06-07-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
"मीठे बच्चे - बाप का बनने से तुम बिगर कौड़ी खर्चे सेकेण्ड में जीवनमुक्ति का अधिकार पा लेते हो, निश्चय हुआ और वर्सा मिला।
प्रश्नः-
शुरूड बुद्धि (समझदार) बच्चों का कर्तव्य कौन सा है?
उत्तर:-
सच्ची यात्रा करना और कराना यही शुरूड बुद्धि बच्चों का कर्तव्य है।
सच्ची यात्रा है मनमनाभव।
इस यात्रा से और धक्कों से बच जायेंगे।
जैसे बाप कल्याणकारी है वैसे शुरूड बुद्धि बच्चे बाप समान कल्याणकारी होंगे।
प्रश्नः-
बाप तुम बच्चों को कौन सी बात कहते हैं जो तुम सबके कान में सुनाते रहो?
उत्तर:-
बाबा कहे बच्चे तुम मुझे याद करो, किसी देहधारी को याद नहीं करना है।
देहधारी को याद करेंगे तो देह-अभिमानी बन पड़ेंगे इसलिए सदैव समझो देहधारी सब मरे पड़े हैं, हमें बाप को याद करना है।
यही बात सबके कान में सुनाते रहो।
गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ.....
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ओम् शान्ति।
बच्चों की तकदीर बनाने में कोई खर्चा लगता है?
माँ बाप के पास बच्चा आया, बच्चों को कुछ खर्चा लगा वर्सा पाने में?
पैदा होने से ही बाप की मिलकियत का वर्सा मिल जाता है।
अखबार में भी लिखते हैं ना कि फलाने वारिस का जन्म हुआ।
बच्चे को कोई खर्चा लगा?
नहीं। जन्म लिया उनको कोई खर्चा नहीं।
कोई बहुत धनवान हैं, बच्चे नहीं हैं।
एडाप्ट करते हैं।
बच्चे का कोई खर्चा लगा?
कुछ भी नहीं।
यहाँ भी गाया जाता है सेकेण्ड में जीवनमुक्ति।
दुनिया वाले भल जीवनमुक्ति का अर्थ नहीं जानते हैं।
अब यह तो जानते हो विश्व के मालिक जीवनमुक्त देवतायें थे।
भारत में ही जीवनमुक्ति होती है।
अब बाप पूछते हैं बाप का बनने में कोई खर्चा लगता है?
बस बाबा मैं आपका हूँ।
गाया भी जाता है जनक को सेकेण्ड में जीवनमुक्ति मिली।
सिर्फ बाप की पहचान मिली, जिनके लिए बाप युक्तियां बतलाते रहते हैं।
बताओ पारलौकिक परमपिता परमात्मा से आपका क्या सम्बन्ध है?
परमपिता ... वह तो बाप है।
बाबा कहते हैं मेरा बनने लिए खर्चा लगता है?
कुछ भी नहीं।
सिर्फ मेरा बनो, खर्चा कुछ भी नहीं।
एक सेकेण्ड में जीवनमुक्ति।
खर्चे की बात ही नहीं उठती।
बच्चा आया क्या खर्चा हुआ?
तुम बाप के बनते हो क्या खर्चा हुआ।
सिर्फ बुद्धि से ही निश्चय किया कि मैं आपका हूँ।
समझते हैं बाप से स्वर्ग की बादशाही मिलती है।
बाप स्वर्ग का रचयिता है।
वर्सा मिलता है हेविन की बादशाही।
निश्चय की बात है ना।
पाई भी खर्चा नहीं करो।
याद से ही तुम हीरे जैसा बन जायेंगे।
हम लिखते भी हैं तुम जीवनमुक्ति पा सकते हो।
कौड़ी भी खर्चा करने बिना तुमको बादशाही मिल जायेगी।
तुम कितने धक्के खाते हो।
भक्ति मार्ग में यात्राओं पर मनुष्य बहुत धक्के खाते हैं।
उनमें पण्डे भी रहते हैं या कोई धर्माऊ पुरुष धक्के खिलाते हैं।
पैसे भी बहुत खर्च करते हैं, मिलता तो कुछ भी नहीं है।
यह बाप तो समझाते बहुत हैं परन्तु किसकी तकदीर में नहीं है तो बुद्धि में बैठता नहीं।
कोई युक्ति निकाल धक्के खाने वालों को बचायें।
सिर्फ बाबा की मुरली सुना फिर जाकर सुनाया - यह कोई बड़ी बात नहीं है।
किसको क्या बोलना चाहिए, क्या करना चाहिए।
ट्रेन में यात्रा करने जाते हैं।
क्या युक्ति निकालें, बाबा जैसी युक्ति बतलाते हैं वह कोई अजुन अमल में नहीं लाया है।
कोई को भी प्यार से समझाना चाहिए, पतित-पावन ज्ञान के सागर से आपका क्या सम्बन्ध है?
