- ओम् शान्ति। म्युज़ियम, प्रदर्शनी में समझाना है कि यह है पुरुषोत्तम संगमयुग।
- समझदार तो सिर्फ तुम ही हो, तो सबको कितना समझाना पड़ता है कि यह पुरुषोत्तम संगमयुग है।
- सबसे जास्ती सर्विस स्थान है म्युजियम।
- वहाँ बहुत आते हैं, अच्छे सर्विसएबुल बच्चे कम हैं।
- सर्विस स्टेशन सब सेन्टर्स हैं।
- देहली में लिखा है स्प्रीचुअल म्युजियम।
- इसका भी ठीक अर्थ नहीं निकलता है।
- बहुत लोग प्रश्न पूछते हैं तुम भारत की क्या सेवा कर रहे हो?
- भगवानुवाच है ना - यह है फारेस्ट।
- तुम इस समय संगम पर हो।
- न हो फारेस्ट के, न हो गार्डन के।
- अब गार्डन में जाने का पुरुषार्थ कर रहे हो।
- तुम इस रावण राज्य को राम राज्य बना रहे हो।
- तुमसे प्रश्न पूछते हैं - इतना खर्चा कहाँ से आया?
- बोलो, हम बी.के. ही करते हैं।
- राम राज्य की स्थापना हो रही है।
- तुम थोड़ा रोज़ आकर समझो कि हम क्या कर रहे हैं, हमारी एम आब्जेक्ट क्या है?
- वो लोग सावरन्टी को मानते नहीं, इसलिए राजाओं की राजाई खत्म कर दी है।
- इस समय वो भी तमोप्रधान बन पड़े हैं, इसलिए अच्छे नहीं लगते।
- उन्हों का भी ड्रामा अनुसार दोष नहीं।
- जो कुछ ड्रामा में होता है वह हम पार्ट बजाते हैं।
- कल्प-कल्प बाप द्वारा स्थापना का यह पार्ट चलता है।
- खर्चा भी तुम बच्चे ही करते हो, अपने लिए।
- श्रीमत पर अपना खर्चा कर अपने लिए सतयुगी राजधानी बना रहे हो, और किसको पता भी नहीं है।
- तुम्हारा नाम मशहूर है अननोन वारियर्स।
- वास्तव में उस सेना में अननोन वारियर्स कोई होते नहीं हैं।
- सिपाही लोगों का रजिस्टर रहता है।
- ऐसा हो न सके जिसका नाम नम्बर रजिस्टर में न हो।
- वास्तव में अननोन वारियर्स तुम हो।
- तुम्हारा कोई रजिस्टर में नाम नहीं।
- तुमको कोई हथियार पंवार नहीं।
- इसमें जिस्मानी हिंसा तो है नहीं।
- योगबल से तुम विश्व पर जीत पाते हो।
- ईश्वर सर्वशक्तिमान् है ना।
- याद से तुम शक्ति ले रहे हो।
- सतोप्रधान बनने के लिए तुम बाप से योग लगा रहे हो।
- तुम सतोप्रधान बने तो राज्य भी सतोप्रधान चाहिए।
- सो तुम श्रीमत पर स्थापन करते हो।
- इनकागनीटो उनको कहा जाता है, जो है परन्तु देखने में न आये।
- तुम शिव-बाबा को भी इन आंखों से देख नहीं सकते।
- तुम भी गुप्त, तो शक्ति भी तुम गुप्त ले रहे हो।
- तुम समझते हो हम पतित से पावन बन रहे हैं और पावन में ही शक्ति होती है।
- तुम सतयुग में सब पावन होंगे।
- उनके ही 84 जन्मों की कहानी बाप बतलाते हैं।
- तुम बाप से शक्ति ले, पवित्र बन फिर पवित्र दुनिया में राज्य भाग्य करेंगे।
- बाहुबल से कभी कोई विश्व पर जीत पा न सके।
- यह है योगबल की बात।
- वो लड़ते हैं, राज्य तुम्हारे हाथ में आना है।
- बाप सर्वशक्तिमान् है तो उनसे शक्ति मिलनी चाहिए।
