28-03-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - मनुष्य मत पर तो तुम आधाकल्प चलते हो, अब मेरी श्रीमत पर चल पावन बनो तो पावन दुनिया के मालिक बन जायेंगे''
प्रश्नः-
बेहद का बाप बच्चों को कौन सी आशीर्वाद देते हैं और वह आशीर्वाद किन्हों को प्राप्त होती है?
उत्तर:-
बाप आशीर्वाद देते बच्चे तुम 21 जन्म सदा सुखी रहेंगे, अमर रहेंगे।
तुम्हें कभी काल नहीं खायेगा, अकाले मृत्यु नहीं होगी।
कामधेनु माता तुम्हारी सब मनोकामनायें पूर्ण कर देगी।
परन्तु तुम्हें इस विष (विकार) को छोड़ना पड़ेगा।
यह आशीर्वाद उन्हें ही प्राप्त होती है जो श्रीमत पर इस अन्तिम जन्म में पवित्र बनते और बनाते हैं।
बाबा कहते बच्चे, दुनिया बदल रही है इसलिए पावन जरूर बनो।
गीत:-ओम् नमो शिवाए.....
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- ओम् शान्ति।
- भगवान के बच्चों ने गीत सुना।
- अब भगवान के बच्चे तो सभी हैं।
- जो भी मनुष्य मात्र हैं, सब भगवान को बाबा कहते हैं।
- वह सर्व का एक ही बाप है।
- लौकिक बाप को सर्व का बाप नहीं कहेंगे।
- बेहद का बाप सर्व का ही बाप है।
- सर्व का सद्गति दाता है और कोई की महिमा हो नहीं सकती।
- सभी उस निराकार बाप को ही याद करते हैं।
- तुम्हारी आत्मा भी निराकार है तो बाप भी निराकार है।
- उनकी ही तुमने महिमा सुनी है।
- परमपिता परमात्मा शिवबाबा आप ऊंचे ते ऊंचे हो, सर्व के सद्गति दाता हो।
- सबकी सद्गति करते हो तो वह स्वर्ग के मालिक देवी-देवता बन जाते हैं।
- मनुष्य, मनुष्य की सद्गति कर न सकें।
- मनुष्य की कोई महिमा है नहीं।
- अभी तुम बच्चों को बेहद के बाप द्वारा वर्सा मिलता है।
- आधाकल्प तुम प्रालब्ध भोगते हो।
- उसको रामराज्य कहा जाता है फिर द्वापर से रावणराज्य शुरू होता है।
- 5 विकारों रूपी भूत प्रवेश होते हैं।
- जैसे वह भूत (अशुद्ध आत्मा) जिसमें प्रवेश करते हैं तो वह बेताला बन जाता है।
- वैसे इन भूतों में नम्बरवन भूत काम महाशत्रु है।
- आधाकल्प इस भूत ने तुमको बहुत दु:खी किया है।
- अब इन पर जीत प्राप्त कर पवित्र बनो तो पवित्र दुनिया के मालिक बन जायेंगे।
- बाप ही सबसे प्रतिज्ञा कराते हैं।
- बाप कहते हैं तुम पावन बनने की राखी बांधो तो 21 जन्म के लिए स्वर्ग पवित्र दुनिया के तुम मालिक बन जायेंगे।
- मैं आया हूँ पतितों को पावन बनाने।
- भारत पावन था जब देवी-देवताओं का राज्य था।
- नाम ही सुखधाम था।
- अभी है दु:खधाम।
- एक तो काम कटारी चलाते हैं दूसरा लड़ते झगड़ते रहते हैं, देखो कितना दु:ख है।
- बाप आते ही हैं संगम पर। यह है कल्याणकारी संगम युग।
- तुम बच्चे सुखधाम में चलने के लिए अपना कल्याण करने आये हो।
- बाप कहते हैं अब मेरी श्रीमत पर चलो।
- मनुष्य मत पर तो तुम आधाकल्प चलते रहे।
- सद्गति दाता तो एक बाप ही है, उनकी श्रीमत से ही तुम स्वर्ग के मालिक बन जाते हो।
- बाकी यह शास्त्र तो पढ़ते-पढ़ते अब कलियुग का अन्त आ गया है।
- तमोप्रधान बन गये हैं।
- अपने को ईश्वर कहलाकर अपनी ही बैठ पूजा कराते हैं।
- शास्त्रों में प्रहलाद की बात दिखाई है।
- दिखाते हैं कि थम्भ से नरसिंह भगवान निकला, उसने आकर हिरण्याकश्यप को मारा।
