24-02-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - पढ़ाई में ग़फलत मत करो, अविनाशी ज्ञान रत्नों से अपनी झोली भरते रहो, विनाशी धन के पीछे इस कमाई को छोड़ना नहीं''
प्रश्नः-
जो बच्चे बाप के समान रहमदिल हैं, उनकी निशानियां क्या होंगी?
उत्तर:-
उन्हें ज्ञान का नशा चढ़ा हुआ होगा, वे ज्ञान रत्नों को स्वयं में धारण कर दूसरों को ज्ञान का इन्जेक्शन लगाते रहेंगे, सबको आसुरी मत से छुड़ाते रहेंगे।
2- जो बाबा सुनाते हैं, उसे नोट करेंगे और सवेरे-सवेरे उठ उस पर गौर करेंगे, विचार सागर मंथन कर सदा हर्षित रहेंगे।
गीत:-हमारे तीर्थ न्यारे हैं...
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- ओम् शान्ति।
- शिव की जयन्ती कब होती है वा परमपिता परमात्मा शिव कब अवतरित होते हैं, यह भारतवासी नहीं जानते।
- तुम बच्चे भी नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार जानते हो कि शिव कब अवतार लेते हैं!
- गाते हैं रात्रि को अवतार लिया।
- परन्तु कौन सी रात्रि?
- क्या यह जो कॉमन रात दिन होते हैं, वह रात्रि या और कोई रात्रि है?
- इसको भारतवासी नहीं जानते।
- शिव के बदले उन्होंने फिर कृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे का रख दिया है।
- शिव को मानते हैं परन्तु वह कब जन्म लेते हैं, यह जानते नहीं।
- शिव के अवतरण का दिन सबके लिए सबसे बड़े ते बड़ा दिन है क्योंकि वह सर्व के सद्गति दाता हैं।
- जब सबके ऊपर भीड़ पड़ती है (दु:ख होता है) तब चिल्लाते हैं - ओ पतित-पावन आओ। ओ गॉड फादर रहम करो।
- पोप भी कहते हैं हे गॉड फादर इन मनुष्यों के ऊपर रहम करो।
- यह एक दो को मारने के लिए तैयार हो गये हैं।
- कोई की सुनते भी नहीं हैं।
- उन्हों को ईश्वर मत दे।
- कोई घर में बिगड़ते हैं तो कहते हैं ईश्वर इनको अच्छी मत दो क्योंकि आसुरी मत पर चल रहे हैं।
- अब भगवान है कौन, यह भी नहीं जानते।
- कह देते भगवान निराकार है, सर्वव्यापी है।
- फिर तो कोई बात नहीं ठहरती।
- तुम बच्चे जानते हो बाबा कैसे साधारण ब्रह्मा के तन में अवतार लेते हैं।
- ब्रह्मा कहाँ पैदा हुआ, यह भारतवासी नहीं जानते।
- दादा का चित्र देख मूंझते हैं।
- समझते हैं ब्रह्मा ने विष्णु की नाभी से जन्म लिया है।
- अब नाभी से जन्म तो किसका हो नहीं सकता, विष्णु कहाँ का रहने वाला है, किसकी बायोग्राफी को जानते ही नहीं।
- क्या ब्रह्मा द्वारा विष्णु ने सब वेदों का सार सुनाया?
