कितनी योग की ताकत चाहिए।
योग की ताकत से ही तुम कल्प-कल्प स्वर्ग की स्थापना करते हो।
योगबल से होती है स्थापना, बाहुबल से होता है विनाश।
तुम जो सतोप्रधान थे, वह अब तमोप्रधान बने हो।
फिर सतोप्रधान बनना है।
हर एक चीज़ नई से पुरानी ज़रूर होती है।
सतोप्रधान से तमोप्रधान बने हो फिर सतोप्रधान बनना है।
आत्मा संस्कारों अनुसार एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है।
अब आत्माओं को घर जाना है।
यह भी ड्रामा है।
सृष्टि चक्र रिपीट होता ही रहता है।