07-03-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - सिमर-सिमर सुख पाओ, बाप का सिमरण करो तो तन के कल-क्लेष मिट जायेंगे, तुम निरोगी बन जायेंगे''
प्रश्नः-
इस समय तुम बच्चे युद्धस्थल पर हो, जीत वा हार का आधार क्या है?
उत्तर:-
श्रीमत पर चलने से जीत, अपनी मत वा दूसरों की मत पर चलने से हार।
एक तरफ हैं रावण मत वाले, दूसरी तरफ हैं राम मत वाले।
बाप कहते हैं बच्चे रावण ने तुम्हें बहुत सताया है।
अब तुम मेरे से बुद्धियोग लगाओ तो विश्व के मालिक बन जायेंगे।
अगर कारणे अकारणे अपनी मत पर चले या खिट-पिट में आये, पढ़ाई छोड़ी तो माया मुँह फेर देगी, हार खा लेंगे, इसलिए बहुत-बहुत खबरदार रहना है।
गीत:-देख तेरे संसार की हालत.....
|
- ओम् शान्ति।
- इंसान को कितना बदलना होता है।
- यह सिर्फ तुम ब्राह्मण बच्चे ही जान सकते हो।
- तो मनुष्य कितना ऊंचे ते ऊंचा जा सकता है फिर वही मनुष्य कितना नीचे ते नीचा बनता है।
- मनुष्य सतयुगी सतोप्रधान विश्व का मालिक बन सकते हैं और मनुष्य ही तमोप्रधान वर्थ नाट पेनी बन जाते हैं।
- यह सब कुछ तुमने जाना है बेहद के बाप द्वारा।
- एक ही पतित-पावन सद्गति दाता है।
- वही पावन बनाते हैं।
- रावण फिर पतित बनाते हैं।
- फिर परमपिता परमात्मा आकर कितना ऊंच बनाते हैं, तब ही गाया जाता है ईश्वर की गत मत न्यारी है।
- उनकी महिमा भी सबसे न्यारी है।
- बाप की महिमा अपरमअपार है क्योंकि उन जैसी मत और किसकी होती ही नहीं।
- उनको कहा जाता है श्रीमत भगवत।
- मत तो सबकी होती है।
- बैरिस्टर की मत, सर्जन की मत, धोबी की मत, संन्यासियों, उदासियों आदि की मत।
- फिर भी गाया जाता है हे ईश्वर तुम्हरी गत मत सबसे न्यारी है।
- परमपिता परमात्मा ही ऊंचे ते ऊंच श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ है।
- यह कोई मनुष्य वा देवता की मत नहीं है।
- तुम्हारे में भी जो पक्के निश्चयबुद्धि हैं, वही इस बात को समझ और समझा सकते हैं।
- वह जानते हैं कि बाबा की श्रीमत से हम कितना श्रेष्ठ बनते हैं।
- बाबा लवफुल, पीसफुल है।
- हर बात में फुल है तो तुमको भी फुल वर्सा बाप से लेना है।
- फुल वर्सा क्या है?
- नम्बरवन विश्व का मालिक बनना।
- कम से कम सूर्यवंशी माला में तो पिरो जायें।
- हम ही पूज्य थे फिर हम ही पुजारी बनें।
- सारी दुनिया उनकी माला फेरती है।
- सिमरनी जरूर सिमरती है।
- परन्तु सिमरणी का अर्थ कुछ भी जानते नहीं।
- कहते हैं सिमर-सिमर सुख पाओ अर्थात् एक को ही सिमरणा चाहिए फिर यह लोग सबको क्यों सिमरते हैं।
- बाप कहते हैं सबको नहीं सिमरो, सिर्फ मुझ एक को ही सिमरो।
- मुझ बाप को खूब याद करो, मुझे याद करते-करते तुम मेरे पास पहुँच जायेंगे।
- मैं डायरेक्शन देता हूँ तो गृहस्थ व्यवहार में रहकर सिर्फ मुझ बाप को याद करो।
- कितना सहज उपाय है।
- कहते हैं सिमर-सिमर सुख पाओ अर्थात् जीवनमुक्ति पद पाओ।
- कल-क्लेष सब तन से मिट जायेंगे।
- वहाँ तुम्हारे शरीर को कोई रोग नहीं रहता।
- अब बाप तुम बच्चों को सम्मुख सुना रहे हैं, तुम सुनकर औरों को सुनाते हो।
