06-10-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
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मीठे बच्चे - ज़रा भी ग़फलत की तो माया ऐसा हप कर लेगी जो ईश्वरीय संग से भी दूर चले जायेंगे, इसलिए अपनी सम्भाल करो, खबरदार रहो''
प्रश्नः-
इस ईश्वरीय क्लास में बैठने का कायदा कौन सा है?
उत्तर:-
इस क्लास में वही बैठ सकता है जिसने बाप को यथार्थ पहचाना है।
यहाँ बैठने वालों की अव्यभिचारी याद चाहिए।
अगर यहाँ बैठे औरों को याद करते रहे तो वह वायुमण्डल को खराब करते हैं।
यह भी बहुत बड़ी डिससर्विस है।
यहाँ के कायदे कड़े होने के कारण तुम्हारी वृद्धि कम होती है।
प्रश्नः-
किस एक बात से बच्चों की अवस्था का पता पड़ता है?
उत्तर:-
इस रोगी भोगी दुनिया में कभी कोई पेपर आता और रोने लगते तो अवस्था का पता पड़ जाता।
तुम्हें रोने की मना है।
गीत:- मुखड़ा देख ले प्राणी....
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- ओम् शान्ति।
- यह किसने कहा प्राणी अथवा आत्मा, कहते हैं ना इनके प्राण निकल गये।
- तो आत्मा निकल गई ना।
- तो प्राण आत्मा को कहेंगे, न कि शरीर को।
- बाप आत्माओं से पूछते हैं - पाप आत्मा हो वा पुण्य आत्मा हो?
- सभी अपने को पतित तो मानते हैं।
- तो बाप कहते हैं कि अपनी आत्मा से पूछो कि हमने कौन-कौन से पाप किये हैं?
- कब किये हैं?
- पाप आत्मा तो सभी हैं ना।
- परन्तु नम्बरवार तो होते ही हैं।
- तो नम्बरवार पुण्य आत्मा कौन हैं?
- नम्बरवन पाप आत्मा कौन है?
- भारत पावन था, अब पतित है।
- आज सभी मनुष्य मात्र माया के गुलाम बन गये हैं।
- आधाकल्प माया के गुलाम बनते हैं, फिर माया को गुलाम बनाते हैं, तब उन्हों को पुण्य आत्मा कहा जाता है।
- लक्ष्मी-नारायण को भगवान-भगवती कहा जाता है।
- वह अब कहाँ गये?
- सतयुग में सिर्फ लक्ष्मी-नारायण तो नहीं थे, परन्तु उनकी पूरी डिनायस्टी थी।
- उस समय के भारत को पावन कहा जाता था।
- वहाँ दैवी गुण वाले मनुष्य थे।
- कहते हैं सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण... तो पुण्य आत्मा ठहरे ना।
- फिर कहते हैं अहिंसा परमोधर्म:।
- तो वह अहिंसक भी थे।
- हिंसा के दो अर्थ हैं - हिंसा माना किसका घात करना, मारना।
- घात भी दो प्रकार का होता है।
- एक काम कटारी से मारना, दूसरा किसको क्रोध से मारना।
- यह भी हिंसा है।
- इस समय सब पाप आत्मा हैं।
- कहते हैं ना मुझ निर्गुण हारे में कोई गुण नाही।
- तो नम्बरवार होते हैं ना।
- परन्तु हैं पाप आत्मा, तो जब बाप आता है तो बाप को पहचानना चाहिए।
- कहते हैं - परमपिता, तो उनको कोई पिता नहीं, वह सबका पिता है, वह सबका टीचर है।
- परमपिता जो परमधाम में रहते हैं, उनको कोई बाप नहीं है।
- बाकी सबका बाप होता है।
- ब्रह्मा, विष्णु, शंकर का भी बाप है।
- कहते हैं शिवाए नम: तो बाप हुआ ना।
- बाप पुनर्जन्म में नहीं आते हैं।
- परन्तु वह कल्प में एक बार जन्म लेते हैं।
- कहते हैं शिव जयन्ती, तो जन्म हुआ ना।
- शास्त्रवादी तो नहीं जानते हैं शिव कैसे जन्म लेते हैं?
