
26.03.1970
"...जब ज्ञान की बुद्धि के बाद
मैं-पन आता है तो
वह मैं-पन भी
नुकसान करता है।
एक तो मैं शरीर हूँ यह छोड़ना है,
दूसरा मैं समझती हूँ,
मैं ज्ञानी आत्मा हूँ,
मैं बुद्धिमान हूँ,
यह मैं-पन भी मिटाना है।
जहाँ मैं शब्द आता है
वहां बापदादा याद आये।
जहाँ मेरी समझ आती है
वहां श्रीमत याद आये।
एक तो मैं-पन मिटाना है
दूसरा मेरा-पन।
वह भी गिरता है।
यह मैं और मेरा तुम और तेरा
यह चार शब्द हैं
इनको मिटाना है।
इन चार शब्दों ने ही
सम्पूर्णता से दूर किया है।
इन चार शब्दों को
सम्पूर्ण मिटाना है।
साकार के अन्तिम बोल चेक किये,
हर बात में क्या सुना?
बाबा-बाबा।
सर्विस में सफलता
न होने की करेक्शन भी
कौन सी बात में थी?
समझाते थे हर बात में
बाबा-बाबा कहकर
बोलो तो
किसको भी तीर लग जायेगा।
जब बाबा
याद आता तो मैं-मेरा,
तू-तेरा ख़त्म हो जाता है।
फिर क्या अवस्था हो जाएगी?
सभी बातें प्लेन हो जायेंगी
फिर प्लेन याद में ठहर सकेंगे। ..."
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