- सबसे अच्छा यह टेप रिकार्ड सुनाता है।
- जरा भी मिस नहीं करेंगे।
- बाकी एक्सप्रेशन्स (हाव-भाव) को तो नहीं देख सकेंगे।
- बुद्धि से समझेंगे कि बाबा ऐसे ऐसे समझाते होंगे।
- यह टेप मशीन तो खजाने की खान है।
- मनुष्य तो शास्त्रों का दान करते हैं।
- गीता छपाकर दान करते हैं।
- यह टेप कितनी वन्डरफुल चीज़ है।
- जरा नाज़ुक है इसलिए सम्भाल से चलानी पड़ती है।
- यह है हॉस्पिटल कम युनिवर्सिटी।
- सबको हेल्थ, वेल्थ का वर्सा दे सकती है।
- मुरली से ही सब कुछ मिलता है।
- परन्तु माया मोहिनी ऐसी है जो सब कुछ भुला देती है या रावण मोहित करते हैं या राम मोहित करते हैं।
- राम एक बार मोहित करते, रावण ने तो आधाकल्प से खींचते-खींचते एकदम मिट्टी पलीत कर दी है।
- यहाँ हर चीज़ तमोप्रधान है।
- 5 तत्व भी तमोप्रधान हैं।
- सतयुग में 5 तत्व भी सतोप्रधान होंगे।
- कितनी बड़ी भारी आमदनी है।
- लेते कौन हैं! कोटो में कोई।
- बन्दरबुद्धि को मन्दिर बुद्धि बनाने में कितनी मेहनत लगती है।
- सारी दुनिया वेश्यालय बन गई है।
- फिर मैं ही आकर शिवालय बनाता हूँ।
- भारत शिवालय था, अब रावण ने वेश्यालय बनाया है।
- आधा-आधा समय है।
- बाप कहते हैं बच्चे अब खूब सर्विस करो।
- वो लोग तो कहने मात्र कह देते हैं कि पतित-पावन आओ, परन्तु जानते नहीं।
- अनेक मत-मतान्तर हैं।
- भगवान खुद कहते हैं यह भ्रष्टाचारी दुनिया है।
- मनुष्य भ्रष्ट बनते हैं विष से।
- काम सबसे महाशत्रु है।
- वहाँ यह विकार होते ही नहीं।
- यह भारत मोस्ट बिलवेड बाप का बर्थप्लेस है।
- रावण जो दुश्मन है उनको जलाते हैं।
- जैसे देवियों के चित्र बनाए पूजा कर फिर डुबोते हैं।
- यह सब है अन्धश्रद्धा।
- पादरी लोग भी ऐसी बातें सुनाकर बहुतों को कनवर्ट करते हैं।
- है तो ड्रामा की भावी।
- परन्तु वह मेहनत बहुत करते हैं।
- इस समय सारी दुनिया में है रावण राज्य।
- इस समय सब हैं रावण की छी-छी मत पर।
- परमपिता परमात्मा पतित-पावन, जिसकी सबसे जास्ती महिमा है, उनको सर्वव्यापी कह दिया है।
- मनुष्य का और कोई दुश्मन नहीं।
- माया से ही मनुष्य पीड़ित हैं।
- उनसे तो एक बाप ही आकर छुड़ाते हैं और तो कोई छुड़ा न सके।
- शरण पड़ी मैं तेरी, प्रभू मेरी लाज रखो.....ऐसा भी गीत है।
- अब तुमको रावण से ही बचाते हैं।
- रावण ने कितना सताया है।
- बाबा कहते एक, रावण ले जाता है दूसरी तरफ।
- बाप कहते हैं मेरी मत पर चलो, रावण फिर भुला देते हैं।
- बाप आते हैं विश्व का मालिक बनाने।
- ब्लड से भी लिखकर देते हैं फिर भी माया भुलाकर मुख मोड़ देती है।
- यह सारी बुद्धि की बात है।
- बाप कहते हैं बच्चे अब वापिस चलना है इसलिए मुझे याद करो तो ऊंच पद पायेंगे।
- बाबा कहते हैं - बच्चे, श्रीमत को कभी नहीं भूलना।
- परन्तु कारणे अकारणे अपनी मत पर या कोई की खिटपिट से बाप को छोड़ देते हैं।
- इसको कहा जाता है युद्ध स्थल।
- एक तरफ है रावण की मत वाले।
- दूसरे तरफ हैं राम की मत वाले।
- अरे तुम भगवान से स्वर्ग का वर्सा लो ना।
- इतने सब ले रहे हैं, क्या यह मूर्ख हैं!
