आ लौट के आ जा मेरे मीत...


Avyakt Baapdada - 14.01.1990

"...आपको शुभ संकल्प का

यंत्र मिला है,

दिव्य बुद्धि मिली हैं ।

शुद्ध मन और दिव्य बुद्धि से

पहुँच जाते हो ।

 

 

जब चाहो तब लौट आओ,

जब चाहो तब चले जाओ ।

 

 

साइंस वालों को तो

मौसम भी देखनी पड़ती हैं ।

आपको तो

वह भी

नहीं देखना पड़ता

कि आज बादल हैं,

नहीं जा सकेंगे।

 

 

आजकल देखो - बादल तो क्या

थोड़ी-सी फोगी भी होती है तो

भी प्लेन नहीं जा सकता।

 

 

और आपका विमान एवररेडी हैं

या कभी फोगी आती है?

एवररेडी हैं?

 

 

सेकंड में जा सकते हैं

ऐसी तीव्रगति है?

माया कभी रुकावट तो

नहीं डालती है?

 

 

मास्टर सर्वशक्तिवान को

कोई रोक नहीं सकता।

जहाँ सर्वशक्तियॉ है

वहाँ कौन रोकेगा ।..."

 

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