- कहते हैं शिवरात्रि, रात्रि कौन सी?
- रात्रि में मनुष्य अंधकार वश धक्का खाते हैं फिर भक्ति मार्ग में भी कहते हैं गंगा स्नान करो।
- चार धाम की यात्रा करो, यह करो।
- तो धक्के हुए ना।
- यह हो गई रात। सतयुग त्रेता है दिन।
- सतयुग में है सुख।
- वहाँ परमात्मा को याद करने की दरकार नहीं।
- कहते हैं दु:ख में सिमरण सब करें, तो भक्त बाप का सिमरण करते हैं, साधना करते हैं तो पतित ठहरे ना।
- तो पतित भारत को ही कहेंगे क्योंकि भारत ही पावन था।
- जब देवी-देवता धर्म था, पवित्र आत्मायें थे।
- सतयुग में और धर्म होते नहीं।
- बाकी और धर्म की जो पतित आत्मायें हैं वह सजायें खाकर परमधाम में रहती हैं।
- सतयुग में आती नहीं।
- सतयुग में सुख-शान्ति-सम्पत्ति सब थी।
- वहाँ है ही प्रालब्ध।
- यहाँ तुम बच्चों की अभी है एक मत।
- वहाँ एक घर में हैं अनेक मत।
- बाप गणेश को याद करेगा तो बच्चा हनूमान को, तो अनेक मत हुई ना।
- यहाँ बाप से बच्चों को वर्सा मिलता है।
- ऐसे तो किसको भी बाबा कह देते हैं।
- गाँधी भी बापू था ना - परन्तु सबका बाप नहीं था।
- यह है बेहद का बाप।
- बाप आकर जंजीरों से छुड़ाते हैं।
- भक्ति की भी जंजीरें हैं।
- यह समझते थोड़ेही है कि हम पतित हैं।
- पतितों को पावन बनाने वाला एक बाप है।
- तुम एक सत्य बाप को मानते हो।
- और सतसंग में जाओ तो कोई मना नहीं करेंगे।
- यहाँ तो बिल्कुल मना की जाती है।
- जब तक बाप को नहीं जाना है तब तक क्लास में नहीं बैठ सकते क्योंकि जब तक याद नहीं तब तक लायक नहीं।
- माया नालायक बना देती है।
- कहते हैं मुझ निर्गुण हारे में कोई गुण नाही।
- यह सब गाते हैं।
- गोया सब पतित हैं।
- ब्रह्मा विष्णु शंकर को भी गाली देते हैं।
- उन्हों की जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि दिखाई पड़ती है।
- अगर यहाँ कोई बैठकर भी औरों को याद करता रहे तो वह व्यभिचारी याद हो गई ना।
- भल याद पूरी रीति ठहरती नहीं है क्योंकि माया बुद्धियोग तोड़ देती है।
- फिर भी बाप तुम्हें बुद्धियोग लगाना सिखलाते हैं।
अन्त में तुम्हारी याद ठहर जायेगी।
- तब अन्त के लिए गायन है कि अतीन्द्रिय सुख पूछना हो तो गोप-गोपियों से पूछो।
- यह संस्था इसलिए वृद्धि को नहीं पाती क्योंकि यहाँ के कायदे कड़े हैं।
- जब तक बाप को नहीं जाना है तब तक क्लास में बैठ नहीं सकते क्योंकि यहाँ अव्यभिचारी याद चाहिए।
- कोई सचखण्ड का मालिक नहीं बना सकता है।
- तुम सचखण्ड के मालिक बाप द्वारा बनते हो।
- अब तो झूठ खण्ड है, कहते हैं ना - झूठी काया, झूठी माया... आधाकल्प ऐसे ही चलता है।
- समझो बाप ज्ञान में आता है तो रचना को भी पावन बनाना पड़े।
- अगर बच्चे पवित्र नहीं बनें तो कपूत ठहरे।
- घर में अगर एक पवित्र बने, दूसरा न बनें तो झगड़ा हो पड़ता है इसलिए मनुष्यों का हृदय विदीरण होता है।
- यहाँ सुनते तो अच्छा-अच्छा कहते हैं परन्तु फिर बाहर गया तो फिर वैसे ही बन पड़ते।
- समझते हैं - संन्यासी तो कहते हैं गृहस्थ व्यवहार में रहते पवित्र हो नहीं सकते।
- तो हम कैसे रह सकेंगे।
- परन्तु यहाँ तो प्रतिज्ञा करनी पड़ती है।
- बच्चे भी कहते हैं हम पवित्र बनेंगे।
- आधाकल्प तो हमने पुकारा है कि सद्गति दाता आओ।
- तो अब वह आये हैं।
- तो अब उनकी मानेंगे या भला किसी दूसरे की मानेंगे!
