अन्तिम घड़ियां आ पहुंची हैं...


24.12.1974


"...अपनी जन्मपत्री को देखना चाहिए कि...

आदि से लेकर अर्थात् जन्मते ही मेरी तकदीर की लकीर कैसी है?

जिनको जन्म होने से ही तकदीर प्राप्त है;

तकदीर बनाके आए हैं आदि समय की, उसी आधार पर पीछे भी उनको लिफ्ट मिलती है।

शुरू से ही सहज प्राप्ति हुई है ना?

मेहनत कम और प्राप्ति ज्यादा।

यह लॉटरी मिली हुई है।

एक रूपये की लाटरी में, लाखों मिल जायें तो मेहनत कम, प्राप्ति ज्यादा हुई ना?

कोई भी बात में, अगर एक बार समय पर, बिना कोई संकल्प के, आज्ञा समझ कर जो सहयोगी बन जाते हैं, ऐसे समय के सहयोगियों को बाप-दादा भी अन्त तक सहयोग देने के लिए बाँधा हुआ है।

एक बार का सहयोग देने का अन्त तक सहयोग लेने का अधिकारी बनाता है।

एक का सौ गुना मिलने से मेहनत कम, प्राप्ति ज्यादा होती है।

चाहे मन से, चाहे तन से अथवा धन से।

लेकिन समय पर सहयोग दिया, तो बाप-दादा अन्त तक सहयोग देने के लिये बांधा हुआ है।..."

Sharing Gift of Today's Murli

दिव्यगुणों के गुलदस्ते से जीवन महक जाता है...