- तुम बाप को और रचना के आदि-मध्य-अन्त को भी जानते हो।
- तुम जानते हो हम ही स्वदर्शन चक्रधारी हैं।
- यह सबको स्मृति नहीं रहती है।
- तुम बच्चों को स्मृति रहनी चाहिए क्योंकि तुम बच्चों को ही यह नॉलेज मिलती है।
- बाहर वाले तो कोई समझ न सकें इसलिए सभा में बिठाया नहीं जाता।
- पतित-पावन बाप को सब बुलाते हैं,
- परन्तु अपने को पतित कोई समझते नहीं हैं, ऐसे ही गाते रहते हैं पतित-पावन सीताराम।
- तुम सब हो ब्राइड्स, बाप है ब्राइडग्रुम।
- वो आते ही हैं सर्व की सद्गति करने।
- तुम बच्चों को श्रृंगार कराते हैं।
- तुमको डबल इंजन मिली है।
- रोल्स रॉयल्स में इंजन बहुत अच्छी होती है।
- बाप भी ऐसे हैं।
- कहते हैं पतित-पावन आओ, हमको पावन बनाकर साथ ले जाओ।
- तुम सब शान्त में बैठे हो।
- कोई झांझ आदि नहीं बजाते।
- तकल़ीफ की बात नहीं।
- चलते-फिरते बाप को याद करते रहो, जो मिले उनको रास्ता बताते रहो।
- बाप कहते हैं मेरे वा लक्ष्मी-नारायण, राधे-कृष्ण आदि के जो भक्त हैं, उनको यह दान देना है, व्यर्थ नहीं गँवाना है।
- पात्र को ही दान दिया जाता है।
- पतित मनुष्य, पतित को ही दान देते रहते हैं।
- बाप है सर्वशक्तिमान्, उनसे तुम शक्ति लेकर उत्तम बनते हो।
- रावण जब आता है उस समय भी संगम हुआ - त्रेता और द्वापर का।
- यह संगम है कलियुग और सतयुग का।
- ज्ञान कितना समय और भक्ति कितना समय चलती है - यह सब बातें तुमको समझकर समझानी है।
- मुख्य बात है बेहद के बाप को याद करो।
- जब बेहद का बाप आते हैं तो विनाश भी होता है।
- महाभारत लड़ाई कब लगी?
- जब भगवान् ने राजयोग सिखलाया था।
- समझ में आता है नई दुनिया का आदि, पुरानी दुनिया का अन्त अर्थात् विनाश होना है।
- दुनिया घोर अन्धियारे में पड़ी है, अब उनको जगाना है।
- आधाकल्प से सोये पड़े हैं।
- बाप समझाते हैं अपने को आत्मा समझ भाई-भाई की दृष्टि से देखो।
- तो तुम जब किसको ज्ञान देंगे तो तुम्हारी वाणी में त़ाकत आयेगी।
- आत्मा ही पावन और पतित बनती है।
- आत्मा पावन बनें तब शरीर भी पावन मिले।
- अभी तो मिल न सके।
- पावन सभी को बनना है।
- कोई योगबल से, कोई सजाओं से।
- मेहनत है याद के यात्रा की।
- बाबा प्रैक्टिस भी कराते रहते हैं।
- कहाँ भी जाओ तो बाबा की याद में जाओ।
- जैसे पादरी लोग शान्ति में क्राइस्ट की याद में जाते हैं और क्राइस्ट को याद करते हैं।
- भारतवासी तो अनेकों को याद करते हैं।
- बाप कहते हैं एक के सिवाए और किसी को याद न करो।
- बेहद के बाप से हम मुक्ति और जीवनमुक्ति के हकदार बनते हैं।
- सेकेण्ड में जीवनमुक्ति मिलती है।
- सतयुग में सब जीवनमुक्ति में थे, कलियुग में सब जीवनबंध में हैं।
- यह किसको भी पता नहीं है, यह सब बातें बाप बच्चों को समझाते हैं।
