26-01-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - संगम पर तुम्हें बेहद का बाप मिला है, तुम आपस में भाई-बहन हो, तुम्हें बाप से वर्सा लेना है।''
प्रश्नः-
बाप की किस श्रीमत से हर चीज़ को पत्थर से पारस बना सकते हो? उत्तर:-
बाप की श्रीमत है बच्चे, तुम्हारे पास जो कुछ भी है, उसे ईश्वरीय बैंक में जमा कर दो तो वह पत्थर से पारस हो जायेगा।
बाबा तो देने वाला है, वह तुमसे कुछ भी लेता नहीं लेकिन तुम्हारे पास जो भी एक्स्ट्रा है उसको सफल करो।
किसी से कर्जा आदि नहीं लेना है।
गीत:-तूने रात गंवाई सोके...
|
-
ओम् शान्ति।
- गीत तो सुना है।
- जो अच्छे-अच्छे गीत हैं, वह सेन्टर्स पर होने चाहिए।
- यह तो बाबा ने बनवाये हैं।
- तुम्हारी बुद्धि में और कोई शास्त्र आदि नहीं हैं।
- तुम सब कुछ पढ़े हुए हो, जानते हो।
- परन्तु अभी वह कुछ भी बुद्धि में नहीं है।
- बाप कहते हैं पढ़ा हुआ सब भूल जाओ, आप मुये मर गई दुनिया।
- समझना है हम आत्मा हैं, अभी हम जाते हैं अपने घर।
- फिर इस शास्त्रों की पढ़ाई आदि को हम क्या करेंगे!
- वेद शास्त्र तो साथ नहीं चलने हैं।
- हाँ यह पढ़ाई साथ चलती है।
- यह है अमरलोक के लिए अमरकथा।
- हमारा बाबा भी है अमरनाथ।
- हम सब पार्वतियां हैं।
- अमर कथा सुन रही हैं, शिवबाबा द्वारा।
- वह है ऊंचे ते ऊंचा, वह अमरनाथ है शिवबाबा।
- अमरनाथ पर बर्फ का लिंग बनाते हैं, जिसकी पूजा आदि करते हैं।
- अब निराकार की पूजा थोड़ेही हो सकेगी।
- ऐसे नहीं अपने आप कोई शिवलिंग बन जाता है।
- खुद बनाते हैं।
- फिर झूठी बातें बहुत सुनाते हैं।
- अमरनाथ अथवा शंकर पार्वती वहाँ कहाँ से आये।
- वह तो कोई मान-सरोवर नहीं।
- सच्चा-सच्चा मान-सरोवर यह (ब्रह्मा) है।
- निराकार शिवबाबा है ज्ञान का सागर, वह जब तक इनमें न आये तब तक मान-सरोवर कैसे हो!
- आत्मा में ज्ञान है परन्तु सुनावे कैसे?
- जब तक मनुष्य तन न ले।
- तो तुम सब हो ज्ञान मान-सरोवर।
- परन्तु नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार हैं।
- कोई बड़ी नदी है, कोई कैनाल है, कोई टुबका है।
- यह बाबा बैठ समझाते हैं।
- बच्चे जानते हैं हम हैं ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारी।
- ब्रह्मा का बाप है शिव।
- यह तो बुद्धि में है ना - हम शिवबाबा के पोत्रे पोत्रियां हैं।
- यूँ तो शिवबाबा के बच्चे हैं लेकिन अभी शरीर में आये हैं।
- वह है निराकार इसलिए उनके पोत्रे ब्रह्मा के बच्चे और बच्चियां हैं।
- तो हम भाई-बहिन ठहरे।
- सभी को वर्सा मिलता है दादे से।
- तुम यहाँ बैठे हो, जानते हो हम ब्रह्माकुमार-कुमारियां हैं।
- शिवबाबा हमारा दादा है।
- ऐसे जो निश्चय करते हैं - उनको कहा जाता है ईश्वरीय औलाद।
- तुम कहते हो हम ईश्वरीय कुल के हैं।
- ईश्वर से वर्सा पा रहे हैं।
- भाई-बहिन होने के कारण हम विकार में जा नहीं सकते।
- नहीं तो वह क्रिमिनल एसाल्ट हो जाए।
- उसको बहुत खराब कहा जाता है इसलिए बाबा कहते हैं बच्चे खबरदार रहना।
- भाई-बहिन कहलाकर फिर अगर विकार में गये तो बहुत कड़ी सज़ा भोगनी पड़ेगी।