- ब्रह्मा को हाथ में वेद दे दिये हैं।
- यह भी नहीं हो सकता।
- बाप समझाते हैं एक तो बच्चों को देही-अभिमानी होकर यहाँ बैठना है।
- हम आत्मा परमपिता परमात्मा से इन कानों द्वारा सुन रहे हैं।
- परन्तु बच्चे घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं।
- हम आत्माओं के साथ परमपिता परमात्मा वार्तालाप कर रहे हैं।
- जो सबका सद्गति दाता, ज्ञान का सागर है वो बैठ बच्चों को पढ़ाते हैं।
- यह सिवाए तुम्हारे किसकी बुद्धि में बैठता नहीं है, इसलिए इतना रिगार्ड नहीं रखते हैं।
- अगर निश्चय है कि भगवान पढ़ाते हैं तो यह पढ़ाई एक सेकेण्ड भी नहीं छोड़ सकते।
- यह पढ़ाई आधा पौना घण्टा चलती है।
- बाप कहते हैं सिर्फ मुझे याद करो।
- यह एक बात कभी नहीं भूलो।
- बाकी तो है विस्तार।
- बाबा समझाते हैं यह जो वेद शास्त्र पढ़ना, दान पुण्य करना... यह जो भी करते आये हो, यह भी ड्रामा बना हुआ है।
- आधा समय ज्ञान और आधा समय भक्ति।
- ब्रह्मा का दिन, ब्रह्मा की रात।
- यह कॉमन दिन-रात तो जानवर भी जानते हैं।
- परन्तु यह ब्रह्मा का दिन रात तो बड़े-बड़े विद्वान भी नहीं जानते।
- तुम बच्चों को गृहस्थ व्यवहार में रहते, धन्धा आदि करते पढ़ना भी जरूर है, इसमें ग़फलत नहीं करनी चाहिए।
- बाबा जानते हैं फलाने-फलाने ग़फलत करते हैं।
- रेग्युलर पढ़ते नहीं हैं तो नापास हो जायेंगे वा कम पद पायेंगे क्योंकि विनाशी धन के लोभी हैं।
- अविनाशी ज्ञान रत्नों का कदर नहीं है।
- यह तो तुम बच्चे ही जानते हो।
- साथ में यह अविनाशी रत्न ही चलेंगे।
- जिन्होंने बहुत पैसे इकट्ठे किये हैं उन्हों के पिछाड़ी गवर्मेन्ट पड़ी हुई है।
- जैसे मनुष्य का मौत आता है तो पीले हो जाते हैं।
- वैसे गवर्मेन्ट के ऑफीसर्स लेने के लिए आते हैं तो पीले हो जाते हैं।
- देखो, दुनिया की हालत क्या है, हम समझाते हैं बच्चे समय बहुत थोड़ा है।
- इस मृत्युलोक को नर्क कहा जाता है।
- कहते भी हैं - हम पतित हैं फिर भी अपनी मत पर चलते रहते हैं।
- कान्फ्रेन्स करते हैं कि शान्ति कैसे हो?
- धर्म वाले आपस में न लड़े।
- एक क्रिश्चियन धर्म वाले ही अपने धर्म वालों से लड़ रहे हैं।
- अब उन्हों को मनुष्य कैसे शान्त कर सकते हैं।
- बिल्कुल ही निधनके हैं।
- ऋषि मुनि भी कहते थे हम रचयिता और रचना के आदि मध्य अन्त को नहीं जानते।
- बाप कहते हैं तुम अपने धनी को नहीं जानते हो।
- मालिक को मानते हो तो जानना चाहिए ना।
- भगवान, ईश्वर, गॉड यह सब भिन्न-भिन्न नाम रखते हैं।
- वास्तव में है तो फादर ना।
- हमारा रचयिता है हम उनके बच्चे ठहरे।
- बाप-माँ और बच्चे।
- हम तो जैसे ईश्वरीय फैमली ठहरे।
- मात-पिता से तो जरूर वर्सा मिलना चाहिए।
- हम परमपिता परमात्मा की फैमली हैं।
- बाप को सर्वव्यापी कह दें तो फैमली हो न सके।
- मालिक रचता की हम फैमली हैं।
- आज से 5 हजार वर्ष पहले भी बाप ने बरोबर वर्सा दिया था।
- न सिर्फ हमको परन्तु सबको देते हैं।
- हमको जीवनमुक्ति का देते हैं, बाकी सबको मुक्ति का देते हैं।
- कितना सहज है।
- यह भी खुशी का पारा चढ़ना चाहिए।
- परन्तु अहो मम माया, यहाँ से बाहर जाते हैं तो माया भुला देती है।
- बाप को ही भूल जाते हैं।
- अभी तुम बाप के बने हो, तुम ही जानते हो शिवबाबा ने भी ब्रह्मा द्वारा हमको एडाप्ट किया है।
- ऐसे नहीं कि ब्रह्मा विष्णु की नाभी से निकला।
- यह चित्र रखना चाहिए।। (गांधी की नाभी से नेहरू) परन्तु विष्णु की नाभी से इतना बड़ा ब्रह्मा कैसे निकलेगा।
- फिर ब्रह्मा बैठ नॉलेज सुनाते हैं-वेदों की, सो भी कहाँ?
