22.01.1970
"...बापदादा आप सभी के
सम्पूर्ण मुखड़े देखते हैं।
सम्पूर्णता नंबरवार
होगी।
माला के 108 मणके जो हैं,
तो No.1 मणका और 108 वाँ मणका
दोनों को सम्पूर्ण कहेंगे कि नहीं?
विजयी रत्न कहेंगे?
विजयी रत्न अर्थात्
अपने नंबर प्रमाण
सम्पूर्णता को प्राप्त हो।
उनके
लिए
सारे ड्रामा के अन्दर
वही सम्पूर्णता की फर्स्ट स्टेज है।
जैसे
सतयुग में
विश्व महाराजन तो
8वाँ भी कहलायेगा
लेकिन
फर्स्ट
विश्व-महाराजन की
सृष्टि के सम्पूर्ण सुख
और 8वें के
सम्पूर्णता के
सुख में
अंतर होगा ना।
वैसे ही यहाँ भी
हरेक अपने-अपने नंबर प्रमाण
सम्पूर्णता को
प्राप्त हो रहे हैं।
इसलिए बापदादा
सम्पूर्ण स्टेज को
देखते रहते और
वर्तमान समय के
पुरुषार्थ को देखते रहते हैं।
क्या हैं
और क्या बनने वाले हैं। ..." |