- बच्चे फिर बाप का शो करते हैं।
- सब तरफ चक्कर लगाते हैं।
- तुम्हारा फ़र्ज है मनुष्य मात्र को यह पैगाम देना कि यह पुरुषोत्तम संगमयुग है।
- बेहद का बाप बेहद का वर्सा देने आया है।
- बाप कहते हैं मामेकम् याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
- पाप कट जायेंगे।
- यह है सच्ची गीता, जो बाप सिखलाते हैं।
- मनुष्य मत से गिरे हो, भगवान् की मत से तुम वर्सा ले रहे हो।
- मूल बात है - उठते-बैठते, चलते-फिरते बाबा को याद करते रहो और परिचय देते रहो।
- बैज तो तुम्हारे पास है, फ्री देने में हर्जा नहीं है।
- परन्तु पात्र देखकर।
- बाप बच्चों को उल्हना देते हैं कि तुम लौकिक बाप को याद करते हो और मुझ पारलौकिक बाप को भूल जाते हो।
- लज्जा नहीं आती।
- तुम ही पवित्र प्रवृत्ति मार्ग के गृहस्थ व्यवहार में थे, फिर अब बनना है।
- तुम हो भगवान् के सौदागर।
- अपने अन्दर देखो बुद्धि कहाँ भटकती तो नहीं है?
- बाप को कितना समय याद किया?
- बाप कहते हैं और संग तोड़ एक संग जोड़ो।
- भूल नहीं करनी है।
- यह भी समझाया है भाई-भाई की दृष्टि से देखो तो देह नहीं देखेंगे।
- दृष्टि बिगड़ेगी नहीं।
- मंज़िल है ना।
- यह ज्ञान अभी ही तुमको मिलता है।
- भाई-भाई तो सब कहते हैं, मनुष्य कहते हैं, ब्रदरहुड।
- यह तो ठीक है।
- परमपिता परमात्मा की हम सन्तान हैं।
- फिर यहाँ क्यों बैठे हो?
- बाप स्वर्ग की स्थापना करते हैं तो ऐसे-ऐसे समझाते उन्नति को प्राप्त करते रहो।
- बाप को सर्विसएबुल बच्चियां बहुत चाहिए।
- सेन्टर्स खुलते जाते हैं।
- बच्चों को शौक है, समझते हैं बहुतों का कल्याण होगा।
- परन्तु टीचर्स सम्भालने वाली भी अच्छी महारथी चाहिए।
- टीचर्स भी नम्बरवार हैं।
- बाबा कहते हैं जहाँ लक्ष्मी-नारायण का मन्दिर हो, शिव का मन्दिर हो, गंगा का कण्ठा हो, जहाँ बहुत भीड़ होती हो वहाँ सर्विस करनी चाहिए।
- समझाओ - भगवान् कहते हैं काम महाशत्रु है।
- तुम श्रीमत प्रमाण सर्विस करते रहो।
- यह तुम्हारा ईश्वरीय परिवार है, यहाँ 7 रोज़ भट्ठी में आकर परिवार के साथ रहते हो।
- तुम बच्चों को बहुत खुशी होनी चाहिए।
- बेहद का बाप जिससे तुम पद्मापद्म भाग्यशाली बनते हो।
- दुनिया जानती नहीं कि भगवान् भी पढ़ा सकते हैं।
- यहाँ तुम पढ़ते हो तो तुमको कितनी खुशी होनी चाहिए।
- हम ऊंच ते ऊंच जाने के लिए पढ़ रहे हैं।
- कितना फ्राक दिल होना चाहिए।
- बाप के ऊपर तुम कर्ज चढ़ाते हो।
- ईश्वर अर्थ जो देते हो, दूसरे जन्म में इनका रिटर्न लेते हो ना।
- बाबा को तुमने सब कुछ दिया तो बाबा को भी सब कुछ देना पड़ेगा।
- मैंने बाबा को दिया, यह कभी ख्याल नहीं आना चाहिए।
- बहुतों के अन्दर चलता है - हमने इतना दिया, हमारी खातिरी क्यों नहीं हुई?