- बाप कहते हैं अगर नहीं मानेंगे तो सतयुग में कैसे चल सकेंगे।
- अगर बाप का बच्चा नहीं तो कपूत ठहरे ना, फिर ठहर नहीं सकेंगे।
- उनका रहना मुश्किल हो पड़ेगा।
- हंस और बगुले हो गये, इकट्ठे कैसे रह सकेंगे।
- अच्छा कहाँ स्त्री पवित्र बनती।
- पति पवित्र नहीं बनता तो स्त्री पुकारती है। बाप कहते हैं बच्चे, तुमको सहन करना पड़ेगा।
- अच्छा जाकर काम करो, बर्तन मांजो। रोटी टुकड़ा ही तो चाहिए ना।
- विकार में जाने से तो बर्तन मांजना अच्छा है ना।
- बच्ची को लौकिक बाप भी एशलम नहीं देते हैं।
- वह भी कहेंगे हमने तेरा हाथ इसलिए बांधा है, विकार में जाना पड़े।
- परन्तु पारलौकिक बाप कहते हैं दे दान तो छूटे ग्रहण।
- 5 विकारों का दान दो तो ग्रहण उतरे।
- चन्द्रमा मुआफिक 16 कला सम्पूर्ण बन जायेंगे।
- श्रीकृष्ण 16 कला सम्पूर्ण है ना।
- अभी नो कला।
- अभी तो सब पतित हैं।
- कहते हैं ना - हम पतित हैं फिर कहो कि तुम नर्कवासी हो, तो बिगड़ते हैं।
- इस समय यथा राजा तथा प्रजा सब पतित हैं।
- सतयुग है श्रेष्ठाचारी।
- सतयुग में कोई रोता नहीं।
- तो तुमको यहाँ भी रोने का हुक्म नहीं।
- रोते हो गोया अवस्था की कमी है।
- जब बाप 21 जन्मों की बादशाही देते हैं।
- फिर रोने की क्या दरकार है, परन्तु यह भूल जाते हो।
- यह रोगी दुनिया है, भोगी दुनिया है।
- सतयुग निरोगी, योगी दुनिया है।
- यहाँ तो बाप को याद करना है।
- याद नहीं करते तो डिससर्विस करते हो क्योंकि वायुमण्डल खराब करेंगे।
- यहाँ तो सब हैं ही पतित।
- तो पतित को दान करने से तो पावन बन न सकें।
- पतित को दिया तो वह काम ही पतित करेंगे।
- यहाँ तो पतितों का पतितों के साथ व्यवहार है।
- वहाँ तो पावन का पावन के साथ व्यवहार होगा।
- व्यभिचारी अक्षर तो बुरा है ना।
- पहले भक्ति भी अव्यभिचारी थी।
- शिव की ही पूजा करते थे।
- पीछे देवताओं की भक्ति शुरू की, पीछे रजोगुणी भक्ति कहा जाता है।
- अभी तो मनुष्यों की पूजा करने लग पड़े हैं।
- संन्यासियों के चरण धोकर पीते हैं।
- मनुष्यों की पूजा को भूत पूजा कहा जाता है अर्थात् 5 तत्वों के बने हुए शरीर की पूजा।
- समझते कुछ भी नहीं।
- तब कहा जाता है अन्धे की औलाद अन्धे।
- तुम हो सज्जे की औलाद सज्जे।
- तो वह अन्धेरे में धक्के खाते रहते हैं।
- कहते हैं गुरू ब्रह्मा, गुरू विष्णु, गुरू शंकर... यह भी कहना रांग है।
- विष्णु तो है सतयुग में रहने वाला।
- वह तो अपनी प्रालब्ध भोगते हैं।
- बाकी है ब्रह्मा गुरू, वह भी तब जब इस तन में बाप आये।
- जब तक बाप नहीं आते हैं तब तक यह भी किस काम के।
- बेहद का बाप कहते हैं जो मेरी श्रीमत पर चलता है वही मेरा सपूत बच्चा है।