इस समय तक बाबा को समाचार नहीं लिखा है कि बाबा इस धन्धे में मैं लग गया हूँ।
फलाने-फलाने से पूछा है वह क्या कहते हैं।
कुछ भी बाबा को समाचार नहीं देते हैं।
बाबा से तुम एक सेकेण्ड में जनक मिसल जीवनमुक्ति पा सकते हो, अगर यह पहेली हल की तो।
बाबा फर्स्टक्लास बात सुनाते हैं - प्लास्टिक पर छोटे कार्ड छपवा लो।
अच्छे पोस्ट कार्ड हों जो कहाँ भी भेज सकें।
तीर्थों पर तो धक्के ही खाते रहते हैं।
तुम लिख भी सकते हो कि जन्म-जन्मान्तर के धक्कों से छूटना चाहते हो तो यह पहेली हल करो।
इसे हल करने से एक सेकेण्ड में जीवनमुक्ति पा सकते हो।
बाबा अक्षर तो देते हैं।
कोई बुद्धिवान बच्चा हो जो ठीक रीति लिखकर आवे और अच्छा छपाकर भेजे।
बड़े शहरों में काम झट हो सकता है।
बहुत सुन्दर प्लास्टिक के कार्ड हो, उसमें त्रिमूर्ति का ठप्पा लगावें, न लगावें।
बाबा युक्तियां बहुत अच्छी बताते हैं।
जनक को सेकेण्ड में जीवनमुक्ति मिली।
यह सिर्फ गाते रहते हैं, कोई को पता नहीं।
भल अष्टापा गीता में है, परन्तु उससे कोई समझ नहीं सकते।
दन्त कथायें हैं।
तुम प्रैक्टिकल में समझाने बैठे हो और किसी के समझ है नहीं।
समझदार है तो एक गॉड फादर।
बाकी सबको रावण ने नान सेन्सीबुल बना दिया है।
पावन को सेन्सीबुल, पतित को नानसेन्सीबुल कहा जाता है।
इस बेहद की बात को कोई जानते नहीं हैं, यह तो बिल्कुल सिम्पुल है।
सिर्फ बोले हाँ बरोबर हमारा पिता है।
पिता से तो जरूर बिगर कोई खर्चा बच्चे को वर्सा मिलना चाहिए।
बच्चा पैदा होता है और वर्सा मिल जाता है।
लौकिक बाप से बच्चे को वर्सा मिलता ही है जीवनबन्ध का।
यह एक ही बाप है जिसको पतित-पावन कहा जाता है।
यहाँ तो है ही रावण का आसुरी राज्य।
अब तो यह ईश्वर बाप है, कहते भी हैं ना हेविनली गॉड फादर।
तो उससे ही हेविन का वर्सा मिलना चाहिए।
हेविन कहा ही जाता है नई दुनिया को।
पुरानी दुनिया का तो महाविनाश सामने खड़ा है।
जितना देरी होती जायेगी, मनुष्यों को विनाश का निश्चय आता जायेगा।
मनुष्यों को दिल में आता भी जा रहा है।
समझते हैं कल भी लड़ाई छिड़ सकती है।
यह भी समझते हैं मौत सामने खड़ा है।
तुम भी बतलाते हो हम प्रजापिता ब्रह्माकुमार कुमारियां हैं।
शिवबाबा के बच्चे तो हैं ही, वर्से के हकदार बन जाते हैं।
बस सिर्फ बाप और वर्से को याद करो।
कार्ड में भी यह अक्षर डालने हैं।
यह एक ही पहेली हल करो तो एक सेकेण्ड में बिगर कौड़ी खर्चा जीवनमुक्ति मिल सकती है।
सिर्फ बाप और वर्से को याद करने का है।
बस स्वर्ग का मालिक बन जायेंगे ना।
स्वर्ग में भी नम्बरवार पद तो हैं ना।
ज्ञान से फिर आपेही समझ जायेंगे कि हमको क्या करना है।
यहाँ पैसे आदि की कोई बात नहीं।
बाबा हमेशा बच्चों को कहते हैं - मांगने से मरना भला।
बाप से वर्सा पा लिया फिर मांगते क्यों हो?