- क्या सूक्ष्मवतन में?
- कुछ भी बुद्धि में नहीं बैठता।
- जिनको बाप से वर्सा लेना है वह तो यह सब बातें समझते हैं, बाकी सब कह देते हैं कल्पना है।
- अब बच्चे तो मानते हैं बरोबर बाबा सत्य सुनाते हैं और तुम ब्राह्मणों को फिर जाकर सबको सच्ची गीता सुनानी है।
- सब एक जैसा नहीं समझा सकते।
- वह नम्बरवार राजधानी बन रही है।
- सब एक जैसा पढ़ न सकें।
- धारणा कर फिर उस पर विचार सागर मंथन करना है।
- सुना, नोट किया फिर बैठ ख्याल करना चाहिए।
- आज बाबा ने क्या सुनाया।
- सवेरे उठकर गौर करना चाहिए।
- तुमको सब पर तरस पड़ना चाहिए।
- बाबा का फरमान है अपनी रचना स्त्री, बच्चों को भी समझाओ।
- पुरुष रचना रचते हैं अपने सुख के लिए।
- यह बेहद का बाप खुद सुख नहीं भोगते।
- कहते हैं बच्चों के लिए सारी मेहनत करता हूँ।
- तो जब धारणा हो तब नशा चढ़े फिर किसको इन्जेक्शन लगा सकें।
- बाबा मिसल रहमदिल बनना है।
- आसुरी मत से सबको छुड़ाना है।
- कितनी भारी दुश्मनी है राम और रावण की।
- यह है रावणराज्य, वह है राम राज्य।
- मनुष्य तो कुछ नहीं जानते कि पावन कौन बनाते, पतित कौन बनाते।
- बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं।
- समझाने के लिए ही यह चित्र बनाये हैं।
- वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी बाप ही समझाते हैं।
- इन चित्रों में बहुत अच्छा लिखा हुआ है।
- अब तुम बच्चे जानते हो निराकार गॉड फादर सारे वर्ल्ड की रिलीजो पोलिटीकल हिस्ट्री-जॉग्राफी बैठ सुनाते हैं।
- सुनते बहुत हैं, परन्तु समझते कुछ भी नहीं हैं। वास्तव में यह चित्र अन्धों के आगे आइना हैं।
- झाड़ और ड्रामा वह तो बहुत क्लीयर है।
- यह बाप ने समझाकर बनवाये हैं।
- इस समय सब अज्ञान नींद में सोये हुए हैं।
- तुम बच्चे रूहानी यात्रा पर ले जाते हो।
- रूहानी राही बनाने के लिए कितना ज्ञान देना पड़े।
- बुद्धि स्वच्छ चाहिए।
- इस पुरानी दुनिया से एकदम उपराम।
- यह भी वन्डर है, जहाँ अपना जड़ यादगार है, वहाँ ही आकर बैठे हैं।
- वह जड़ है, यह चैतन्य है।
- बड़ा गुप्त राज़ है।
- जैसे हम गुप्त वैसे मन्दिर यादगार भी गुप्त।
- मन्दिर बनाने वाले कुछ नहीं जानते।
- बाप तुम्हें सब बातें समझाते हैं।
- प्रदर्शनी में अक्षर बहुत अच्छे होने चाहिए।
- तुम्हें समझाना भी बहुत अच्छी रीति चाहिए।
- आदमी-आदमी को पहचानना भी चाहिए।
- बड़े-बड़े आदमी आते हैं, कोई अच्छी रीति समझते हैं, कोई तो कह देते हैं अच्छा लगता है परन्तु फुर्सत कहाँ।
- कोई कहते हैं कल से आकर समझेंगे।
- बाबा कह देते हैं तुम कभी नहीं आयेंगे।
