खुशियां ही खुशियां पायें तेरे प्यार में बाबा...


Avyakt Baapdada - 07.05.1969

"...साकार में समय प्रति समय

बच्चों को यह सूचना तो

मिलती ही रही है कि

ऐसा समय आयेगा

जो सिर्फ दूर से ही मुलाकात

हो सकेगी।

 

 

अब ऐसा समय देख रहे हैं।

सभी की दिल होती है

और बापदादा की भी दिल होती है

लेकिन वह समय

अब बदल रहा है।

 

समय के साथ

वह मिलन का सौभाग्य भी

अब नहीं रहा है।

इसलिये अब अव्यक्त रूप से ही

सभी से मुलाकात कर रहे हैं।..."

 

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