- सतगुरू बाप का निंदक ठौर न पाये।
- वह गुरू लोग तो बहुत हैं।
- यह तो एक ही बार सतगुरू मिलते हैं।
- यह है बेहद का बाप।
- सतयुग में फिर दैवी बाबायें मिलेंगे।
- अब संगम पर तुम हो ईश्वरीय बाबा के बच्चे और बच्चियां।
- शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा पढ़ा रहे हैं।
- कहते हैं हमको गॉड ने नॉलेज दी।
- मम्मा है गॉडेस ऑफ नॉलेज।
- तो जरूर चिल्ड्रेन भी कहेंगे - हम हैं गॉडेस आफ नॉलेज।
- मात-पिता नॉलेज दे रहे हैं सृष्टि चक्र की।
- गॉड ब्रह्मा को नहीं कहेंगे।
- गॉड तो एक है, बाकी रहे उनके बच्चे - ब्रह्मा और ब्रह्माकुमार कुमारियां।
- अभी यह (ब्रह्मा) गॉडेस तो गुप्त है और मम्मा गॉडेस आफ नॉलेज तो प्रत्यक्ष है।
- वास्तव में बच्चे तो तुम ब्रह्मा के ठहरे ना।
- उनको कहा जाता है गॉड आफ नॉलेज।
- उनको नॉलेज मिली शिव से।
- फिर भी ब्रह्मा को गॉड नहीं कह सकते।
- गॉड एक है।
- तुम जानते हो कल्प पहले भी जरूर परमपिता परमात्मा ने ब्रह्मा द्वारा सृष्टि रची होगी तो जरूर पहले-पहले ब्राह्मण होंगे।
- दूसरे जो यज्ञ होते हैं, उनमें कोई ऐसा नहीं होता जो वर्षों तक यज्ञ चले।
- अक्सर करके 7 रोज़ चलता है।
- इस यज्ञ को कहा जाता है इम्पेरिशेबल (अविनाशी) यज्ञ अर्थात् बहुत समय चलने वाला रूद्र ज्ञान यज्ञ।
- कितना समय चलने वाला है, यह कोई नहीं जानते।
- अन्त तक चलना ही है।
- इस पुरानी दुनिया की सामग्री स्वाहा होने वाली है और कोई ऐसा रूद्र ज्ञान यज्ञ रच नहीं सकता है।
- भक्ति मार्ग में फिर इस नाम से छोटे-छोटे यज्ञ रचते हैं।
- कोई रूद्र यज्ञ भी कहते हैं।
- रूद्र ज्ञान यज्ञ रचेंगे तो वहाँ गीता सुनायेंगे या वेद आदि सुनायेंगे।
- रूद्र ने तो गीता सुनाई है परन्तु फिर भूल जाते हैं।
- कृष्ण का नाम कह देते हैं।
- यह नहीं जानते रूद्र ज्ञान यज्ञ से सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी डिनॉयस्टी बनी।
- अभी तुम सामने बैठे हो।
- जरूर शिवबाबा, ब्रह्मा बाबा याद पड़ेगा।
- वह ब्राह्मण लोग तो सिर्फ कह देते हैं हम ब्रह्मा की औलाद हैं।
- देवताओं की औलाद देवता होंगे।
- क्षत्रिय की औलाद क्षत्रिय होंगे।
- वर्ण तो हैं ना।
- इनको कोई जानते नहीं।
- जब कोई को समझाओ तो बोलो तुम भी बी.के. हो।
- प्रजापिता नाम तो है ना।
- जो पास्ट हुआ है सो फिर जरूर प्रजेन्ट होगा ना।
- गाया हुआ है परमपिता परमात्मा ब्रह्मा मुख कमल से ब्राह्मण और सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी धर्म की स्थापना करते हैं।
- नहीं तो
- पूछना चाहिए प्रजापिता ब्रह्मा जो थे वह कहाँ गये?
- सृष्टि रची होगी तो पहले-पहले ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण होंगे।
- तुम जानते हो - हम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण हैं।
- मम्मा बाबा कहते हैं, पत्र लिखते हैं।
- बोर्ड भी लिखा हुआ है।
- तुम समझा सकते हो - यह शिवबाबा तुम्हारा क्या लगता है!
- सर्वव्यापी तो कह न सकें।
- पिता को सर्वव्यापी थोड़ेही कहेंगे।
- अच्छा भला ब्रह्मा तुम्हारा क्या लगता है?