- तुम भी भगवान की सन्तान हो, तुम भी वर्सा लो।
- परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा नई सृष्टि रचते हैं।
- ऐसे नहीं कि विष्णु द्वारा देवता रचे।
- ब्रह्मा द्वारा विष्णुपुरी रची।
- कहते भी हैं बरोबर ठीक है।
- विष्णु की राजधानी में हम राज्य लेंगे।
- बैठे-बैठे फिर गुम हो जाते हैं।
- कारणे अकारणे मतभेद में आ जाते हैं।
- कोई बधंन पड़ा वा कोई ने कुछ कहा तो भूल जाते हैं।
- देखो यह ढेर बी. के. हैं, परमपिता परमात्मा से वर्सा ले रहे हैं।
- अच्छी रीति पढ़ रहे हैं परन्तु बाहर जाते हैं तो भूल जाते हैं।
- माया भ्रष्ट बुद्धि बना देती है।
- कितनी मेहनत की जाती है समझाने के लिए।
- बच्चे घड़ी-घड़ी धन्धेधोरी से छुट्टी ले जाते हैं सर्विस पर।
- सभी पर रहम करने चाहते हैं क्योंकि इन जैसा दु:खी वर्थ नाट पेनी दुनिया में कोई है नहीं।
- सभी का यह धन दौलत मिट्टी में मिल जायेगा।
- बाकी तुम्हारी है सच्ची कमाई।
- तुम हाथ भरतू करके जायेंगे।
- बाकी सब हाथ खाली जायेंगे।
- यह तो सब जानते हैं विनाश होना है जरूर।
- सब कहते हैं यह वही महाभारत महाभारी लड़ाई का समय है, सबको काल खा जायेगा।
- परन्तु होना क्या है, यह समझते नहीं हैं।
- बाप खुद कहते हैं मैं तुम सबको वापिस ले जाने के लिए आया हूँ।
- मुझे ही काल, महाकाल कहते हैं।
- मौत सामने खड़ा है इसलिए अब तुम मेरी मत पर चलो और पद भी ऊंचा ले लो।
- जीवनमुक्ति में भी पद है।
- मुक्ति में तो सब धर्म स्थापक बैठ जायेंगे।
- वह भी पहले जब आयेंगे तो सतोप्रधान फिर सतो रजो तमो में आते हैं।
- ऊंच और नीच, बेगर और प्रिन्स।
- भारत इस समय सबसे नीच पतित है।
- कल फिर पावन प्रिन्स बनेगा।
- देवी देवता धर्म बहुत सुख देने वाला है।
- इतना सुख और कोई धर्म में हो न सके।
- तुम बच्चे सतयुग के मालिक थे, अब नर्क के मालिक बने हो फिर तुम फर्स्ट जन्म सतयुग में लेंगे।
- हम सो का अर्थ भी नहीं समझते हैं।
- हम जीव आत्मा इस समय ब्राह्मण हैं, इनके पहले शूद्र थे।
- कल हम सो देवता फिर क्षत्रिय बनेंगे।
- फिर वैश्य, शूद्र डिनायस्टी में आयेंगे।
- अभी हमारी चढ़ती कला है।
- सतयुग में यह ज्ञान नहीं रहेगा, इनके पहले हम उतरती कला में थे।
- बाबा चढ़ती कला में ले जाते हैं।
- परन्तु किसकी बुद्धि में यह ज्ञान ठहरता नहीं है क्योंकि बुद्धि योग मेरे साथ नहीं है इसलिए गोल्डन एजड बर्तन बनता ही नहीं।
- बाप कहते हैं - सिर्फ बाबा-बाबा मुख से नहीं कहना है।
- परन्तु बाबा को अन्दर में याद ऐसे करना है जो अन्त मती सो गति हो जाये।
- देह का भान छोड़ अपने को आत्मा समझो।
- जितना अपने को आत्मा समझेंगे, बाप को याद करेंगे उतने तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे और कोई उपाय ही नहीं है।
- भगवानुवाच - तुम्हें सबको समझाना है कि यह जो तुम यज्ञ, तप, दान करते हो - इनसे मेरे से नहीं मिल सकते हो।
- अभी तुम तो एकदम पतित बन गये हो।
- एक भी मेरे पास नहीं आये हैं।