- तुम चावल मुट्ठी देकर विश्व की बादशाही लेते हो।
- बाबा तो दाता है ना।
- राजायें रॉयल होते हैं, पहले-पहले जब मुलाकात होती है तो हम नज़राना देते हैं, वे कभी हाथ में नहीं लेंगे।
- सेक्रेटरी तऱफ ईशारा करेंगे।
- तो शिवबाबा जो दाता है वह कैसे लेंगे।
- यह बेहद का बाप है ना।
- इनके आगे तुम नज़राना रखते हो।
- परन्तु बाबा तो रिटर्न में सौ गुणा देंगे।
- तो मैंने दिया - यह ख्याल कभी नहीं आना चाहिए।
- हमेशा समझो हम तो लेते हैं।
- वहाँ तुम पद्मपति बनेंगे।
- तुम प्रैक्टिकल में पद्मापद्म भाग्यशाली बनते हो।
- बहुत बच्चे फ्राकदिल भी हैं।
- तो कई मनहूस (कन्जूस) भी हैं।
- समझते ही नहीं हैं कि पद्मापद्मपति हम बनते हैं, हम बहुत सुखी बनते हैं।
- जब परमात्मा बाप गैर हाज़िर है तो इनडायरेक्ट अल्पकाल के लिए फल देते हैं।
- जब हाजिर हैं तो 21जन्म के लिए देते हैं।
- यह गाया हुआ है शिवबाबा का भण्डारा भरपूर।
- देखो, ढेर बच्चे हैं, किसको भी यह मालूम नहीं है कि कौन क्या देते हैं?
- बाप जाने और बाप की गोथरी (ब्रह्मा) जाने, जिसमें बाप रहते हैं - बिल्कुल साधारण।
- इस कारण बच्चे यहाँ से बाहर निकलते हैं तो वह नशा गुम हो जाता है।
- ज्ञान योग नहीं तो खिट-खिट चलती रहती है।
- अच्छे-अच्छे बच्चों को भी माया हरा देती है।
- माया बेमुख कर देती है।
- शिवबाबा, जिसके पास तुम आते हो, उनको तुम याद नहीं कर सकते हो!
- अन्दर अथाह खुशी होनी चाहिए।
- वह दिन आया आज, जिसके लिए कहते थे आप आयेंगे तो हम आपके बनेंगे।
- भगवान् आकर एडाप्ट करते हैं तो कितना खुशनसीब कहेंगे।
- कितना खुशी में रहना चाहिए।
- परन्तु माया खुशी गँवा देती है।
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) भगवान् ने हमें एडाप्ट किया है, वही हमें टीचर बनकर पढ़ा रहे हैं, अपने पद्मापद्म भाग्य का सिमरण कर खुशी में रहना है।
2) हम आत्मा भाई-भाई हैं, यह दृष्टि पक्की करनी है। देह को नहीं देखना है। भगवान् से सौदा करने के बाद फिर बुद्धि को भटकाना नहीं है।
( All Blessings of 2021-22)
इस अलौकिक जीवन में संबंध की शक्ति से अविनाशी स्नेह और सहयोग प्राप्त करने वाली श्रेष्ठ आत्मा भव
इस अलौकिक जीवन में संबंध की शक्ति आप बच्चों को डबल रूप में प्राप्त है। एक बाप द्वारा सर्व संबंध, दूसरा दैवी परिवार द्वारा संबंध। इस संबंध से सदा नि:स्वार्थ स्नेह, अविनाशी स्नेह और सहयोग सदा प्राप्त होता रहता है। तो आपके पास संबंध की भी शक्ति है। ऐसी श्रेष्ठ अलौकिक जीवन वाली शक्ति सम्पन्न वरदानी आत्मायें हो इसलिए अर्जी करने वाले नहीं, सदा राज़ी रहने वाले बनो।
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