- जैसे गवर्मेन्ट आर्डीनेन्स निकालती है, ऐसे यह पाण्डव गवर्मेन्ट भी आर्डीनेन्स निकालती है कि पवित्र बनेंगे तो पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे।
- तो बाप कहते हैं कि देह सहित देह के सब संबंध भूल मामेकम् याद करो, इस शरीर से बुद्धियोग तुड़वाते हैं और आत्मा की परमात्मा से सगाई कराते हैं।
- तो बाप को याद करना चाहिए और शरीर से भी ममत्व निकालना है।
- मोहजीत की एक कहानी है ना, तो तुमको भी मोहजीत बनना है।
- यह है युद्ध का मैदान, इस युद्ध में जरा भी गफलत की तो माया हप कर लेती है।
- कहते हैं कि गज को ग्राह (मगरमच्छ) ने पकड़ा।
- कोई ऐसी बात नहीं कि गज अर्थात् हाथी कोई पानी में गया, ग्राह ने पकड़ लिया।
- नहीं, यह यहाँ की बात है।
- अच्छे-अच्छे महारथी हैं, बहुतों को समझाते भी हैं, सेन्टर्स भी सम्भालते हैं।
- अगर उन्होंने भी जरा गफलत की तो माया हप कर लेती है।
- ऐसा हप करती है जो बाप के संग से ही भगा ले जाती है।
- पुरानी दुनिया में चले जाते हैं इसलिए बड़ी सम्भाल रखनी पड़ती है क्योंकि माया से बॉक्सिंग है।
- और यह बिल्कुल समझने की बातें हैं।
- सिर्फ सत-सत करने की बात नहीं है।
- सत-सत तो भक्ति मार्ग में करते हैं कि फलाना नाक से पैदा हुआ, यह भी सत, हनूमान पवन से पैदा हुआ, हाँ जी सत्य।
- वह तो सब हैं भक्ति मार्ग की बातें।
- यहाँ तो ज्ञान की बातें हैं जो धारण करना है।
- माया से युद्ध करनी है।
- अगर बाप का बनकर कोई पाप कर्म किया तो और ही सौ गुणा दण्ड मिलेगा।
- तो बाबा बहुत खबरदार करते हैं। देखो, अब तो बापदादा सम्मुख बैठ पढ़ा रहे हैं।
- अब यह थोडेही कहेंगे हे भगवान। नहीं।
- शिवबाबा का बच्चा एक ब्रह्मा है फिर ब्रह्मा सो विष्णु बनते हैं।
...अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुड़मार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
1) चन्द्रमा समान 16 कला सम्पन्न बनने के लिए 5 विकारों का पूरा दान दे ग्रहण से मुक्त हो जाना है।
2) बाप का बनकर कोई पाप कर्म नहीं करना है।
शरीर से भी ममत्व निकाल मोहजीत बन जाना है।
( All Blessings of 2021-22)
अपनी श्रेष्ठ दृष्टि, वृत्ति द्वारा सृष्टि का परिवर्तन करने वाले विश्व के आधारमूर्त भव
आप बच्चे विश्व की सर्व आत्माओं के आधारमूर्त हो।
आपकी श्रेष्ठ वृत्ति से विश्व का वातावरण परिवर्तन हो रहा है, आपकी पवित्र दृष्टि से विश्व की आत्मायें और प्रकृति दोनों पवित्र बन रही हैं।
आपकी दृष्टि से सृष्टि बदल रही है।
आपके श्रेष्ठ कर्मो से श्रेष्ठाचारी दुनिया बन रही है, ऐसी जिम्मेवारी का ताज पहनने वाले आप बच्चे ही भविष्य के ताजधारी बनते हो।
(All Slogans of 2021-22)
- न्यारे और अधिकारी बनकर कर्म करो तो कोई भी बंधन अपने बंधन में बांध नहीं सकता।
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