- बड़ा मुश्किल है।
- तुम जानते हो हम देवता बन रहे हैं, हम अपनी राजधानी स्थापन कर रहे हैं।
- हम राज्य करेंगे।
- परन्तु यह दिल दर्पण में देखना चाहिए।
- हम राजा रानी बनेंगे या दास दासी वा प्रजा।
- मधुबन में आकर ऐसा नशा चढ़ाकर जाओ जो फिर सदैव कायम रहे।
-
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस पुरानी दुनिया से उपराम रहना है।
- स्वच्छ बुद्धि बन ज्ञान धारण करके फिर दूसरों को धारण कराना है।
- विचार सागर मंथन करना है।
2) बाप समान रहमदिल बन सबको आसुरी मत से छुड़ाना है।
वरदान:-
( All Blessings of 2021-22)
- परिवर्तन शक्ति द्वारा बीती को बिन्दी लगाने वाले निर्मल और निर्मान भव
- परिवर्तन शक्ति द्वारा पहले अपने स्वरूप का परिवर्तन करो, मैं शरीर नहीं, आत्मा हूँ।
- फिर स्वभाव का परिवर्तन करो, पुराना स्वभाव ही पुरूषार्थी जीवन में धोखा देता है, तो पुराने स्वभाव अर्थात् नेचर का परिवर्तन करो।
- फिर है संकल्पों का परिवर्तन।
- व्यर्थ संकल्पों को समर्थ में परिवर्तन कर दो।
- इस प्रकार परिवर्तन शक्ति द्वारा हर बीती को बिन्दी लगा दो तो निर्मल और निर्मान स्वत: बन जायेंगे।
स्लोगन:-
(All Slogans of 2021-22)
- मस्तक पर स्मृति का तिलक सदा चमकता रहे - यही सच्चे सुहाग की निशानी है।
- (दादियों की पुरानी डायरी से कुछ चुने हुए अनमोल रत्न)
- मनुष्य की वैल्यु शुद्ध बुद्धि और अशुद्ध बुद्धि पर होती है, जैसे सर्वोत्तम देवी देवता घराने की बुद्धि सर्वोत्तम वैल्युबूल है। ऐसे मध्यम घराने की मध्यम वैल्यु है। इसी ही प्रकार से कनिष्ट घराने के बुद्धि की वैल्यु भी कनिष्ट ही है। यह तीन सम्प्रदाय हैं। इन तीनों का मदार सारा बुद्धि पर है। पहले सर्वोत्तम बुद्धि वाले ब्राह्मण देवी देवताओं ने सम्पूर्ण ज्ञान से सर्वोत्तम कमाई कर वर्ल्ड सावरन्टी की की (चाबी) अथवा वैकुण्ठ की बादशाही प्राप्त की है, आधाकल्प प्रकृति उनकी दासी हुई है, इसलिए प्रैक्टिकल में सुख भोगते हैं और आधाकल्प उन्हों की मूर्तियां मन्दिरों में पूजी जाती हैंद्य तो सारा मदार इस बुद्धि पर है इसलिए बहुत तीखी बुद्धि चाहिए। पिता ईश्वर के महावाक्य है कि तेज रफतार से बुद्धियोग लगाने वाला साक्षात् मेरा स्वरूप है।
