आज की मुरली से ( 27.04.2021 )

 

"...पतित-पावन को बुलाते हैं।
परन्तु उस बाप को

कोई जानते नहीं हैं

इसलिए

निधनके बन पड़े हैं।

 


अभी तुम बाप से

स्वर्ग का वर्सा लेने का

पुरूषार्थ कर रहे हो।

 


सदा सुखी बनाने वाला

एक ही बाप है।

बाप सर्व का सद्गति दाता है।

 

 

मनुष्य की

गति-सद्गति माना

मुक्ति-जीवनमुक्ति।
सो तो बाप ही दे सकते हैं।

 


लक्ष्मी-नारायण के राज्य का

कोई को पता नहीं है।

यह बाप ही बैठ समझाते हैं कि

सारी सृष्टि का चक्र

कैसे फिरता है।

 


जब भारत स्वर्ग था

तो गोल्डन एज़ था।

बाप कहते हैं जब तुम

बहुत पाप आत्मा बन जाते हो

तब मैं आता हूँ

पुण्य आत्मा बनाने।

 


यह नॉलेज सिवाए बाप के

कोई दे न सके।
नॉलेजफुल बाप ही है,

वह आकर पढ़ाते हैं।

 


अब बाप आये हैं

फिर से स्वर्ग बनाने।
बाप स्वर्ग बनाते हैं,

रावण नर्क बनाते हैं।

 


बाप कोई शास्त्र नहीं सुनाते।
यहाँ है स्प्रीचुअल नॉलेज।

 


बाप को स्प्रीचुअल फादर कहा जाता है।
वह है आत्माओं का बाप।

 


बाप कहते हैं मैं मनुष्य सृष्टि का

बीज-रूप हूँ इसलिए

नॉलेजफुल हूँ।

 


आत्मा को पत्थरबुद्धि से

पारसबुद्धि बाप ही आकर

बनाते हैं - जो सतयुग त्रेता तक

चलती है।

 


बाप कहते हैं,

हे आत्मा मुझे याद करो।

 


यह तो बेहद के बाप से ही

वर्सा मिल सकता है।
फिर रावण का साथ

मिलने से

पतित बन जाते हो

फिर बाप द्वारा

पावन बनने में सेकण्ड लगता है।

 

 


अभी तुम आये हो

बाप से जीवनमुक्ति का

वर्सा लेने।
बाप जीवनमुक्ति का वर्सा देते हैं

बाप कहते हैं, मैं हूँ ही गरीब निवाज़।

 


बाप कहते हैं हम गरीब निवाज हैं।
साहूकारों को गरीब और

गरीबों को साहूकार बनाता हूँ।

 


बाप कहते हैं,

हर 5 हजार वर्ष बाद

आता हूँ,

भारत को फिर से

हीरे जैसा बनाने।
यह हिस्ट्री जॉग्राफी बाप ही

बता सकते हैं। ..."

गीत:- मिलन की लगन में... प्रभु की प्रतिक्षा में सारा भुवन है...


Today's Murli