- अब थम्भ से तो कोई निकलता नहीं है।
- बाकी सभी का विनाश तो होना ही है।
- बाप कहते हैं इन साधू सन्त, महात्मा, अजामिल जैसी पाप आत्माओं का भी उद्वार मैं आकर करता हूँ।
- बाप आकर ज्ञान अमृत का कलष माताओं पर रखते हैं।
- माता गुरू बिगर किसकी सद्गति हो न सके।
- जगत अम्बा है कामधेनु, सभी की मनोकामना पूर्ण करने वाली।
- उनकी तुम बच्चियां हो।
- अब बाप कहते हैं कोई भी मनुष्य मात्र की बात नहीं सुनो।
- पतितों को पावन बनाने वाला एक बाप ही है।
- तो जरूर कोई पतित बनाने वाले भी होंगे।
- रावण-राज्य में सभी पतित हैं।
- अभी वह पतित-पावन बाप आया है स्वर्ग का वर्सा देने के लिए।
- कहते हैं 21 जन्म तुम सदा सुखी रहेंगे।
- आशीर्वाद देते हैं ना।
- लौकिक मात-पिता भी आशीर्वाद करते हैं। वह है अल्पकाल सुख के लिए।
- यह है बेहद का मात-पिता, कहते हैं बच्चे तुम सदैव अमर रहो।
- वहाँ तुमको काल नहीं खायेगा।
- अकाले मृत्यु नहीं होगा, सदा सुखी रहेंगे।
- कामधेनु माता तुम्हारी सर्व कामनायें पूर्ण करती है।
- सिर्फ विष को छोड़ना होगा क्योंकि अपवित्र तो वहाँ चल नहीं सकेंगे।
- बाप कहते हैं मैं तुमको वापिस ले चलने आया हूँ, सिर्फ पावन बनो।
- ऐसे नहीं कि बच्चे को शादी करानी है।
- न अपने को पतित करना है, न दूसरों को पतित होने देना है।
- इस मृत्युलोक में अन्तिम जन्म पवित्र जरूर बनना है तब अमरलोक चलेंगे।
- बाप बैठ आत्माओं को समझाते हैं।
- आत्मा ही धारण करती है।
- बाप कहते हैं तुम हमारे बच्चे हो।
- तुम आत्मायें परमधाम में रहती थी, अब फिर ले चलने आया हूँ।
- जो पवित्र बनेंगे उनको साथ ले चलूँगा।
- फिर वहाँ से तुमको स्वर्ग में भेज दूंगा।
- मीरा ने भी विष का त्याग किया तो उनका नाम कितना बाला है।
- बाप कहते हैं बच्चे अब पुरानी दुनिया बदल नई बनने वाली है।
- नई दुनिया में देवतायें राज्य करते थे।
- मैं ब्रह्मा द्वारा तुमको राजयोग सिखलाता हूँ।
- तुमको श्रीमत देता हूँ, श्रेष्ठ देवता बनने के लिए।
- कृष्णपुरी में चलना है।
- श्रीकृष्ण की देखो कितनी महिमा है।
- वह है सर्वगुण सम्पन्न।
- हमारी मत पर चलेंगे तो ऐसा लक्ष्मी-नारायण बनेंगे।
- जिन्होंने कल्प पहले वर्सा लिया होगा वह श्रीमत पर चलेंगे।
- नहीं तो आसुरी मनमत पर चलते रहेंगे।
- यह बाबा भी उस निराकार से ही मत लेते हैं।
- शिवबाबा ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर तुमको मत देते हैं।
- कहते हैं तुम सब सजनियां अथवा भक्तियां हो।
- एक है साजन अथवा भगवान।
- मनुष्य को कभी भी भगवान नहीं कह सकते।
- यह उल्टी मत तुमको मिली हुई है इसलिए तुम्हारी ऐसी दुर्गति हुई है।
- मैं ही एक पार करने वाला हूँ।
- यह गुरू लोग मेरे धाम को ही नहीं जानते तो मेरे पास ले कैसे आयेंगे, मनुष्य तो जहाँ भी जायेंगे तो माथा टेकेंगे इसलिए मैं स्वयं ही लेने को आया हूँ फिर तुमको स्वर्गधाम में भेज दूंगा।
- वह है विष्णुपुरी, सूर्यवंशी।
- त्रेता को कहा जाता है रामराज्य।
- उसके बाद शुरू होता है रावण राज्य द्वापर में।
- तो भारत शिवालय से वेश्यालय बन जाता है।
- यही भारत सम्पूर्ण निर्विकारी था, यही भारत पूर्ण विकारी बन गया है।