- बाबा अपने दैवी बच्चों को वन्डरफुल सौगात दहेज में देते हैं। अभी तुम्हें कौनसी सौगात मिलती है? क्या अविनाशी ज्ञान धन की? अण्डरस्टुड है, परन्तु उसके बाद क्या मिलता है? सारा श्रृंगार हुआ वन्डरफुल वैकुण्ठ, ऐसी वन्डरफुल सौगात तुम्हें दहेज में मिलती है क्योंकि इस पिता का अपने बच्चों पर अति प्रेम है। वह कहते हैं वहाँ तो हरेक को अपना-अपना माँ बाप जो होगा वो देगा, परन्तु मैं तो अपने बच्चों को अभी ही दे दूँ ना। समझता है कि मेरे बच्चों को सबकुछ मिले तो उनकी दिल कैसे पूरी हो। तो इस फारम (स्वरूप) में सभी को वैकुण्ठ सौगात दे देता हूँ। ऐसे नहीं जो ज्ञानी तू आत्मा सर्वोत्त्म है उनको देता हूँ, सर्वोत्तम का तो वहाँ भी कनेक्शन रहता है, परन्तु मध्यम सर्वोत्तम दोनों को ही मिलता है क्योंकि इस समय दैवी बच्चा होने कारण एक समान अति प्रेम रहता है। जिस कारण ऐसा वैकुण्ठ सौगात में दे देता हूँ, जिसमें जन्म-जन्मान्तर सभी बच्चे सुख भोगते हैं। उस रॉयल घराने की महिमा और पूजन है, यह घराना रॉयल है तो उनकी ए वन महिमा है। देखो, लार्ड कृष्णा की कितनी धूमधाम से महिमा करते हैं। यूरोपियन भी कहते हैं लॉर्ड कृष्णा। कृष्ण के पुजारी फिर श्रीकृष्ण का नाम लेकर कहते हैं हम कृष्ण पुजारी हैं। पूजा करने वाले पुजारी को ब्राह्मण का टाइटल देते हैं, जिससे प्रकृति उन्हों की भी दासी हो जाती है। लेकिन प्रैक्टिकल में उन्हों की लाइफ ब्राह्मणों की है नहीं, सिर्फ अपने पर यह टाइटल रखवाया है। अपना नामाचार किया है। सतयुग के समय जो भी लॉज (कायदे) हैं, वह सब यहाँ से ही शुरू होते हैं। उन कायदों की स्थापना पहले यहाँ होती है, जो लॉ यहाँ मर्ज रूप में रहता है, वहाँ इमर्ज हो प्रैक्टिकल स्वरूप लेता है। जो यहाँ से ज्ञान उठाया जाता है वो अन्त मते सो गति हो जायेगी। यहाँ की जो मत है, उनसे वहाँ प्रैक्टिकल कदम उठाया जाता है। सोच किया जाता है ना! कहते हैं सोच समझकर कदम उठाओ। कदम पहले नहीं उठाया जाता, यहाँ पहले सोचा जाता है फिर वहाँ कदम उठाया जाता है। यहाँ सोच इमर्ज है तो कदम मर्ज है। वहाँ कदम इमर्ज है तो सोच मर्ज है। अगर मनुष्य की बुद्धि सालिम है तो सबकुछ है, बुद्धि बहुत विशाल चाहिए। इस डिवाइन फादर का इतना गायन क्यों हुआ है? क्योंकि विशाल बुद्धि वाले हैं। बुद्धि से ही मनुष्य राजा और बुद्धि से ही रंक बनता है। बुद्धि सभी कर्मेन्द्रियों में शिरोमणी गाई जाती है। विशाल बुद्धि वाली डिवाइन आत्मा का मस्तक चमकता है क्योंकि बुद्धि में सारा ज्ञान भरा है, वो फिर जब अन्य को अपनी बुद्धि रूपी तिजोरी से ज्ञान के रत्न निकाल देता है तो उनकी चमक दिखाई देती है। जिसके लिए डिवाइन फादर की महिमा निकलती है परन्तु नम्बरवार। उन्हों में भी शिरोमणि डिवाइन फादर प्रजापिता ब्रह्मा की महिमा गाई हुई है। ओम् शान्ति।
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