माँ बाप दोनों चाहते हैं एक लड़का वारिस हो।
तुम अभी बाबा के बच्चे हो ना।
सब फादर कहते हो ना।
बाप आत्माओं से बात करते हैं।
अरे लड़के तो तुम हमारे हो ना, फिर मुझे और वर्से को क्यों नहीं याद करते हो।
इन लड़कों (आत्माओं) से बात करता हूँ ब्रह्मा तन द्वारा।
ब्रह्मा के भी तुम बच्चे ठहरे।
नहीं तो ब्रह्मा के घर आ कैसे सकते।
ब्रह्माकुमार कुमारियों को वर्सा मिलता है दादे का।
स्वर्ग का रचयिता कोई ब्रह्मा नहीं है।
तुम्हारा गुरू तो कोई ब्रह्मा नहीं है।
सतगुरू तो है ही एक।
यह ब्रह्मा भी उससे सीखते हैं, ऐसे नहीं कि सीखकर वह चला जायेगा तो हम गद्दी पर बैठ जायेंगे।
नहीं, ऐसा होता नहीं है, सतगुरू एक ही है।
हम सब उनसे सीखकर सद्गति को पाते हैं।
बच्चे सर्विस बहुत कर सकते हैं।
बहुत चांस है।
मन्दिरों आदि में भी यह कार्ड ले जाकर समझा सकते हो।
कोई काम करके दिखावे।
बाबा जो युक्ति बताते हैं, बड़ा ही इज़ी है।
बाबा जांच करते रहते हैं।
देखें कहाँ से समाचार आता है कि बाबा ट्रेन में हमने 10-20 से यह प्रश्न पूछा।
एक से प्रश्न पूछेंगे तो 10 सुनेंगे।
घर में बैठ किसी को समझाया, यह कोई बड़ी बात थोड़ेही है।
बाप कहते हैं सिर्फ बाप और वर्से को याद करो।
छोटे बच्चे को तो बुद्धि में नहीं रहता है।
जब बालिग होता है तब बुद्धि में रहता है।
तुम्हारे तो आरगन्स बड़े हैं।
सेकेण्ड में जीवनमुक्ति मिलती है।
जानते हो बाबा हमें स्वर्ग का वर्सा देते हैं।
बिचारे मनुष्य बाहर बहुत धक्के खाते रहते हैं।
उन्हों को छुड़ायें कैसे।
इसमें युक्तियां बहुत चाहिए।
कितनी बच्चियाँ घर बैठे लिखती हैं कि बाबा हम तो आपके हो गये।
कभी देखा भी नहीं, मिली भी नहीं।
लिखती हैं बाबा हम आपके हैं।
आपसे वर्सा हम लेकर ही रहूँगी।
मार भी खाती रहती हैं।
ऐसी बच्चियाँ बहुतों से आगे जा सकती हैं।
तुम तो मार भी नहीं खाते हो तो भी यह सर्विस नहीं करते हो।
बाबा की भी सुनी अनसुनी कर देते हैं।
तुम कोई भी भाषा में कार्ड छपवा सकते हो।
काम करने वालों की बुद्धि चलनी चाहिए।
बाबा कोई जास्ती काम थोड़ेही देते हैं।
उस दुनिया की गवर्मेन्ट की कितनी बड़ी पंचायतें हैं - विनाश के लिए।
तुम्हारे पास अविनाशी पद पाने के लिए कितनी अच्छी युक्तियां हैं।
भक्ति मार्ग में बहुत खर्चा करते हैं और तुम देखो क्या कर रहे हो।
कोई खर्चा नहीं।
भक्ति मार्ग में बहुत खर्चा होता है - तुम एक सेकेण्ड में जीवनमुक्ति पाते हो।
सेन्सीबुल जो बच्चे हैं वह बाबा को कार्ड छपाकर दिखावें।
हम कितना सहज बाबा से वर्सा ले रहे हैं।
मनुष्य तो कितने दु:खी होते हैं।