- अब तुम बच्चे राजयोग सीख सारे विश्व पर जीत प्राप्त कर लेते हो।
- दो बन्दरों की कहानी।
- वह आपस में लड़ते हैं, विश्व रूपी माखन तुमको मिलता है।
- तुम केवल शिव-बाबा और स्वर्ग को ही याद करो।
- घर गृहस्थ में रहते हुए पवित्र बनो तो पवित्र दुनिया के मालिक बन जायेंगे।
- पवित्रता पर ही अत्याचार होते हैं।
- कल्प पहले भी हुए थे, अभी भी होंगे जरूर क्योंकि तुम अब जहर नहीं देते हो।
- गाया भी हुआ है - अमृत छोड़ विष काहे को खाए।
- अमृत पीते-पीते तुम मनुष्य से देवता बन जाते हो।
- जो पक्के ब्राह्मण होंगे - वह तो कहेंगे चाहे कुछ भी हो परन्तु हम विष नहीं देंगे।
- कितना सहन भी करते हैं तब तो ऊंच पद पाते हैं।
- शिवबाबा को याद करते-करते प्राण भी छोड़ देते हैं।
- शिवबाबा का फरमान है।
- फरमान तो सबको है इसलिए कहते हैं मुझे याद करो तो मेरे पास परमधाम में आ जायेंगे।
- शिवबाबा इस मुख द्वारा तुम आत्माओं से बात करते हैं।
- यह भी मनुष्य है।
- मनुष्य कभी भी मनुष्य को पावन नहीं बना सकते।
- बाप को बुलाते हैं कि पतितों को आकर पावन बनाओ।
- तो मुझे जरूर पतित दुनिया में ही आना पड़े क्योंकि यहाँ कोई पावन तो है नहीं।
- अब बाप कहते हैं मैं तुमको इस श्रीकृष्ण जैसा पावन स्वर्ग का मालिक बनाता हूँ।
- अगर कोई कहता है कि मैं बन्धन में हूँ तो बाबा क्या करे।
- तुमको तो ज्ञान मिलता है कि गृहस्थ व्यवहार में रहते श्रीमत पर चलो तो तुम श्रेष्ठ बनेंगे।
- तुम सब ईश्वरीय परिवार के हो।
- शिवबाबा, ब्रह्मा दादा, तुम ब्राह्मण, ब्राह्मणियां पोत्रे और पोत्रियां।
- तुम सबको स्वर्ग का वर्सा, बादशाही मिलती है।
- बाप देता है स्वर्ग का वर्सा तो हम बाप के वारिस ठहरे।
- तो जरूर हम स्वर्ग में होने चाहिए।
- फिर हम अभी नर्क में क्यों?
- बाप समझाते हैं रावण राज्य के कारण तुम नर्क में पड़े हो।
- अब मैं आया हूँ तुमको स्वर्ग में ले चलने के लिए।
- बाप है खिवैया, सबको उस पार ले जाते हैं।
- श्रीकृष्ण कोई सबका बाप नहीं है।
- याद एक को ही करना है।
- अनेकों को याद करना माना भक्ति मार्ग।
- एक बाप को याद करेंगे तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।
- एक बाप की ही श्रीमत गाई हुई है, न कि अनेक गुरू गोसाइयों की।
- वह तो कह देते हैं भगवान नाम रूप से न्यारा है।
- परन्तु नाम रूप से न्यारी वस्तु कोई होती नहीं।
- आकाश, पोलार है फिर भी नाम तो है ना।
- अभी यह भारत कितना कंगाल है, देवाला मारा हुआ है।
- बाप कहते हैं जब ऐसी हालत हो जाती है तो मैं आकर भारत को सोने की चिड़िया बनाता हूँ।
- भंभोर को आग तो लगनी ही है।
- पुरानी दुनिया सारी खलास हो नई बनेगी।
- तुम बच्चे श्रीमत पर स्वर्ग की राजधानी स्थापन कर रहे हो।
- यह है ईश्वरीय पढ़ाई।
- बाकी सब हैं आसुरी पढ़ाई।
- इस पढ़ाई से तुम स्वर्गवासी बनते हो, उस पढ़ाई से तुम नर्कवासी बनते हो।
- अब दैवी झाड़ दिन प्रतिदिन बढ़ता जायेगा।
- माया के तूफान भी बहुत लगते हैं, तब बाप कहते हैं यह है दु:खधाम।
- अब तुम मुझे याद करो, परमधाम को याद करो और सुखधाम को याद करो तो बेड़ा पार हो जायेगा।
- बाप आते हैं दु:खधाम से शान्तिधाम ले जाने के लिए।
- फिर सुखधाम में भेज देंगे।