- यह जरूर होकर गये हैं तब तो यादगार बना हुआ है।
- अब फिर रचना रच रहे हैं।
- तो हमारा बाप ब्रह्मा है।
- परमपिता परमात्मा ब्रह्मा मुख कमल द्वारा पढ़ा रहे हैं।
- हम उन द्वारा राजयोग सीखते हैं, तुम भी सीखो तो 21 जन्मों के लिए बाप से वर्सा पायेंगे।
- नहीं तो नहीं पायेंगे।
- कोटों में कोई आकर ज्ञान सुनेंगे।
- जो ब्रह्मा की औलाद 5 हजार वर्ष पहले बने होंगे।
- सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी पद पाया होगा, वही पायेंगे।
- अभी तो नहीं है ना।
- फिर से बनेंगे।
- बाप आये हैं पतित से पावन, मनुष्य से देवता बनाने।
- फिर भी ब्रह्मा ही चाहिए।
- हम बी.के. अब ईश्वरीय औलाद हैं।
- यज्ञ रचा है, ब्राह्मण जरूर बनेंगे।
- ब्राह्मणों की चोटी है ना।
- परन्तु तुमने शायद सदा सुख का वर्सा नहीं लिया होगा, तब मानते नहीं हो।
- इतने सब ढेर बी.के. हैं, वृद्धि होती ही रहेगी।
- अभी तुम बापदादा की याद में, परमपिता परमात्मा के सम्मुख बैठे हो।
- इसको कहा जाता है ओमनी प्रेजन्ट।
- हजूर तो अभी हाज़िर है ना।
- क्या करते हैं?
- जरूर कर्म करते होंगे।
- कर्म, अकर्म, विकर्म का राज़ समझा रहे हैं, सम्मुख।
- परमात्मा ही मनुष्य सृष्टि का बीजरूप है, जिसमें सारे सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान है, वह नॉलेजफुल है।
- ऐसे नहीं कि हर एक मनुष्य की बुद्धि में क्या है, वह जानेंगे, नहीं।
- बाप कहते हैं मैं आकर तुम बच्चों को राजयोग और ज्ञान सिखलाता हूँ, जिस योग लगाने से तुम पावन बन जायेंगे।
- और इस सृष्टि चक्र को समझने से प्योरिटी का ताज और रतन जड़ित ताज आ जायेगा, इसको अविनाशी ज्ञान रत्न कहते हैं।
- योग से हेल्थ, ज्ञान से वेल्थ मिलती है।
- हेल्थ वेल्थ है तो हैपीनेस भी है।
- तुमको हेल्थ, वेल्थ, हैपी सब कुछ मिलता है।
- योग से विकर्म विनाश हो और लाइट का ताज आ जायेगा।
- देवतायें एवरहेल्दी, वेल्दी रहते हैं।
- स्वदर्शन चक्रधारी बनते हैं और ज्ञान रत्न धारण करते हैं, जिससे तुम वेल्दी बन जायेंगे।
- इसको ही नेचर क्योर कहा जाता है।
- आत्मा पवित्र हो गई फिर शरीर भी पवित्र मिलेगा, उनको कहा जाता है देवता।
- पवित्र भी हैं तो हेल्दी, वेल्दी भी हैं।
- सतयुग में भारतवासियों की आयु 150 वर्ष थी।
- अभी तो भोगी बन गये हैं, तो अकाले मृत्यु हो जाता है, वह थी पवित्र दुनिया।
- यह है अपवित्र दुनिया।
- बाप कहते हैं जब धर्म ग्लानी होती है तो मैं आता हूँ।
- अपने बड़ों को गाली देना - यह भारत में ही होता है।
- यदा-यदाहि धर्मस्य... यहाँ की बात है।
- बाप बैठ समझाते हैं कि माया ने बिल्कुल ही कपूत बना दिया है।
- कपूत भ्रष्टाचारी को कहा जाता है।
- फिर श्रेष्ठाचारी कौन बनायेगा?
- नई दुनिया श्रेष्ठाचारी है।
- नई सो पुरानी जरूर बनती है।
- पुरानी जड़-जड़ीभूत जरूर होती है।
- हर चीज़ ऐसे होती है।
- सब कुछ खत्म होना ही है।
- इस शरीर की भी तुमको पालना करनी है और साथ-साथ यह पढ़ाई भी करनी है।
- ऐसे बहुत बच्चे हैं जो गृहस्थ व्यवहार में रहते, नौकरी आदि करते हैं फिर ऊंच पद पाने के लिए श्रीमत पर भी पूरा चलते हैं।
- बाबा को मालूम होगा तो राय देंगे - इस हालत में ऐसे करो।
- बतायेंगे - बाबा हमारे पास यह यह है।
- बाबा कहेंगे अच्छा भल मकान बनाओ।
- बच्चे आदि नहीं हैं तो मकान किसलिए!