कितने तो यात्रा में बीच से ही लौट आते हैं।
गरीब बिचारे बहुत भटकते हैं।
उन बिचारों पर तरस पड़ता है।
तुम गॉड फादर के बच्चे हो तो तुमको तो स्वर्ग में आना चाहिए।
यहाँ तुम नर्क में क्यों पड़े हो।
यह कोई बताने वाला चाहिए।
तुम किसको भी समझा सकते हो कि अल्लाह को याद करो, अल्लाह के घर जाने के लिए।
वहाँ से ही तुम आये हो।
अब बाप को याद करो।
नन वट वन।
नन्स को ही समझाना पड़े।
तुमको याद करना है - गॉड को।
क्राइस्ट ने भी उनको याद किया है।
समझो ब्रह्मा चला जाता है तो भी तुमको याद तो शिवबाबा को करना है।
शरीर तो छूटेगा ही।
तुमको याद उनको करना है।
शिवबाबा कहते हैं सिर्फ मुझे ही याद करो।
किसी देहधारी को याद नहीं करना है।
देही-अभिमानी बनना है।
देहधारी तो सब मरे पड़े हैं।
बाप कहते हैं मामेकम् याद करो।
दुनिया में तो एक दो को दु:खी करते रहते हैं।
यहाँ हम एक बात कान में सुनाते हैं।
है बहुत इजी।
अल्फ और बे, बाप और बादशाही को याद करो।
मनमनाभव का अर्थ ही यह है।
बाकी तो सब है डिटेल।
बाप कल्याणकारी है।
बच्चों को भी कल्याणकारी बनना है।
बच्चों को भी सबूत देना है।
आज हमने कितनों का कल्याण किया।
कल्याण करने लिए घूमना पड़ता है।
धर्म स्थापना अर्थ भी धक्का खाना पड़ता है।
हम ऐसी यात्रा सिखलाते हैं जो कब दूसरी यात्रा करनी न पड़े, मनमनाभव।
यात्रियों के पिछाड़ी लग जाना चाहिए।
बड़ी शुरूड (समझदार) बुद्धि चाहिए।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) हीरे जैसा बनने का साधन बाप की याद है।
बाप की याद से बिगर कौड़ी खर्चा विश्व की बादशाही मिल जायेगी इसलिए निरन्तर एक बाप की याद में रहना है।
2) मांगने से मरना भला - बाप से सब कुछ मिल गया इसलिए मांगना नहीं है।
कल्याणकारी बन सबको सच्चा रास्ता बताना है।
वरदान:-
( All Blessings of 2021-22)
- सर्व खजानों को कार्य में लगाकर बढ़ाने वाले योगी सो प्रयोगी आत्मा भव
- बापदादा ने बच्चों को सर्व खजाने प्रयोग के लिए दिये हैं।
- जो जितना प्रयोगी बनते हैं, प्रयोगी की निशानी है प्रगति।
- अगर प्रगति नहीं होती है तो प्रयोगी नहीं।
- योग का अर्थ ही है प्रयोग में लाना।
- तो तन-मन-धन या वस्तु जो भी बाप द्वारा मिली हुई अमानत है, उसे अलबेलेपन के कारण व्यर्थ नहीं गंवाना, बल्कि उसे कार्य में लगाकर एक से दस गुना बढ़ाना, कम खर्च बाला नशीन बनना - यही योगी सो प्रयोगी आत्मा की निशानी है।
स्लोगन:-
(All Slogans of 2021-22)
- विकर्मो और विकारों का त्याग करना ही सच्चा त्याग है।
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