- अब दु:खधाम को भूलते जाओ।
- बाप और वर्से को याद करो।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान और योग से अपने बंधनों को काटना है।
इस दु:खधाम को भूल शान्तिधाम और सुखधाम को याद करना है।
2) कुछ सहन करना पड़े, प्राण भी त्यागने पड़े तो भी बाप ने जो पावन बनने का फरमान किया है, उस पर चलना ही है।
पतित कभी नहीं बनना है।
वरदान:-
All Blessings of 2021-22
- ब्राह्मण सो फरिश्ता सो जीवन-मुक्त देवता बनने वाले सर्व आकर्षण मुक्त भव
- संगमयुग पर ब्राह्मणों को ब्राह्मण से फरिश्ता बनना है, फरिश्ता अर्थात् जिसका पुरानी दुनिया, पुराने संस्कार, पुरानी देह के प्रति कोई भी आकर्षण का रिश्ता नहीं।
- तीनों से मुक्त, इसलिए ड्रामा में पहले मुक्ति का वर्सा है फिर जीवनमुक्ति का।
- तो फरिश्ता अर्थात् मुक्त और मुक्त फरिश्ता ही जीवनमुक्त देवता बनेंगे।
- जब ऐसे ब्राह्मण सो सर्व आकर्षण मुक्त फरिश्ता सो देवता बनों तब प्रकृति भी दिल व जान, सिक व प्रेम से आप सबकी सेवा करेगी।
स्लोगन:-
(All Slogans of 2021-22)
- अपने संस्कारों को इज़ी (सरल) बना दो तो सब कार्य इज़ी हो जायेंगे।
- मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य -
- परमात्मा करनकरावनहार कैसे है?
- बहुत मनुष्य ऐसे समझ बैठे हैं कि यह जो अनादि बना बनाया सृष्टि ड्रामा चल रहा है वो सारा परमात्मा चला रहा है इसलिए वो कहते हैं कि मनुष्य के कुछ नाहीं हाथ... करनकरावनहार स्वामी... सबकुछ परमात्मा ही करता है। सुख दु:ख दोनों भाग परमात्मा ने ही बनाया है। अब ऐसी बुद्धि वालों को कौनसी बुद्धि कहा जायेगा? पहले पहले उन्हों को यह समझना जरुर है कि यह अनादि बनी बनाई सृष्टि का खेल वो परमात्मा जो अब बनाता है, वही चलता है। जिसको हम कहते हैं यह बनी बनाई का खेल ऑटोमेटिक चलता ही रहता है तो फिर परमात्मा के लिये भी कहा जाता है कि यह सबकुछ परमात्मा ही करता है, यह जो परमात्मा को करनकरावनहार कहते हैं, यह नाम फिर कौनसी हस्ती के ऊपर पड़ा है? अब इन बातों को समझना है। पहले तो यह समझना है कि यह जो सृष्टि का अनादि नियम है वो तो बना बनाया है, जैसे परमात्मा भी अनादि है, माया भी अनादि है और यह चक्र भी आदि से लेकर अन्त तक अनादि अविनाशी बना बनाया है। जैसे बीज में अण्डरस्टुड वृक्ष का ज्ञान है ना, और वृक्ष में अण्डरस्टुड बीज है, दोनों कम्बाइंड हैं, दोनों अविनाशी हैं, बाकी बीज का क्या काम है, बीज बोना झाड़ निकलना। अगर बीज न बोया जाए तो वृक्ष उत्पन्न नहीं होता। तो परमात्मा भी स्वयं इस सारी सृष्टि का बीजरूप है और परमात्मा का पार्ट है बीज बोना। परमात्मा ही कहता है मैं परमात्मा हूँ ही तब जब बीज बोता हूँ। अगर बीज नहीं बोया जाए तो वृक्ष कैसे निकलेगा! मेरा नाम परमात्मा ही तब है जब मेरा परम कार्य है, मेरी कार्य ही है जो मैं खुद पार्टधारी बन बीज बोता हूँ। सृष्टि की आदि भी करता हूँ और अन्त भी करता हूँ, मैं करनधारी बन बीज बोता हूँ। बीज बोने का मतलब है रचना करना। पुरानी सृष्टि की अन्त करना और नई सृष्टि की आदि करना इसको ही कहते हैं परमात्मा सबकुछ करता है।
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