गीत:- जाना है हमें अपने परमधाम....


  • 07-04-2021
  • "परमपिता परमात्मा"


    अब कोई परमपिता परमात्मा को

    नहीं जानते हैं।

    बाप कहते हैं कि

    जैसे तुम्हारी आत्मा है,

    वैसे मेरी भी आत्मा है।


    तुम सिर्फ जन्म मरण में आते हो,

    मैं नहीं आता हूँ।


    मुझे बुलाते भी तब हैं जब

    पतित बनते हैं।
    जब बहुत दु:खी हो जाते हैं

    तब बुलाते हैं।


    इस समय तुम बच्चों को

    शिवबाबा पढ़ा रहे हैं।


    कोई पूछते कि यह कैसे मानें कि

    परमात्मा आते हैं!
    तो उन्हों को समझाना है कि

    सब पुकारते हैं - हे पतित-पावन आओ।


    अब वह है निराकार।
    उनको अपना शरीर नहीं है,

    आना भी है पतित दुनिया में।
    पावन दुनिया में तो नहीं आयेंगे।
    ऐसे समझाना चाहिए।


    यह भी समझाना है कि

    परमात्मा इतना छोटा है

    जैसे आत्मा छोटी है,

    परन्तु वह है मनुष्य सृष्टि का

    बीजरूप, नॉलेजफुल।


    बाप कहते हैं कि

    तुम मुझे परमपिता परमात्मा कहते हो।

    पुकारते हो तो जरूर आयेंगे ना।

    गायन भी है कि

    दूरदेश का रहने वाला आया देश पराये।

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