03.11.2015

"...जो भी तबियत में थोड़ा बहुत होता है,

तो समय कलियुग का है, इसमें यह सब तो आता ही है लेकिन सब कुछ होते हुए बाप की याद में सूली से कांटा बनाना है।

आवे कितना भी सूली के रूप में लेकिन बाप की याद से कांटा बन जाये।..."

Previous Murlis