मनुष्य श्रेष्ठाचारी बना नहीं सकता।
- बाबा ने समझाया है तो जब देवतायें वाम मार्ग में जाते हैं तो फिर यह संन्यासी पवित्रता के बल से भारत को थमाते हैं।
- इस समय तो सब पतित बन गये हैं।
- नदी तो सागर से निकलती है, नदियों को पतित-पावनी कह उसमें स्नान करते हैं।
- अब नदियां तो सब जगह हैं।
- नदी कैसे पतित-पावन हो सकती है।
- पतित-पावन तो एक ही परमपिता परमात्मा है।
- यहाँ तो ज्ञान गंगायें चाहिए जो मनुष्य को भ्रष्टाचारी से श्रेष्ठाचारी बनायें - सहज राजयोग से।
- बाप कहते हैं मैं सर्वशक्तिमान हूँ, मेरे से योग लगाने से ही सर्व विकर्म विनाश होंगे।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) सबसे बड़े ते बड़ी हाइएस्ट अथॉरिटी बाप है, उसे यथार्थ रूप से पहचान कर रिगार्ड रखना है।
- उनकी श्रीमत पर पूरा-पूरा चलना है।
- 2) बाप ने ज्ञान का कलष माताओं को दिया है, उन्हें आगे रखना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021-22)
- सब कुछ बाप हवाले कर डबल लाइट रहने वाले बाप समान न्यारे-प्यारे भव
डबल लाइट का अर्थ है सब कुछ बाप हवाले करना।
- तन भी मेरा नहीं। ये तन सेवा अर्थ बाप ने दिया है।
- आपका तो वायदा है कि तन-मन-धन सब तेरा।
- जब तन ही अपना नहीं तो बाकी क्या रहा।
- तो सदा कमल पुष्प का दृष्टान्त स्मृति में रहे कि मैं कमल पुष्प समान न्यारा और प्यारा हूँ।
- ऐसे न्यारे रहने वालों को परमात्म प्यार का अधिकार मिल जाता है।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021-22)
- मर्यादाओं की लकीर के अन्दर रहने वाले ही मर्यादा पुरूषोत्तम हैं।
- लवलीन स्थिति का अनुभव करो
- आपके नयनों में और मुख के हर बोल में बाप समाया हुआ हो। तो आपके शक्तिशाली स्वरूप द्वारा सर्वशक्तिवान नज़र आयेगा। जैसे आदि स्थापना में ब्रह्मा रूप में श्रीकृष्ण दिखाई देता था, ऐसे अभी आप बच्चों द्वारा सर्वशक्तिवान् दिखाई दे।
|