- कहेंगे अच्छा सेन्टर खोल दो।
- बहुतों का कल्याण हो जायेगा।
- एक कमरा ज्ञान देने के लिए रखो।
- प्रापर्टी तुम्हारी ही रहेगी।
- सिर्फ सर्विस अर्थ इन्हों को दे दो।
- भल किराया भी ले लो।
- किरायेदार को कभी धनी (मालिक) दखलनदाज़ी (इन्टरफियर) नहीं करते।
- ऐसे सेन्टर खोलते जाओ।
- पहले तो सेन्टर की पूरी सम्भाल करो।
- फिर कुछ बचत है तो बाप को मदद करनी चाहिए।
- है तो भल दे सकते हो।
- सेन्टर पर मदद देने से भी तुम्हारा भविष्य बनता है।
- एक्स्ट्रा है तो उनको सफल करना है।
- नहीं तो खत्म हो जायेगा।
- मनुष्य दान करते हैं तो दूसरे जन्म में उसका फल मिलता है।
- यह भी करते हो सेवा अर्थ, तो इनका भविष्य 21 जन्म लिए मिलता है।
- बाकी बच्चों को कभी किसका कर्जा नहीं रखना है।
- कर्ज है मर्ज।
- कर्जी को बहुत फुरना रहता है।
- कर्ज न दे तो इज्जत चली जाये।
- मनुष्य तो बहुत कर्जा उठाते हैं।
- शादियों पर, तीर्थों पर बहुत खर्चा करते हैं।
- बाकी पेट अथवा रोटी पर कोई ज्यादा खर्चा नहीं होता है।
- फजूल खर्चा बहुत करते हैं।
- शादी तो बरबादी हो जाती है।
- गरीब थोड़े पैसे से ही काम चलाते हैं।
- तुम भी बाप की राय लेते चलो।
- कोई भी खराब आदत; बहुत चाय पीना, सिगरेट पीना, यह कोई आदत नहीं होनी चाहिए।
- श्रीमत पर चलना चाहिए।
- मनुष्य पैसा इकट्ठा करते हैं।
- तुम्हारी यह है नम्बरवन बैंक।
- इसमें 4 आना डालो तो भविष्य में हीरा बन जायेगा।
- पत्थर से सोना बन जाता है।
- तुम्हारी हर चीज़ को पारस बना देते हैं।
- शिवबाबा का भण्डारा सदैव भरपूर है।
- ढेर बच्चे हैं।
- भण्डारा कैसे खुटेगा, इम्पासिबुल है।
- फालतू तो कोई से लेना नहीं है।
- महल थोड़ेही बनाने हैं।
- बाबा है देने वाला।
- काम में आना होगा तो लेंगे।
- नहीं तो क्यों लेंगे, जो फिर देना पड़े।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कोई भी खराब आदत नहीं रखनी है।
- श्रीमत पर अपना एक-एक पैसा सफल कर भविष्य के लिए जमा करना है।
2) ईश्वरीय कुल का बन कोई भी आसुरी कार्य नहीं करना है।
- सतगुरू के निंदक कभी नहीं बनना है।
वरदान:-
( All Blessings of 2021-22)
मेरे को तेरे में परिवर्तन कर सर्व आकर्षण मुक्त बनने वाले डबल लाइट भव
लौकिक सम्बन्धों में सेवा करते हुए सदा यही स्मृति रहे कि ये मेरे नहीं हैं, सभी बाप के बच्चे हैं।
बाप ने इनकी सेवा अर्थ हमें निमित्त बनाया है।
घर में नहीं रहते लेकिन सेवा-स्थान पर रहते हैं।
मेरा सब तेरा हो गया।
शरीर भी मेरा नहीं।
मेरे में ही आकर्षण होती है।
जब मेरा समाप्त हो जाता है तब मन बुद्धि को कोई भी अपनी तरफ खींच नहीं सकता।
ब्राह्मण जीवन में मेरे को तेरे में बदलने वाले ही डबल लाइट रह सकते हैं।
स्लोगन:-
(All Slogans of 2021-22)
विघ्न प्रूफ बनने के लिए दुआओं का खजाना जमा करो।
- लवलीन स्थिति का अनुभव करो
- किसी भी बात के विस्तार में न जाकर, विस्तार को बिन्दी लगाए बिन्दी में समा दो, बिन्दी बन जाओ, बिन्दी लगा दो, बिन्दी में समा जाओ तो सारा विस्तार, सारी जाल सेकण्ड में समा जायेगी और समय बच जायेगा, मेहनत से छूट जायेंगे। बिन्दी बन बिन्दी में लवलीन हो जायेंगे। कोई भी कार्य करते बाप की याद में लवलीन रहो।
|