- नाटक में पिछाड़ी तक सब एक्टर्स को रहना है।
- जब नाटक पूरा होगा तब सबको वापिस जाना है।
- आत्मायें वृद्धि को पाती रहती हैं।
- बीच से निकल नहीं सकती।
- स्थापना करने वाले ही यहाँ बैठे हैं।
- 84 जन्म लेने हैं।
- झाड़ को जड़जड़ीभूत अवस्था को पाना है।
- यह बहुत अच्छी बातें हैं समझने की।
- बड़ा खबरदार भी रहना है कि माया कहाँ धोखा न दे।
- अपना मुँह ऊपर में रखना है, खुशी से जाना है।
- (मुर्दे का मुँह फेरते हैं) बाबा कहते हैं अपना मुँह स्वर्ग की तरफ रखो, लात नर्क की तरफ इसलिए कृष्ण का ऐसा चित्र बनाया है। श्याम सुन्दर बनते हैं।
- तुम भी नम्बरवन गोरे बनते हो तब कहते हैं मनुष्य से देवता किये...अर्थात् कलियुग को सतयुग बनाना, बाप का काम है।
- तुम बच्चे जानते हो हम श्रीमत पर विश्व का राज्य स्थापन करते हैं, उसमें आकर राज्य करेंगे।
- इसमें यज्ञ तप करने की दरकार नहीं।
- बाबा इन द्वारा मत देते हैं कि मुझे याद करो।
- अब राजधानी स्थापन हो रही है।
- उसमें जो पद चाहिए वह ले लो।
- जैसे यह मम्मा अब ज्ञान ज्ञानेश्वरी है, जाकर राज राजेश्वरी बनेंगी।
- यह नॉलेज है ही राजयोग की।
- तो ऐसे कालेज में कितना अच्छी रीति पढ़ना चाहिए।
- बाप कहते हैं आज बहुत अच्छी-अच्छी प्वाइंटस सुनाता हूँ, इसलिए पूरा ध्यान रखो।
- मित्र सम्बन्धियों का भी कल्याण करो।
- जिनकी तकदीर में होगा वह उठ पड़ेंगे।
- शिव के मन्दिर में जाकर भाषण करो।
- शिवबाबा नर्क को स्वर्ग बनाने आया है।
- बहुत बनने के लिए आयेंगे।
- तुम्हारी माया के साथ जबरदस्त लड़ाई है।
- अच्छे-अच्छे बच्चों को आज नशा चढ़ता, कल गुम हो जाते हैं।
- तुम जानते हो पुरानी दुनिया खत्म होनी है।
- हम यह पुराना शरीर छोड़ नई दुनिया में जाकर पैर धरेंगे।
- यह देहली परिस्तान होगी।
- अब परिस्तान में जाने के लिए गुल-गुल (फूल) बनो।
-
- अच्छा!
- मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1)देह-अभिमान को छोड़ बाबा को अन्दर ही अन्दर ऐसा याद करना है जो अन्त मती सो गति हो जाए।
बुद्धि को याद द्वारा गोल्डन एजड बनाना है।
2) कभी भी मनमत या मतभेद में आकर पढ़ाई नहीं छोड़नी है।
अपना मुख स्वर्ग तरफ रखना है। नर्क को भूल जाना है।
वरदान:-
( All Blessings of 2021-22)
- सर्व प्राप्तियों को सामने रख श्रेष्ठ शान में रहने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान् भव
- हम सर्व श्रेष्ठ आत्मायें हैं, ऊंचे ते ऊंचे भगवान के बच्चे हैं - यह शान सर्वश्रेष्ठ शान है, जो इस श्रेष्ठ शान की सीट पर रहते हैं वह कभी भी परेशान नहीं हो सकते।
- देवताई शान से भी ऊंचा ये ब्राह्मणों का शान है।
- सर्व प्राप्तियों की लिस्ट सामने रखो तो अपना श्रेष्ठ शान सदा स्मृति में रहेगा और यही गीत गाते रहेंगे कि पाना था वो पा लिया...सर्व प्राप्तियों की स्मृति से मास्टर सर्वशक्तिमान् की स्थिति सहज बन जायेगी।
स्लोगन:-
(All Slogans of 2021-22)
- योगी और पवित्र जीवन ही सर्व प्राप्तियों का आधार है।
|